मुरैना ज़िले के नावली बड़ागांव निवासी आशीष तोमर पर हुए जानलेवा हमले के मामले में मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविंद्र सिंह तोमर सामने आए। उन्होंने गंभीर लापरवाही मानते हुए कहा कि अभी तक दीमनी थाना, जिला मुरैना द्वारा इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।श्री तोमर ने चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज नहीं होती है, तो आयोग इस संबंध में कड़ी कार्रवाई करेगा और दोषी अधिकारियों पर भी सख्त कार्यवाही की जाएगी।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी जनप्रतिनिधि या राजनेता द्वारा जातिगत राजनीति के आधार पर मामले में हस्तक्षेप कर पुलिस प्रशासन को एफआईआर दर्ज करने से रोका जा रहा है, तो यह भी कानून व संविधान के खिलाफ है। ऐसे व्यक्तियों को आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि जनता आने वाले चुनावों में ऐसे नेताओं को घर बैठाने में देर नहीं करेगी।
मुरैना ज़िले के नावली बड़ागांव निवासी आशीष तोमर पर हुए जानलेवा हमले के मामले में मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविंद्र सिंह तोमर सामने आए। उन्होंने गंभीर लापरवाही मानते हुए कहा कि अभी तक दीमनी थाना, जिला मुरैना द्वारा इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।श्री तोमर ने चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज नहीं होती है, तो आयोग इस संबंध में कड़ी कार्रवाई करेगा और दोषी अधिकारियों पर भी सख्त कार्यवाही की जाएगी।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी जनप्रतिनिधि या राजनेता द्वारा जातिगत राजनीति के आधार पर मामले में हस्तक्षेप कर पुलिस प्रशासन को एफआईआर दर्ज करने से रोका जा रहा है, तो यह भी कानून व संविधान के खिलाफ है। ऐसे व्यक्तियों को आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि जनता आने वाले चुनावों में ऐसे नेताओं को घर बैठाने में देर नहीं करेगी।
- कई वर्षों से अचलनाथ मानव सेवा संस्थान के संस्थापक अरविंद चौहान जी के द्वारा ग्वालियर चंबल संभाग में गरीबों की कर रहे निस्वार्थ सेवा...........👀🌹 ग्वालियर महाराज बाड़ा पर ठंड से राहत पहुंचाने के उद्देश्य से रोड पर सोए हुए ग़रीब जरूरतमंद लोगों को कंबल वितरण ....। अचलनाथ मानव सेवा संस्थान के द्वारा संस्थापक:- अरविंद चौहान ।1
- ग्वालियर में शासकीय ज़मीन पर अतिक्रमण, दबंगों का आतंक—गरीब परिवार को घर छोड़ने पर किया मजबूर ग्वालियर शहर में शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ दबंगों के आतंक से त्रस्त एक गरीब परिवार को मजबूरन अपना घर छोड़ना पड़ा। पीड़ित परिवार ने हमारे संवाददाता से बातचीत में अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि दबंगों की धमकियों और दबाव के कारण उनका सामान्य जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। पीड़ित का कहना है कि उन्होंने न्याय की आस में हर संभव दरवाज़ा खटखटाया—एसपी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, स्थानीय पुलिस थाना और नगर निगम तक लिखित आवेदन दिए। अधिकारियों के सामने गुहार लगाई, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद कहीं से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दबंगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलेआम शासकीय ज़मीन पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं और विरोध करने पर परिवार को डराया-धमकाया जा रहा है। न्याय न मिलने से निराश होकर आज पीड़ित परिवार मीडिया के सामने आया और अपनी आपबीती सुनाई। परिवार का आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता ने दबंगों को और ताकत दी है, जिसके चलते उन्हें अपने ही घर से बेदखल होना पड़ा। अब सवाल यह है कि जब एक गरीब परिवार सभी संवैधानिक और प्रशासनिक रास्ते अपनाने के बाद भी न्याय से वंचित रह जाए, तो भरोसा किस पर करे? क्या शासकीय ज़मीन पर हो रहे अतिक्रमण पर प्रशासन सख़्त कदम उठाएगा, या दबंगों का आतंक यूँ ही चलता रहेगा? प्रशासन से मांग: शासकीय भूमि से अवैध अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए। पीड़ित परिवार को सुरक्षा और पुनर्वास दिया जाए। मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख़्त कार्रवाई हो। मीडिया के माध्यम से उठी इस आवाज़ के बाद अब सबकी निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या पीड़ित परिवार को मिलेगा न्याय—या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?1
- दतिया जिला कलेक्टर नेताओं के लिए नहीं सिर्फ जनता के लिए पुरी ईमानदारी और लगन से कार्य करते हैं जिसकी सराहना पूरे प्रदेश भर में हो रही है और वह अपने कार्य को लेकर दतिया जिले की जनता के दिलों पर राज कर रहे हैं तो वहीं पर उनके जूनियर अधिकारी और कर्मचारी अपनी पुरानी कार्य शैली एवं नेताओं की जी हुजूरी और चमचागिरी को को छोड़कर दतिया कलेक्टर के कंधे से कंधा मिलाकर जनता जनार्दन की समस्याओं का समाधान करें तो पूरे दतिया जिले में जो कद दतिया कलेक्टर महोदय का बड़ा है ठीक उसी प्रकार पूरे दतिया जिला प्रशासन का दतिया की जनता जनार्दन के दिलों पर राज होगा लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि दतिया जिले के अधिकारी और कर्मचारियों को बहुत पुराने टाइम से सत्ताधारी नेताओं के इसारे पर काम करने की आदत पड़ चुकी है मैं इतना मजबूर हूं शासन प्रशासन के कारनामों को देख सुनकर कि मैं चाहते हुए भी अपनी कलम से शासन प्रशासन बैठे हुए लोगों की सरहाना नहीं लिख सकता हूं अभी हाल ही की नगर इंदरगढ़ में अतिक्रमण मुक्त करवाई हमेशा की तरह एक बार फिर देखने को मिली जिस कार्रवाई में वही किया गया जो हमेशा हर साल किया जाता रहा है जिसमें दुकानदारों के टीन सेट जीने एवं चऊतरे गुमटीया एवं हाठ ठेला कुछ राजनीति से दूर रहने वाले कमजोर लोगों की दुकानें बगैर नोटिस के तोड़कर सैकड़ो गरीब लोगों की रोजी-रोटी का नुकसान किया गया उसके बाद भी जाम में कोई परिवर्तन नहीं आया जब के इन चीजों को हटाने से जाम का दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है जाम लगने के जो कारण हैं वह इस प्रकार हैं बसों का बीच बाजार में सवारी भरना और उतारना फोर व्हीलर और टू व्हीलर गाड़ियां पार्किंग ना होने की वजह से रोड के दोनों किनारे खड़ी रहना विद्युत पोल रोड के बीचो-बीच न रहना रेत से भरे ओवर लोड ट्रैक्टर धड़ल्ले के साथ कई घटनाओं को अंजाम देते हुए हवा में दौड़ते नजर नज़र आते हैं लेकिन शासन प्रशासन में बैठे हुए जिम्मेदार मोन बने रहते हैं अतिक्रमण के नाम पर बगैर सूचे समझे भेदभाव के साथ सिर्फ खानापूर्ति करते हैं जिससे आम एवं छोटे दुकानदारों को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है नगर के लोगों का कहना है शासन प्रशासन एक बार में फीता डालकर जितनी जगह लेना है ले ले बार-बार इस तरीके से ना खुद परेशान हों ना हमें परेशान किया जाए कार्य ऐसे करो जिससे हम आपकी कार्य की तारीफ लिख सके झूठी तारीफ लिखना हमें नहीं आता दतिया जिला ब्यूरो रहमत खान1
- ये नोकरी में नही रहेगा नेताओं के आज्ञाकारी बनने पर कलेक्टर पटवारी की छुट्टी करदी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े 80 किमी दूर बसई पहुंचे। यहां सांदीपनी स्कूल में लोगों की समस्याऐं सुनी । इसमें बसई हल्का पटवारी सत्येंद्र शर्मा को फटकार लगाकर निलंबित कर दिया। कलेक्टर ने एसडीएम से कहा- जो नेताओं के लिए काम करते हैं ऐसे आदमी नहीं चाहिए। इसे सस्पेंड करो और अच्छे आदमी को रखो। उन्होंने तहसीलदार से कहा- आप आज ही नाली सीधी बनवाओ अन्यथा आपको भी सस्पेंड करा दूंगा। दरअसल, बसई में लंबे समय से नाली निर्माण चल रहा है। कुछ लोगों के मकान रोड से सटकर बने हैं जिसके चलते उन मकानों को बचाने नाली को तिरछा कर दिया। 16 जुलाई 2025 को कलेक्टर बसई में पहुंचे थे तब भी यही शिकायत आई थी। तब कलेक्टर ने नाली को सीधा बनाने के निर्देश दिए थे। पुनः बसई पहुंचे और बसई निवासी श्रेया पुत्री दिनेश लखेरा ने आवेदन देकर बताया उसकी पड़ोसी गायत्री पुत्री पातीराम कुशवाहा एवं उसकी बहनों ने अपने घर की सीमा से आगे बढ़कर श्रेया के घर के सामने अवैध नाली निर्माण कर ऊपर दीवार खड़ी की जा रही है। जनसुनवाई में ज्यादातर लोगों ने पटवारी सत्येंद्र शर्मा पर सही काम न करने के आरोप लगाए। जिसके चलते कलेक्टर ने मौके पर ही पटवारी को सस्पेंड कर विभागीय जांच करने के भी निर्देश दिए। एसडीएम संतोष तिवारी ने पटवारी के निलंबन का आदेश जारी कर दिया।1
- राहगीर योजना के बारे में आमजन को जानकारी देते दतिया कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े.......1
- दतिया गुर्जर और यादव समाज ने एक साथ दिया ज्ञापन कोतवाली थाना का किया घेराव1
- सनातनियों से विशेष आग्रह है अपने बच्चों को जोकर नहीं बनाए बल्कि अपने संस्कार, सभ्यता एवं संस्कृति को बनाए रखना है।1
- ग्वालियर में शासकीय ज़मीन पर अतिक्रमण, दबंगों का आतंक—गरीब परिवार को घर छोड़ने पर किया मजबूर ग्वालियर शहर में शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ दबंगों के आतंक से त्रस्त एक गरीब परिवार को मजबूरन अपना घर छोड़ना पड़ा। पीड़ित परिवार ने हमारे संवाददाता से बातचीत में अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि दबंगों की धमकियों और दबाव के कारण उनका सामान्य जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। पीड़ित का कहना है कि उन्होंने न्याय की आस में हर संभव दरवाज़ा खटखटाया—एसपी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, स्थानीय पुलिस थाना और नगर निगम तक लिखित आवेदन दिए। अधिकारियों के सामने गुहार लगाई, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद कहीं से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दबंगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलेआम शासकीय ज़मीन पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं और विरोध करने पर परिवार को डराया-धमकाया जा रहा है। न्याय न मिलने से निराश होकर आज पीड़ित परिवार मीडिया के सामने आया और अपनी आपबीती सुनाई। परिवार का आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता ने दबंगों को और ताकत दी है, जिसके चलते उन्हें अपने ही घर से बेदखल होना पड़ा। अब सवाल यह है कि जब एक गरीब परिवार सभी संवैधानिक और प्रशासनिक रास्ते अपनाने के बाद भी न्याय से वंचित रह जाए, तो भरोसा किस पर करे? क्या शासकीय ज़मीन पर हो रहे अतिक्रमण पर प्रशासन सख़्त कदम उठाएगा, या दबंगों का आतंक यूँ ही चलता रहेगा? प्रशासन से मांग: शासकीय भूमि से अवैध अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए। पीड़ित परिवार को सुरक्षा और पुनर्वास दिया जाए। मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख़्त कार्रवाई हो। मीडिया के माध्यम से उठी इस आवाज़ के बाद अब सबकी निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या पीड़ित परिवार को मिलेगा न्याय—या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?1