#11166 राजस्थान के उपचुनाव में 7 में से 5 पार भाजपा की जीत। सीएम भजनलाल शर्मा ने दिखाई राजनीतिक कुशलता। दौसा में भाजपा नहीं, मंत्री किरोड़ी लाल मीणा हारे। खींवसर से हनुमान बेनीवाल की पत्नी तो हार हीं, साथ ही कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। देवली, चौरासी और सलूबर सीट पर भी कांग्रेस तीसरे नंबर पर। =================== 23 नवंबर को घोषित राजस्थान विधानसभा के 7 उपचुनावों के परिणामों में भाजपा ने 5 स्थानों पर सफलता हासिल की है। कांग्रेस को सिर्फ एक दौसा में मात्र 2300 मतों से जीत मिली है। डूंगरपुर की चौरासी सीट पर भारत आदिवासी पार्टी ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। 7 में से 5 पर जीत दर्ज होने से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का प्रभाव और बढ़ेगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि सीएम शर्मा ने इन उपचुनावों में अपनी राजनीतिक कुशलता का प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भले ही इन चुनावों में सक्रियता न दिखाई जो लेकिन फिर भी 5 स्थानों पर जीत सीएम शर्मा के लिए बहुत मायने रखती है। जबकि 2023 के चुनाव में इन 7 में से सिर्फ सलूंबर सीट पर भाजपा की जीत हुई थी। झुंझुनूं: झुंझुनूं में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भांबू ने 42 हजार 848 हजार से जीत दर्ज की है। यहां कांग्रेस ने झुंझुनूं के सांसद बृजेंद्र ओला के पुत्र अमित ओला को उम्मीदवार बनाया, लेकिन मतदाताओं ने कांग्रेस के परिवारवाद को नकार दिया। सांसद होते हुए भी बृजेंद्र ओल अपने पुत्र को चुनाव नहीं जितवा सके। बृजेंद्र ओला ने जिद करके पुत्र को टिकट दिलवाया था। यहां निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा ने 37 हजार वोट प्राप्त किए। देवली उनियारा: इस सीट से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर ने 42 हजार मतों से जीत हासिल की है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी केसी मीणा 31 हजार मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को 49 हजार मत प्राप्त हुए। यह सीट पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायल और टोंक सवाई माधोपुर के कांग्रेस सांसद हरीश मीणा की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई थी। पायलट और हरीश मीणा की ताकत के बाद भी कांग्रेस जीत नहीं हो सकी। जबकि पिछले चुनाव में हरीश मीणा ही विधायक चुने गए थे। खींवसर: खींवसर से भाजपा प्रत्याशी रेंवतराम डांगा ने 13 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है। डांगा ने आरएलपी के प्रमुख और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को हराया है। कांग्रेस की उम्मीदवार डॉक्टर रतन चौधरी को मात्र 5 हजार 554 मत मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। बेनीवाल ने लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के समर्थन से जीता था, लेकिन इस बार कनिका बेनीवाल को हराने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगादी। इसका फायदा भाजपा को मिला। विधानसभा का पिछला चुनाव हनुमान बेनीवाल ने डांगा से मात्र 2 हजार मतों से जीता था। डांगा ने बेनीवाल से पिछली हार का बदला चुका लिया। कनिता बेनीवाल की हार से आरएलपी को तगड़ा झटका लगा है। विधानसभा में अब आरएलपी का एक भी विधायक नहीं है। हनुमान बेनीवाल ने उपचुनाव के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव दिव्या मदेरणा को लेकर जो प्रतिकूल टिप्पणी की उसका जाट मतदाताओं पर नकारात्मक असर हुआ। रामगढ़: इस सीट से भाजपा प्रत्याशी खुशवंत सिंह ने कांग्रेस के आर्यन खान को 14 हजार मतों से हराया है। भाजपा के लिए यह सीट इसलिए भी मायने रखती है कि गत लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस उस उपचुनाव में अलवर के सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जो रणनीति बनाई उसी का परिणाम रहा कि भाजपा को जीत हासिल हुई। पिछले चुनाव में खुशवंत सिंह ने बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। तब भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा। इस बार भूपेंद्र यादव की पहल पर खुशवंत सिंह को उम्मीदवार बनाया और जीत दर्ज की। सलूंबर: इस सीट पर भी भाजपा की श्रीमती शांति देवी ने 1200 मतों से जीत दर्ज की है। शांति देवी भाजपा के दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी है। यहां कांग्रेस के महेश रोत तीसरे नंबर रहे है। बीएपी के उम्मीदवार जितेश कटारा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी, लेकिन मतणना के अंतिम दौर में भाजपा की जीत हुई। दौसा: इस सीट पर कांग्रेस के डीडी बैरवा ने मात्र 23 सौ मतों से भाजपा के जगमोहन मीणा को हराया है।यह हार भाजपा से ज्यादा कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की है। मीणा ने भाजपा के नेतृत्व को ब्लैकमेल कर अपने भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनवाया। किरोड़ी मीणा को उम्मीद थी कि उनके प्रभाव से जीत हासिल कर ली जाएगी। लेकिन वोट की भीख मांगने के बाद भी किरोड़ी मीणा अपने भाई को नहीं जितवा सके। इस हार से किरोड़ी मीणा की राजनीति भी चौपट हो गई। चौरासी: इस सीट पर बीएपी के अनिल कटारा ने 23 हजार मतों से जीत दज्र की है। बीएपी ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा है। गत चुनाव में इस सीट से राजकुमार रोत 70 हजार मतों से जीते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में रोत सांसद चुन लिए गए इसलिए उपचुनाव हुआ।
#11166 राजस्थान के उपचुनाव में 7 में से 5 पार भाजपा की जीत। सीएम भजनलाल शर्मा ने दिखाई राजनीतिक कुशलता। दौसा में भाजपा नहीं, मंत्री किरोड़ी लाल मीणा हारे। खींवसर से हनुमान बेनीवाल की पत्नी तो हार हीं, साथ ही कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। देवली, चौरासी और सलूबर सीट पर भी कांग्रेस तीसरे नंबर पर। =================== 23 नवंबर को घोषित राजस्थान विधानसभा के 7 उपचुनावों के परिणामों में भाजपा ने 5 स्थानों पर सफलता हासिल की है। कांग्रेस को सिर्फ एक दौसा में मात्र 2300 मतों से जीत मिली है। डूंगरपुर की चौरासी सीट पर भारत आदिवासी पार्टी ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। 7 में से 5 पर जीत दर्ज होने से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का प्रभाव और बढ़ेगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि सीएम शर्मा ने इन उपचुनावों में अपनी राजनीतिक कुशलता का प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भले ही इन चुनावों में सक्रियता न दिखाई जो लेकिन फिर भी 5 स्थानों पर जीत सीएम शर्मा के लिए बहुत मायने रखती है। जबकि 2023 के चुनाव में इन 7 में से सिर्फ सलूंबर सीट पर भाजपा की जीत हुई थी। झुंझुनूं: झुंझुनूं में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भांबू ने 42 हजार 848 हजार से जीत दर्ज की है। यहां कांग्रेस ने झुंझुनूं के सांसद बृजेंद्र ओला के पुत्र अमित ओला को उम्मीदवार बनाया, लेकिन मतदाताओं ने कांग्रेस के परिवारवाद को नकार दिया। सांसद होते हुए भी बृजेंद्र ओल अपने पुत्र को चुनाव नहीं जितवा सके। बृजेंद्र ओला ने जिद करके पुत्र को टिकट दिलवाया था। यहां निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा ने 37 हजार वोट प्राप्त किए। देवली उनियारा: इस सीट से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर ने 42 हजार मतों से जीत हासिल की है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी केसी मीणा 31 हजार मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को 49 हजार मत प्राप्त हुए। यह सीट पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायल और टोंक सवाई माधोपुर के कांग्रेस सांसद हरीश मीणा की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई थी। पायलट और हरीश मीणा की ताकत के बाद भी कांग्रेस जीत नहीं हो सकी। जबकि पिछले चुनाव में हरीश मीणा ही विधायक चुने गए थे। खींवसर: खींवसर से भाजपा प्रत्याशी रेंवतराम डांगा ने 13 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है। डांगा ने आरएलपी के प्रमुख और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को हराया है। कांग्रेस की उम्मीदवार डॉक्टर रतन चौधरी को मात्र 5 हजार 554 मत मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। बेनीवाल ने लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के समर्थन से जीता था, लेकिन इस बार कनिका बेनीवाल को हराने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगादी। इसका फायदा भाजपा को मिला। विधानसभा का पिछला चुनाव हनुमान बेनीवाल ने डांगा से मात्र 2 हजार मतों से जीता था। डांगा ने बेनीवाल से पिछली हार का बदला चुका लिया। कनिता बेनीवाल की हार से आरएलपी को तगड़ा झटका लगा है। विधानसभा में अब आरएलपी का एक भी विधायक नहीं है। हनुमान बेनीवाल ने उपचुनाव के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव दिव्या मदेरणा को लेकर जो प्रतिकूल टिप्पणी की उसका जाट मतदाताओं पर नकारात्मक असर हुआ। रामगढ़: इस सीट से भाजपा प्रत्याशी खुशवंत सिंह ने कांग्रेस के आर्यन खान को 14 हजार मतों से हराया है। भाजपा के लिए यह सीट इसलिए भी मायने रखती है कि गत लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस उस उपचुनाव में अलवर के सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जो रणनीति बनाई उसी का परिणाम रहा कि भाजपा को जीत हासिल हुई। पिछले चुनाव में खुशवंत सिंह ने बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। तब भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा। इस बार भूपेंद्र यादव की पहल पर खुशवंत सिंह को उम्मीदवार बनाया और जीत दर्ज की। सलूंबर: इस सीट पर भी भाजपा की श्रीमती शांति देवी ने 1200 मतों से जीत दर्ज की है। शांति देवी भाजपा के दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी है। यहां कांग्रेस के महेश रोत तीसरे नंबर रहे है। बीएपी के उम्मीदवार जितेश कटारा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी, लेकिन मतणना के अंतिम दौर में भाजपा की जीत हुई। दौसा: इस सीट पर कांग्रेस के डीडी बैरवा ने मात्र 23 सौ मतों से भाजपा के जगमोहन मीणा को हराया है।यह हार भाजपा से ज्यादा कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की है। मीणा ने भाजपा के नेतृत्व को ब्लैकमेल कर अपने भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनवाया। किरोड़ी मीणा को उम्मीद थी कि उनके प्रभाव से जीत हासिल कर ली जाएगी। लेकिन वोट की भीख मांगने के बाद भी किरोड़ी मीणा अपने भाई को नहीं जितवा सके। इस हार से किरोड़ी मीणा की राजनीति भी चौपट हो गई। चौरासी: इस सीट पर बीएपी के अनिल कटारा ने 23 हजार मतों से जीत दज्र की है। बीएपी ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा है। गत चुनाव में इस सीट से राजकुमार रोत 70 हजार मतों से जीते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में रोत सांसद चुन लिए गए इसलिए उपचुनाव हुआ।
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