दो लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 12.51 लाख रुपये साइबर ठगों ने साहिबाबाद निवासी हिमांशु और विजयनगर निवासी शिल्पी मित्तल को डिजिटल अरेस्ट कर 12.51 लाख रुपये ठग लिए। ठगी का अहसास होने पर दोनों पीड़ित 15 से 20 मिनट के अंदर साइबर अपराध थाने पहुंचे और मामले की जानकारी दी। पुलिस ने भी सक्रियता दिखाते हुए ठगों के खातों को फ्रीज करा दिया जिसमे राशि ट्रांसफर की गई थी। हालांकि, शिल्पी मित्तल ने जिस खाते में राशि भेजी थी, उसमें से ठगों ने 63 हजार रुपये निकाले लिए थे। एडीसीपी अपराध सच्चिदानंद ने बताया कि आठ नवंबर को हिमांशु कुमार को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट किया था। ठगों ने उन्हें उनके नाम से कुरियर बुक होने व उसमें ड्रग्स होने की बाम कही। इसके बाद नारकोटिक्स विभाग का जांच अधिकारी बनकर बात की। मामले से उनका नाम निकालने के एवज में पहले तीन लाख रुपये लिए। इसके बाद कुरियर के पैकेट को हटाने की बात के नाम पर दूसरी बार में 3.38 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कराए। बिहार के अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांजेक्शन होने पर हिमांशु को शक हुआ। उसके बाद वह तुरंत साइबर थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। इस पर साइबर टीम ने खातों में ट्रांसफर किए गए 6.38 लाख रुपये फ्रीज करा दिए। वहीं, शिल्पी मित्तल ने बताया कि 14 नवंबर को वीडियो कॉल पर पुलिस जैसी वर्दी और कैप लगाए बैठे व्यक्ति ने उनके खाते से मनी लाॅन्डि्रंग होने की बात कही। वीडियो काल पर कॉलर का चेहरा स्पष्ट नहीं था जबकि बैकग्राउंड से पुलिस थाना जैसा था। जेल भेजने की धमकी देकर उनके द्वारा बताए गए बैंक खाते में एक लाख रुपये मोबाइल से और 5.13 लाख रुपये का चेक बैंक में जमा किया। शिल्पी को शक हुआ तो वह साइबर थाने पहुंची। जहां टीम ने उन्हें साइबर ठगी होने की बात बताई। जिसके बाद बैंक से चेक रद्द कराया गया। जबकि पेटीएम से जमा एक लाख रुपये में से 63 हजार रुपये ठगों ने निकाल लिए। एडीसीपी अपराध ने बताया कि शिल्पी के 6.13 में से 5.50 लाख रुपये वापस कराए गए। साइबर ठग वीडियो कॉल कर लोगों को सीबीआई अधिकारी, क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर अथवा नारकोटिक्स का अधिकारी बताकर किसी मामले में फंसने का डर दिखाते हैं। वीडियो कॉल के दौरान बैंक ग्राउंड में थाने का सेटअप दिखाकर साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इसके बाद बताते हैं कि उन्होंने एक कुरियर बुक किया था, जिसमें ड्रग्स मिली है और नारकोटिक्स की टीम जांच कर रही है। जेल भेजने की धमकी देकर या बचाने के नाम पर बैंक खातों में रुपये ट्रांसफर करा लेते हैं। यदि कोई कुरियर की बात से इन्कार करता है तो ऐसे में साइबर ठग मनी लाॅन्डि्रंग का डर की बात कहते हैं। ठग पीड़ित को इतना भयभीत कर देते हैं कि वह घंटों बाद सदमे से बाहर आ पाता है।
दो लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 12.51 लाख रुपये साइबर ठगों ने साहिबाबाद निवासी हिमांशु और विजयनगर निवासी शिल्पी मित्तल को डिजिटल अरेस्ट कर 12.51 लाख रुपये ठग लिए। ठगी का अहसास होने पर दोनों पीड़ित 15 से 20 मिनट के अंदर साइबर अपराध थाने पहुंचे और मामले की जानकारी दी। पुलिस ने भी सक्रियता दिखाते हुए ठगों के खातों को फ्रीज करा दिया जिसमे राशि ट्रांसफर की गई थी। हालांकि, शिल्पी मित्तल ने जिस खाते में राशि भेजी थी, उसमें से ठगों ने 63 हजार रुपये निकाले लिए थे। एडीसीपी अपराध सच्चिदानंद ने बताया कि आठ नवंबर को हिमांशु कुमार को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट किया था। ठगों ने उन्हें उनके नाम से कुरियर बुक होने व उसमें ड्रग्स होने की बाम कही। इसके बाद नारकोटिक्स विभाग का जांच अधिकारी बनकर बात की। मामले से उनका नाम निकालने के एवज में पहले तीन लाख रुपये लिए। इसके बाद कुरियर के पैकेट को हटाने की बात के नाम पर दूसरी बार में 3.38 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कराए। बिहार के अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांजेक्शन होने पर हिमांशु को शक हुआ। उसके बाद वह तुरंत साइबर थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। इस पर साइबर टीम ने खातों में ट्रांसफर किए गए 6.38 लाख रुपये फ्रीज करा दिए। वहीं, शिल्पी मित्तल ने बताया कि 14 नवंबर को वीडियो कॉल पर पुलिस जैसी वर्दी और कैप लगाए बैठे व्यक्ति ने उनके खाते से मनी लाॅन्डि्रंग होने की बात कही। वीडियो काल पर कॉलर का चेहरा स्पष्ट नहीं था जबकि बैकग्राउंड से पुलिस थाना जैसा था। जेल भेजने की धमकी देकर उनके द्वारा बताए गए बैंक खाते में एक लाख रुपये मोबाइल से और 5.13 लाख रुपये का चेक बैंक में जमा किया। शिल्पी को शक हुआ तो वह साइबर थाने पहुंची। जहां टीम ने उन्हें साइबर ठगी होने की बात बताई। जिसके बाद बैंक से चेक रद्द कराया गया। जबकि पेटीएम से जमा एक लाख रुपये में से 63 हजार रुपये ठगों ने निकाल लिए। एडीसीपी अपराध ने बताया कि शिल्पी के 6.13 में से 5.50 लाख रुपये वापस कराए गए। साइबर ठग वीडियो कॉल कर लोगों को सीबीआई अधिकारी, क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर अथवा नारकोटिक्स का अधिकारी बताकर किसी मामले में फंसने का डर दिखाते हैं। वीडियो कॉल के दौरान बैंक ग्राउंड में थाने का सेटअप दिखाकर साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इसके बाद बताते हैं कि उन्होंने एक कुरियर बुक किया था, जिसमें ड्रग्स मिली है और नारकोटिक्स की टीम जांच कर रही है। जेल भेजने की धमकी देकर या बचाने के नाम पर बैंक खातों में रुपये ट्रांसफर करा लेते हैं। यदि कोई कुरियर की बात से इन्कार करता है तो ऐसे में साइबर ठग मनी लाॅन्डि्रंग का डर की बात कहते हैं। ठग पीड़ित को इतना भयभीत कर देते हैं कि वह घंटों बाद सदमे से बाहर आ पाता है।
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