नारी की योनि में भगमालिनी देवी की पूजा एक अत्यंत गुप्त, तांत्रिक और शक्तिशाली साधना है जो काम-तंत्र, योनि-पूजन, और महाशक्ति साधना की पराकाष्ठा मानी जाती है। यह साधना सामान्य व्यक्ति के लिए नहीं है — यह केवल उन साधकों के लिए उपयुक्त है जिन्हें दीक्षा प्राप्त हो, ब्रह्मचर्य या तांत्रिक संयम का पालन हो, और जिन्हें गुरु द्वारा निर्देशित रूप से साधना की अनुमति हो। ⚠️ महत्वपूर्ण चेतावनी: > यह साधना केवल गुरु-दीक्षित साधकों के लिए है। नारी के शरीर विशेषतः योनि में किसी भी प्रकार की पूजा बिना सहमति, बिना प्रशिक्षण या बिना आध्यात्मिक उद्देश्य के गंभीर पाप, और कानूनी अपराध है। 🔱 क्या है योनि में भगमालिनी देवी की पूजा? योनि को देवी का जीवित यंत्र माना गया है – जिसमें शक्ति का मूल वास होता है। भगमालिनी देवी “भग (योनि) की माला पहनने वाली देवी” मानी जाती हैं – अर्थात वे योनि की ऊर्जा की अधिष्ठात्री देवी हैं। नारी की योनि में पूजा का अर्थ है – योनि को देवी का जीवंत रूप मानकर उसे दिव्यता के साथ पूजना। 🕉️ साधना की आवश्यकताएं: 1. साधक एवं साधिका – दोनों की पूर्ण सहमति होनी चाहिए। 2. साधिका को शुद्धता, मासिक धर्म से मुक्त, और मानसिक रूप से सकारात्मक स्थिति में होना चाहिए। 3. साधक को दीक्षा प्राप्त, संयमशील, और गुरु आज्ञा प्राप्त होना चाहिए। 📿 पूजन विधि (गोपनीय और तांत्रिक): 1. स्थान का चयन: एकांत और पवित्र स्थान (जैसे तांत्रिक कक्ष, शक्ति मंदिर, या विशेष पूजन स्थल)। काले या लाल वस्त्र, लाल वस्त्र से ढका आसन। 2. साधिका को देवी रूप में देखना: साधिका को देवी भगमालिनी के रूप में मानसिक रूप से प्रतिष्ठित करें। उनके योनि स्थान को भगमालिनी का पीठ (स्थान) मानें। 3. मंत्र-स्नान एवं शुद्धिकरण: साधिका के योनि स्थान को इत्र, गुलाबजल, गंगाजल, चंदन आदि से स्नान कराएं (यदि सहमति हो)। फिर सिंदूर व कुमकुम से तिलक करें। 4. आवाहन मंत्र: > "ॐ ह्रीं ऐं भग भगमालिन्यै नमः।" "देवि त्वं भगमालिनी, योनि मध्ये प्रतिष्ठिता।" "त्वां नमामि, त्वां पूजयामि, त्वां दिव्यं शक्तिरूपिणी।" 5. पूजा विधि: लाल पुष्प, अक्षत, चंदन, सिंदूर, धूप–दीप अर्पण करें। योनि स्थान पर हल्के हाथों से मंत्रोच्चार करते हुए चढ़ाएं: > "ॐ भगमालिन्यै नमः।" – 108 बार 6. विशेष साधनाएं (उन्नत साधकों हेतु): योनि ध्यान: साधक, साधिका के योनि स्थान पर ध्यान केंद्रित कर दिव्य शक्तिपीठ का ध्यान करें। लिंग-पूजन के साथ युक्ति: यदि दोनों सहमति से लिंग-योनि युक्ति करते हैं तो उसे "तांत्रिक मिलन" माना जाएगा। इस अवस्था में भी मंत्र जप एवं मौन रहकर साधना करें। 🔮 लाभ: शक्ति-सिद्धि, वशीकरण शक्ति दिव्य आकर्षण, सम्मोहन पति-पत्नी के बीच आत्मिक जुड़ाव आध्यात्मिक प्रेम व चेतना की उन्नति 🚫 क्या न करें: इसे कामवासना की दृष्टि से न करें। नारी का अपमान, दबाव या अनादर पूर्णत: निषिद्ध है। साधिका की अनुमति के बिना कोई स्पर्श, क्रिया या प्रयोग न करें।
नारी की योनि में भगमालिनी देवी की पूजा एक अत्यंत गुप्त, तांत्रिक और शक्तिशाली साधना है जो काम-तंत्र, योनि-पूजन, और महाशक्ति साधना की पराकाष्ठा मानी जाती है। यह साधना सामान्य व्यक्ति के लिए नहीं है — यह केवल उन साधकों के लिए उपयुक्त है जिन्हें दीक्षा प्राप्त हो, ब्रह्मचर्य या तांत्रिक संयम का पालन हो, और जिन्हें गुरु द्वारा निर्देशित रूप से साधना की अनुमति हो। ⚠️ महत्वपूर्ण चेतावनी: > यह साधना केवल गुरु-दीक्षित साधकों के लिए है। नारी के शरीर विशेषतः योनि में किसी भी प्रकार की पूजा बिना सहमति, बिना प्रशिक्षण या बिना आध्यात्मिक उद्देश्य के गंभीर पाप, और कानूनी अपराध है। 🔱 क्या है योनि में भगमालिनी देवी की पूजा? योनि को देवी का जीवित यंत्र माना गया है – जिसमें शक्ति का मूल वास होता है। भगमालिनी देवी “भग (योनि) की माला पहनने वाली देवी” मानी जाती हैं – अर्थात वे योनि की ऊर्जा की अधिष्ठात्री देवी हैं। नारी की योनि में पूजा का अर्थ है – योनि को देवी का जीवंत रूप मानकर उसे दिव्यता के साथ पूजना। 🕉️ साधना की आवश्यकताएं: 1. साधक एवं साधिका – दोनों की पूर्ण सहमति होनी चाहिए। 2. साधिका को शुद्धता, मासिक धर्म से मुक्त, और मानसिक रूप से सकारात्मक स्थिति में होना चाहिए। 3. साधक को दीक्षा प्राप्त, संयमशील, और गुरु आज्ञा प्राप्त होना चाहिए। 📿 पूजन विधि (गोपनीय और तांत्रिक): 1. स्थान का चयन: एकांत और पवित्र स्थान (जैसे तांत्रिक कक्ष, शक्ति मंदिर, या विशेष पूजन स्थल)। काले या लाल वस्त्र, लाल वस्त्र से ढका आसन। 2. साधिका को देवी रूप में देखना: साधिका को देवी भगमालिनी के रूप में मानसिक रूप से प्रतिष्ठित करें। उनके योनि स्थान को भगमालिनी का पीठ (स्थान) मानें। 3. मंत्र-स्नान एवं शुद्धिकरण: साधिका के योनि स्थान को इत्र, गुलाबजल, गंगाजल, चंदन आदि से स्नान कराएं (यदि सहमति हो)। फिर सिंदूर व कुमकुम से तिलक करें। 4. आवाहन मंत्र: > "ॐ ह्रीं ऐं भग भगमालिन्यै नमः।" "देवि त्वं भगमालिनी, योनि मध्ये प्रतिष्ठिता।" "त्वां नमामि, त्वां पूजयामि, त्वां दिव्यं शक्तिरूपिणी।" 5. पूजा विधि: लाल पुष्प, अक्षत, चंदन, सिंदूर, धूप–दीप अर्पण करें। योनि स्थान पर हल्के हाथों से मंत्रोच्चार करते हुए चढ़ाएं: > "ॐ भगमालिन्यै नमः।" – 108 बार 6. विशेष साधनाएं (उन्नत साधकों हेतु): योनि ध्यान: साधक, साधिका के योनि स्थान पर ध्यान केंद्रित कर दिव्य शक्तिपीठ का ध्यान करें। लिंग-पूजन के साथ युक्ति: यदि दोनों सहमति से लिंग-योनि युक्ति करते हैं तो उसे "तांत्रिक मिलन" माना जाएगा। इस अवस्था में भी मंत्र जप एवं मौन रहकर साधना करें। 🔮 लाभ: शक्ति-सिद्धि, वशीकरण शक्ति दिव्य आकर्षण, सम्मोहन पति-पत्नी के बीच आत्मिक जुड़ाव आध्यात्मिक प्रेम व चेतना की उन्नति 🚫 क्या न करें: इसे कामवासना की दृष्टि से न करें। नारी का अपमान, दबाव या अनादर पूर्णत: निषिद्ध है। साधिका की अनुमति के बिना कोई स्पर्श, क्रिया या प्रयोग न करें।