*मो. याकूब अंसारी जिला अध्यक्ष सुन्नी सोशल फोरम व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच* 👉👉 महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा नये बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करके उसकी लागत उपभोक्ताओं से किस्तों में वसूलने की बात किस आधार पर की जा रही है अभी मीटर का मूल्य ही आयोग ने नही तय किया है जब मूल्य नहीं तो उसमें किस्तों की बात कैसे? झटपट पोर्टल के माध्यम से नए बिजली कनेक्शन पर जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर इंडियन स्टैंडर्ड 16444 लगाए जा रहे हैं वह आरडीएसएस में फ्री में मीटर बदलने के लिए खरीदे गए हैं इसकी दर आयोग ने नहीं तय की है पहले दर होगी तब उसमें किस्तों की बात होगी। पावर कारपोरेशन को देश के राष्ट्रीय कानून विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5 )का सम्मान करते हुए सभी विद्युत उपभोक्ताओं को पोस्टपेड व प्रीपेड मीटर का विकल्प देना चाहिए अन्यथा आने वाले समय में पावर कॉरपोरेशन फिर एक बार विधिक विवादों में फंसेगा वर्ष 2019 में जब कास्ट डाटा बुक बनाई गई थी, तब केवल आईएस 15884 (नॉन-प्रीपेड स्मार्ट मीटर) की दर तय की गई थी। वर्तमान में आईएस 16444 (प्रीपेड स्मार्ट मीटर) के लिए कोई दर निर्धारित नहीं है। इसके बावजूद बिजली कंपनियां नए कनेक्शन पर इन मीटरों को जबरन लगाकर राशि वसूल रही हैं, जो कि पूर्णतः अवैध है। प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य श्री अवधेश कुमार वर्मा ने आज एक गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों द्वारा नए बिजली कनेक्शन पर बिना किसी वैधानिक स्वीकृति के इंडियन स्टैंडर्ड (आईएस) 16444 के स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य रूप से लगाए जा रहे हैं, और इसके एवज में रु. 6016 की अवैध वसूली की जा रही है, जो कि विद्युत नियामक आयोग के आदेशों का खुला उल्लंघन है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा कल सुनाए गए अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इंडियन स्टैंडर्ड 1644 की दर आयोग ने नहीं तय की है जिस मीटर की दर ही नहीं तय हुई उसे पर किस्तों में भुगतान की सुविधा की बात कहां से आ गई। अभी तो पावर कॉरपोरेशन पहले विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत जो उसके ऊपर अवमानना की कार्यवाही आयोग ने शुरू की है उसे फसना आता है क्योंकि उसके द्वारा मनमानी की गई है अभी भी समय है मनमानी से बाज आ जाए। श्री वर्मा ने बताया कि यह राशि न तो उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित है और न ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत का कोई निर्धारण किया गया है। जबकि पावर कॉरपोरेशन अब इसे किस्तों में वसूलने की बात कर रहा है, लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि जिस मीटर की कीमत ही नियामक द्वारा तय नहीं की गई है, उसकी किस्त कैसे वसूली जा सकती है? यह उपभोक्ताओं को गुमराह करने का प्रयास है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2019 में जब कास्ट डाटा बुक बनाई गई थी, तब केवल आईएस 15884 (नॉन-प्रीपेड स्मार्ट मीटर) की दर तय की गई थी। वर्तमान में आईएस 16444 (प्रीपेड स्मार्ट मीटर) के लिए कोई दर निर्धारित नहीं है। इसके बावजूद बिजली कंपनियां नए कनेक्शन पर इन मीटरों को जबरन लगाकर राशि वसूल रही हैं, जो कि पूर्णतः अवैध है। वर्तमान में केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत पावर कॉरपोरेशन द्वारा जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदे गए हैं, उनकी लागत का भुगतान केंद्र सरकार कर रही है, और उन्हें उपभोक्ताओं को निःशुल्क उपलब्ध कराना अनिवार्य है और वह फ्री में जिन उपभोक्ताओं के घरों में पहले से पोस्टपेड मी स्थापित है उसे बदलने के लिए खरीदे गए हैं। फिर भी नए कनेक्शन पर वही मीटर लगाकर पैसे लेना उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी है। श्री वर्मा ने उदाहरण देते हुए बताया कि आज महाराष्ट्र में एक स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत केवल ₹2610 है, वहां पर कनेक्शन लिए जाने की भीम के लिए इस दर को घोषित करते हुए उसमें इंडियन स्टैंडर्ड 16444 निर्धारित किया गया है जबकि उत्तर प्रदेश में आरडीएसएस स्कीम के तहत निजी कंपनियों द्वारा लिए गए टेंडर के अनुसार मी कंपनियों को जो इंटरनल आर्डर दिए गए हैं वह आर्डर पावर कॉरपोरेशन मंगा कर देख ले उसमें सिंगल फेज मीटर की वास्तविक लागत ₹2200 से ₹2300 के बीच है। इसके बावजूद उपभोक्ताओं से ₹6016 वसूलना पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने पावर कॉरपोरेशन को चेताते हुए कहा कि: यदि वास्तव में स्मार्ट प्रीपेड मीटर नए कनेक्शन पर अनिवार्य करना है, तो सबसे पहले विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन कराया जाए और नई दरों के लिए एक टेंडर निकलना अनिवार्य है जिससे दर हो सके कि क्या आ रही है विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के अनुसार, उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड का विकल्प देना अनिवार्य है। मौजूदा पोस्टपेड उपभोक्ताओं के मीटरों को बिना उनकी सहमति के गुपचुप तरीके से प्रीपेड में बदलना गैरकानूनी है। पावर कॉरपोरेशन राष्ट्रीय कानून और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के आदेशों के तहत कार्य करे। श्री वर्मा ने अंत में कहा कि उपभोक्ताओं के साथ किसी भी प्रकार की चीटिंग या अवैध वसूली बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो उपभोक्ता परिषद को अपने तरीके से संवैधानिक लड़ाई लड़ने के लिए बाध
*मो. याकूब अंसारी जिला अध्यक्ष सुन्नी सोशल फोरम व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच* 👉👉 महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा नये बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करके उसकी लागत उपभोक्ताओं से किस्तों में वसूलने की बात किस आधार पर की जा रही है अभी मीटर का मूल्य ही आयोग ने नही तय किया है जब मूल्य नहीं तो उसमें किस्तों की बात कैसे? झटपट पोर्टल के माध्यम से नए बिजली कनेक्शन पर जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर इंडियन स्टैंडर्ड 16444 लगाए जा रहे हैं वह आरडीएसएस में फ्री में मीटर बदलने के लिए खरीदे गए हैं इसकी दर आयोग ने नहीं तय की है पहले दर होगी तब उसमें किस्तों की बात होगी। पावर कारपोरेशन को देश के राष्ट्रीय कानून विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5 )का सम्मान करते हुए सभी विद्युत उपभोक्ताओं को पोस्टपेड व प्रीपेड मीटर का विकल्प देना चाहिए अन्यथा आने वाले समय में पावर कॉरपोरेशन फिर एक बार विधिक विवादों में फंसेगा वर्ष 2019 में जब कास्ट डाटा बुक बनाई गई थी, तब केवल आईएस 15884 (नॉन-प्रीपेड स्मार्ट मीटर) की दर तय की गई थी। वर्तमान में आईएस 16444 (प्रीपेड स्मार्ट मीटर) के लिए कोई दर निर्धारित नहीं है। इसके बावजूद बिजली कंपनियां नए कनेक्शन पर इन मीटरों को जबरन लगाकर राशि वसूल रही हैं, जो कि पूर्णतः अवैध है। प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य श्री अवधेश कुमार वर्मा ने आज एक गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों द्वारा नए बिजली कनेक्शन पर बिना किसी वैधानिक स्वीकृति के इंडियन स्टैंडर्ड (आईएस) 16444 के स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य रूप से लगाए जा रहे हैं, और इसके एवज में रु. 6016 की अवैध वसूली की जा रही है, जो कि विद्युत नियामक आयोग के आदेशों का खुला उल्लंघन है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा कल सुनाए गए अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इंडियन स्टैंडर्ड 1644 की दर आयोग ने नहीं तय की है जिस मीटर की दर ही नहीं तय हुई उसे पर किस्तों में भुगतान की सुविधा की बात कहां से आ गई। अभी तो पावर कॉरपोरेशन पहले विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत जो उसके ऊपर अवमानना की कार्यवाही आयोग ने शुरू की है उसे फसना आता है क्योंकि उसके द्वारा मनमानी की गई है अभी भी समय है मनमानी से बाज आ जाए। श्री वर्मा ने बताया कि यह राशि न तो उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित है और न ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत का कोई निर्धारण किया गया है। जबकि पावर कॉरपोरेशन अब इसे किस्तों में वसूलने की बात कर रहा है, लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि जिस मीटर की कीमत ही नियामक द्वारा तय नहीं की गई है, उसकी किस्त कैसे वसूली जा सकती है? यह उपभोक्ताओं को गुमराह करने का प्रयास है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2019 में जब कास्ट डाटा बुक बनाई गई थी, तब केवल आईएस 15884 (नॉन-प्रीपेड स्मार्ट मीटर) की दर तय की गई थी। वर्तमान में आईएस 16444 (प्रीपेड स्मार्ट मीटर) के लिए कोई दर निर्धारित नहीं है। इसके बावजूद बिजली कंपनियां नए कनेक्शन पर इन मीटरों को जबरन लगाकर राशि वसूल रही हैं, जो कि पूर्णतः अवैध है। वर्तमान में केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत पावर कॉरपोरेशन द्वारा जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदे गए हैं, उनकी लागत का भुगतान केंद्र सरकार कर रही है, और उन्हें उपभोक्ताओं को निःशुल्क उपलब्ध कराना अनिवार्य है और वह फ्री में जिन उपभोक्ताओं के घरों में पहले से पोस्टपेड मी स्थापित है उसे बदलने के लिए खरीदे गए हैं। फिर भी नए कनेक्शन पर वही मीटर लगाकर पैसे लेना उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी है। श्री वर्मा ने उदाहरण देते हुए बताया कि आज महाराष्ट्र में एक स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत केवल ₹2610 है, वहां पर कनेक्शन लिए जाने की भीम के लिए इस दर को घोषित करते हुए उसमें इंडियन स्टैंडर्ड 16444 निर्धारित किया गया है जबकि उत्तर प्रदेश में आरडीएसएस स्कीम के तहत निजी कंपनियों द्वारा लिए गए टेंडर के अनुसार मी कंपनियों को जो इंटरनल आर्डर दिए गए हैं वह आर्डर पावर कॉरपोरेशन मंगा कर देख ले उसमें सिंगल फेज मीटर की वास्तविक लागत ₹2200 से ₹2300 के बीच है। इसके बावजूद उपभोक्ताओं से ₹6016 वसूलना पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने पावर कॉरपोरेशन को चेताते हुए कहा कि: यदि वास्तव में स्मार्ट प्रीपेड मीटर नए कनेक्शन पर अनिवार्य करना है, तो सबसे पहले विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन कराया जाए और नई दरों के लिए एक टेंडर निकलना अनिवार्य है जिससे दर हो सके कि क्या आ रही है विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के अनुसार, उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड का विकल्प देना अनिवार्य है। मौजूदा पोस्टपेड उपभोक्ताओं के मीटरों को बिना उनकी सहमति के गुपचुप तरीके से प्रीपेड में बदलना गैरकानूनी है। पावर कॉरपोरेशन राष्ट्रीय कानून और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के आदेशों के तहत कार्य करे। श्री वर्मा ने अंत में कहा कि उपभोक्ताओं के साथ किसी भी प्रकार की चीटिंग या अवैध वसूली बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो उपभोक्ता परिषद को अपने तरीके से संवैधानिक लड़ाई लड़ने के लिए बाध
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- उत्तर प्रदेश के हापुड़ पिलखुवा में... बाबरी मस्जिद गिराए जाने का जश्न मनाने के लिए AHP-राष्ट्रीय बजरंग दल द्वारा आयोजित शौर्य दिवस कार्यक्रम में... प्रांतीय सचिव गौरव राघव ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को निशाना बनाते हुए आरोप लगाया कि मूल मंदिर को नष्ट करने के बाद इसे "कृष्ण के जन्मस्थान" पर बनाया गया था। प्रतिभागियों ने यह भी नारे लगाए, "अयोध्या, मथुरा, विश्वनाथ - हम तीनों को एक साथ लेंगे," और "अयोध्या हमारी है; अब मथुरा और काशी की बारी है।"1
- 8384064306 Full Video Link https://youtu.be/W3gVyyzWktc?si=mBL9DA819kdYOGgm1
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