शिल्पकार मझवार तुरैहा आदि समूहों के वंचित उपजातियों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निर्गत कराने संबंधी कमिश्नरी अपील के मद्देनजर नियमानुसार मांगी गई जनसूचना के प्रथम अपीलीय अधिकारी उपनिदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग बस्ती मंडल बस्ती आखिर समय सीमा बीतने के उपरांत भी आज तक सूचना क्यों नहीं उपलब्ध करा पाए......., अर्थात जिले और मंडल के जिम्मेदारो के मुंह छिपाने से स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश शासन प्रशासन और सरकार के पास कोई जबाब ही नहीं है कि क्रमिक अनुभाग 2 आदेश दिनांक 31 दिसंबर 2016 यदि निरस्त नहीं हुआ है तो किस आधार पर संबंधित तहसीलदार 17 अतिपिछड़ी जातियों को पिछड़ी जाति प्रमाण पत्र निर्गत करते चले आ रहे हैं और जिलाधिकारी संतकबीरनगर आदेश दिनांक 27 फरवरी 2025 बाधित क्यों और कैसे??? जो जघन्य दंडनीय अपराध है। यदि कुम्हार शिल्पकार नहीं है तो वास्तविक शिल्पकार है कौन, जबकि मौके का राजस्व रिकार्ड यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि कुम्हार ही सृष्टि श्रृजन का मुख्य शिल्पी है। अतः जरिए शोशल मिडिया सार्वजनिक एलान करता हूं कि यदि कमिश्नर महोदय बस्ती, जिला जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति संतकबीरनगर की भांति राजनैतिक दबाव में आकर हम वंचित अतिपिछड़ो के बहुप्रतीक्षित न्याय के विरुद्ध जाते हैं तो गरीब कमजोरों के न्याय का गला घोंटना कहा जाएगा और बदले में यैसा इंकलाब पैदा होगा जिसकी परिकल्पना दूर दूर तक कोई नहीं कर पा रहा है, संभवतः इक्कीसवीं सदी के जनक्रांति का समय नजदीक आ रहा हो, और अतिपिछड़ा एकीकरण महाअभियान के बैनर तले एकजुट संघर्ष आर पार का होना तय मानों।🙏
शिल्पकार मझवार तुरैहा आदि समूहों के वंचित उपजातियों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निर्गत कराने संबंधी कमिश्नरी अपील के मद्देनजर नियमानुसार मांगी गई जनसूचना के प्रथम अपीलीय अधिकारी उपनिदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग बस्ती मंडल बस्ती आखिर समय सीमा बीतने के उपरांत भी आज तक सूचना क्यों नहीं उपलब्ध करा पाए......., अर्थात जिले और मंडल के जिम्मेदारो के मुंह छिपाने से स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश शासन प्रशासन और सरकार के पास कोई जबाब ही नहीं है कि क्रमिक अनुभाग 2 आदेश दिनांक 31 दिसंबर 2016 यदि निरस्त नहीं हुआ है तो किस आधार पर संबंधित तहसीलदार 17 अतिपिछड़ी जातियों को पिछड़ी जाति प्रमाण पत्र निर्गत करते चले आ रहे हैं और जिलाधिकारी संतकबीरनगर आदेश दिनांक 27 फरवरी 2025 बाधित क्यों और कैसे??? जो जघन्य दंडनीय अपराध है। यदि कुम्हार शिल्पकार नहीं है तो वास्तविक शिल्पकार है कौन, जबकि मौके का राजस्व रिकार्ड यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि कुम्हार ही सृष्टि श्रृजन का मुख्य शिल्पी है। अतः जरिए शोशल मिडिया सार्वजनिक एलान करता हूं कि यदि कमिश्नर महोदय बस्ती, जिला जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति संतकबीरनगर की भांति राजनैतिक दबाव में आकर हम वंचित अतिपिछड़ो के बहुप्रतीक्षित न्याय के विरुद्ध जाते हैं तो गरीब कमजोरों के न्याय का गला घोंटना कहा जाएगा और बदले में यैसा इंकलाब पैदा होगा जिसकी परिकल्पना दूर दूर तक कोई नहीं कर पा रहा है, संभवतः इक्कीसवीं सदी के जनक्रांति का समय नजदीक आ रहा हो, और अतिपिछड़ा एकीकरण महाअभियान के बैनर तले एकजुट संघर्ष आर पार का होना तय मानों।🙏
- माई भारत' के तहत प्रधानमंत्री मुद्रा और आयुष्मान भारत योजना पर कार्यशाला आयोजित #ganeshchandrachauhan #जिलाधिकारी #संतकबीरनगर #explorepage #प्रधानमंत्री #आयुष्मान भारत #उदाहा1
- चिता का हमला कितना भयानक होता है आदमी की हालत बहुत गंभीर बताई जा रही है भगवान से प्रार्थना है कि जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाओ और कृपा करो1
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- लोकेशन- गोरखपुर संवाददाता- जे.बी.सिंह मो०- 8542007400.9140241789 Labor pain in train दिल्ली से दर भंगा जा रही महिला ने गोरखपुर में दिया बच्चे को जन्म, पति की बेवफाई से टूटी मां ने 48 घंटे तक नवजात को अपनाने से किया इनकार 48 घंटे तक मनाते रहे डॉक्टर-कर्मी पति ने छोड़ा, सहारे छूटे ट्रेन में शुरू हुआ दर्द, गोरखपुर में प्रसव पति की बेवफाई और जीवन की कठोर परिस्थितियों से जूझ रही एक गर्भवती महिला की दर्दनाक कहानी गोरखपुर में सामने आई है। दिल्ली से दरभंगा जा रही महिला को ट्रेन यात्रा के दौरान अचानक प्रसव पीड़ा हुई। हालत बिगड़ती देख रेलवे कर्मचारियों ने उसे तत्काल गोरखपुर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने सुरक्षित प्रसव कराया। महिला ने एक बेटे को जन्म दिया, लेकिन मानसिक आघात और आर्थिक असहायता के चलते उसने नवजात को अपनाने और दूध पिलाने से इनकार कर दिया।पीड़िता मूल रूप से दरभंगा की रहने वाली है। उसकी शादी एक वर्ष पहले हुई थी। शादी के कुछ समय बाद वह पति के साथ दिल्ली रहने लगी, लेकिन गर्भावस्था के चौथे महीने में ही पति उसे छोड़कर किसी अन्य महिला के साथ चला गया। इसके बाद उसने सारे संपर्क बंद कर दिए। महिला के माता-पिता पहले ही गुजर चुके हैं, ऐसे में वह दिल्ली में काम कर किसी तरह जीवनयापन कर रही थी। डिलीवरी डेट पूरी होने पर 14 दिसंबर को वह दिल्ली से दरभंगा के लिए ट्रेन से निकली। 14–15 दिसंबर की रात रास्ते में तेज दर्द उठा। गोरखपुर पहुंचते ही रेलवे कर्मियों ने उसकी हालत देखकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने प्रसव कराया। प्रसव के बाद जब नवजात को मां के पास दूध पिलाने के लिए लाया गया, तो उसने साफ इनकार कर दिया। डॉक्टरों के पूछने पर महिला ने पति की बेवफाई, आर्थिक तंगी और सहारे के अभाव का हवाला देते हुए कहा कि वह बच्चे को कैसे पालेगी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों ने लगातार 48 घंटे तक उसे समझाया। इस दौरान नवजात की हालत नाजुक होने के कारण उसे स्पेशल न्यू बॉर्न यूनिट (SNU) में भर्ती रखा गया और वैकल्पिक फीडिंग की व्यवस्था की गई।आखिरकार मां मानी और लगातार काउंसलिंग के बाद महिला ने बच्चे को अपनाया और दूध पिलाना शुरू किया। अस्पताल प्रशासन के अनुसार नवजात को सांस लेने में दिक्कत थी, जिसे कृत्रिम ऑक्सीजन देकर संभाला गया। फिलहाल बच्चे का इलाज SNU में जारी है। “दिल्ली से दरभंगा जा रही महिला को रास्ते में प्रसव हुआ। गोरखपुर पहुंचने पर रेलवे कर्मचारियों ने उसे अस्पताल पहुंचाया। प्रसव के बाद महिला ने आर्थिक कारणों और पति द्वारा छोड़े जाने की वजह से बच्चे को लेने से इनकार किया, लेकिन काफी मशक्कत और काउंसलिंग के बाद वह मान गई। बच्चा अभी SNU में भर्ती है और इलाज चल रहा है।”2
- लोकप्रिय विधायक गणेश चंद्र चौहान जी के नेतृत्व में हुआ कुश्ती का आयोजन।1