धरमजयगढ़ कोयला खदान विवाद तेज़: तीन पंचायतों के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में जनसुनवाई रोकने का संकल्प दोहराया धरमजयगढ़/रायगढ़, छत्तीसगढ़: मेसर्स अंबुजा सीमेंट (अदानी समूह) की प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान को लेकर क्षेत्र में जारी असमंजस और विरोध अब निर्णायक मोड़ पर पहुँचता दिख रहा है। 23 अक्टूबर को जनपद पंचायत सभाकक्ष में कंपनी और प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर यह दावा दोहराया कि भूमिगत परियोजना का पर्यावरण, जल स्रोत, जल स्तर और वन क्षेत्र पर “शून्य अथवा न्यूनतम प्रभाव” पड़ेगा और न तो वन कटाई, न भूमि अधिग्रहण और न ही विस्थापन की आवश्यकता होगी। हालांकि, संवाद का यह प्रयास ग्रामीणों को संतुष्ट नहीं कर सका। बैठक में अधिकतर ग्रामीणों की भागीदारी न होने और संवाद के प्रतिनिधि-आधारित स्वरूप को लेकर संशय कायम रहा। इसी पृष्ठभूमि में पुरुँगा, सम्हारसिंघा और तेन्दुमुड़ी के ग्रामीणों ने पुरुँगा स्कूल मैदान में एक बड़ी बैठक आयोजित कर आगामी 11 नवंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को किसी भी हाल में न होने देने का सर्वसम्मति से संकल्प दोहराया। इस बैठक में स्थानीय विधायक सहित तीनों पंचायतों के जनप्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिससे जनमत को स्पष्ट राजनीतिक समर्थन भी मिलता दिखाई दिया। बैठक में ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि वे अपनी एक सूत्रीय मांग — “जनसुनवाई निरस्त करो” से पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना था कि खदान जैसे संवेदनशील विषय पर निर्णय “बंद कमरों में या चुनिंदा प्रतिनिधियों के बीच” नहीं, बल्कि खुले और सार्वजनिक मंच पर होना चाहिए। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का संयुक्त मत था कि जब तक कंपनी और प्रशासन सीधे ग्रामीणों के बीच आकर पारदर्शी संवाद नहीं करेंगे और हर सवाल का तथ्यात्मक उत्तर सार्वजनिक रूप से नहीं देंगे, तब तक वे किसी प्रक्रिया को आगे बढ़ने नहीं देंगे। स्थानीय विश्लेषकों का मानना है कि स्थिति अब सीधे संवाद बनाम प्रशासनिक प्रक्रिया वाले मोड़ पर आ खड़ी है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि सरकार खुले संवाद की राह चुनेगी या जनसुनवाई की निर्धारित प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगी। दोनों ही स्थितियों में यह मुद्दा अब और व्यापक स्तर पर राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक चर्चा का केंद्र बनने जा रहा है। विधायक सहित जनप्रतिनिधियों की भागीदारी ग्राम पुरुँगा, तेन्दुमुड़ी और सम्हारसिंघा में आयोजित इस विरोधात्मक ग्रामसभा में स्थानीय विधायक सहित तीनों पंचायतों के जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की आशंकाओं, वन एवं पर्यावरणीय प्रभावों तथा आजीविका से जुड़े सवालों को गंभीरता से सुने और कहा कि ग्रामीण हित सर्वोपरि हैं। समाजसेवियों और ग्रामीणों की व्यापक मौजूदगी इस दौरान समाजसेवी राजेश मरकाम, राजेश त्रिपाठी, क्षेत्र के बीडीसी सदस्य समेत आसपास के गाँवों से पहुँचे बड़ी संख्या में ग्रामीण—महिलाएँ और पुरुष—सभा का हिस्सा बने। उपस्थित लोगों ने कहा कि वे पारदर्शी जानकारी, खुला संवाद और ग्रामीण हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग पर एकजुट हैं।
धरमजयगढ़ कोयला खदान विवाद तेज़: तीन पंचायतों के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में जनसुनवाई रोकने का संकल्प दोहराया धरमजयगढ़/रायगढ़, छत्तीसगढ़: मेसर्स अंबुजा सीमेंट (अदानी समूह) की प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान को लेकर क्षेत्र में जारी असमंजस और विरोध अब निर्णायक मोड़ पर पहुँचता दिख रहा है। 23 अक्टूबर को जनपद पंचायत सभाकक्ष में कंपनी और प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर यह दावा दोहराया कि भूमिगत परियोजना का पर्यावरण, जल स्रोत, जल स्तर और वन क्षेत्र पर “शून्य अथवा न्यूनतम प्रभाव” पड़ेगा और न तो वन कटाई, न भूमि अधिग्रहण और न ही विस्थापन की आवश्यकता होगी। हालांकि, संवाद का यह प्रयास ग्रामीणों को संतुष्ट नहीं कर सका। बैठक में
अधिकतर ग्रामीणों की भागीदारी न होने और संवाद के प्रतिनिधि-आधारित स्वरूप को लेकर संशय कायम रहा। इसी पृष्ठभूमि में पुरुँगा, सम्हारसिंघा और तेन्दुमुड़ी के ग्रामीणों ने पुरुँगा स्कूल मैदान में एक बड़ी बैठक आयोजित कर आगामी 11 नवंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को किसी भी हाल में न होने देने का सर्वसम्मति से संकल्प दोहराया। इस बैठक में स्थानीय विधायक सहित तीनों पंचायतों के जनप्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिससे जनमत को स्पष्ट राजनीतिक समर्थन भी मिलता दिखाई दिया। बैठक में ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि वे अपनी एक सूत्रीय मांग — “जनसुनवाई निरस्त करो” से पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना था कि खदान जैसे संवेदनशील विषय पर निर्णय “बंद कमरों में
या चुनिंदा प्रतिनिधियों के बीच” नहीं, बल्कि खुले और सार्वजनिक मंच पर होना चाहिए। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का संयुक्त मत था कि जब तक कंपनी और प्रशासन सीधे ग्रामीणों के बीच आकर पारदर्शी संवाद नहीं करेंगे और हर सवाल का तथ्यात्मक उत्तर सार्वजनिक रूप से नहीं देंगे, तब तक वे किसी प्रक्रिया को आगे बढ़ने नहीं देंगे। स्थानीय विश्लेषकों का मानना है कि स्थिति अब सीधे संवाद बनाम प्रशासनिक प्रक्रिया वाले मोड़ पर आ खड़ी है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि सरकार खुले संवाद की राह चुनेगी या जनसुनवाई की निर्धारित प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगी। दोनों ही स्थितियों में यह मुद्दा अब और व्यापक स्तर पर राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक चर्चा
का केंद्र बनने जा रहा है। विधायक सहित जनप्रतिनिधियों की भागीदारी ग्राम पुरुँगा, तेन्दुमुड़ी और सम्हारसिंघा में आयोजित इस विरोधात्मक ग्रामसभा में स्थानीय विधायक सहित तीनों पंचायतों के जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की आशंकाओं, वन एवं पर्यावरणीय प्रभावों तथा आजीविका से जुड़े सवालों को गंभीरता से सुने और कहा कि ग्रामीण हित सर्वोपरि हैं। समाजसेवियों और ग्रामीणों की व्यापक मौजूदगी इस दौरान समाजसेवी राजेश मरकाम, राजेश त्रिपाठी, क्षेत्र के बीडीसी सदस्य समेत आसपास के गाँवों से पहुँचे बड़ी संख्या में ग्रामीण—महिलाएँ और पुरुष—सभा का हिस्सा बने। उपस्थित लोगों ने कहा कि वे पारदर्शी जानकारी, खुला संवाद और ग्रामीण हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग पर एकजुट हैं।
- धान खरीदी केंद्रों में धान खरीदी की क्षमता को बढ़ाने को लेकर एवं व्यवस्था दुरुस्त कराने हेतु खाघ मंत्री दयालदास बघेल जी से की चर्चा ,, छत्तीसगढ़ में किसानों के धान की खरीदी 15 नवंबर से प्रारंभ हो गई है और यह 31 जनवरी तक चलेगी , जिसका समर्थन मूल्य 3,100 रुपए प्रति क्विंटल के दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान छत्तीसगढ़ सरकार किसानों से खरीद रही है इस बीच किसान अपनी पैदावार ,धान खरीदी केंद्रों में विक्रय हेतु ला रहे हैं, लेकिन प्रतिदिन धान खरीदी की क्षमता धान खरीदी केंद्रों में तय होने के कारण क्षेत्र के किसान अपनी पैदावार नहीं बेच पा रहे हैं, जितनी खरीदी की क्षमता धान खरीदी केंद्रों में निर्धारित की गई है,उससे उनको भरी समस्या का सामना करना पड़ रहा है,, जिस कारण किसान धान खरीदी केंद्रों में निर्धारित लिमिट को दुगुना करने की मांग कर रहे हैं,ताकि तय सीमा के अंदर किसान आसानी से धान तय सीमा के अंदर आसानी से बेच सकें, सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो जी ने इस समस्या को देखते हुए,किसानों को राहत देने के लिए प्रतिदिन धान खरीदी की लिमिट को बढ़ाने के लिए संबंधित विभाग के मंत्री जी से चर्चा कर उनसे अनुरोध किया है कि, यदि प्रति दिन जो धान खरीदी केंद्रों में धान क्रय करने की क्षमता निर्धारित किया गया है उसको यदि बढ़ा कर दुगुना कर दे तो क्षेत्र के किसान आसानी से अपनी पैदावार को बेच सकेंगे ,, और उनकी तकलीफ में कमी आएगी,, साथ ही धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था एवं कमियों को दुरुस्त करने हेतु सेकेट्री से भी विधायक जी ने मुलाकात कर अपनी बात रखी और उसे दुरुस्त करने के लिए कहा ,अधिकारियों द्वारा जब कहा गया कि व्यवस्था सुनियोजित तरीके से चल रही है तब सीतापुर विधायक जी ने कड़े शब्दों में कहा कि ग्राउंड स्तर पर जाकर निरीक्षण करने से कई खामियां नजर आएंगी,, इसलिए वहां जाकर व्यवस्थाओं के स्थिति के बारे में जानकारी लेने की व्यवस्था करे,, और कमियों को तत्काल दूर करने के लिए कार्य करे, ताकि धान विक्रय हेतु पहुंचे वाले किसान भाइयों को किसी भी तरह की कोई परेशानी या समस्या ना हो,, उनकी समस्या का समाधान करना , उनकी परेशानी दूर करना हम सब की जिम्मेदारी है,,1
- 9875147653 Full Video Link https://youtu.be/wwdiu8iIABQ?si=O9DEAfJIk_i9gbw71
- ambikapur nager nigam ka ward kramank-3 sant mather teresa ward wardwasi nali,pani ,kai yojnao ke labh se ab tak vanchit hai.aapko bata de ye ambikapur maiyer smt.manjusha bhagat ji ka grih chetr hai!!jaha ward mai bhari samshyayo ka samna wardwasiyo ko karna pad raha hai.suniye kya kahte hai wardwasi.khas report himanshu raj patrkar ambikapur cg.7805838076.2
- भगवती मानव कल्याण संगठन1
- Post by Hari Sharma Sharma1
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- कुनकुरी में नाबालिग बालिका को शादी झासा देकर भागकर किया दुष्कर्म /आनलाइन प्यार करने का नतीजा #news1
- “गाड़ी वाला आया, घर से कचरा निकाल” यह गाना सिर्फ एक धुन नहीं, बल्कि भारत की रोज़मर्रा की ज़िंदगी की पहचान बन चुका है। गली-गली, शहर-शहर गूंजने वाली इस आवाज़ को हर उम्र के लोगों ने सुना है। सोशल मीडिया पर अब इस गाने से जुड़े गायक का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग हैरान भी हैं और खुश भी। #ViralVideo #TrendingReels #IndianSongs #DailyLife #ReelIndia #GadiWala #InternetBreaks #ExplorePage1