नशा समाज को भीतर से खोखला कर रहा है डॉ. रमेश चंद्र साहनी ------------------------------------ अंता (मातृभूमि न्यूज़) ------------------------------------ नशा जीवन की सबसे घातक और विनाशकारी बुराइयों में से एक है, जो न केवल व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नष्ट करती है, बल्कि पूरे परिवार और समाज को भी गहरे संकट में डाल देती है। इसी गंभीर सामाजिक समस्या के प्रति युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से राजकीय महाविद्यालय, अंता में राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ एवं नई किरण नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में नशा मुक्ति, धूम्रपान निषेध एवं सभी प्रकार के नशों की बुराइयों को लेकर एक प्रेरणादायक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि संवेदना रिसर्च फाउंडेशन, कोटा के निदेशक तथा चिकित्सा के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. रमेश चंद्र साहनी रहे। उन्होंने अपने ओजस्वी और प्रभावशाली वक्तव्य में नशे की कार्य-प्रणाली, उसके मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभावों तथा सामाजिक विद्रूपताओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आज समाज नशे के कारण धीरे-धीरे खोखला होता जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम नशा नहीं करते, बल्कि नशा हमें खा रहा है और यह हमारे शरीर, विचार, संस्कार और भविष्य सभी को समाप्त कर रहा है। फिल्मों के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि नशा केवल एक व्यक्ति की कमजोरी नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक बीमारी है, जो युवा पीढ़ी की ऊर्जा और रचनात्मकता को नष्ट कर रही है। उन्होंने शराब, तंबाकू, स्मैक, गांजा सहित विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों एवं आधुनिक नशों की बुराइयों का उल्लेख करते हुए युवाओं से इन्हें जीवन से पूर्णतः दूर रखने का आह्वान किया। नशा मुक्ति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वे पूर्व में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि नशा छुड़ाने के लिए उन्होंने खेलों और नवाचारों पर आधारित उपचारात्मक विधियों का भी विकास किया है, जिससे अनेक लोग नशे से मुक्ति पा चुके हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. फातिमा सुल्ताना ने विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि नशा केवल व्यक्ति का निजी विषय नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक चुनौती है। इसके विरुद्ध हमें सामूहिक रूप से जागरूकता फैलानी होगी और युवाओं को सकारात्मक दिशा देनी होगी। नई किरण नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. संजय गोयल ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को नशा न करने की सामूहिक शपथ दिलवाई और उन्हें स्वस्थ, स्वच्छ एवं नशा-मुक्त जीवन अपनाने का संदेश दिया। वहीं राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. नेकीराम ने विद्यार्थियों को राष्ट्र सेवा से जोड़ने का संकल्प दिलाते हुए कहा कि सात दिवसीय एनएसएस शिविर के दौरान नशा मुक्ति का संदेश जन-जन तक पहुँचाया जाएगा और समाज को नशा-मुक्त बनाने की दिशा में सक्रिय प्रयास किए जाएंगे।नई किरण नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के स्वयंसेवकों को नशा मुक्ति किट का वितरण भी किया गया, जिससे वे समाज में जागरूकता फैलाने के लिए और अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें। इस अवसर पर महाविद्यालय के संकाय सदस्यों डॉ. निर्मला मीणा, डॉ. बृजेश कुमार शर्मा, डॉ. रवि चोपदार, डॉ. अशोक सुमन, डॉ. प्रवीण कुमार, अभय कुमार झा, रामकुमार सहित अनेक अधिकारी, कर्मचारी, राष्ट्रीय सेवा योजना एवं नई किरण नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के स्वयंसेवक तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ राकेश कुमार शर्मा सहायक आचार्य ने किया
नशा समाज को भीतर से खोखला कर रहा है डॉ. रमेश चंद्र साहनी ------------------------------------ अंता (मातृभूमि न्यूज़) ------------------------------------ नशा जीवन की सबसे घातक और विनाशकारी बुराइयों में से एक है, जो न केवल व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नष्ट करती है, बल्कि पूरे परिवार और समाज को भी गहरे संकट में डाल देती है। इसी गंभीर सामाजिक समस्या के प्रति युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से राजकीय महाविद्यालय, अंता में राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ एवं नई किरण नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में नशा मुक्ति, धूम्रपान निषेध एवं सभी प्रकार के नशों की बुराइयों को लेकर एक प्रेरणादायक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि संवेदना रिसर्च फाउंडेशन, कोटा के निदेशक तथा चिकित्सा के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. रमेश चंद्र साहनी रहे। उन्होंने अपने ओजस्वी और प्रभावशाली वक्तव्य में नशे की कार्य-प्रणाली, उसके मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभावों तथा सामाजिक विद्रूपताओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आज समाज नशे के कारण धीरे-धीरे खोखला होता जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम नशा नहीं करते, बल्कि नशा हमें खा रहा है और यह हमारे शरीर, विचार, संस्कार और भविष्य सभी को समाप्त कर रहा है। फिल्मों के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि नशा केवल एक व्यक्ति की कमजोरी नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक बीमारी है, जो युवा पीढ़ी की ऊर्जा और रचनात्मकता को नष्ट कर रही है। उन्होंने शराब, तंबाकू, स्मैक, गांजा सहित विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों एवं आधुनिक नशों की बुराइयों का उल्लेख करते हुए युवाओं से इन्हें जीवन से पूर्णतः दूर रखने का आह्वान किया। नशा मुक्ति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वे पूर्व में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि नशा छुड़ाने के लिए उन्होंने खेलों और नवाचारों पर आधारित उपचारात्मक विधियों का भी विकास किया है, जिससे अनेक लोग नशे से मुक्ति पा चुके हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. फातिमा सुल्ताना ने विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि नशा केवल व्यक्ति का निजी विषय नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक चुनौती है। इसके विरुद्ध हमें सामूहिक रूप से जागरूकता फैलानी होगी और युवाओं को सकारात्मक दिशा देनी होगी। नई किरण नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. संजय गोयल ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को नशा न करने की सामूहिक शपथ दिलवाई और उन्हें स्वस्थ, स्वच्छ एवं नशा-मुक्त जीवन अपनाने का संदेश दिया। वहीं राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. नेकीराम ने विद्यार्थियों को राष्ट्र सेवा से जोड़ने का संकल्प दिलाते हुए कहा कि सात दिवसीय एनएसएस शिविर के दौरान नशा मुक्ति का संदेश जन-जन तक पहुँचाया जाएगा और समाज को नशा-मुक्त बनाने की दिशा में सक्रिय प्रयास किए जाएंगे।नई किरण नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के स्वयंसेवकों को नशा मुक्ति किट का वितरण भी किया गया, जिससे वे समाज में जागरूकता फैलाने के लिए और अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें। इस अवसर पर महाविद्यालय के संकाय सदस्यों डॉ. निर्मला मीणा, डॉ. बृजेश कुमार शर्मा, डॉ. रवि चोपदार, डॉ. अशोक सुमन, डॉ. प्रवीण कुमार, अभय कुमार झा, रामकुमार सहित अनेक अधिकारी, कर्मचारी, राष्ट्रीय सेवा योजना एवं नई किरण नशा मुक्ति प्रकोष्ठ के स्वयंसेवक तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ राकेश कुमार शर्मा सहायक आचार्य ने किया
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- Post by Lovekush meena ji1
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