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महिला सुरक्षा जन जागरूकता अभियान 🚨 निडर युवा सेवा संस्थान के सदस्यों ने गांव पंचायत सरपंच एवं आमजन के बीच जाकर संस्था के विभिन्न उद्देश्यों की जानकारी साझा की। आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी भी दी गई और सार्वजनिक स्थानों व ग्राम पंचायत में बैनर-पोस्टर लगाए गए! संस्था सदैव महिला सुरक्षा, रोजगार जागरूकता एवं सशक्तिकरण के लिए तत्पर है!🌸 महिला और बालिकाओं के हर प्रकार के अपराध में आपकी सुरक्षा हमारी ज़िम्मेदारी! निडर युवा सेवा संस्थान सदैव आपके साथ है।यदि आप या आपके आसपास कोई महिला/बालिका हिंसा का शिकार हो, तो बिना झिझक मदद माँगें। हम इन मामलों में 24×7 सहयोग के लिए तैयार हैं:✅ घरेलू हिंसा ✅ बलात्कार / दुष्कर्म ✅ यौन उत्पीड़न ✅ छेड़छाड़ / लेगिंग / दुराचार ✅ महिला तस्करी, देह व्यापार ✅ साइबर क्राइम / ऑनलाइन ब्लैकमेल ✅ दहेज प्रताड़ना ✅ एसिड अटैक ✅ कार्यस्थल यौन उत्पीड़न ✅ कन्या भ्रूण हत्या ✅ शारीरिक, मानसिक या सामाजिक हिंसा💪 आप अकेली नहीं हैं — निडर युवा सेवा संस्थान आपके साथ खड़ा है! 🌟 आपकी सुरक्षा, न्याय और सम्मान के लिए हम हमेशा तत्पर। निडर बनिए, आवाज़ उठाइए — हम आपके साथ हैं!📞 आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर: 1091 (महिला हेल्पलाइन) | 181 (महिला आपातकालीन) | 112 (इमरजेंसी) 📞 संस्था संपर्क: [7898437125] 📍 Madhya Pradesh | #निडरयुवा #महिला_सुरक्षा #जनजागरूकता #WomenSafety #NidarYuvaSeva #हेल्पलाइन

8 hrs ago
user_Nider yuva Seva sansthan
Nider yuva Seva sansthan
Social services organisation Mandsaur, Madhya Pradesh•
8 hrs ago
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महिला सुरक्षा जन जागरूकता अभियान 🚨 निडर युवा सेवा संस्थान के सदस्यों ने गांव पंचायत सरपंच एवं आमजन के बीच जाकर संस्था के विभिन्न उद्देश्यों की जानकारी साझा की। आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी भी दी गई और सार्वजनिक स्थानों व ग्राम पंचायत में बैनर-पोस्टर लगाए गए! संस्था सदैव महिला सुरक्षा, रोजगार जागरूकता एवं सशक्तिकरण के लिए तत्पर है!🌸 महिला और बालिकाओं के हर प्रकार के

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अपराध में आपकी सुरक्षा हमारी ज़िम्मेदारी! निडर युवा सेवा संस्थान सदैव आपके साथ है।यदि आप या आपके आसपास कोई महिला/बालिका हिंसा का शिकार हो, तो बिना झिझक मदद माँगें। हम इन मामलों में 24×7 सहयोग के लिए तैयार हैं:✅ घरेलू हिंसा ✅ बलात्कार / दुष्कर्म ✅ यौन उत्पीड़न ✅ छेड़छाड़ / लेगिंग / दुराचार ✅ महिला तस्करी, देह व्यापार ✅ साइबर क्राइम / ऑनलाइन ब्लैकमेल ✅ दहेज प्रताड़ना ✅ एसिड अटैक ✅ कार्यस्थल यौन

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उत्पीड़न ✅ कन्या भ्रूण हत्या ✅ शारीरिक, मानसिक या सामाजिक हिंसा💪 आप अकेली नहीं हैं — निडर युवा सेवा संस्थान आपके साथ खड़ा है! 🌟 आपकी सुरक्षा, न्याय और सम्मान के लिए हम हमेशा तत्पर। निडर बनिए, आवाज़ उठाइए — हम आपके साथ हैं!📞 आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर: 1091 (महिला हेल्पलाइन) | 181 (महिला आपातकालीन) | 112 (इमरजेंसी) 📞 संस्था संपर्क: [7898437125] 📍 Madhya Pradesh | #निडरयुवा #महिला_सुरक्षा #जनजागरूकता #WomenSafety #NidarYuvaSeva #हेल्पलाइन

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  • Post by Sangeeta Singh
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    Post by Sangeeta Singh
    SS
    Sangeeta Singh
    Badod, Agar Malwa•
    2 hrs ago
  • Post by Rajesh Yadav
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    Post by Rajesh Yadav
    user_Rajesh Yadav
    Rajesh Yadav
    Security Guard Agar, Agar Malwa•
    23 hrs ago
  • क्या थाने में जाकर आम आदमी विडियो शूट कर सकता है या बनता है कोई ऑफेंस?
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    क्या थाने में जाकर आम आदमी विडियो शूट कर सकता है या बनता है कोई ऑफेंस?
    user_Alert Nation News
    Alert Nation News
    Chittaurgarh, Chittorgarh•
    1 hr ago
  • श्री लक्ष्मी नाथ भगवान शिव शंकर जी वासक राज महाराज गोविन्द सांवरिया सेठ जी आपकी जय हो जय हो आप ही आप हो दया करो क्षमा करो कृपा करो रक्षा करो सद बुद्धि देवो हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय
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    श्री लक्ष्मी नाथ भगवान शिव शंकर जी वासक राज महाराज गोविन्द सांवरिया सेठ जी आपकी जय हो जय हो आप ही आप हो दया करो क्षमा करो कृपा करो रक्षा करो सद बुद्धि देवो हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय
    user_Kanhaiya lal Joshi
    Kanhaiya lal Joshi
    Pujari Chittaurgarh, Chittorgarh•
    9 hrs ago
  • दर्द की कहानी खुद की जुबानी आयुष हॉस्पिटल आकाशवाणी चौराहा गांधी नगर चितौड़गढ़ में हो रहा आयुर्वेद चिकित्सा से कमर गर्दन और घुटनों के दर्द का सफ़ल ईलाज 8302083835
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    दर्द की कहानी खुद की जुबानी आयुष हॉस्पिटल आकाशवाणी चौराहा गांधी नगर चितौड़गढ़ में हो रहा आयुर्वेद चिकित्सा से कमर गर्दन और घुटनों के दर्द का सफ़ल ईलाज 8302083835
    user_Dr CP Patel 8302083835 आयुष हॉस्पिटल
    Dr CP Patel 8302083835 आयुष हॉस्पिटल
    Ayurvedic Practitioner Chittorgarh, Rajasthan•
    18 hrs ago
  • #IndiGoCrisis लखनऊ एयरपोर्ट पर बिगड़े हालात...
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    #IndiGoCrisis लखनऊ एयरपोर्ट पर बिगड़े हालात...
    user_Ahmed Siraj Farooqi
    Ahmed Siraj Farooqi
    रिपोर्टर Ladpura, Kota•
    5 hrs ago
  • राजस्थान ब्रेकिंग न्यूज़र पब्लिक एप का ताजा अपडेट। आज सारा देश उसे महान आत्मा और महान व्यक्तित्व के धनी बाबा अंबेडकर साहब का"जन्मदिन मना रहा है। लोकसभा में आज महामहिम राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री लोकसभा अध्यक्ष कई मंत्रियों ने बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति पर पुष्प चढ़ाएं और उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री भजनलाल ने आज अपने आवास पर 11:00 से भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष से लेकर जिला अध्यक्षों की मीटिंग ली।कोटा संभाग जोधपुर जयपुर के सभी पदाधिकारी मौजूद थे।
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    राजस्थान ब्रेकिंग न्यूज़र पब्लिक एप का ताजा अपडेट। 
आज सारा देश उसे महान आत्मा और महान व्यक्तित्व के धनी बाबा अंबेडकर साहब का"जन्मदिन मना रहा है।
लोकसभा में आज महामहिम राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री लोकसभा अध्यक्ष कई मंत्रियों ने बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति पर पुष्प चढ़ाएं 
और उन्हें नमन किया।
मुख्यमंत्री भजनलाल ने आज अपने आवास पर 11:00 से भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष से लेकर जिला अध्यक्षों की मीटिंग ली।कोटा संभाग जोधपुर जयपुर के सभी पदाधिकारी मौजूद थे।
    user_Ramesh Gandhi
    Ramesh Gandhi
    Acupuncture school Ladpura, Kota•
    7 hrs ago
  • Hindustan Construction Company Ltd. (HCC) बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Limited (BRPNNL) — “Hindustan Construction Ltd v/s Bihar राज्य” — मामले में फैसला Supreme Court of India (सुप्रीम कोर्ट) ने 28 नवम्बर 2025 को सुनाया है। यह फैसला विवाद — पुल निर्माण कॉन्ट्रैक्ट + मध्यस्थता (arbitration) प्रक्रिया — से जुड़ा था। नीचे मैंने इस मामले का सार (मामले की पृष्ठभूमि, मुख्य बिंदु, और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय) समझाया है। 🧾 मामला — क्या था विवाद HCC को 2014 में BRPNNL ने एक पुल निर्माण का काम दिया था — नदी “सोन” पर ब्रिज + अप्रोच-रोड सहित। उस कॉन्ट्रैक्ट में (Clause 25) विवाद उत्पन्न होने पर मध्यस्थता (arbitration) का आग्राह था। HCC ने 2018-19 में अतिरिक्त लागत/न्यायिक दावे (additional cost/compensation) उठाए। पर BRPNNL के प्रबंध निदेशक (Managing Director) ने समय पर arbitrator नियुक्त नहीं किया। इसलिए HCC ने 2020 में High Court ( पटना HC ) के समक्ष Section 11 Application दायर की — arbitrator नियुक्ति की मांग। 2021 में पटना HC ने arbitrator नियुक्त किया, मध्यस्थता शुरू हुई, दोनों पक्षों ने 70+ सुनवाईयां (hearings) कीं। बाद में, जब अंतिम दलीलें (arguments) पूरी हो चुकी थीं, BRPNNL ने पटना HC से अपनी नियुक्ति पर पुनर्विचार (review petition) मांगा — Arbitrator नियुक्ति आदेश को रद्द करने का दावा किया। पटना HC ने अपनी पूर्व Section 11 नियुक्ति आदेश recall ( रद्द ) कर दी। इस पर HCC ने सुप्रीम कोर्ट में अपील लगाई। --- ⚖️ सुप्रीम कोर्ट का फैसला – 28 नवंबर 2025 सुप्रीम कोर्ट ने HCC की अपील स्वीकार की, और निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को स्पष्ट किया: पूर्व Section 11 के तहत arbitrator नियुक्ति आदेश (appointment order) पर High Court का “review / recall” करना गलत था — क्योंकि A&C Act (1996) इस तरह की judicial review/re-hearing की अनुमति नहीं देता; न्यायालयीय हस्तक्षेप (judicial intervention) केवल सीमित है। वह Clause (arbitration clause) जिसमें सिर्फ BRPNNL के Managing Director को arbitrator नियुक्त करने का अधिकार दिया गया था — वो clause “severable” (विभाज्य) है। यानि, मुख्य arbitration agreement बरकरार रहेगा; सिर्फ appointing-mechanism (यानि arbitrator कैसे नियुक्त होगा) को बदलना तय किया जा सकता है। High Court की अपनी नियुक्ति आदेश रद्द करने की कार्रवाई — एक “negative veto” जैसा था, जो A&C Act के उद्देश्य (expeditious, fair arbitration) के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि once arbitrator नियुक्त हो गया हो और दोनों पक्षों ने arbitration में भाग लिया हो — objections procedural हो सकते हैं पर उन पर review नहीं किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, अदालत ने यह कहा कि संयुक्त (joint) आवेदन (joint applications) under Section 29A — arbitrator का समय बढ़ाने के लिए — को एक वैध “waiver” माना जाएगा (procedural objections के लिए), सिवाय उन मामलों के जहाँ स्थायी असंगतता / पक्षपात (statutory ineligibility under Section 12(5)) हो। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पटना HC एक नया arbitrator नियुक्त करे और arbitration जारी रहे, जहाँ से बीच में रुकाव हुआ था। --- 🔎 मतलब / Significance of the Decision यह फैसला arbitral autonomy (मध्यस्थता की स्वतंत्रता) की रक्षा करता है — यानी, एक बार arbitrator नियुक्त हो जाए और दोनों पक्ष प्रक्रिया में शामिल हो जाएं, तो High Court द्वारा बाद में review / recall करना न्यायालयीय दुर्व्यवहार या कार्यवाही विघटन माना जाएगा। अनुबंधों में “unilateral appointment clauses” — जहाँ सिर्फ एक पक्ष (या public authority) arbitrator चुनने का अधिकार रखती है — अगर व्यवहार में विवादित हों, तो उन्हें भी “severable” माना जाएगा: arbitration agreement कायम रहेगा। यह फैसला विशेष रूप से सार्वजनिक-ठेका (public contracts) वाले मामलों में अहम है, जहाँ राज्य/PSU + निजी कंपनी का विवाद arbitration में जाता है। इससे सुनिश्चित होगा कि विधिवत arbitration प्रक्रिया बाधित न हो। Arbitration को कॉम्प्लेक्स, लंबी प्रक्रिया न बनने देने के लिए — procedural objections (जिन्हें parties accept कर चुकी हों) पर बार-बार litigation न हो — ये सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट — Hindustan Construction Company Ltd. बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd. (2025 INSC 1365) का संक्षिप्त, सरल और स्पष्ट वर्डिक्ट-समरी (Verdict Summary) तैयार करके दी गई है: --- 🧾 **सुप्रीम कोर्ट निर्णय-सार (संक्षेप में) Hindustan Construction Company Ltd. vs. Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd. फैसला : 28 नवम्बर 2025** --- 1. विवाद किस बारे में था HCC को बिहार में “सोन नदी पर पुल निर्माण” का ठेका मिला था। काम के दौरान अतिरिक्त लागत, देरी और अन्य दावों पर HCC ने Arbitration (मध्यस्थता) की मांग की। BRPNNL का दावा था कि Clause-25 के अनुसार Arbitrator उनके MD द्वारा नियुक्त होना चाहिए। नियुक्ति समय पर न होने पर HCC पटना हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने Arbitrator नियुक्त कर दिया। --- 2. हाईकोर्ट ने बाद में क्या किया Arbitration लगभग पूरी हो चुकी थी—70+ सुनवाई हो चुकी थीं। लेकिन BRPNNL ने हाईकोर्ट में Review/Recall Petition दायर की। पटना हाईकोर्ट ने अपनी ही पहले वाली आदेश (Arbitrator नियुक्ति) रद्द कर दी। इससे पूरी मध्यस्थता प्रक्रिया रुक गई। इसी के खिलाफ HCC सुप्रीम कोर्ट गया। --- 3. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को गलत ठहराया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि— Arbitration & Conciliation Act हाईकोर्ट को Section 11 के आदेश का “review/recall” करने की अनुमति नहीं देता। Arbitrator नियुक्त होने के बाद और दोनों पक्षों के लंबे समय तक भाग लेने के बाद, प्रक्रिया को बीच में रोकना कानून और न्याय, दोनों के खिलाफ है। --- 4. Arbitration Clause को “severable” माना गया कॉन्ट्रैक्ट वाले Clause-25 में सिर्फ BRPNNL को Arbitrator चुनने का हक था — जो कानूनन उचित नहीं। कोर्ट ने कहा कि — ✔️ Appointment-mechanism अलग किया जा सकता है, ✔️ पर Arbitration Agreement स्वयं वैध रहेगा। यानी, arbitration चलता रहेगा, चाहे नियुक्ति तरीका अवैध हो। --- 5. सुप्रीम कोर्ट ने procedural objections को ‘waiver’ माना दोनों पक्षों ने मिलकर arbitrator का समय बढ़ाने के लिए Joint Applications दी थीं। कोर्ट ने कहा कि इससे यह सिद्ध होता है कि दोनों arbitration को मान चुके थे। इसलिए बाद में उठाए गए तकनीकी/प्रक्रियात्मक आपत्तियाँ — मान्य नहीं। --- 6. सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश पटना हाईकोर्ट का “recall order” रद्द किया। मध्यस्थता (arbitration) को जारी रखने का आदेश। हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि नया स्वतंत्र Arbitrator नियुक्त करे। मध्यस्थता वहीं से शुरू होगी जहाँ से रुकी थी। --- 7. इस फैसले का महत्व सरकारी संस्थानों द्वारा Arbitrator नियुक्ति में दुरुपयोग पर रोक लगती है। हाईकोर्ट द्वारा Section-11 आदेश की दोबारा समीक्षा का रास्ता बंद। Public contracts में arbitration को तेज, निष्पक्ष और अविरुद्ध रखने पर जोर। “Unilateral appointment clauses” की वैधता सीमित—पर arbitration agreement जारी रहता है।
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    Hindustan Construction Company Ltd. (HCC) बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Limited (BRPNNL) — “Hindustan Construction Ltd v/s Bihar राज्य” — मामले में फैसला Supreme Court of India (सुप्रीम कोर्ट) ने 28 नवम्बर 2025 को सुनाया है। 
यह फैसला विवाद — पुल निर्माण कॉन्ट्रैक्ट + मध्यस्थता (arbitration) प्रक्रिया — से जुड़ा था। नीचे मैंने इस मामले का सार (मामले की पृष्ठभूमि, मुख्य बिंदु, और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय) समझाया है।
🧾 मामला — क्या था विवाद
HCC को 2014 में BRPNNL ने एक पुल निर्माण का काम दिया था — नदी “सोन” पर ब्रिज + अप्रोच-रोड सहित। 
उस कॉन्ट्रैक्ट में (Clause 25) विवाद उत्पन्न होने पर मध्यस्थता (arbitration) का आग्राह था। 
HCC ने 2018-19 में अतिरिक्त लागत/न्यायिक दावे (additional cost/compensation) उठाए। पर BRPNNL के प्रबंध निदेशक (Managing Director) ने समय पर arbitrator नियुक्त नहीं किया। 
इसलिए HCC ने 2020 में High Court ( पटना HC ) के समक्ष Section 11 Application दायर की — arbitrator नियुक्ति की मांग। 
2021 में पटना HC ने arbitrator नियुक्त किया, मध्यस्थता शुरू हुई, दोनों पक्षों ने 70+ सुनवाईयां (hearings) कीं। 
बाद में, जब अंतिम दलीलें (arguments) पूरी हो चुकी थीं, BRPNNL ने पटना HC से अपनी नियुक्ति पर पुनर्विचार (review petition) मांगा — Arbitrator नियुक्ति आदेश को रद्द करने का दावा किया। पटना HC ने अपनी पूर्व Section 11 नियुक्ति आदेश recall ( रद्द ) कर दी। 
इस पर HCC ने सुप्रीम कोर्ट में अपील लगाई। 
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⚖️ सुप्रीम कोर्ट का फैसला – 28 नवंबर 2025
सुप्रीम कोर्ट ने HCC की अपील स्वीकार की, और निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को स्पष्ट किया: 
पूर्व Section 11 के तहत arbitrator नियुक्ति आदेश (appointment order) पर High Court का “review / recall” करना गलत था — क्योंकि A&C Act (1996) इस तरह की judicial review/re-hearing की अनुमति नहीं देता; न्यायालयीय हस्तक्षेप (judicial intervention) केवल सीमित है। 
वह Clause (arbitration clause) जिसमें सिर्फ BRPNNL के Managing Director को arbitrator नियुक्त करने का अधिकार दिया गया था — वो clause “severable” (विभाज्य) है। यानि, मुख्य arbitration agreement बरकरार रहेगा; सिर्फ appointing-mechanism (यानि arbitrator कैसे नियुक्त होगा) को बदलना तय किया जा सकता है। 
High Court की अपनी नियुक्ति आदेश रद्द करने की कार्रवाई — एक “negative veto” जैसा था, जो A&C Act के उद्देश्य (expeditious, fair arbitration) के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि once arbitrator नियुक्त हो गया हो और दोनों पक्षों ने arbitration में भाग लिया हो — objections procedural हो सकते हैं पर उन पर review नहीं किया जाना चाहिए। 
विशेष रूप से, अदालत ने यह कहा कि संयुक्त (joint) आवेदन (joint applications) under Section 29A — arbitrator का समय बढ़ाने के लिए — को एक वैध “waiver” माना जाएगा (procedural objections के लिए), सिवाय उन मामलों के जहाँ स्थायी असंगतता / पक्षपात (statutory ineligibility under Section 12(5)) हो। 
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पटना HC एक नया arbitrator नियुक्त करे और arbitration जारी रहे, जहाँ से बीच में रुकाव हुआ था। 
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🔎 मतलब / Significance of the Decision
यह फैसला arbitral autonomy (मध्यस्थता की स्वतंत्रता) की रक्षा करता है — यानी, एक बार arbitrator नियुक्त हो जाए और दोनों पक्ष प्रक्रिया में शामिल हो जाएं, तो High Court द्वारा बाद में review / recall करना न्यायालयीय दुर्व्यवहार या कार्यवाही विघटन माना जाएगा।
अनुबंधों में “unilateral appointment clauses” — जहाँ सिर्फ एक पक्ष (या public authority) arbitrator चुनने का अधिकार रखती है — अगर व्यवहार में विवादित हों, तो उन्हें भी “severable” माना जाएगा: arbitration agreement कायम रहेगा।
यह फैसला विशेष रूप से सार्वजनिक-ठेका (public contracts) वाले मामलों में अहम है, जहाँ राज्य/PSU + निजी कंपनी का विवाद arbitration में जाता है। इससे सुनिश्चित होगा कि विधिवत arbitration प्रक्रिया बाधित न हो।
Arbitration को कॉम्प्लेक्स, लंबी प्रक्रिया न बनने देने के लिए — procedural objections (जिन्हें parties accept कर चुकी हों) पर बार-बार litigation न हो — ये सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट — Hindustan Construction Company Ltd. बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd. (2025 INSC 1365) का संक्षिप्त, सरल और स्पष्ट वर्डिक्ट-समरी (Verdict Summary) तैयार करके दी गई है:
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🧾 **सुप्रीम कोर्ट निर्णय-सार (संक्षेप में)
Hindustan Construction Company Ltd. vs. Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd.
फैसला : 28 नवम्बर 2025**
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1. विवाद किस बारे में था
HCC को बिहार में “सोन नदी पर पुल निर्माण” का ठेका मिला था।
काम के दौरान अतिरिक्त लागत, देरी और अन्य दावों पर HCC ने Arbitration (मध्यस्थता) की मांग की।
BRPNNL का दावा था कि Clause-25 के अनुसार Arbitrator उनके MD द्वारा नियुक्त होना चाहिए।
नियुक्ति समय पर न होने पर HCC पटना हाईकोर्ट पहुंचा।
हाईकोर्ट ने Arbitrator नियुक्त कर दिया।
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2. हाईकोर्ट ने बाद में क्या किया
Arbitration लगभग पूरी हो चुकी थी—70+ सुनवाई हो चुकी थीं।
लेकिन BRPNNL ने हाईकोर्ट में Review/Recall Petition दायर की।
पटना हाईकोर्ट ने अपनी ही पहले वाली आदेश (Arbitrator नियुक्ति) रद्द कर दी।
इससे पूरी मध्यस्थता प्रक्रिया रुक गई।
इसी के खिलाफ HCC सुप्रीम कोर्ट गया।
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3. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को गलत ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि—
Arbitration & Conciliation Act हाईकोर्ट को Section 11 के आदेश का “review/recall” करने की अनुमति नहीं देता।
Arbitrator नियुक्त होने के बाद और दोनों पक्षों के लंबे समय तक भाग लेने के बाद, प्रक्रिया को बीच में रोकना कानून और न्याय, दोनों के खिलाफ है।
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4. Arbitration Clause को “severable” माना गया
कॉन्ट्रैक्ट वाले Clause-25 में सिर्फ BRPNNL को Arbitrator चुनने का हक था — जो कानूनन उचित नहीं।
कोर्ट ने कहा कि —
✔️ Appointment-mechanism अलग किया जा सकता है,
✔️ पर Arbitration Agreement स्वयं वैध रहेगा।
यानी, arbitration चलता रहेगा, चाहे नियुक्ति तरीका अवैध हो।
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5. सुप्रीम कोर्ट ने procedural objections को ‘waiver’ माना
दोनों पक्षों ने मिलकर arbitrator का समय बढ़ाने के लिए Joint Applications दी थीं।
कोर्ट ने कहा कि इससे यह सिद्ध होता है कि दोनों arbitration को मान चुके थे।
इसलिए बाद में उठाए गए तकनीकी/प्रक्रियात्मक आपत्तियाँ — मान्य नहीं।
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6. सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश
पटना हाईकोर्ट का “recall order” रद्द किया।
मध्यस्थता (arbitration) को जारी रखने का आदेश।
हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि नया स्वतंत्र Arbitrator नियुक्त करे।
मध्यस्थता वहीं से शुरू होगी जहाँ से रुकी थी।
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7. इस फैसले का महत्व
सरकारी संस्थानों द्वारा Arbitrator नियुक्ति में दुरुपयोग पर रोक लगती है।
हाईकोर्ट द्वारा Section-11 आदेश की दोबारा समीक्षा का रास्ता बंद।
Public contracts में arbitration को तेज, निष्पक्ष और अविरुद्ध रखने पर जोर।
“Unilateral appointment clauses” की वैधता सीमित—पर arbitration agreement जारी रहता है।
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    Chittaurgarh, Chittorgarh•
    17 hrs ago
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