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- चूरू कलक्टर अभिषेक सुराणा की अनूठी पहल ‘पुस्तक संवाद’, साहित्यिक किताबों की बेहतर समीक्षा लिखने वाले विद्यार्थियों को घर बुलाकर किया संवाद, पूछे अनुभव, बताए टिप्स चूरू। चूरू जिला कलक्टर आवास का गार्डन... आती हुई सर्दी में जाते हुए नवंबर की गुनगुनी धूप... मुंशी प्रेमचंद, रवींद्र नाथ टैगोर, आर के नारायण और लियो टॉलस्टॉल की किताबों पर विद्यार्थियों की चर्चा... जिला कलक्टर से आईएएस बनने के टिप्स पूछते बच्चे... बड़े ही स्नेह-भाव से एक-एक की उलझनों को सुलझा रहे जिला कलक्टर... और मन ही मन अपने सपनों को उड़ान दे रहे बालक-बालिकाएं... यह नजारा है शनिवार सवेरे जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा की पहल पर पुस्तक समीक्षा में अव्वल आने वाले बच्चों के लिए कलक्टर निवास पर आयोजित कार्यक्रम ‘पुस्तक संवाद’ का। दीपावली अवकाश में अपने पुस्तकालयों से लेकर किताब पढ़ने के बाद रिव्यू कॉम्पीटिशन में जिला व ब्लॉक लेवल पर अव्वल आने वाले विद्यार्थियों से शनिवार सवेरे जिला कलक्टर ने उन्हें घर बुलाकर मुलाकात की, संवाद किया, उनके अनुभव पूछे, उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया और पुस्तकें, बैग व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया प्रभाव में किताबों से दूर होते बच्चों के लिए चूरू जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा पहल पर हुआ यह कार्यक्रम दूरदराज गांवों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए यादगार बन गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला कलक्टर सुराणा ने कहा कि पुस्तकों का अध्ययन दुनिया के उत्कृष्ट दिमागों के साथ आपका संवाद स्थापित करता है। पुस्तकें आपके जीवन में वो राहें खोल देंगी, जिनके बारे में आपने कभी कल्पना ही नहीं की होगी। इसलिए जीवन में सोशल मीडिया व मोबाइल एडिक्शन से दूर रहें और ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़ें। विद्यार्थी काल किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे स्वर्णिम समय होता है, इस महत्त्वपूर्ण समय में लक्ष्य बनाकर मेहनत करें और अपने सपनों को उड़ान दें। उन्होंने विद्यार्थियों के कैरियर संबंधी सवालों के जवाब दिए और अपने संस्मरण साझा किए। इस दौरान भारतीय और विश्व साहित्य से जुड़ी प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया और विजेताओं को सम्मानित किया गया। जिला परिषद सीईओ श्वेता कोचर, एडीपीआर कुमार अजय, सीडीईओ गोविंद सिंह राठौड़, डीईओ प्रारंभिक संतोष महर्षि, महिला अधिकारिता विभाग के संरक्षण अधिकारी जयप्रकाश ने भी विचार व्यक्त करते हुए किताबों को सबसे अच्छा मित्र बताया। संचालन शिवप्रकाश शर्मा ने किया। सहायक निदेशक बिजेंद्र दाधीच, सीबीईओ अशोक पारीक, संदीप व्यास, मुकेश, रघुनंदन शर्मा सहित शिक्षा एवं महिला अधिकारिता विभाग के अधिकारी, बालक-बालिकाएं, अभिभावक आदि मौजूद रहे। जिला कलक्टर निवास पर अल्पाहार के बाद बच्चों को पुरातात्विक वस्तुओं के संग्रहालय नगरश्री संस्थान का भ्रमण करवाया गया। विद्यार्थियों ने वहां बकरा गाड़ी, सैकड़ों साल पुरानी बहियां, विभिन्न उत्खनन में निकली सामग्री, पुस्तकें आदि देखकर हैरानी जाहिर की। नगरश्री के सचिव श्यामसुंदर शर्मा ने विद्यार्थियों को नगरश्री संस्थान में संग्रहीत वस्तुओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में शामिल हुए विद्यार्थियों खुशी टांक, पूजा, ममता सहारण, वर्षा प्रजापत आदि ने इस अनुभव को अद्भुत और यादगार बताते हुए जिला कलक्टर, शिक्षा विभाग और महिला अधिकारिता विभाग के इस नवाचार की सराहना की। *बच्चों में पुस्तक संस्कृति को लौटाने का प्रयास है यह नवाचार* मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी गोविंद सिंह राठौड़ ने बताया कि वर्तमान में बच्चे पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं तथा पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकों के लिए रूझान कम ही है। ऎसे में जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा विद्यालयों और सुदूर स्थानों की पुस्तकालय व्यवस्था को बेहतर बनाना चाह रहे हैं। इसी क्रम में, उनके निर्देशन में बच्चों को दीपावली अवकाश के दौरान पुस्तकें दी गई और उनके रिव्यू पर प्रतियोगिता आयोजित की गई। अब बच्चों को नियमित तौर पर पुस्तकेूं दी जाएंगी। ‘नो बैग डे’ पर उनसे रिव्यू लिखवाया जाएगा और उसमें अव्वल आने वाले बच्चों को इसी प्रकार जिला कलक्टर से मुलाकात और संवाद का अवसर मिलेगा।3
- Post by Dinesh Meena1
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