धनु राशि में जल में जातक के नक्षत्र के फल धनु राशि के ग्रह बृहस्पति यानी नमो नारायण धनु राशि में जल में मूल नक्षत्र जो गंड मूल में आते हैं उनके पहले चरण का फल इस चरण पर केतु गुरु और मंगल के प्रभाव होते हैं यह जातक महा योगी पिता के लिए अशोक इस नक्षत्र का स्वामी केतु होता है इन्हें हनुमान की उपासना के साथ कॅकस्टस ऑय स्टोन की सलाह दी जाती है यह कुशल निपुण होते हैं दयालु होते हैं यह चुनौतियां स्वीकार करते हैं यह किसी भी अधिकार में कार्य नहीं कर पाते इन्हें गंडमुल शांति करना चाहिए धनु राशि में मूल नक्षत्र के दूसरे चरण में माता के लिए अशुभ होते हैं शुक्र गुरु केतु ग्रह का प्रभाव होता है दूसरे चरण को असुर कृत्य कहा जाता है यह विचारशील संवेदनाशील आध्यात्मिक अध्ययन त्याग प्रवृत्ति संयम शत्रु ऑन को आसानी से निपटना यह परिवार की हर जरूरत को पूरा करते माता-पिता के अध्याय का पालन करते हैं इन्हीं कुलदेवी के उपसनाके साथ रूद्र पाठ करना चाहिए केतु का रत्न धरण करना चाहिए इन्हें मूलगंडका शांति पूजन करना चाहिए धनु राशि के मूल नक्षत्र के तीसरे चरण पर बुध गुरु केतु का प्रभाव होता है संतुलित स्वभाव आध्यात्मिक गतिविधियां समान समय में कार्य मूल नक्षत्र के कारण भौतिक समृद्धि नहीं होती आध्यात्मिक को दार्शनिक चर्चा में संवाद होते हैं आध्यात्मिक दुनिया के आसपास होते हैं दूसरे को अध्यात्म का मार्गदर्शन करते हैं यात्राओं का प्रबंध करते हैं यहां भौतिक आध्यात्मिक मूल्यों में संतुलन देखा जाता है कुशल परिपक्व विनोदी दुख अपमान प्रतिष्ठा में हनी मानसिक विषय में जड़ तक पहुंचना गरीबी धन चरम प्रवृत्ति अनुसंधान चिकित्सा इन्हीं शिव आराधना शांति आराधना करना चाहिए इन्हें मूल गंड शांति पूजन करना चाहिए धनु राशि के मूल नक्षत्र में चौथे चरण में जल में जातक पर चंद्र केतु गुरु का प्रभाव होता है चंद्रमा के कारण ऐश्वर्यावन गुरु दशा में इन्हें यश प्राप्त होता है पर ढांढणक्ष की संभावना होती है धन हानिकारक का योग होता है शांति कर्म द्वारा यश प्रताप आध्यात्मिक कुर्ती पर स्थिर नहीं रहते इन्हें शिवरीनारायण की उपासना करना चाहिए धनु राशि में पूर्वषाढा नक्षत्र के पहले चरण पर जन्म लेने वाले जातक पर सूर्य शुक्र गुरु का प्रभाव होता है राजा जैसे भाग्य रसिक रंगीला धानाढ स्पूर्ति आध्यात्मिक में लगाओ भरीव बांधा उच्च बड़ी आंखें शेर जैसा बल स्फूर्ति से भारत इन्हें विष्णु लक्ष्मी की उपासना करना चाहिए धनु राशि में पूर्वषाढा नक्षत्र में दूसरे चरण में जन्मे में जातक पर बुध गुरु शुक्र का प्रभाव होता है लग्न या चंद्र नक्षत्र में हो प्रतिभा संपन्न विद्वान होते हैं लौकिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति करते हैं आंखों में आकर्षण चमक होती है बड़ा माता और सुंदर व्यक्ति महत्व वाले होते हैं उनकी बातें ज्ञानवर्धक होती है धन-धान्य से परिपूर्ण होते हैं धनु राशि के पूर्व अशदा नक्षत्र में तीसरे चरण में जन्मे जातक पर शुक्र शुक्र गुरु का प्रभाव होता है सुंदर के चाहते कोमल तन कोमल मन शुक्र के कारण भोग विलासी बोलने में कुशल अच्छी ब्रांडेड वस्तुओं को इकट्ठा करना युज करना लंबा कद साफ वर्ण उदार बौद्धिकता रोबीला व्यक्तिमत्व इन्हें कमल सिंह माता लक्ष्मी और नारायण की उपासना करना चाहिए धनु राशि में पूर्व आषाढा नक्षत्र चौथे चरण में जन्मे जातक पर मंगल शुक्र गुरु का प्रभाव होता है नाक दबी हुई गोरा रंग चंचल स्वभाव बुजुर्गों का आदर करने वाला बुजुर्गों में प्रिया वायफल बड़बड़ व्यर्थ का प्रलाप हट्टी दुराग्रही तो रह सके पर खोज भोगी प्रवृत्ति विनय शक्ति लक्ष्मी विष्णु जी की उपासना करना चाहिए धनु राशि में उत्तर अशढा नक्षत्र के पहले चरण में जन्मे में जातक पर गुरु गुरु और सूर्य का प्रभाव होता है लंबे मुख वाला बड़ी-बड़ी आंखें बोल कम बोलने वाला बुद्धिमान कार्य कुशल लौकी सुख के साथ-साथ आध्यात्मिक के सुख पाने में निपुण होता है सज्जनों के दुख में दुखी होने वाला न्याय प्रिय आत्मविश्वास पूर्ण होता है सात्विकृति के होते हैं इन्हें नारायण और सूर्य की उपासना करना चाहिए
धनु राशि में जल में जातक के नक्षत्र के फल धनु राशि के ग्रह बृहस्पति यानी नमो नारायण धनु राशि में जल में मूल नक्षत्र जो गंड मूल में आते हैं उनके पहले चरण का फल इस चरण पर केतु गुरु और मंगल के प्रभाव होते हैं यह जातक महा योगी पिता के लिए अशोक इस नक्षत्र का स्वामी केतु होता है इन्हें हनुमान की उपासना के साथ कॅकस्टस ऑय स्टोन की सलाह दी जाती है यह कुशल निपुण होते हैं दयालु होते हैं यह चुनौतियां स्वीकार करते हैं यह किसी भी अधिकार में कार्य नहीं कर पाते इन्हें गंडमुल शांति करना चाहिए धनु राशि में मूल नक्षत्र के दूसरे चरण में माता के लिए अशुभ होते हैं शुक्र गुरु केतु ग्रह का प्रभाव होता है दूसरे चरण को असुर कृत्य कहा जाता है यह विचारशील संवेदनाशील आध्यात्मिक अध्ययन त्याग प्रवृत्ति संयम शत्रु ऑन को आसानी से निपटना यह परिवार की हर जरूरत को पूरा करते माता-पिता के अध्याय का पालन करते हैं इन्हीं कुलदेवी के उपसनाके साथ रूद्र पाठ करना चाहिए केतु का रत्न धरण करना चाहिए इन्हें मूलगंडका शांति पूजन करना चाहिए धनु राशि के मूल नक्षत्र के तीसरे चरण पर बुध गुरु केतु का प्रभाव होता है संतुलित स्वभाव आध्यात्मिक गतिविधियां समान समय में कार्य मूल नक्षत्र के कारण भौतिक समृद्धि नहीं होती आध्यात्मिक को दार्शनिक चर्चा में संवाद होते हैं आध्यात्मिक दुनिया के आसपास होते हैं दूसरे को अध्यात्म का मार्गदर्शन करते हैं यात्राओं का प्रबंध करते हैं यहां भौतिक आध्यात्मिक मूल्यों में संतुलन देखा जाता है कुशल परिपक्व विनोदी दुख अपमान प्रतिष्ठा में हनी मानसिक विषय में जड़ तक पहुंचना गरीबी धन चरम प्रवृत्ति अनुसंधान चिकित्सा इन्हीं शिव आराधना शांति आराधना करना चाहिए इन्हें मूल गंड शांति पूजन करना चाहिए धनु राशि के मूल नक्षत्र में चौथे चरण में जल में जातक पर चंद्र केतु गुरु का प्रभाव होता है चंद्रमा के कारण ऐश्वर्यावन गुरु दशा में इन्हें यश प्राप्त होता है पर ढांढणक्ष की संभावना होती है धन हानिकारक का योग होता है शांति कर्म द्वारा यश प्रताप आध्यात्मिक कुर्ती पर स्थिर नहीं रहते इन्हें शिवरीनारायण की उपासना करना चाहिए धनु राशि में पूर्वषाढा नक्षत्र के पहले चरण पर जन्म लेने वाले जातक पर सूर्य शुक्र गुरु का प्रभाव होता है राजा जैसे भाग्य रसिक रंगीला धानाढ स्पूर्ति आध्यात्मिक में लगाओ भरीव बांधा उच्च बड़ी आंखें शेर जैसा बल स्फूर्ति से भारत इन्हें विष्णु लक्ष्मी की उपासना करना चाहिए धनु राशि में पूर्वषाढा नक्षत्र में दूसरे चरण में जन्मे में जातक पर बुध गुरु शुक्र का प्रभाव होता है लग्न या चंद्र नक्षत्र में हो प्रतिभा संपन्न विद्वान होते हैं लौकिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति करते हैं आंखों में आकर्षण चमक होती है बड़ा माता और सुंदर व्यक्ति महत्व वाले होते हैं उनकी बातें ज्ञानवर्धक होती है धन-धान्य से परिपूर्ण होते हैं धनु राशि के पूर्व अशदा नक्षत्र में तीसरे चरण में जन्मे जातक पर शुक्र शुक्र गुरु का प्रभाव होता है सुंदर के चाहते कोमल तन कोमल मन शुक्र के कारण भोग विलासी बोलने में कुशल अच्छी ब्रांडेड वस्तुओं को इकट्ठा करना युज करना लंबा कद साफ वर्ण उदार बौद्धिकता रोबीला व्यक्तिमत्व इन्हें कमल सिंह माता लक्ष्मी और नारायण की उपासना करना चाहिए धनु राशि में पूर्व आषाढा नक्षत्र चौथे चरण में जन्मे जातक पर मंगल शुक्र गुरु का प्रभाव होता है नाक दबी हुई गोरा रंग चंचल स्वभाव बुजुर्गों का आदर करने वाला बुजुर्गों में प्रिया वायफल बड़बड़ व्यर्थ का प्रलाप हट्टी दुराग्रही तो रह सके पर खोज भोगी प्रवृत्ति विनय शक्ति लक्ष्मी विष्णु जी की उपासना करना चाहिए धनु राशि में उत्तर अशढा नक्षत्र के पहले चरण में जन्मे में जातक पर गुरु गुरु और सूर्य का प्रभाव होता है लंबे मुख वाला बड़ी-बड़ी आंखें बोल कम बोलने वाला बुद्धिमान कार्य कुशल लौकी सुख के साथ-साथ आध्यात्मिक के सुख पाने में निपुण होता है सज्जनों के दुख में दुखी होने वाला न्याय प्रिय आत्मविश्वास पूर्ण होता है सात्विकृति के होते हैं इन्हें नारायण और सूर्य की उपासना करना चाहिए
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