IndiaNews 9Live Mumbai Vishal Sharma Journalist फिल्मी इंडस्ट्री मुंबई के दिग्गज देशभक्ति मनोज कुमार जी जिन्हें देशभक्ति के कारण भारत कुमार के नाम से भी जाना जाता है हमारे बीच नहीं रहे आज पंचतत्व में विलीन इंडिया न्यूज़ 9लाइव की पूरी इंडिया टीम (ICOP) बोर्ड की इंडिया टीम की तरफ से बहुत दुख हुआ इस खबर से और हम अपनी भावभिन्न श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं प्रभु श्री हरि उन्हें बैकुंठ धाम में स्थान दें और परिवार को दुख सहने का साहस प्रदान करें ओम शांति मनोज कुमार नहीं रहे। एक ऐसा फिल्मकार जिन्होंने देश भक्ति और सम सामयिक विषयों की फिल्मों को बखूबी से कमर्शियल तरीके से प्रस्तुत किया। 60 और 70 के दशक के कांग्रेस राज में महंगाई , बेरोजगारी और बेईमानी इतने चरम पर थी कि इस विषय पर कई हिंदी फ़िल्में बन गई। मनोज कुमार देश की राजनीति और व्यवस्था से खूब परिचित थे इसलिए उन्होंने आपातकाल से पहले भी और बाद में भी इन विषयों पर कई फिल्में बनाई। यादगार फिल्म का इकतारा बोले तुन तुन, इकतारा बोले। इस फिल्म में भ्रष्ट व्यापारियों नेताओं के भ्रष्टाचार से पिसती जनता को खूब शानदार तरीके से रखा। रोटी कपड़ा और मकान मानव की बुनियादी जरूरत है और इसी नाम से उन्होंने फिल्म बनाई। बाकि जो बचा उसे महंगाई मार गई। राशन वाले लेन की लम्बाई मार गई। बेईमान फिल्म में मनोज गाते है-, न इज्जत की परवाह न फ़िक्र कोई अपमान की, जय बोलो बेईमान की। दस नम्बरी, शोर, उपकार सब में सम सामयिक सामाजिक राजनीतिक समस्याओं को उठाया। उनकी फिल्में देश भक्ति के आचरण का संदेश देती थी और वे इन फिल्मों में गीतों के माध्यम से भी ये संदेश देते थे। उपकार का गीत , मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, तो एक तरह से राष्ट्रीय गीत बन चुका है। क्रांति उनकी बेहतरीन देशभक्ति वाली मसाला फिल्म है। मनोज कुमार सही में भारत कुमार थे इसलिए उन्होंने देव साहब, विनोद खन्ना, बलराज साहनी, की तरह ही इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का विरोध किया तो सरकार ने उनकी फिल्म शोर और दस नंबरी को प्रतिबंधित कर दिया जबकि इन फिल्मों में सरकार के खिलाफ कुछ नहीं था। इंदिरा गांधी ने उन पर दबाव डाला कि वो आपातकाल को सही ठहराने के लिए एक फिल्म बनाए इस पर मनोज कुमार ने न केवल मन किया बल्कि इस फिल्म के लिए कहानी लिख रही अमृता प्रीतम को भी खूब फटकारा तो उन्होंने भी इस फिल्म की कहानी का लेखन बंद कर दिया था। इसका परिणाम मनोज को उनकी फिल्मों पर प्रतिबंध के रूप में झेलना पड़ा था। मनोज ने खूब सारी रोमांटिक और सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों में भी काम किया था लेकिन उनको प्रसिद्धि देश भक्ति की फिल्मों से मिली। भारत कुमार को श्रद्धा सुमन और भाव भीनी श्रद्धांजलि 🙏 💐🪔😢
IndiaNews 9Live Mumbai Vishal Sharma Journalist फिल्मी इंडस्ट्री मुंबई के दिग्गज देशभक्ति मनोज कुमार जी जिन्हें देशभक्ति के कारण भारत कुमार के नाम से भी जाना जाता है हमारे बीच नहीं रहे आज पंचतत्व में विलीन इंडिया न्यूज़ 9लाइव की पूरी इंडिया टीम (ICOP) बोर्ड की इंडिया टीम की तरफ से बहुत दुख हुआ इस खबर से और हम अपनी भावभिन्न श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं प्रभु श्री हरि उन्हें बैकुंठ धाम में स्थान दें और परिवार को दुख सहने का साहस प्रदान करें ओम शांति मनोज कुमार नहीं रहे। एक ऐसा फिल्मकार जिन्होंने देश भक्ति और सम सामयिक विषयों की फिल्मों को बखूबी से कमर्शियल तरीके से प्रस्तुत किया। 60 और 70 के दशक के कांग्रेस राज में महंगाई , बेरोजगारी और बेईमानी इतने चरम पर थी कि इस विषय पर कई हिंदी फ़िल्में बन गई। मनोज कुमार देश की राजनीति और व्यवस्था से खूब परिचित थे इसलिए उन्होंने आपातकाल से पहले भी और बाद में भी इन विषयों पर कई फिल्में बनाई। यादगार फिल्म का इकतारा बोले तुन तुन, इकतारा बोले। इस फिल्म में भ्रष्ट व्यापारियों नेताओं के भ्रष्टाचार से पिसती जनता को खूब शानदार तरीके से रखा। रोटी कपड़ा और मकान मानव की बुनियादी जरूरत है और इसी नाम से उन्होंने फिल्म बनाई। बाकि जो बचा उसे महंगाई मार गई। राशन वाले लेन की लम्बाई मार गई। बेईमान फिल्म में मनोज गाते है-, न इज्जत की परवाह न फ़िक्र कोई अपमान की, जय बोलो बेईमान की। दस नम्बरी, शोर, उपकार सब में सम सामयिक सामाजिक राजनीतिक समस्याओं को उठाया। उनकी फिल्में देश भक्ति के आचरण का संदेश देती थी और वे इन फिल्मों में गीतों के माध्यम से भी ये संदेश देते थे। उपकार का गीत , मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, तो एक तरह से राष्ट्रीय गीत बन चुका है। क्रांति उनकी बेहतरीन देशभक्ति वाली मसाला फिल्म है। मनोज कुमार सही में भारत कुमार थे इसलिए उन्होंने देव साहब, विनोद खन्ना, बलराज साहनी, की तरह ही इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का विरोध किया तो सरकार ने उनकी फिल्म शोर और दस नंबरी को प्रतिबंधित कर दिया जबकि इन फिल्मों में सरकार के खिलाफ कुछ नहीं था। इंदिरा गांधी ने उन पर दबाव डाला कि वो आपातकाल को सही ठहराने के लिए एक फिल्म बनाए इस पर मनोज कुमार ने न केवल मन किया बल्कि इस फिल्म के लिए कहानी लिख रही अमृता प्रीतम को भी खूब फटकारा तो उन्होंने भी इस फिल्म की कहानी का लेखन बंद कर दिया था। इसका परिणाम मनोज को उनकी फिल्मों पर प्रतिबंध के रूप में झेलना पड़ा था। मनोज ने खूब सारी रोमांटिक और सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों में भी काम किया था लेकिन उनको प्रसिद्धि देश भक्ति की फिल्मों से मिली। भारत कुमार को श्रद्धा सुमन और भाव भीनी श्रद्धांजलि 🙏 💐🪔😢
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- Post by Ravi dhawan1