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बाबा खाटू श्याम दर्शन राम मूर्ति अयोध्या धाम श्रीनाथजी नाथद्वारा दर्शन मंडपिया चित्तौड़गढ़ सांवरिया सेठ दर्शन संवाददाता नंदलाल पुरबिया न्यू द्वारकेश न्यूज़ चैनल नांदोली राजसमंद राजस्थान द्वारा

5 hrs ago
user_फोटोग्राफर नंदलाल पुरबिया नांदोली राजसमंद राजस्थान
फोटोग्राफर नंदलाल पुरबिया नांदोली राजसमंद राजस्थान
Photographer Rajsamand, Rajasthan•
5 hrs ago
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बाबा खाटू श्याम दर्शन राम मूर्ति अयोध्या धाम श्रीनाथजी नाथद्वारा दर्शन मंडपिया चित्तौड़गढ़ सांवरिया सेठ दर्शन संवाददाता नंदलाल पुरबिया न्यू द्वारकेश न्यूज़ चैनल नांदोली राजसमंद राजस्थान द्वारा

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  • क्या थाने में जाकर आम आदमी विडियो शूट कर सकता है या बनता है कोई ऑफेंस?
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    क्या थाने में जाकर आम आदमी विडियो शूट कर सकता है या बनता है कोई ऑफेंस?
    user_Alert Nation News
    Alert Nation News
    Chittaurgarh, Chittorgarh•
    1 hr ago
  • श्री लक्ष्मी नाथ भगवान शिव शंकर जी वासक राज महाराज गोविन्द सांवरिया सेठ जी आपकी जय हो जय हो आप ही आप हो दया करो क्षमा करो कृपा करो रक्षा करो सद बुद्धि देवो हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय
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    श्री लक्ष्मी नाथ भगवान शिव शंकर जी वासक राज महाराज गोविन्द सांवरिया सेठ जी आपकी जय हो जय हो आप ही आप हो दया करो क्षमा करो कृपा करो रक्षा करो सद बुद्धि देवो हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय
    user_Kanhaiya lal Joshi
    Kanhaiya lal Joshi
    Pujari Chittaurgarh, Chittorgarh•
    9 hrs ago
  • दर्द की कहानी खुद की जुबानी आयुष हॉस्पिटल आकाशवाणी चौराहा गांधी नगर चितौड़गढ़ में हो रहा आयुर्वेद चिकित्सा से कमर गर्दन और घुटनों के दर्द का सफ़ल ईलाज 8302083835
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    दर्द की कहानी खुद की जुबानी आयुष हॉस्पिटल आकाशवाणी चौराहा गांधी नगर चितौड़गढ़ में हो रहा आयुर्वेद चिकित्सा से कमर गर्दन और घुटनों के दर्द का सफ़ल ईलाज 8302083835
    user_Dr CP Patel 8302083835 आयुष हॉस्पिटल
    Dr CP Patel 8302083835 आयुष हॉस्पिटल
    Ayurvedic Practitioner Chittorgarh, Rajasthan•
    18 hrs ago
  • Post by District.reporter.babulaljogawat
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    Post by District.reporter.babulaljogawat
    user_District.reporter.babulaljogawat
    District.reporter.babulaljogawat
    Journalist Pali, Rajasthan•
    2 hrs ago
  • टेक्नोलॉजी ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया! अमेरिका के The Cosm में दिखा Daytona 500 का नज़ारा लोगों को इतना रियल लगा कि किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि ये सब सिर्फ एक 8K स्क्रीन थी। 87 फुट के इस कर्व्ड LED डोम ने दर्शकों को ऐसा भ्रम दिया जैसे वे सच में रेस ट्रैक के बीच खड़े हों। लाइव स्पोर्ट्स का भविष्य यहीं से बदल रहा है! #Daytona500 #NASCAR #TheCosm #Texas #Innovation #SportsTech #Experience #Racing
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    टेक्नोलॉजी ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया! अमेरिका के The Cosm में दिखा Daytona 500 का नज़ारा लोगों को इतना रियल लगा कि किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि ये सब सिर्फ एक 8K स्क्रीन थी। 87 फुट के इस कर्व्ड LED डोम ने दर्शकों को ऐसा भ्रम दिया जैसे वे सच में रेस ट्रैक के बीच खड़े हों। लाइव स्पोर्ट्स का भविष्य यहीं से बदल रहा है!
#Daytona500 #NASCAR #TheCosm #Texas #Innovation #SportsTech #Experience #Racing
    user_द संक्षेप
    द संक्षेप
    Media company Bhadrajun, Jalore•
    20 hrs ago
  • #डुगरपुर बांसवाड़ा सांसद राजकुमार जी रोत
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    #डुगरपुर बांसवाड़ा सांसद राजकुमार जी रोत
    user_Pappu Roat
    Pappu Roat
    Voice of people Jothari, Dungarpur•
    9 hrs ago
  • Engineer Ashok Parihar — 35 वर्षों के अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ
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    Engineer Ashok Parihar — 35 वर्षों के अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ
    user_Shuru Deals
    Shuru Deals
    Digital Marketing Specialist Jodhpur, Rajasthan•
    23 hrs ago
  • Hindustan Construction Company Ltd. (HCC) बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Limited (BRPNNL) — “Hindustan Construction Ltd v/s Bihar राज्य” — मामले में फैसला Supreme Court of India (सुप्रीम कोर्ट) ने 28 नवम्बर 2025 को सुनाया है। यह फैसला विवाद — पुल निर्माण कॉन्ट्रैक्ट + मध्यस्थता (arbitration) प्रक्रिया — से जुड़ा था। नीचे मैंने इस मामले का सार (मामले की पृष्ठभूमि, मुख्य बिंदु, और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय) समझाया है। 🧾 मामला — क्या था विवाद HCC को 2014 में BRPNNL ने एक पुल निर्माण का काम दिया था — नदी “सोन” पर ब्रिज + अप्रोच-रोड सहित। उस कॉन्ट्रैक्ट में (Clause 25) विवाद उत्पन्न होने पर मध्यस्थता (arbitration) का आग्राह था। HCC ने 2018-19 में अतिरिक्त लागत/न्यायिक दावे (additional cost/compensation) उठाए। पर BRPNNL के प्रबंध निदेशक (Managing Director) ने समय पर arbitrator नियुक्त नहीं किया। इसलिए HCC ने 2020 में High Court ( पटना HC ) के समक्ष Section 11 Application दायर की — arbitrator नियुक्ति की मांग। 2021 में पटना HC ने arbitrator नियुक्त किया, मध्यस्थता शुरू हुई, दोनों पक्षों ने 70+ सुनवाईयां (hearings) कीं। बाद में, जब अंतिम दलीलें (arguments) पूरी हो चुकी थीं, BRPNNL ने पटना HC से अपनी नियुक्ति पर पुनर्विचार (review petition) मांगा — Arbitrator नियुक्ति आदेश को रद्द करने का दावा किया। पटना HC ने अपनी पूर्व Section 11 नियुक्ति आदेश recall ( रद्द ) कर दी। इस पर HCC ने सुप्रीम कोर्ट में अपील लगाई। --- ⚖️ सुप्रीम कोर्ट का फैसला – 28 नवंबर 2025 सुप्रीम कोर्ट ने HCC की अपील स्वीकार की, और निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को स्पष्ट किया: पूर्व Section 11 के तहत arbitrator नियुक्ति आदेश (appointment order) पर High Court का “review / recall” करना गलत था — क्योंकि A&C Act (1996) इस तरह की judicial review/re-hearing की अनुमति नहीं देता; न्यायालयीय हस्तक्षेप (judicial intervention) केवल सीमित है। वह Clause (arbitration clause) जिसमें सिर्फ BRPNNL के Managing Director को arbitrator नियुक्त करने का अधिकार दिया गया था — वो clause “severable” (विभाज्य) है। यानि, मुख्य arbitration agreement बरकरार रहेगा; सिर्फ appointing-mechanism (यानि arbitrator कैसे नियुक्त होगा) को बदलना तय किया जा सकता है। High Court की अपनी नियुक्ति आदेश रद्द करने की कार्रवाई — एक “negative veto” जैसा था, जो A&C Act के उद्देश्य (expeditious, fair arbitration) के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि once arbitrator नियुक्त हो गया हो और दोनों पक्षों ने arbitration में भाग लिया हो — objections procedural हो सकते हैं पर उन पर review नहीं किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, अदालत ने यह कहा कि संयुक्त (joint) आवेदन (joint applications) under Section 29A — arbitrator का समय बढ़ाने के लिए — को एक वैध “waiver” माना जाएगा (procedural objections के लिए), सिवाय उन मामलों के जहाँ स्थायी असंगतता / पक्षपात (statutory ineligibility under Section 12(5)) हो। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पटना HC एक नया arbitrator नियुक्त करे और arbitration जारी रहे, जहाँ से बीच में रुकाव हुआ था। --- 🔎 मतलब / Significance of the Decision यह फैसला arbitral autonomy (मध्यस्थता की स्वतंत्रता) की रक्षा करता है — यानी, एक बार arbitrator नियुक्त हो जाए और दोनों पक्ष प्रक्रिया में शामिल हो जाएं, तो High Court द्वारा बाद में review / recall करना न्यायालयीय दुर्व्यवहार या कार्यवाही विघटन माना जाएगा। अनुबंधों में “unilateral appointment clauses” — जहाँ सिर्फ एक पक्ष (या public authority) arbitrator चुनने का अधिकार रखती है — अगर व्यवहार में विवादित हों, तो उन्हें भी “severable” माना जाएगा: arbitration agreement कायम रहेगा। यह फैसला विशेष रूप से सार्वजनिक-ठेका (public contracts) वाले मामलों में अहम है, जहाँ राज्य/PSU + निजी कंपनी का विवाद arbitration में जाता है। इससे सुनिश्चित होगा कि विधिवत arbitration प्रक्रिया बाधित न हो। Arbitration को कॉम्प्लेक्स, लंबी प्रक्रिया न बनने देने के लिए — procedural objections (जिन्हें parties accept कर चुकी हों) पर बार-बार litigation न हो — ये सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट — Hindustan Construction Company Ltd. बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd. (2025 INSC 1365) का संक्षिप्त, सरल और स्पष्ट वर्डिक्ट-समरी (Verdict Summary) तैयार करके दी गई है: --- 🧾 **सुप्रीम कोर्ट निर्णय-सार (संक्षेप में) Hindustan Construction Company Ltd. vs. Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd. फैसला : 28 नवम्बर 2025** --- 1. विवाद किस बारे में था HCC को बिहार में “सोन नदी पर पुल निर्माण” का ठेका मिला था। काम के दौरान अतिरिक्त लागत, देरी और अन्य दावों पर HCC ने Arbitration (मध्यस्थता) की मांग की। BRPNNL का दावा था कि Clause-25 के अनुसार Arbitrator उनके MD द्वारा नियुक्त होना चाहिए। नियुक्ति समय पर न होने पर HCC पटना हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने Arbitrator नियुक्त कर दिया। --- 2. हाईकोर्ट ने बाद में क्या किया Arbitration लगभग पूरी हो चुकी थी—70+ सुनवाई हो चुकी थीं। लेकिन BRPNNL ने हाईकोर्ट में Review/Recall Petition दायर की। पटना हाईकोर्ट ने अपनी ही पहले वाली आदेश (Arbitrator नियुक्ति) रद्द कर दी। इससे पूरी मध्यस्थता प्रक्रिया रुक गई। इसी के खिलाफ HCC सुप्रीम कोर्ट गया। --- 3. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को गलत ठहराया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि— Arbitration & Conciliation Act हाईकोर्ट को Section 11 के आदेश का “review/recall” करने की अनुमति नहीं देता। Arbitrator नियुक्त होने के बाद और दोनों पक्षों के लंबे समय तक भाग लेने के बाद, प्रक्रिया को बीच में रोकना कानून और न्याय, दोनों के खिलाफ है। --- 4. Arbitration Clause को “severable” माना गया कॉन्ट्रैक्ट वाले Clause-25 में सिर्फ BRPNNL को Arbitrator चुनने का हक था — जो कानूनन उचित नहीं। कोर्ट ने कहा कि — ✔️ Appointment-mechanism अलग किया जा सकता है, ✔️ पर Arbitration Agreement स्वयं वैध रहेगा। यानी, arbitration चलता रहेगा, चाहे नियुक्ति तरीका अवैध हो। --- 5. सुप्रीम कोर्ट ने procedural objections को ‘waiver’ माना दोनों पक्षों ने मिलकर arbitrator का समय बढ़ाने के लिए Joint Applications दी थीं। कोर्ट ने कहा कि इससे यह सिद्ध होता है कि दोनों arbitration को मान चुके थे। इसलिए बाद में उठाए गए तकनीकी/प्रक्रियात्मक आपत्तियाँ — मान्य नहीं। --- 6. सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश पटना हाईकोर्ट का “recall order” रद्द किया। मध्यस्थता (arbitration) को जारी रखने का आदेश। हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि नया स्वतंत्र Arbitrator नियुक्त करे। मध्यस्थता वहीं से शुरू होगी जहाँ से रुकी थी। --- 7. इस फैसले का महत्व सरकारी संस्थानों द्वारा Arbitrator नियुक्ति में दुरुपयोग पर रोक लगती है। हाईकोर्ट द्वारा Section-11 आदेश की दोबारा समीक्षा का रास्ता बंद। Public contracts में arbitration को तेज, निष्पक्ष और अविरुद्ध रखने पर जोर। “Unilateral appointment clauses” की वैधता सीमित—पर arbitration agreement जारी रहता है।
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    Hindustan Construction Company Ltd. (HCC) बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Limited (BRPNNL) — “Hindustan Construction Ltd v/s Bihar राज्य” — मामले में फैसला Supreme Court of India (सुप्रीम कोर्ट) ने 28 नवम्बर 2025 को सुनाया है। 
यह फैसला विवाद — पुल निर्माण कॉन्ट्रैक्ट + मध्यस्थता (arbitration) प्रक्रिया — से जुड़ा था। नीचे मैंने इस मामले का सार (मामले की पृष्ठभूमि, मुख्य बिंदु, और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय) समझाया है।
🧾 मामला — क्या था विवाद
HCC को 2014 में BRPNNL ने एक पुल निर्माण का काम दिया था — नदी “सोन” पर ब्रिज + अप्रोच-रोड सहित। 
उस कॉन्ट्रैक्ट में (Clause 25) विवाद उत्पन्न होने पर मध्यस्थता (arbitration) का आग्राह था। 
HCC ने 2018-19 में अतिरिक्त लागत/न्यायिक दावे (additional cost/compensation) उठाए। पर BRPNNL के प्रबंध निदेशक (Managing Director) ने समय पर arbitrator नियुक्त नहीं किया। 
इसलिए HCC ने 2020 में High Court ( पटना HC ) के समक्ष Section 11 Application दायर की — arbitrator नियुक्ति की मांग। 
2021 में पटना HC ने arbitrator नियुक्त किया, मध्यस्थता शुरू हुई, दोनों पक्षों ने 70+ सुनवाईयां (hearings) कीं। 
बाद में, जब अंतिम दलीलें (arguments) पूरी हो चुकी थीं, BRPNNL ने पटना HC से अपनी नियुक्ति पर पुनर्विचार (review petition) मांगा — Arbitrator नियुक्ति आदेश को रद्द करने का दावा किया। पटना HC ने अपनी पूर्व Section 11 नियुक्ति आदेश recall ( रद्द ) कर दी। 
इस पर HCC ने सुप्रीम कोर्ट में अपील लगाई। 
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⚖️ सुप्रीम कोर्ट का फैसला – 28 नवंबर 2025
सुप्रीम कोर्ट ने HCC की अपील स्वीकार की, और निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को स्पष्ट किया: 
पूर्व Section 11 के तहत arbitrator नियुक्ति आदेश (appointment order) पर High Court का “review / recall” करना गलत था — क्योंकि A&C Act (1996) इस तरह की judicial review/re-hearing की अनुमति नहीं देता; न्यायालयीय हस्तक्षेप (judicial intervention) केवल सीमित है। 
वह Clause (arbitration clause) जिसमें सिर्फ BRPNNL के Managing Director को arbitrator नियुक्त करने का अधिकार दिया गया था — वो clause “severable” (विभाज्य) है। यानि, मुख्य arbitration agreement बरकरार रहेगा; सिर्फ appointing-mechanism (यानि arbitrator कैसे नियुक्त होगा) को बदलना तय किया जा सकता है। 
High Court की अपनी नियुक्ति आदेश रद्द करने की कार्रवाई — एक “negative veto” जैसा था, जो A&C Act के उद्देश्य (expeditious, fair arbitration) के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि once arbitrator नियुक्त हो गया हो और दोनों पक्षों ने arbitration में भाग लिया हो — objections procedural हो सकते हैं पर उन पर review नहीं किया जाना चाहिए। 
विशेष रूप से, अदालत ने यह कहा कि संयुक्त (joint) आवेदन (joint applications) under Section 29A — arbitrator का समय बढ़ाने के लिए — को एक वैध “waiver” माना जाएगा (procedural objections के लिए), सिवाय उन मामलों के जहाँ स्थायी असंगतता / पक्षपात (statutory ineligibility under Section 12(5)) हो। 
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पटना HC एक नया arbitrator नियुक्त करे और arbitration जारी रहे, जहाँ से बीच में रुकाव हुआ था। 
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🔎 मतलब / Significance of the Decision
यह फैसला arbitral autonomy (मध्यस्थता की स्वतंत्रता) की रक्षा करता है — यानी, एक बार arbitrator नियुक्त हो जाए और दोनों पक्ष प्रक्रिया में शामिल हो जाएं, तो High Court द्वारा बाद में review / recall करना न्यायालयीय दुर्व्यवहार या कार्यवाही विघटन माना जाएगा।
अनुबंधों में “unilateral appointment clauses” — जहाँ सिर्फ एक पक्ष (या public authority) arbitrator चुनने का अधिकार रखती है — अगर व्यवहार में विवादित हों, तो उन्हें भी “severable” माना जाएगा: arbitration agreement कायम रहेगा।
यह फैसला विशेष रूप से सार्वजनिक-ठेका (public contracts) वाले मामलों में अहम है, जहाँ राज्य/PSU + निजी कंपनी का विवाद arbitration में जाता है। इससे सुनिश्चित होगा कि विधिवत arbitration प्रक्रिया बाधित न हो।
Arbitration को कॉम्प्लेक्स, लंबी प्रक्रिया न बनने देने के लिए — procedural objections (जिन्हें parties accept कर चुकी हों) पर बार-बार litigation न हो — ये सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट — Hindustan Construction Company Ltd. बनाम Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd. (2025 INSC 1365) का संक्षिप्त, सरल और स्पष्ट वर्डिक्ट-समरी (Verdict Summary) तैयार करके दी गई है:
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🧾 **सुप्रीम कोर्ट निर्णय-सार (संक्षेप में)
Hindustan Construction Company Ltd. vs. Bihar Rajya Pul Nirman Nigam Ltd.
फैसला : 28 नवम्बर 2025**
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1. विवाद किस बारे में था
HCC को बिहार में “सोन नदी पर पुल निर्माण” का ठेका मिला था।
काम के दौरान अतिरिक्त लागत, देरी और अन्य दावों पर HCC ने Arbitration (मध्यस्थता) की मांग की।
BRPNNL का दावा था कि Clause-25 के अनुसार Arbitrator उनके MD द्वारा नियुक्त होना चाहिए।
नियुक्ति समय पर न होने पर HCC पटना हाईकोर्ट पहुंचा।
हाईकोर्ट ने Arbitrator नियुक्त कर दिया।
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2. हाईकोर्ट ने बाद में क्या किया
Arbitration लगभग पूरी हो चुकी थी—70+ सुनवाई हो चुकी थीं।
लेकिन BRPNNL ने हाईकोर्ट में Review/Recall Petition दायर की।
पटना हाईकोर्ट ने अपनी ही पहले वाली आदेश (Arbitrator नियुक्ति) रद्द कर दी।
इससे पूरी मध्यस्थता प्रक्रिया रुक गई।
इसी के खिलाफ HCC सुप्रीम कोर्ट गया।
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3. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को गलत ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि—
Arbitration & Conciliation Act हाईकोर्ट को Section 11 के आदेश का “review/recall” करने की अनुमति नहीं देता।
Arbitrator नियुक्त होने के बाद और दोनों पक्षों के लंबे समय तक भाग लेने के बाद, प्रक्रिया को बीच में रोकना कानून और न्याय, दोनों के खिलाफ है।
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4. Arbitration Clause को “severable” माना गया
कॉन्ट्रैक्ट वाले Clause-25 में सिर्फ BRPNNL को Arbitrator चुनने का हक था — जो कानूनन उचित नहीं।
कोर्ट ने कहा कि —
✔️ Appointment-mechanism अलग किया जा सकता है,
✔️ पर Arbitration Agreement स्वयं वैध रहेगा।
यानी, arbitration चलता रहेगा, चाहे नियुक्ति तरीका अवैध हो।
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5. सुप्रीम कोर्ट ने procedural objections को ‘waiver’ माना
दोनों पक्षों ने मिलकर arbitrator का समय बढ़ाने के लिए Joint Applications दी थीं।
कोर्ट ने कहा कि इससे यह सिद्ध होता है कि दोनों arbitration को मान चुके थे।
इसलिए बाद में उठाए गए तकनीकी/प्रक्रियात्मक आपत्तियाँ — मान्य नहीं।
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6. सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश
पटना हाईकोर्ट का “recall order” रद्द किया।
मध्यस्थता (arbitration) को जारी रखने का आदेश।
हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि नया स्वतंत्र Arbitrator नियुक्त करे।
मध्यस्थता वहीं से शुरू होगी जहाँ से रुकी थी।
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7. इस फैसले का महत्व
सरकारी संस्थानों द्वारा Arbitrator नियुक्ति में दुरुपयोग पर रोक लगती है।
हाईकोर्ट द्वारा Section-11 आदेश की दोबारा समीक्षा का रास्ता बंद।
Public contracts में arbitration को तेज, निष्पक्ष और अविरुद्ध रखने पर जोर।
“Unilateral appointment clauses” की वैधता सीमित—पर arbitration agreement जारी रहता है।
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    Alert Nation News
    Chittaurgarh, Chittorgarh•
    17 hrs ago
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