गांव भटियाना के हरिओम बुधवार दोपहर अपनी 🏍️बाइक पर पत्नी अनुराधा के साथ गुलावठी की ओर बढ़ रहे थे। जैसे ही वे कपूरपुर थाना क्षेत्र में मध्य गंग नहर के पुल के पास पहुंचे तो सामने से आ रहा एक🚛 ट्रक सड़क के गड्ढे से बचने की कोशिश में अनियंत्रित हो गया।ट्रक ने बाइक को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि पूरा परिवार सड़क पर बिखर गया। इस दुर्घटना की भयावहता ऐसी थी कि अनुराधा का शरीर बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया। उसका दिल♥️ सीने से निकलकर सड़क पर जा गिरा और कुछ देर तक धड़कता 💓 रहा। यह मंजर इतना वीभत्स था कि आसपास के लोग स्तब्ध रह गए।हरिअोम अपनी पुत्नी को तड़पता देख😹 चीख उठे। उनकी आंखों के सामने उनकी पत्नी ने दम तोड़ दिया। वहीं, हरिओम भी गंभीर रूप से घायल होकर सड़क पर कराह रहे थे। यह दृश्य देखकर राहगीरों की भी👀 आंखें नम हो गईं। दुर्घटना के बाद राहगीरों और आसपास के ग्रामीणों ने तुरंत हरकत में आते हुए घायलों को सड़क किनारे पहुंचाया और पुलिस को सूचना दी।कुछ लोगों ने ट्रक चालक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने अनुराधा के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
गांव भटियाना के हरिओम बुधवार दोपहर अपनी 🏍️बाइक पर पत्नी अनुराधा के साथ गुलावठी की ओर बढ़ रहे थे। जैसे ही वे कपूरपुर थाना क्षेत्र में मध्य गंग नहर के पुल के पास पहुंचे तो सामने से आ रहा एक🚛 ट्रक सड़क के गड्ढे से बचने की कोशिश में अनियंत्रित हो गया।ट्रक ने बाइक को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि पूरा परिवार सड़क पर बिखर गया। इस दुर्घटना की भयावहता ऐसी थी कि अनुराधा का शरीर बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया। उसका दिल♥️ सीने से निकलकर सड़क पर जा गिरा और कुछ देर तक धड़कता 💓 रहा। यह मंजर इतना वीभत्स था कि आसपास के लोग स्तब्ध रह गए।हरिअोम अपनी पुत्नी को तड़पता देख😹 चीख उठे। उनकी आंखों के सामने उनकी पत्नी ने दम तोड़ दिया। वहीं, हरिओम भी गंभीर रूप से घायल होकर सड़क पर कराह रहे थे। यह दृश्य देखकर राहगीरों की भी👀 आंखें नम हो गईं। दुर्घटना के बाद राहगीरों और आसपास के ग्रामीणों ने तुरंत हरकत में आते हुए घायलों को सड़क किनारे पहुंचाया और पुलिस को सूचना दी।कुछ लोगों ने ट्रक चालक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने अनुराधा के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
- **ओमकार हॉस्पिटल से बंधक मुक्त हुए मरीज,परिजन एवं सरपंच ने कलेक्टर और प्रेस क्लब के प्रति जताया आभार* *गंभीर मरीज बताकर लाखों की वसूली का खेल,जांच में निकला पूरी तरह स्वस्थ* *जबड़ा टूटा बताकर लाखों झटकने की थी तैयारी, पत्रकारों और कलेक्टर के हस्तक्षेप से बंधनमुक्त हुआ मरीज* *मरीज, परिजन सहित सरपंच ने दिया कलेक्टर सहित प्रेस क्लब को लिखित आभार पत्र* * संवाददाता- विजय शंकर तिवारी देश दुनिया की हर खबर सबसे पहले पाने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे https://www.prabhatnews24.in/single/omkar-hospital-se-bandhak-mukt-hue-marij-ne-collector-v-press-club-ke-prati-jataya-aabhar और भी हर तरह की खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे What's group से जुड़े https://chat.whatsapp.com/F6JIC5Pbn6DEU4I5RyeKDD खबर व विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें 6260187193 सत्य के पुजारी - विजय तिवारी 🙏🙏🙏🙏🙏 जहां सच है वहां हम है।1
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- *ओमकार हॉस्पिटल से बंधक मुक्त हुए मरीज,परिजन एवं सरपंच ने कलेक्टर और प्रेस क्लब के प्रति जताया आभार* *गंभीर मरीज बताकर लाखों की वसूली का खेल,जांच में निकला पूरी तरह स्वस्थ* *जबड़ा टूटा बताकर लाखों झटकने की थी तैयारी, पत्रकारों और कलेक्टर के हस्तक्षेप से बंधनमुक्त हुआ मरीज* *मरीज, परिजन सहित सरपंच ने दिया कलेक्टर सहित प्रेस क्लब को लिखित आभार पत्र* बलौदाबाजार l जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर चल रहे व्यावसायिक शोषण का एक चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है, जिसने यह उजागर कर दिया कि कैसे सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल तक, कुछ तत्व मिलकर गरीब मरीजों को डराने, उलझाने और अंततः भारी रकम वसूलने के खेल में शामिल हैं। उक्त प्रकरण घायल शम्भू पटेल पिता गोरेलाल पटेल निवासी बसंतपुर ब्लॉक मस्तूरी जिला बिलासपुर के रहने वाले का है, जो 02 नवंबर 2025 की रात में पनगाँव बायपास के पास सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था। उसके रिश्तेदार अजय पटेल एवं अन्य लोग उसे आनन-फानन में जिला चिकित्सालय बलौदाबाजार लेकर पहुँचे, जहाँ प्राथमिक उपचार के रूप में सिर्फ ड्रेसिंग और टांका लगाया गया। यहीं से खेल शुरू होता है वहां के मिलीभगत स्टॉफ एवं एंबुलेंस ड्राईवर ने डॉक्टर अनुपस्थित बताकर मौजूद अस्पताल कर्मचारी तथा एंबुलेंस चालक ने परिजनों को यह कहते हुए मानसिक रूप से दबाव में ले लिया कि यहाँ ठीक से ईलाज नहीं होगा, अभी डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, ओमकार हॉस्पिटल में ले जाओ वहां आयुष्मान योजना के तहत ईलाज हो जाएगा। मजबूर परिजन एंबुलेंस ड्राईवर आदि के भरोसे आयुष्मान योजना के तहत ईलाज कराने ओमकार हॉस्पिटल पहुँचे। ओमकार हॉस्पिटल पहुँचते ही परिजनों पर भय का वातावरण बनाया गया। जबकि मरीज शम्भू स्वयं सामान्य स्थिति में था, अस्पताल की डॉक्टर मैडम ने मौके का फायदा उठाते हुए घोषणा कर दी मरीज का जबड़ा टूट गया है, तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा, हालत गंभीर है। इसके बाद करीब डेढ़ से दो लाख रुपए का खर्च बताया गया और साफ कहा गया कि आयुष्मान योजना में ईलाज यहां संभव नहीं है। यह सुनकर परिजन स्तब्ध रह गए, क्योंकि सरकारी अस्पताल ने उसे केवल हल्का घायल बताया था l जब गरीब परिवार ने इतनी बड़ी राशि जमा करने में अपनी असमर्थता जताई और डिस्चार्ज का अनुरोध किया, तभी अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों से 5–6 कागजों में जबरन हस्ताक्षर करवाए गए, परिजनों को अपने बाउंसरों से वार्ड से बाहर निकलवा दिया गया, और घायल शम्भू को ऑक्सीजन, कैथेटर आदि लगाकर कमरे में बंद कर दिया गया l मरीज को बंधक बनाकर रखा गया जिसे छोड़े जाने हेतु परिजनों से सीधे-सीधे 80 हजार रुपये की मांग की गई और कहा गया कि पैसा दो, तभी मरीज मिलेगा। यह पूरा घटनाक्रम पैसे वसूलने का एक सुनियोजित षड्यंत्र था, जिसे परिजन अकेले रहते हुए शायद कभी उजागर नहीं कर पाते। मरीज के पिता गोरेलाल पटेल ने मामले की लिखित शिकायत तत्काल बलौदाबाजार जिला कलेक्टर सहित बलौदाबाजार प्रेस क्लब के अध्यक्ष नरेश गनशानी एवं अन्य पत्रकारों से की l माननीय कलेक्टर एवं प्रेस क्लब के पत्रकारों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करते हुए अस्पताल प्रबंधन को जवाबदेह बनाया। कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद प्रशासन ने शम्भू पटेल को तुरंत बंधन से मुक्त कराया गया और परिजनों के सुपुर्द किया गया। मामले की सच्चाई तब और स्पष्ट हो गई जब परिजनों ने शम्भू का परीक्षण जिले के अन्य चिकित्सकों से कराया। जांच में न तो कोई जबड़ा टूटा मिला, न कोई गंभीर स्थिति, न कोई ऑपरेशन की आवश्यकता अर्थात ओमकार हॉस्पिटल द्वारा बताई गई पूरी गंभीरता की कहानी झूठी थी। आश्चर्यजनक रूप से, जिसे प्राइवेट अस्पताल ऑपरेशन योग्य गंभीर मरीज बता रहा था, वही शम्भू अन्य डॉक्टरों के अनुसार पूरी तरह स्वस्थ निकला। शम्भू पटेल पिता गोरेलाल पटेल सहित ग्राम पंचायत बसंतपुर के सरपंच ने आज स्वयं कलेक्टर कार्यालय और प्रेस क्लब पहुँचकर लिखित में माननीय जिला कलेक्टर महोदय और प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री नरेश गनशानी सहित पत्रकारगणों को भावुक होकर धन्यवाद व आभार व्यक्त किया। परिजनों ने कहा कि समय पर मिले सहयोग ने न केवल मरीज को बंधन से मुक्त कराया, बल्कि उनके परिवार को एक बड़ा आर्थिक और मानसिक बोझ से भी बचा लिया। अगर आप सब नहीं होते तों आज मेरे बेटे कों न जाने किस हाल में रखा जाता। यह मामला स्वास्थ्य तंत्र के लिए चेतावनी है कि ऐसे अस्पतालों पर कड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है, ताकि मानव जीवन को भय, धोखे और वसूली का साधन बनाने वालों पर अंकुश लगे। समाज भी यह समझे कि ईलाज के नाम पर फैलाए जाने वाले डर से सावधान रहना जरूरी है।1