[माशाअल्लाह बहुत ही दिलचस्प वाकया है] अस्सलामुअलैकुम सभी गुरुप मेम्बर को मै आज अपनी गाडा बीरादरी का एक दिलचस्प वाक्या पेश कर रहां हूँ वाक्या क्या हकीकत पेश कर रहां हूँ हकीकत यह है कि आज एक निकाह में शिरकत हुई और निकाह बेहद सादगी व पुरसुकून माहोल में हुआ है दुल्हा अपने घर से तैयार होकर निकाह के लिए निकलता है अपने परिवार के साथ खुशी खुशी जिस गांव में निकाह होना होता है। गांव में पहुंचते ही दुल्हे की गाड़ी सीधी मस्जिद पर जाकर रुकती है और निकाह की रस्म अदा की जाती है। निकाह व दुआ होजाने के बाद दुल्हे को मुबारकबाद देते हुए हम दो तीन दुल्हे के दोस्त दुल्हे के वालिद व दुल्हे से चलने की इजाजत मांगते हैं तो दुल्हे के वालिद ए मोहतरम कारी अलीशेर साहब बोलते हैं कि कहां जा रहे हो जरा रुक कर जाना। मैं दुल्हे के वालिद साहब के पास गया और रुकने की वजह पूछी तो वो बोले कि हम खुद अपने घर से नाश्ता लेकर आए हैं तो आप सब लोग नाश्ता करके जाना। अल्लाह की कसम ये मंजर देख कर मै और मेरे दोस्तों के दिलों में खुशी की लहर दौड़ गई। और एक खुशी की बात यह भी है कि दुल्हा हाफिज ए कुरआन है बी एस सी की हुई है और अभी बी एस सी नर्सिंग ग्वालियर से कर रहा है और लडकी भी बी एस सी नर्सिंग नहान हीमाचल से कर चुकी है लडकी के वालिद भी कारी है। मेरे अजीज दोस्तों अभी तक तो मेरी नजर में ये निकाह बगैर जहेज के है। अल्लाह से दुआ है कि आगे ओर निकाह ओ को आसान बनाए। आमीन (शिरकत करने वाले दोस्त) मरगूब अहमद मुजाहिदपुर मुजफराबाद मौ अहकाम सोनचीडा नागल डॉक्टर फरमान मोहितपुर भगवानपुर डॉक्टर अब्दुल माजिद फतेहपुर छुटमलपुर
[माशाअल्लाह बहुत ही दिलचस्प वाकया है] अस्सलामुअलैकुम सभी गुरुप मेम्बर को मै आज अपनी गाडा बीरादरी का एक दिलचस्प वाक्या पेश कर रहां हूँ वाक्या क्या हकीकत पेश कर रहां हूँ हकीकत यह है कि आज एक निकाह में शिरकत हुई और निकाह बेहद सादगी व पुरसुकून माहोल में हुआ है दुल्हा अपने घर से तैयार होकर निकाह के लिए निकलता है अपने परिवार के साथ खुशी खुशी जिस गांव में निकाह होना होता है। गांव में पहुंचते ही दुल्हे की गाड़ी सीधी मस्जिद पर जाकर रुकती है और निकाह की रस्म अदा की जाती है। निकाह व दुआ होजाने के बाद दुल्हे को मुबारकबाद देते हुए हम दो तीन दुल्हे के दोस्त दुल्हे के वालिद व दुल्हे से चलने की इजाजत मांगते हैं तो दुल्हे के वालिद ए मोहतरम कारी अलीशेर साहब बोलते हैं कि कहां जा रहे हो जरा रुक कर जाना। मैं दुल्हे के वालिद साहब के पास गया और रुकने की वजह पूछी तो वो बोले कि हम खुद अपने घर से नाश्ता लेकर आए हैं तो आप सब लोग नाश्ता करके जाना। अल्लाह की कसम ये मंजर देख कर मै और मेरे दोस्तों के दिलों में खुशी की लहर दौड़ गई। और एक खुशी की बात यह भी है कि दुल्हा हाफिज ए कुरआन है बी एस सी की हुई है और अभी बी एस सी नर्सिंग ग्वालियर से कर रहा है और लडकी भी बी एस सी नर्सिंग नहान हीमाचल से कर चुकी है लडकी के वालिद भी कारी है। मेरे अजीज दोस्तों अभी तक तो मेरी नजर में ये निकाह बगैर जहेज के है। अल्लाह से दुआ है कि आगे ओर निकाह ओ को आसान बनाए। आमीन (शिरकत करने वाले दोस्त) मरगूब अहमद मुजाहिदपुर मुजफराबाद मौ अहकाम सोनचीडा नागल डॉक्टर फरमान मोहितपुर भगवानपुर डॉक्टर अब्दुल माजिद फतेहपुर छुटमलपुर
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