झारखंड जिला सरायकेला-खरसावां बड़ाअपडेट नाम से जानते हैं, वे असल में उनके बड़े भाई रामकृष्ण गगराई हैं। यानी विधानसभा में बैठा व्यक्ति असली दशरथ गगराई नहीं है, बल्कि फर्जी पहचान के सहारे तीन बार चुनाव जीत चुका है। तियु ने हलफनामा देकर यह मामला मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपा। जिसके बाद आयोग ने इसे गंभीर मानते हुए सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को जांच के लिए भेज दिया है। अब डीसी को जन्म प्रमाणपत्र, शैक्षणिक रिकॉर्ड, नामांकन पत्र और शपथपत्र – सबकी गहन जांच करनी होगी। अगर आरोप सही साबित हुए तो यह मामला Representation of the People Act, 1951 के तहत चुनाव रद्द होने से लेकर सदस्यता खत्म होने तक जा सकता है। लेकिन दोस्तों, इस पूरी कहानी में सबसे बड़ा ट्विस्ट है शिकायतकर्ता की पृष्ठभूमि। चाईबासा की अदालत ने लालजी राम तियु को एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले में दोषी करार देते हुए 12 साल की सजा और 20 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया है। फिलहाल वे ऊपरी अदालत में अपील कर रहे हैं और जमानत पर बाहर हैं। इतना ही नहीं, उन पर आरोप है कि वे आरटीआई एक्टिविज्म के नाम पर ब्लैकमेलिंग करते रहे हैं। आदिवासी समाज कई बार उनके खिलाफ प्रदर्शन भी कर चुका है। यानी जो व्यक्ति खुद गंभीर अपराधों में सजा पा चुका है, वही आज तीन बार के निर्वाचित विधायक पर पहचान छिपाने का आरोप लगा रहा है। दशरथ गगराई ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा है— "मेरे सभी दस्तावेज़ों की पहले भी तीन बार जांच हो चुकी है। ये आरोप बेबुनियाद और राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं। दरअसल, शिकायतकर्ता खुद दुष्कर्म के मामले में दोषी हैं और अब जमानत पर बाहर हैं। सत्ता में बैठे लोगों पर आरोप लगाना उनकी आदत है।" अब सवाल उठता है – 👉 तीन बार चुनाव जीतने के बाद अचानक लालजी राम तियु को क्यों याद आया कि गगराई फर्जी पहचान के सहारे विधायक बने हैं? 👉 क्या यह सिर्फ राजनीतिक दबाव की चाल है या सचमुच कोई बड़ा फर्जीवाड़ा छिपा हुआ है? दोस्तों, सच्चाई तो जांच के बाद ही सामने आएगी। लेकिन इतना तय है कि इस विवाद ने नवरात्रि के बीच सियासी माहौल को गरमा दिया है।
झारखंड जिला सरायकेला-खरसावां बड़ाअपडेट नाम से जानते हैं, वे असल में उनके बड़े भाई रामकृष्ण गगराई हैं। यानी विधानसभा में बैठा व्यक्ति असली दशरथ गगराई नहीं है, बल्कि फर्जी पहचान के सहारे तीन बार चुनाव जीत चुका है। तियु ने हलफनामा देकर यह मामला मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपा। जिसके बाद आयोग ने इसे गंभीर मानते हुए सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को जांच के लिए भेज दिया है। अब डीसी को जन्म प्रमाणपत्र, शैक्षणिक रिकॉर्ड, नामांकन पत्र और शपथपत्र – सबकी गहन जांच करनी होगी। अगर आरोप सही साबित हुए तो यह मामला Representation of the People Act, 1951 के तहत चुनाव रद्द होने से लेकर सदस्यता खत्म होने तक जा सकता है। लेकिन दोस्तों, इस पूरी कहानी
में सबसे बड़ा ट्विस्ट है शिकायतकर्ता की पृष्ठभूमि। चाईबासा की अदालत ने लालजी राम तियु को एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले में दोषी करार देते हुए 12 साल की सजा और 20 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया है। फिलहाल वे ऊपरी अदालत में अपील कर रहे हैं और जमानत पर बाहर हैं। इतना ही नहीं, उन पर आरोप है कि वे आरटीआई एक्टिविज्म के नाम पर ब्लैकमेलिंग करते रहे हैं। आदिवासी समाज कई बार उनके खिलाफ प्रदर्शन भी कर चुका है। यानी जो व्यक्ति खुद गंभीर अपराधों में सजा पा चुका है, वही आज तीन बार के निर्वाचित विधायक पर पहचान छिपाने का आरोप लगा रहा है। दशरथ गगराई ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते
हुए कहा है— "मेरे सभी दस्तावेज़ों की पहले भी तीन बार जांच हो चुकी है। ये आरोप बेबुनियाद और राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं। दरअसल, शिकायतकर्ता खुद दुष्कर्म के मामले में दोषी हैं और अब जमानत पर बाहर हैं। सत्ता में बैठे लोगों पर आरोप लगाना उनकी आदत है।" अब सवाल उठता है – 👉 तीन बार चुनाव जीतने के बाद अचानक लालजी राम तियु को क्यों याद आया कि गगराई फर्जी पहचान के सहारे विधायक बने हैं? 👉 क्या यह सिर्फ राजनीतिक दबाव की चाल है या सचमुच कोई बड़ा फर्जीवाड़ा छिपा हुआ है? दोस्तों, सच्चाई तो जांच के बाद ही सामने आएगी। लेकिन इतना तय है कि इस विवाद ने नवरात्रि के बीच सियासी माहौल को गरमा दिया है।
- User4616Chakradharpur, West Singhbhum👏on 30 September
- माओवादी कैडर ने किया उड़ीसा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण || Breaking News || Odisha Jharkhand News ||1
- Block - seraikella kharsawan1
- Post by Gudiya Kumari1
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