श्री अनिल कुमार प्रजापति संतकबीरनगर के मार्गदर्शन हेतु द्वितीय अपील के लिए रिटायर एडीएम डा रामनयन प्रजापति द्वारा प्रारूपित सुझाव- भाग-1. 2nd Apeal समक्ष – श्रीमान प्रमुख सचिव, अध्यक्ष एवं अन्य सदस्य गण, राज्य जाति सत्यापन समिति, उत्तर प्रदेश, लखनऊ । द्वितीय अपील वाद संख्या वर्ष 2025 अनिल कुमार प्रजापति, प्रधान प्रबंधक/मुख्य राष्ट्रीय अति पिछड़ा एकीकरण महा अभियान, ग्राम पुतसर, थाना महुली,जिला संत कबीर नगर, उ.प्र. बनाम (1) अमृतानन्द, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, निवासी..., संत कबीर नगर (2) मंडलायुक्त अध्यक्ष मंडलीय जाति सत्यापन अपील फोरम, बस्ती (3) जिलाधिकारी सह अध्यक्ष जिला जाति सत्यापन समिति, संत कबीर नगर, उ. प्र. अपीलकर्ता अनिल कुमार प्रजापति निम्न लिखित अपील करता है। यह कि अनिल कुमार प्रजापति ने तहसीलदार धनघटा, जनपद संतकबीरनगर को अनुसूचित जाति शिल्पकार का जाति प्रमाणपत्र निर्गत करने का आवेदन पत्र दिया था। तहसीलदार द्वारा प्रमाणपत्र नहीं निर्गत करने पर अनिल कुमार प्रजापति प्रधान प्रबंधक/ मुख्य राष्ट्रीय संयोजक अति पिछड़ा एकीकरण महा अभियान ने जिला अधिकारी संत कबीर नगर को आवेदन पत्र दिया। उन्होंने उ. प्र. की अधिसूचना तथा आदेश कार्मिक अनुभाग-2 , संख्या-4(1)/2002-का-2 दिनांक 31. 12. 2016 के आलोक में अपने आदेश पत्रांक C- 780 /पि. व.क./ जाति प्र. पत्र/2024-25 दिनांक 27 फरवरी 2025 द्वारा समस्त उपजिलाधिकारी और समस्त तहसीलदार, संतकबीर नगर को दिया। जिलाधिकारी संतकबीरनगर के उक्त आदेश के विरुद्ध अमृतानन्द, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने जिलाधिकारी सह अध्यक्ष जिला स्तरीय जाति सत्यापन समिति को याचनापत्र दिया। जिला जाति सत्यापन समिति द्वारा अपीलकर्ता अनिल कुमार प्रजापति से प्रत्युत्तर मांगा गया। अमृतानन्द के आपत्ति पत्र का विन्दुवार प्रत्युत्तर जिला जाति जांच समिति के समक्ष दिया गया था। तथ्यों के सम्यक विश्लेषण किए बगैर समिति ने जिलाधिकारी संतकबीरनगर के आदेश C-780 दिनांक 27. 2. 2025 को निरस्त कर दिया। जिला जाति सत्यापन समिति संतकबीरनगर ने जिलाधिकारी के उक्त आदेश को यह कारण बतलाते हुए निरस्त कर दिया कि “राष्ट्रपति के आदेश में कोई जाति/ उपजाति शामिल किया गया है या नहीं, जब तक कि वह स्पष्ट रूप से उल्लिखित न हो”। उक्त आदेश के विरुद्ध मंडलीय जाति सत्यापन फोरम के विरुद्ध अपील किया। मण्डलीय फोरम ने भी साक्ष्यों के विश्लेषण किए बगैर अपील निरस्त कर दिया। उ. प्र. की अधिसूचना तथा आदेश कार्मिक अनुभाग-2 , संख्या-4(1)/2002-का-2 दिनांक 31. 12. 2016 , जिला अधिकारी का आदेश तथा जिला सत्यापन समिति संतकबीरनगर का आदेश, मण्डल बस्ती जिला सत्यापन फोरम का आदेश परिशिष्ट A , A/1, A/2 , A/3 पर संलग्न है। अपील का आधार- जिला जाति सत्यापन समिति संतकबीरनगर तथा मण्डलीय जाति सत्यापन फोरम बस्ती ने निम्नलिखित तथ्य पर विचार नहीं किया- (क) क्योंकि कोई भी व्यक्ति या संगठन शासन की अधिसूचना और आदेश को चैलेंज नहीं कर सकता और उसे साक्ष्य न्यायालय में ही चैलेंज किया सकता है। (ख) क्योंकि शासन की अधिसूचना और आदेश को कार्यान्वयन हेतु अधिशासी अधिकारी ( इस केस में जिलाधिकारी। संतकबीरनगर) द्वारा निर्गत आदेश को कोई भी व्यक्ति या संगठन चैलेंज नहीं कर सकता। (ग) क्योंकि सत्यापन समिति और फोरम ने यह तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि राष्ट्रपति की अधिसूचना में शिल्पकार जाति शामिल है तथा शिल्पकार की उपजाति के रूप में कुम्हार शामिल है। (घ) क्योंकि सत्यापन समिति और फोरम ने यह भूल की हैंकि राष्ट्रपति द्वारा अनुसूचित जाति में अधिसूचित मूल जातियों की उपजाति आदि को पहचान कर परिभाषित करना राज्य सरकार का काम है और उत्तर प्रदेश सरकार ने दिनाँक 21. 12. 2016 की मंत्रिपरिषद द्वारा कुम्हार जाति की पहचान कर शिल्पकार जाति में पुनः भरिभाषित किया जा चुका है। (ङ) क्योंकि सत्यापन समिति और फोरम ने उत्तर प्रदेश की अधिसूचना दिनाँक 31.12. 2016 द्वारा कुम्हार जाति को पिछड़ी जाति की सूची से हटा कर अनुसूचित जाति शिल्पकार के रूप में शामिल किया गया है। (च) क्योंकि राजस्व अधिनियम में कुम्हार को शिल्पकार माना गया है और किसी भी न्यायालय द्वारा कुम्हार को शिल्पकार मानने पर रोक नहीं लगाई गई है। जिला जाति सत्यापन समिति संतकबीरनगर तथा मण्डलीय जाति सत्यापन फोरम बस्ती के आदेशों पर निम्नलिखित प्रश्न उठते हैं- 1. प्रश्न है कि क्या जिलाधिकारी संतकबीरनगर के आदेश के विरुद्ध कोई याचिका जिला जाति सत्यापन समिति के समक्ष दायर की जा सकती है? 2. क्या शासन की अधिसूचना कार्मिक अनुभाग-2 , संख्या-4(1)/2002-का- दिनांक 31. 12. 2016 निरस्त हो गई है? और क्या कोई कार्यपालक अधिकारी / समिति शासनादेश के विरुद्ध आदेश पारित कर सकता है? 3. क्या शिल्पकार स्वतंत्र रूप से कोई जाति है और यदि शिल्पकार के अंतर्गत कोई जाति संविधान के अनुच्छेद 341 में परिभाषित नहीं है तो अभीतक शिल्पकार संविधान संशोधन (अनुसूचित जाति) आदेश की अनुसूची से हटाया क्यों नहीं गया? 4. क्या कुम्हार प्रजापति शिल्पकार जाति है? 5. क्या किसी सक्षम न्यायालय द्वारा शिल्पकार जाति की उपजाति कुम्हार के रूप में परिभाषित करने के विरुद्ध आदेश है? 6. अंत मे विपक्षी अमृतानंद द्वारा उठाए गए कथनों/ प्रश्नों का प्रत्युत्तर। कृपया कमेंट में अपना सुझाव दे सकते हैं। प्रश्नों का उत्तर कल दूंगा।
श्री अनिल कुमार प्रजापति संतकबीरनगर के मार्गदर्शन हेतु द्वितीय अपील के लिए रिटायर एडीएम डा रामनयन प्रजापति द्वारा प्रारूपित सुझाव- भाग-1. 2nd Apeal समक्ष – श्रीमान प्रमुख सचिव, अध्यक्ष एवं अन्य सदस्य गण, राज्य जाति सत्यापन समिति, उत्तर प्रदेश, लखनऊ । द्वितीय अपील वाद संख्या वर्ष 2025 अनिल कुमार प्रजापति, प्रधान प्रबंधक/मुख्य राष्ट्रीय अति पिछड़ा एकीकरण महा अभियान, ग्राम पुतसर, थाना महुली,जिला संत कबीर नगर, उ.प्र. बनाम (1) अमृतानन्द, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, निवासी..., संत कबीर नगर (2) मंडलायुक्त अध्यक्ष मंडलीय जाति सत्यापन अपील फोरम, बस्ती (3) जिलाधिकारी सह अध्यक्ष जिला जाति सत्यापन समिति, संत कबीर नगर, उ. प्र. अपीलकर्ता अनिल कुमार प्रजापति निम्न लिखित अपील करता है। यह कि अनिल कुमार प्रजापति ने तहसीलदार धनघटा, जनपद संतकबीरनगर को अनुसूचित जाति शिल्पकार का जाति प्रमाणपत्र निर्गत करने का आवेदन पत्र दिया था। तहसीलदार द्वारा प्रमाणपत्र नहीं निर्गत करने पर अनिल कुमार प्रजापति प्रधान प्रबंधक/ मुख्य राष्ट्रीय संयोजक अति पिछड़ा एकीकरण महा अभियान ने जिला अधिकारी संत कबीर नगर को आवेदन पत्र दिया। उन्होंने उ. प्र. की अधिसूचना तथा आदेश कार्मिक अनुभाग-2 , संख्या-4(1)/2002-का-2 दिनांक 31. 12. 2016 के आलोक में अपने आदेश पत्रांक C- 780 /पि. व.क./ जाति प्र. पत्र/2024-25 दिनांक 27 फरवरी 2025 द्वारा समस्त उपजिलाधिकारी और समस्त तहसीलदार, संतकबीर नगर को दिया। जिलाधिकारी संतकबीरनगर के उक्त आदेश के विरुद्ध अमृतानन्द, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने जिलाधिकारी सह अध्यक्ष जिला स्तरीय जाति सत्यापन समिति को याचनापत्र दिया। जिला जाति सत्यापन समिति द्वारा अपीलकर्ता अनिल कुमार प्रजापति से प्रत्युत्तर मांगा गया। अमृतानन्द के आपत्ति पत्र का विन्दुवार प्रत्युत्तर जिला जाति जांच समिति के समक्ष दिया गया था। तथ्यों के सम्यक विश्लेषण किए बगैर समिति ने जिलाधिकारी संतकबीरनगर के आदेश C-780 दिनांक 27. 2. 2025 को निरस्त कर दिया। जिला जाति सत्यापन समिति संतकबीरनगर ने जिलाधिकारी के उक्त आदेश को यह कारण बतलाते हुए निरस्त कर दिया कि “राष्ट्रपति के आदेश में कोई जाति/ उपजाति शामिल किया गया है या नहीं, जब तक कि वह स्पष्ट रूप से उल्लिखित न हो”। उक्त आदेश के विरुद्ध मंडलीय जाति सत्यापन फोरम के विरुद्ध अपील किया। मण्डलीय फोरम ने भी साक्ष्यों के विश्लेषण किए बगैर अपील निरस्त कर दिया। उ. प्र. की अधिसूचना तथा आदेश कार्मिक अनुभाग-2 , संख्या-4(1)/2002-का-2 दिनांक 31. 12. 2016 , जिला अधिकारी का आदेश तथा जिला सत्यापन समिति संतकबीरनगर का आदेश, मण्डल बस्ती जिला सत्यापन फोरम का आदेश परिशिष्ट A , A/1, A/2 , A/3 पर संलग्न है। अपील का आधार- जिला जाति सत्यापन समिति संतकबीरनगर तथा मण्डलीय जाति सत्यापन फोरम बस्ती ने निम्नलिखित तथ्य पर विचार नहीं किया- (क) क्योंकि कोई भी व्यक्ति या संगठन शासन की अधिसूचना और आदेश को चैलेंज नहीं कर सकता और उसे साक्ष्य न्यायालय में ही चैलेंज किया सकता है। (ख) क्योंकि शासन की अधिसूचना और आदेश को कार्यान्वयन हेतु अधिशासी अधिकारी ( इस केस में जिलाधिकारी। संतकबीरनगर) द्वारा निर्गत आदेश को कोई भी व्यक्ति या संगठन चैलेंज नहीं कर सकता। (ग) क्योंकि सत्यापन समिति और फोरम ने यह तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि राष्ट्रपति की अधिसूचना में शिल्पकार जाति शामिल है तथा शिल्पकार की उपजाति के रूप में कुम्हार शामिल है। (घ) क्योंकि सत्यापन समिति और फोरम ने यह भूल की हैंकि राष्ट्रपति द्वारा अनुसूचित जाति में अधिसूचित मूल जातियों की उपजाति आदि को पहचान कर परिभाषित करना राज्य सरकार का काम है और उत्तर प्रदेश सरकार ने दिनाँक 21. 12. 2016 की मंत्रिपरिषद द्वारा कुम्हार जाति की पहचान कर शिल्पकार जाति में पुनः भरिभाषित किया जा चुका है। (ङ) क्योंकि सत्यापन समिति और फोरम ने उत्तर प्रदेश की अधिसूचना दिनाँक 31.12. 2016 द्वारा कुम्हार जाति को पिछड़ी जाति की सूची से हटा कर अनुसूचित जाति शिल्पकार के रूप में शामिल किया गया है। (च) क्योंकि राजस्व अधिनियम में कुम्हार को शिल्पकार माना गया है और किसी भी न्यायालय द्वारा कुम्हार को शिल्पकार मानने पर रोक नहीं लगाई गई है। जिला जाति सत्यापन समिति संतकबीरनगर तथा मण्डलीय जाति सत्यापन फोरम बस्ती के आदेशों पर निम्नलिखित प्रश्न उठते हैं- 1. प्रश्न है कि क्या जिलाधिकारी संतकबीरनगर के आदेश के विरुद्ध कोई याचिका जिला जाति सत्यापन समिति के समक्ष दायर की जा सकती है? 2. क्या शासन की अधिसूचना कार्मिक अनुभाग-2 , संख्या-4(1)/2002-का- दिनांक 31. 12. 2016 निरस्त हो गई है? और क्या कोई कार्यपालक अधिकारी / समिति शासनादेश के विरुद्ध आदेश पारित कर सकता है? 3. क्या शिल्पकार स्वतंत्र रूप से कोई जाति है और यदि शिल्पकार के अंतर्गत कोई जाति संविधान के अनुच्छेद 341 में परिभाषित नहीं है तो अभीतक शिल्पकार संविधान संशोधन (अनुसूचित जाति) आदेश की अनुसूची से हटाया क्यों नहीं गया? 4. क्या कुम्हार प्रजापति शिल्पकार जाति है? 5. क्या किसी सक्षम न्यायालय द्वारा शिल्पकार जाति की उपजाति कुम्हार के रूप में परिभाषित करने के विरुद्ध आदेश है? 6. अंत मे विपक्षी अमृतानंद द्वारा उठाए गए कथनों/ प्रश्नों का प्रत्युत्तर। कृपया कमेंट में अपना सुझाव दे सकते हैं। प्रश्नों का उत्तर कल दूंगा।
- आकाशवाणी 7 12 2025 ई0 " निमंत्रण पत्र " ❗आज दुनिया से एक मां का बेटा चला गया ❗ सोचिए -कितनी बार सुना है"' हमारे पास निमंत्रण कार्ड नहीं आया तो हम क्यों जाएं❓ यह वही छोटी सोच है जिसके कारण कई लोग शादी ,विवाह, फंक्शन ,त्यौहार में निमंत्रण पत्र देने के लिए ,अपने इज्जत बचाने के लिए 70 -80 किलोमीटर दूर जाते हैं । शादी के तैयारी में, शादियों के बोझ के तले दबे रहने के कारण कई मां अपने बेटे को खो देते हैं। कई बहनें अपने भाई को खो देती हैं । कई पिता अपने बेटों को कंधा लगाते हैं। इस जाहिल सोच से बाहर निकलिए और वक्त को समझिए ! दूरी हो या मजबूरी हो👈 व्हाट्सएप पर निमंत्रण पत्र को स्वीकार कीजिए।👍 व्हाट्सएप पर भेजा गया कार्ड भी निमंत्रण ही है । आवश्यकता पड़े, फोन करके कंफर्म कर लीजिए । जाने से मोहब्बत बढ़ती है। कागज नहीं भेजने वाले का दिल मायने रखता है । भाइयों 'देवियों और सज्जनों! निमंत्रण पत्र अथवा किसी भी प्रकार के कार्य को व्हाट्सएप पर स्वीकार कर लीजिए !फोन पर बात करके कंफर्म कर लीजिए! किसी की जान', निमंत्रण कार्ड से ज्यादा महंगा है। निमंत्रण कार्ड से ज्यादा कीमती है । किसी की जान, किसी की ना आने से बढ़कर है । इतना दिल आपका छोटा होगया है कि आप व्हाट्सएप पर कार्ड स्वीकार नहीं करेंगे❓ निमंत्रण ( निमन्त्रण पत्र) स्वीकार नहीं करेंगे! अगर आप व्हाट्सएप पर निमंत्रण पत्र अथवा कार्ड से संदेश लेना स्वीकार नहीं करते हैं ! तो आप रिश्तेदारी छोड़ दीजिए!!!9451509784 के सौजन्य से प्रस्तुत! !1
- अहिरौली पंचायत में सफाई व्यवस्था चरमराई, गंदगी से बढ़ा बीमारियों का खतरा कागजों में सफाई, जमीन पर बदहाल हालात बस्ती। बनकटी ब्लॉक के ग्राम पंचायत अहिरौली में सफाई व्यवस्था बुरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। नालियों में महीनों से जमी गंदगी, जगह-जगह कचरे के ढेर और बजबजाती बदबू से ग्रामीण परेशान हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोगों को खुद ही सफाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पंचायत में तैनात सफाई कर्मी राधिका देवी लंबे समय से मौके पर दिखाई नहीं देतीं, जबकि कागजों में उनकी नियमित उपस्थिति दर्ज बताई जा रही है। इससे पंचायत स्तर पर गंभीर लापरवाही और अनियमितता की आशंका गहरा गई है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायतों के बावजूद न तो ग्राम प्रधान और न ही ब्लॉक स्तर के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई की गई। लोगों का मानना है कि इस पूरे मामले में मिलीभगत के कारण सफाई व्यवस्था को अनदेखी की जा रही है। गांव की गलियों में फैली गंदगी से डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। हालांकि इस मामले की जानकारी के लिए जब बनकटी ब्लॉक के बीडीओ भवानी प्रसाद शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने SIR का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया, अब सवाल ये है कि क्या SIR के चक्कर में ग्रामीणों को इस बदबूदार और बजबजाती नालियों के बीच ही रहना पड़ेगा या फिर इनको कोई निजात मिलेगा। ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरंत सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग कर रहे है।1
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- औरतों का अत्याचार1
- 19:34 की वायरल MMS का बड़ा खुलासा! क्या वीडियो खुद ही शूट किया गया था?”🔥 #ViralVideo #MMSScam #BreakingNews #19Minute341
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- Post by Satyam1