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on 2 August
user_Maniram Soni
Maniram Soni
Churu•
on 2 August

More news from Mahendragarh and nearby areas
  • अगर आप भी शादी पार्टी में फोटो या वीडियो बनवाना चाहते हैं तो आए
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    अगर आप भी शादी पार्टी में फोटो या वीडियो बनवाना चाहते हैं तो आए
    user_INDIA PARTH MEDIA
    INDIA PARTH MEDIA
    Journalist Mahendragarh•
    12 hrs ago
  • #बेवड़ा भरतार #नशा मुक्ति पर आधारित #शॉर्ट फ़िल्म #भारतीय फ़िल्म जंक्शन #एंडी धाकड़ कॉमेडी
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    #बेवड़ा भरतार #नशा मुक्ति पर आधारित #शॉर्ट फ़िल्म #भारतीय फ़िल्म जंक्शन #एंडी धाकड़ कॉमेडी
    user_Dhakad hai haryana
    Dhakad hai haryana
    Journalist Bhiwani•
    16 hrs ago
  • *बीलवाड़ी बस स्टैंड पर पानी का निकास न होने से सड़कों पर जलभराव से ग्रामीणों में आक्रोश* विराटनगर रिपोर्टर/जयराम वर्मा विराटनगर जयपुर-अलवर सड़क मार्ग के बीलवाडी़ बस स्टैण्ड पर सड़क निर्माण कम्पनी की लापरवाही के कारण बस स्टैण्ड के सामने पानी भरने से ग्रामीणों में नाराजगी है। उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया। गोपाल लाल सैन ने बताया कि अलवर तिराहे से थानागाजी तक बस स्टैण्ड पर लंबे समय सड़क अधूरी छोड़ दी थी, जिससे कई दुर्घटनाएं हुई। अब सडक निर्माण पूरा हो गया हैं, लेकिन पानी निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बस स्टैण्ड पर पानी जमा हो जाता है। जलभराव से यात्री शेल्टर का उपयोग मुस्किल हो गया है। बारिश या प्याऊ से बहता पानी सड़क किनारे जमा होकर कीचड़ में तब्दील हो जाता है, जिससे बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे विशेष परेशानियों का सामना कर रहे हैं। कई बार फिसलने से लोग गिर भी चुके हैं, यात्रियों भारी दिक्कत, गंदगी, बदबू, मच्छरों का प्रकोप और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे स्वास्थ्य और जीवनचर्या प्रभावित होती है,लेकिन संबंधित विभाग ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन पानी निकासी न होने से हालात और खराब हो गए हैं। यात्रियों को बस का इतजार करते समय सड़क किनारे खड़े होना पड़ता है ,जिस दौरान नारायण सिंह शेखावत, भगवान सिंह ,लालाराम गुर्जर ,तेजपाल तंवर,रोशन गुर्जर ,रामकिशन, मुकेश ,नंदुशर्मा आदि लोग मौजूद थे
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    *बीलवाड़ी बस स्टैंड पर पानी का निकास न होने से सड़कों पर जलभराव से ग्रामीणों में आक्रोश*
विराटनगर रिपोर्टर/जयराम वर्मा 
विराटनगर जयपुर-अलवर सड़क मार्ग के बीलवाडी़ बस स्टैण्ड पर सड़क निर्माण कम्पनी की लापरवाही के कारण बस स्टैण्ड के सामने पानी भरने से ग्रामीणों में नाराजगी है। उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया। गोपाल लाल सैन ने बताया कि अलवर तिराहे से थानागाजी तक बस स्टैण्ड पर लंबे समय सड़क अधूरी छोड़ दी थी, जिससे कई दुर्घटनाएं हुई। अब सडक निर्माण पूरा हो गया हैं, लेकिन पानी निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बस स्टैण्ड पर पानी जमा हो जाता है। जलभराव से यात्री शेल्टर का उपयोग मुस्किल हो गया है। बारिश या प्याऊ से बहता पानी सड़क किनारे जमा होकर कीचड़ में तब्दील हो जाता है, जिससे बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे विशेष परेशानियों का सामना कर रहे हैं। कई बार फिसलने से लोग गिर भी चुके हैं, यात्रियों भारी दिक्कत, गंदगी, बदबू, मच्छरों का प्रकोप और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे स्वास्थ्य और जीवनचर्या प्रभावित होती है,लेकिन संबंधित विभाग ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन पानी निकासी न होने से हालात और खराब हो गए हैं। यात्रियों को बस का इतजार करते समय सड़क किनारे खड़े होना पड़ता है ,जिस दौरान नारायण सिंह शेखावत, भगवान सिंह ,लालाराम गुर्जर ,तेजपाल तंवर,रोशन गुर्जर ,रामकिशन, मुकेश ,नंदुशर्मा आदि लोग मौजूद थे
    user_Raj.JANTA SEVA-84 NEWS
    Raj.JANTA SEVA-84 NEWS
    Reporter Jaipur•
    6 hrs ago
  • राजस्थान Cm भजनलाल शर्मा ने कहा कि अरावली के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होने दूंगा ~ #rajasthan #jaipur #jodhpur #bikaner #viral #aravali
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    राजस्थान Cm भजनलाल शर्मा ने कहा कि अरावली के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होने दूंगा ~
#rajasthan #jaipur #jodhpur #bikaner #viral #aravali
    user_SSSO NEWS
    SSSO NEWS
    Media company Bikaner•
    4 hrs ago
  • अरावली जंगलों ओर बीकानेर क्षेत्र में पेड़ कटाई कारण और प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स आईरा न्यूज बीकानेर इकबाल खान, राजस्थान के अरावली पर्वत श्रृंखला के जंगलों को काटने का मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से जुड़ा है, जहां 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को 'अरावली' की परिभाषा से बाहर कर दिया गया। यह तकनीकी व्याख्या खनन और विकास परियोजनाओं का रास्ता खोल रही, जिससे पर्यावरणीय संरक्षण कमजोर हो रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला रेगिस्तान के विस्तार को बढ़ावा देगा, लेकिन सरकारें आर्थिक विकास के नाम पर आगे बढ़ रही। *कटाई के प्रमुख कारण* खनन की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट पर आधारित 100 मीटर ऊंचाई की सीमा स्वीकार की, जिससे अरावली के 90% हिस्से (कम ऊंचाई वाले) में खनन, निर्माण और भूमि अधिग्रहण संभव हो गया। यह 23 साल पुराने संरक्षण आदेश को कमजोर करता है, जहां खनन माफिया सक्रिय हो सकते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स: सौर ऊर्जा कंपनियां भूमि हासिल करने के लिए पेड़ काट रही, खासकर बीकानेर और जोधपुर जैसे जिलों में। सरकार का लक्ष्य 2030 तक सौर क्षमता बढ़ाना है, लेकिन पर्यावरणीय ऑडिट की कमी से जंगल प्रभावित। विकास और बुनियादी ढांचा: सड़कें, सब-स्टेशन और हाइड्रो-सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि साफ की जा रही, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के बजाय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रही। वहां लगने वाले प्रोजेक्ट्स सौर ऊर्जा प्लांट्स: बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर में बड़े सोलर फार्म्स, जहां खेजड़ी जैसे पेड़ काटे जा रहे। सरकार ने 9 सोलर-हाइड्रो प्रोजेक्ट्स मंजूर किए, जो 500,000 से अधिक पेड़ों को प्रभावित करेंगे। खनन और निर्माण: कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पत्थर खदानें, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे हरियाणा-राजस्थान सीमा पर। अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के बावजूद, खनन को प्राथमिकता मिल रही। अन्य विकास सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित क्षेत्रों में बफर जोन के बाहर सड़कें और सब-स्टेशन, जो दिल्ली-एनसीआर की ऊर्जा जरूरतें पूरी करेंगे, लेकिन रेगिस्तान विस्तार का खतरा बढ़ा रहा। पर्यावरण कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील कर धरना प्रदर्शन कर है।कि कटाई रोककर सख्त नियम लागू हों, वरना जल संकट और प्रदूषण गंभीर हो जाएगा।
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    अरावली जंगलों ओर बीकानेर क्षेत्र में पेड़ कटाई कारण और प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स
आईरा न्यूज बीकानेर इकबाल खान, राजस्थान के अरावली पर्वत श्रृंखला के जंगलों को काटने का मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से जुड़ा है, जहां 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को 'अरावली' की परिभाषा से बाहर कर दिया गया। यह तकनीकी व्याख्या खनन और विकास परियोजनाओं का रास्ता खोल रही, जिससे पर्यावरणीय संरक्षण कमजोर हो रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला रेगिस्तान के विस्तार को बढ़ावा देगा, लेकिन सरकारें आर्थिक विकास के नाम पर आगे बढ़ रही।
*कटाई के प्रमुख कारण*
खनन की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट पर आधारित 100 मीटर ऊंचाई की सीमा स्वीकार की, जिससे अरावली के 90% हिस्से (कम ऊंचाई वाले) में खनन, निर्माण और भूमि अधिग्रहण संभव हो गया। यह 23 साल पुराने संरक्षण आदेश को कमजोर करता है, जहां खनन माफिया सक्रिय हो सकते हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स: सौर ऊर्जा कंपनियां भूमि हासिल करने के लिए पेड़ काट रही, खासकर बीकानेर और जोधपुर जैसे जिलों में। सरकार का लक्ष्य 2030 तक सौर क्षमता बढ़ाना है, लेकिन पर्यावरणीय ऑडिट की कमी से जंगल प्रभावित।
विकास और बुनियादी ढांचा: सड़कें, सब-स्टेशन और हाइड्रो-सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि साफ की जा रही, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के बजाय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रही।
वहां लगने वाले प्रोजेक्ट्स
सौर ऊर्जा प्लांट्स: बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर में बड़े सोलर फार्म्स, जहां खेजड़ी जैसे पेड़ काटे जा रहे। सरकार ने 9 सोलर-हाइड्रो प्रोजेक्ट्स मंजूर किए, जो 500,000 से अधिक पेड़ों को प्रभावित करेंगे।
खनन और निर्माण: कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पत्थर खदानें, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे हरियाणा-राजस्थान सीमा पर। अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के बावजूद, खनन को प्राथमिकता मिल रही।
अन्य विकास सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित क्षेत्रों में बफर जोन के बाहर सड़कें और सब-स्टेशन, जो दिल्ली-एनसीआर की ऊर्जा जरूरतें पूरी करेंगे, लेकिन रेगिस्तान विस्तार का खतरा बढ़ा रहा।
पर्यावरण कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील कर धरना प्रदर्शन कर है।कि कटाई रोककर सख्त नियम लागू हों, वरना जल संकट और प्रदूषण गंभीर हो जाएगा।
    user_आईरा समाचार बीकानेर
    आईरा समाचार बीकानेर
    Journalist Nagaur•
    10 hrs ago
  • Post by Kewal Singh
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    Post by Kewal Singh
    user_Kewal Singh
    Kewal Singh
    Rewari•
    15 hrs ago
  • अस्थमा हों नजला जुखाम छींके आना सांस लेने में दिक्कत हो एलर्जी हो। 7568628143
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    अस्थमा हों नजला जुखाम छींके आना सांस लेने में दिक्कत हो एलर्जी हो।
7568628143
    user_Sharwan
    Sharwan
    Doctor Bikaner•
    18 hrs ago
  • #चीकू की कॉमेडी चैनल पै आवैगी प्रेम तै भरी लघु फ़िल्म "बहन की कुर्बानी "
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    #चीकू की कॉमेडी चैनल पै आवैगी प्रेम तै भरी लघु फ़िल्म "बहन की कुर्बानी "
    user_Dhakad hai haryana
    Dhakad hai haryana
    Journalist Bhiwani•
    19 hrs ago
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