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- भाजापा द्वारा मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाना राजनीति से प्रेरित : जय प्रकाश भाई पटेल हजारीबाग | जिला कांग्रेस के तत्वावधान में भाजपा द्वारा महत्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) से महात्मा गांधी के नाम हटाए जाने के विरोध में पुराना समाहरणालय स्थित धरना स्थल पर विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मंत्री सह जिला अध्यक्ष जय प्रकाश भाई पटेल ने कहा कि मनरेगा से महत्मा गांधी का नाम मिटाना सोचा-समझा राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाने का सचेत निर्णय वैचारिक है। गांधी जी की श्रम की गरिमा, समाजिक न्याय और सबसे गरीबों के प्रति राज्य की नैतिक जिम्मेदारी के प्रतीक है। यह नाम परिवर्तन गांधी जी के मुल्यों के प्रति भाजापा-आरएसएस की दीर्घकालिक असहजता और अविश्वास को दर्शाता है तथा एक जन केन्द्रित कल्याणकारी कानून से राष्ट्रपिता के जुड़ाव को मिटाने का प्रयास है। प्रस्तावित नया विधेयक उस कानूनी काम के अधिकार को समाप्त कर देता है जो, मनरेगा ने प्रदान किया था। यह मांग आधारित, वैधानिक अधिकार की जगह एक केन्द्र नियंत्रित योजना लाता है, जिसमे न तो रोजगार की कोई कानून लागू की जा सकने वाली गारंटी है न सार्वभौमिक कबरेज और न ही यह आश्वासन कि आवश्यकता के समय लोंगो को काम मिलेगा। वस्तुत: काम के अधिकार को ही समाप्त किया जा रहा है। मनरेगा के तहत मजदुरी के वित्तपोषण की प्राथमिक जिम्मेवारी केन्द्र सरकार की थी, जिससे यह एक वास्तविक राष्ट्रीय रोजगार गारंटी बनाती थी। नया विधेयक इस जिम्मेदारी से पिछे हटना चाहती है, बोझ राज्यों पर डालता है, आवंटनों पर सीमा लगता है और मांग आधारित कार्यक्रम की बुनियाद को कमजोर करता है। इससे संघवाद कमजोर होता है और वित्तीय बाधाओं के कारण राज्यों को काम की मांग दबाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। गांधी जी की विरासत, श्रामिकों के अधिकार और संघीय जिम्मेदारी पर यह संयुक्त हमला भाजापा-आरएसएस की उस बड़ी साजिश को उजागर करता है, जिसके तहत अधिकार आधारित कल्याण को समाप्त कर केन्द्र नियंत्रित दया-दान की व्यव्स्था से बदला जा रहा है। जिला कांग्रेस के मीडिया अध्यक्ष निसार खान ने बताया कि मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष भीम कुमार प्रदेश महासचिव बिनोद कुशवाहा पूर्व प्रत्याशी मुन्ना सिंह पूर्व जिला अध्यक्ष विजय कुमार यादव वरिष्ठ कांग्रेस अशोक देव, विरेन्द्र कुमार सिंह, बिनोद सिंह, रजी अहमद, निजामुद्दीन अंसारी, राजू चौरसिया, साजिद अली खान, जावेद इकबाल, बाबर अंसारी, राजीव कुमार मेहता, कैलाश पति देव, जय कुमार महतो, विजय कुमार सिंह, रंजीत यादव, ज्ञानी प्रसाद मेहता, मनोज मोदी, अब्बास अंसारी, नौशाद आलम, अजित कुमार सिंह, प्रदीप मंडल, रविन्द्र गुप्ता, निसार अहमद भोला, ओमप्रकाश गोप, सदरूल होदा, वासुदेव महतो, उपेन्द्र यादव, अनिल कुमार राय, विकास कुमार, अनिल कुमार भुईया, मोहम्मद वारिस, बाबु खान, सैयद अशरफ रफी, रिंकू कुमार के अतिरिक्त सैकड़ो कांग्रेसी उपस्थित थे।1
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