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- किसानों के धान बेचने की समस्या को लेकर सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो ने फोन के माध्यम से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी से फोन पर की चर्चा , समस्याओं के विषय में जानकारी देते हुए त्वरित निदान सुनिश्चित करने हेतु किया आग्रह,, सीतापुर विधानसभा क्षेत्र के धान खरीदी केंद्रों में किसानों को धान बेचने में हो रही समस्याओं को लेकर सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो जी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी से फोन के माध्यम से बात कर पूरी वस्तु स्थिति की जानकारी दी है, और किसानों के समस्याओं को तत्काल दूर करने के लिए आग्रह किया है, पूरे प्रदेश में किसानों के रकबा संबंधी समस्या चल रही है जिससे किसानों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है हज़ारों किसानों का रकबा नहीं बताने की वजह से किसानों को धान बेचने में दिक्कत हो रही है, सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में भी इसको लेकर बहुत ज्यादा शिकायतें मिल रही है, सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में रकबा संबंधी समस्या के कारण लगभग 2300 से 2400 किसान अपनी पैदावार नहीं बेंच पा रहे हैं,,जिसको तत्काल संज्ञान में लेते हुए सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो ने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी से फोन के माध्यम से बात कर जानकारी दी और इसका तत्काल निराकरण करने के लिए निवेदन किया,, जिसपर मुख्यमंत्री जी ने विधायक जी को आश्वस्त किया है कि इस समस्या का निराकरण जल्दी हो जाएगा,, और प्रदेश का हर किसान अपनी पैदावार,धान खरीदी केंद्रों में बेच सकेगा,, साथ ही किसानों को चिंतित नहीं होने के लिए आस्वस्त किया है,, किसानों के धान को सरकार शतप्रतिशत खरीदी करेगी,,1
- 📰 ग्राम पंचायत सकालो का उप-स्वास्थ्य केंद्र: इमारत है, पर रास्ता ही नहीं सकालो (ग्रामीण रिपोर्ट) ग्राम पंचायत सकालो में बना उप-स्वास्थ्य केंद्र आज प्रशासनिक लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। वर्षों पहले उप-स्वास्थ्य केंद्र की इमारत तो बना दी गई, लेकिन आज तक वहां आने-जाने के लिए कोई रास्ता ही नहीं बनाया गया। पक्की सड़क तो दूर की बात है, कच्चा रास्ता तक मौजूद नहीं है। स्थिति इतनी गंभीर है कि मरीजों को खेतों के अंदर से, फसलें रौंदते हुए और कीचड़ भरे रास्तों से उठाकर उप-स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाना पड़ता है। कई बार गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और गंभीर मरीज रास्ता न होने की वजह से केंद्र तक पहुंच ही नहीं पाते, जिससे उनकी जान पर बन आती है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उप-स्वास्थ्य केंद्र बने कई वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन आज तक न तो रास्ता निकाला गया, न परिसर की सफाई हुई और न ही बाउंड्री वॉल का निर्माण कराया गया। चारों ओर झाड़ियाँ और जंगल उग आए हैं, जिससे सांप-बिच्छू और जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों ने कई बार पंचायत, जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला, समाधान नहीं। नतीजा यह है कि जिस केंद्र का उद्देश्य ग्रामीणों को नजदीक इलाज देना था, वही केंद्र आज लोगों के लिए बेकार और उपेक्षित पड़ा है। ग्रामीणों की साफ मांग है कि ➡️ सबसे पहले उप-स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए कम से कम आने-जाने का रास्ता तत्काल निकाला जाए, ➡️ परिसर की सफाई कराई जाए, ➡️ और सुरक्षा के लिए बाउंड्री वॉल का निर्माण हो। अब सवाल उठता है कि ❓ बिना रास्ते के बना स्वास्थ्य केंद्र किसके लिए है? ❓ क्या सिर्फ इमारत बना देना ही सरकारी योजना की सफलता मानी जाएगी?1
- रंका में कंपकंपाती ठंड से जनजीवन बेहाल, अलाव व्यवस्था को लेकर प्रशासन पर गंभीर सवाल1
- पत्रकारिता करते करते आज छत्तीसगढ़ के पेंड्रा पहुंच गया, फुर्सत के पल में नई रेलवे लाइन को जांचने पहुंचा,1
- लगातार लोगों को उमरह करा रहा, MEEM Tour and Travels:- 9939393786/ 9279616243/ 9508856365/ 93862200531
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- Post by Bajrangi Kumar1
- *रांची रेलवे स्टेशन पर मिला तीन माह का नवजात — आरपीएफ ने दिखाई मानवता, बचाई मासूम की जान* राजधानी रांची रेलवे स्टेशन पर मानवीय संवेदनशीलता का एक प्रेरणादायक उदाहरण देखने को मिला। शनिवार देर रात रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने कड़ाके की ठंड में एक तीन माह के नवजात शिशु को सुरक्षित बरामद किया। बच्चे को किसी ने स्टेशन परिसर में ओवरब्रिज के नीचे लावारिस हालत में छोड़ दिया था। आरपीएफ की सतर्कता और समय पर की गई कार्रवाई से उस मासूम की जान बच गई। आरपीएफ कमांडेंट पवन कुमार ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर लगातार सुरक्षा और निगरानी बढ़ाई गई है। इसी दौरान एएसआई अरुण कुमार और महिला कांस्टेबल राखी कुमारी प्लेटफॉर्म संख्या 01 पर गश्त कर रहे थे, जब उन्होंने एक बच्चे के रोने की आवाज सुनी। जांच करने पर ओवरब्रिज के नीचे एक तीन माह का बालक ठंड में लिपटा हुआ मिला। तुरंत महिला पुलिसकर्मी राखी कुमारी ने शिशु को गोद में उठाया और उसे जीआरपी पोस्ट लाया गया, जहां प्राथमिक जांच और सुरक्षा के सभी इंतज़ाम किए गए। शिशु की पहचान नहीं हो सकी आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त टीम ने यात्रियों और आसपास के लोगों से पूछताछ की, लेकिन शिशु के परिजनों का कोई1