सांसारिक, मानवतावादी व आध्यात्मिक विश्व की सबसे बड़ी खबर। इतनी बडी खबर दिखाने की हिम्मत किसी भी मीडियाकर्मी में नहीं है क्योंकि मीडियाकर्मी ईश्वर और भगवानों के भी ईश्वर और भगवान बने हुए हैं जों आदिकालो में जाति के नाम पर धन बल से बनें थें और आजतक बने हुए हैं। हिंदू धर्म के लोग जाति के नाम पर अपने हिंदू भाइयों के नही है भगवानों के नही है तो किसी दूसरे धर्म कों क्या समझेंगे, इसका आंखो देखा सबूत प्राचीन जातिविहीन, वर्णविहीन, व अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी सतयुग की स्थापना का श्री गणेश किया हुआ विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन भगवान गणेश तीर्थराज स्थल जयपुर में आमेर रोड पर स्थित है इसको हिंदू धर्म के ठेकेदारों ने राजा जयसिंह के निधन पश्चात इसलिए ठोकर मार दिया था ताकि जाति के नाम पर चारों वर्ण चलते रहे और जाति के नाम पर भगवानो के भगवान बनकर सर्वक्षेष्ठ बनें रहें। अब इस सतयुगी गणेश तीर्थराज का इतिहास सन 2010 में भगवानों के आदेशों से वापस सामने आया तो यह तो सार्वजनिक महा सुखों के चमत्कार दिखाता रहा और कलयुगी हिंदू और लोकतंत्र के चारों स्तंभ हिंदू, मुस्लिम और दलित व ब्राह्मण कर रहे हैं जबकि इन सभी जाति और धर्मों के भेदभावों का अंत तों ईश्वर और भगवानों ने सन् 1734 में ही जयपुर के सद्भावी महाराजा सवाई जयसिंह से करवा दिया था जिनमें तमाम वेद, शास्त्र, गीता, रामायण व मनुस्मृति भी शामिल हैं इन सबको अश्वमेघ यज्ञ में स्वाहा करवाकर भष्म करवा दिया गया था तों भगवानों ने पूछा है कि अबतक ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र क्यों और कैसे चल रहा है कौन है इसका जिम्मेदार। इसका जिम्मेदार जातिवादी नकली हिंदू और लोकतंत्र के चारों स्तंभ है जों भगवानों को कुछ नहीं समझते है और जाति के नाम पर भगवानो के भगवान बने हुए हैं ऐसा ईश्वर और भगवानों ने तब किया जब हिंदू धर्म के ठेकेदार भगवानो के विरुद्ध जाति और वर्ण बनाकर तमाम अवतारों से भी नहीं सुधरे थे तब इस सतयुगी गणेश तीर्थराज से सतयुग का निर्माण हुआ था जों सतयुगो बाद पहली समान इंसान धर्म की स्थापना हुई थी अंग्रेजों के बाद जातिवादी हिंदुओं का राज आया तो सतयुगी जयपुर पर आक्रमण करते करते गत तीस वर्षों में मुख्य सतयुगी गणेश तीर्थराज स्थल पर भी आक्रमण कर दिया और इसके बाग बगीचों, यज्ञशाला, धर्मशालाओं व तीर्थयात्री स्नान सरोवर सहित सबकों छीन लिया, और सरकारे अब इसकी जमीनो कों वापस नहीं दे रही है और नाही अतिक्रमणो कों हटवा रही है जिसके कारण दुनिया पर खतरा मंडरा रहा है। जबकि भगवानों के आदेशोंनुसार इस सतयुगी गणेश तीर्थराज का आदेश मानना अत्यंत महत्वपूर्ण है लेकिन हिंदू इस सर्व प्रथम पुज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी का आदेश नहीं मानते हैं और खुद ही भगवानों के भगवान बने हुए हैं और भगवानो की किस्मत लिख रहे हैं और लिखते हुए आएं हैं जिसके कारण ईश्वर और भगवान सुख की बजाय दुख देते हुए आएं हैं और दे रहे हैं जबकि इस सतयुगी गणेश जी के दर्शनों से सतयुग में प्रवेश करने वालों के ही सतयुगो बाद पहली बार सब देवी देवता हैं और उनको ही मोक्ष मुक्ति व सुख शांति मिलेगी। इसको जातिवादी हिंदुओं और लोकतंत्र के चारों स्तंभों से आजाद कराओ दावा है दुनिया मे सुख ही सुख, शांति ही शांति हो जाएगी, वरना कोरोना तो ट्रेलर है पिक्चर देखने के लिए बचोगे नहीं। लिखने को तो बहुत है यह सत्य सच्चाई है यह रहस्यमयी प्रभातपुरी खोला का इतिहास है यह तीन किलोमीटर पहाड़ों से बने शेषनाग फन में है। इसके चमत्कारो और इतिहास को लिखने में तो पुस्तक बन जाएगी।
सांसारिक, मानवतावादी व आध्यात्मिक विश्व की सबसे बड़ी खबर। इतनी बडी खबर दिखाने की हिम्मत किसी भी मीडियाकर्मी में नहीं है क्योंकि मीडियाकर्मी ईश्वर और भगवानों के भी ईश्वर और भगवान बने हुए हैं जों आदिकालो में जाति के नाम पर धन बल से बनें थें और आजतक बने हुए हैं। हिंदू धर्म के लोग जाति के नाम पर अपने हिंदू भाइयों के नही है भगवानों के नही है तो किसी दूसरे धर्म कों क्या समझेंगे, इसका आंखो देखा सबूत प्राचीन जातिविहीन, वर्णविहीन, व अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी सतयुग की स्थापना का श्री गणेश किया हुआ विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन भगवान गणेश तीर्थराज स्थल जयपुर में आमेर रोड पर स्थित है इसको हिंदू धर्म के ठेकेदारों ने राजा जयसिंह के निधन पश्चात इसलिए ठोकर मार दिया था ताकि जाति के नाम पर चारों वर्ण चलते रहे और जाति के नाम पर भगवानो के भगवान बनकर सर्वक्षेष्ठ बनें रहें। अब इस सतयुगी गणेश तीर्थराज का इतिहास सन 2010 में भगवानों के आदेशों से वापस सामने आया तो यह तो सार्वजनिक महा सुखों के चमत्कार दिखाता रहा और कलयुगी हिंदू और लोकतंत्र के चारों स्तंभ हिंदू, मुस्लिम और दलित व ब्राह्मण कर रहे हैं जबकि इन सभी जाति और धर्मों के भेदभावों का अंत तों ईश्वर और भगवानों ने सन् 1734 में ही जयपुर के सद्भावी महाराजा सवाई जयसिंह से करवा दिया था जिनमें तमाम वेद, शास्त्र, गीता, रामायण व मनुस्मृति भी शामिल हैं इन सबको अश्वमेघ यज्ञ में स्वाहा करवाकर भष्म करवा दिया गया था तों भगवानों ने पूछा है कि अबतक ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र क्यों और कैसे चल रहा है कौन है इसका जिम्मेदार। इसका जिम्मेदार जातिवादी नकली हिंदू और लोकतंत्र के चारों स्तंभ है जों भगवानों को कुछ नहीं समझते है और जाति के नाम पर भगवानो के भगवान बने हुए हैं ऐसा ईश्वर और भगवानों ने तब किया जब हिंदू धर्म के ठेकेदार भगवानो के विरुद्ध जाति और वर्ण बनाकर तमाम अवतारों से भी नहीं सुधरे थे तब इस सतयुगी गणेश तीर्थराज से सतयुग का निर्माण हुआ था जों सतयुगो बाद पहली समान इंसान धर्म की स्थापना हुई थी अंग्रेजों के बाद जातिवादी हिंदुओं का राज आया तो सतयुगी जयपुर पर आक्रमण करते करते गत तीस वर्षों में मुख्य सतयुगी गणेश तीर्थराज स्थल पर भी आक्रमण कर दिया और इसके बाग बगीचों, यज्ञशाला, धर्मशालाओं व तीर्थयात्री स्नान सरोवर सहित सबकों छीन लिया, और सरकारे अब इसकी जमीनो कों वापस नहीं दे रही है और नाही अतिक्रमणो कों हटवा रही है जिसके कारण दुनिया पर खतरा मंडरा रहा है। जबकि भगवानों के आदेशोंनुसार इस सतयुगी गणेश तीर्थराज का आदेश मानना अत्यंत महत्वपूर्ण है लेकिन हिंदू इस सर्व प्रथम पुज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी का आदेश नहीं मानते हैं और खुद ही भगवानों के भगवान बने हुए हैं और भगवानो की किस्मत लिख रहे हैं और लिखते हुए आएं हैं जिसके कारण ईश्वर और भगवान सुख की बजाय दुख देते हुए आएं हैं और दे रहे हैं जबकि इस सतयुगी गणेश जी के दर्शनों से सतयुग में प्रवेश करने वालों के ही सतयुगो बाद पहली बार सब देवी देवता हैं और उनको ही मोक्ष मुक्ति व सुख शांति मिलेगी। इसको जातिवादी हिंदुओं और लोकतंत्र के चारों स्तंभों से आजाद कराओ दावा है दुनिया मे सुख ही सुख, शांति ही शांति हो जाएगी, वरना कोरोना तो ट्रेलर है पिक्चर देखने के लिए बचोगे नहीं। लिखने को तो बहुत है यह सत्य सच्चाई है यह रहस्यमयी प्रभातपुरी खोला का इतिहास है यह तीन किलोमीटर पहाड़ों से बने शेषनाग फन में है। इसके चमत्कारो और इतिहास को लिखने में तो पुस्तक बन जाएगी।
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- प्राचीन जातिविहीन, वर्णविहीन व अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी सतयुग की स्थापना का श्री गणेश किया हुआ विश्व का सबसे बड़ा भगवान गणपति तीर्थराज स्थल जयपुर का संदेश - जाति से मनुष्य पवित्र नदी होता है बल्कि पानी से पवित्र होता है जों लोग जाति से पवित्र समझते हैं वो पानी का अपमान करते हैं जीवन का अपमान करते हैं क्योंकि जल ही जीवन है यह ईश्वर और भगवानों का रिजल्ट सन 1734 में आया था और जयपुर के सद्भावी महाराजा सवाई जयसिंह से भगवानों के धर्म वसुधैव कुटुंबकम् धर्म का निर्माण करवाया था जिसका इतिहास सन 2010 मे भगवानों के आदेशों से फिर वापस सामने आया तो बीजेपी और कांग्रेस सहित मीडिया, कोर्ट व प्रशासन इस सतयुगी स्वर्ग के दुश्मन बन गये। उन सभी मीडिया पत्रकारो का ढोंग सामने आ गया जों सच्ची खबरें दिखाने का दावा करते हैं सबके सब झूठे हैं इस सतयुगी खबर को जनता में नहीं दिखाते हैं पूरा भारत देश ही भ्रष्ट है किसी के भी जबड़े से इस सतयुगी गणेश तीर्थराज का नाम तक नहीं निकलता है क्योंकि भारत के लोग अपने आपको ईश्वर का भी ईश्वर और भगवानों के भी भगवान मानते हैं जिसके कारण ईश्वर और भगवान देश दुनिया को कोरोना जैसी महामारियां और अनेक प्रकार के महा दुखो की सजाए दें रहे हैं। लिखने को तो बहुत है यह सत्य सच्चाई है यह रहस्यमयी प्रभातपुरी खोला का इतिहास है यह तीन किलोमीटर पहाड़ों के शेषनागफन में है इसको आजाद कराओ दावा है दुनिया मे सुख ही सुख हो जाएगा।1
- Post by Mahendra Garhwal1
- Post by Karan Singh1
- जयपुर के आराध्य देव भगवान ठाकुर श्री गोविन्ददेवजी मन्दिर मंगला आरती दर्शन 💐🎉🦚❤️🙏 • दिनांक: 21/04/2025 • • • •1
- 💪Meena ji✌️1
- Post by Vishnukumar1
- जयपुर गुलाबी नगरी मे 14 नंबर पुलिया पर सड़क पर गंदा पानी जमा होने से बीमारी फैलने की आंशका , सड़कों पर गंदा पानी भरने और गंदगी की समस्या होती है. इसके कई कारण हैं, जैसे: अपर्याप्त जल निकासी प्रणाली, नालों का अतिक्रमण, नालों की सफ़ाई न होना, अवैध निर्माण. सड़कों पर नालों का गंदा पानी भरा,इस वजह से लोगों को गंदे पानी में से निकलना पड़ा था. इस समस्या से निपटने के लिए, नगर परिषद के अफ़सरों ने कहा था कि: जिन वार्डों में सफ़ाई न होने की शिकायत मिली है, वहां जल्द ही सफ़ाई व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी. सड़कों पर फैली गंदगी को साफ़ करवाया जाएगा. अगर कोई सफ़ाई कर्मचारी काम में लापरवाही कर रहा है, तो उसे तुरंत बदला जाएगा.1