परमाणु की चिंगारी और मौन विपक्ष: जब दुनिया सुलग रही है, भारतीय नेता व्यस्त हैं अपने एजेंडे में__________________________ राघवेंद्र त्रिपाठी 23 सितंबर 2025, वर्तमान समय में विश्व जिस मोड़ पर खड़ा है, वह एक गहरी चिंता का विषय होना चाहिए, लेकिन नहीं, भारत की राजनीति में व्यस्त नेताओं के लिए यह सब शायद "ब्रेकिंग न्यूज" नहीं, बल्कि "स्क्रॉल डाउन" सामग्री बन कर रह गया है। एक ओर पोलैंड और बेलारूस जैसे देश परमाणु शक्ति की होड़ में कूद पड़े हैं, तो दूसरी ओर पाकिस्तान किराए पर बम देने की योजना में व्यस्त है। लेकिन हमारे देश के नेता, देश में महंगाई हो, सीमाओं पर तनाव हो या विश्व युद्ध की आहट,हमारा विपक्ष सब कुछ विदेश जाकर सोचने में व्यस्त है। कोई लंदन की गलियों में लोकतंत्र की चिंता कर रहा है, तो कोई अमेरिका में संविधान की व्याख्या दे रहा है। शायद परमाणु बम का असर भारत से पहले इन नेताओं की रुचि पर हुआ है। सत्ता पक्ष की अगर बात करें तो विदेश नीति बेहद सक्रिय है मन की बात कार्यक्रम से देश के प्रधानमंत्री आम जनता को जानकारी भी देते रहते हैं। वर्तमान समय में सारे विश्व के नेताओं की निगाह भारत के प्रधानमंत्री पर लगी हुई है अमन और शांति के लिए भारत के प्रधानमंत्री के पहले ऐसे नेता हैं जो हर जगह है हर मंच पर शांति की मांग को पहले उठाते हैं और उसको अपने देश में लागू भी करते हैं आज आवश्यकता है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जैसे लोगों को नोबेल शांति पुरस्कार देने का पूरे विश्व के समस्त नेताओं के द्वारा लेकिन नोबेल पुरस्कार की दौड़ में आम समुदाय की हत्या करवाने वाले लोग शामिल हो चुके हैं ऐसे में पूरे विश्व को अपने विवेक का सहारा लेना पड़ेगा एवं राष्ट्रीय अध्यक्षों को दुरगामी दृष्टि अपनानी पड़ेगी तभी विश्व में शांति संभव है। जब पाकिस्तान जैसे देश पर बाढ़ बम किराए पर देने लगे तब भारत के राजनीतिक गलियारों में इनसे जुड़ी आवाज़ सुनाई ही नहीं देती, इसके बारे में विपक्ष की आवाज बिल्कुल बंद हो जाती है, क्या हमारे नेताओं को लगता है कि यह भारत से दूर की बात है? यह मान चुके हैं कि अवधेश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ सी और नरेंद्र मोदी की है, इस तरह की राजनीति को सिद्धांत वादी राजनीति नहीं कहा जा सकता। सबसे मजेदार बात यह है कि टीवी के हर चैनल पर धर्म जाति और चुनावी रणनीति पर बहसें चल रही है लेकिन एक भी चर्चा नहीं कि भारत के चारों ओर जो परमाणु बम के काले बादल मंडरा रहे हैं, ऐसे में भारत का भविष्य क्या होगा। आम जनता अब समझ चुकी है कि जो नेता शांति का राग गाते हैं असल में वह अपनी चुप्पी की शक्ति में विश्वास करते हैं। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले नेता अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर इनएक्टिव मोड में चले जाते हैं। जब समय कई देश विनाश की दिशा में दौड़ लगा रहे हैं, ऐसे समय में भारत के नेता विदेश में छुट्टी पर जाने या फिर बयान देने से परहेज नहीं कर रहे हैं वह भी देश के विरोध में, भारत को वैश्विक नेतृत्व और स्पष्ट गीत की परम आवश्यकता है जनता को भ्रमित करने वाले नारों की नहीं, सटीक कूटनीति और स्पष्ट दृष्टिकोण की दरकार है इस समय देश को। अब वह समय आ गया है कि भारत के सभी नेताओं को नेतागिरी की भूमिका से निकलकर राष्ट्रहित की भूमिका निभाने का अवसर है यह दिखाने का की राष्ट्रीय हित में आपकी भूमिका क्या है? वरना आने वाली वीडियो जल रहा था तो आप कहां थे जवाब आप खुद सोचें? भारत एक शांतिप्रिय देश है लेकिन एक सीमा तक।
परमाणु की चिंगारी और मौन विपक्ष: जब दुनिया सुलग रही है, भारतीय नेता व्यस्त हैं अपने एजेंडे में__________________________ राघवेंद्र त्रिपाठी 23 सितंबर 2025, वर्तमान समय में विश्व जिस मोड़ पर खड़ा है, वह एक गहरी चिंता का विषय होना चाहिए, लेकिन नहीं, भारत की राजनीति में व्यस्त नेताओं के लिए यह सब शायद "ब्रेकिंग न्यूज" नहीं, बल्कि "स्क्रॉल डाउन" सामग्री बन कर रह गया है। एक ओर पोलैंड और बेलारूस जैसे देश परमाणु शक्ति की होड़ में कूद पड़े हैं, तो दूसरी ओर पाकिस्तान किराए पर बम देने की योजना में व्यस्त है। लेकिन हमारे देश के नेता, देश में महंगाई हो, सीमाओं पर तनाव हो या विश्व युद्ध की आहट,हमारा विपक्ष सब कुछ विदेश जाकर सोचने में व्यस्त है। कोई लंदन की गलियों में लोकतंत्र की चिंता कर रहा है, तो कोई अमेरिका में संविधान की व्याख्या दे रहा है। शायद परमाणु बम का असर भारत से पहले इन नेताओं की रुचि पर हुआ है। सत्ता पक्ष की अगर बात करें तो विदेश नीति बेहद सक्रिय है मन की बात कार्यक्रम से देश के प्रधानमंत्री आम जनता को जानकारी भी देते रहते हैं। वर्तमान समय में सारे विश्व के नेताओं की निगाह भारत के प्रधानमंत्री पर लगी हुई है अमन और शांति के लिए भारत के प्रधानमंत्री के पहले ऐसे नेता हैं जो हर जगह है हर मंच पर शांति की मांग को पहले उठाते हैं और उसको अपने देश में लागू भी करते हैं आज आवश्यकता है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जैसे लोगों को नोबेल शांति पुरस्कार देने का पूरे विश्व के समस्त नेताओं के द्वारा लेकिन नोबेल पुरस्कार की दौड़ में आम समुदाय की हत्या करवाने वाले लोग शामिल हो चुके हैं ऐसे में पूरे विश्व को अपने विवेक का सहारा लेना पड़ेगा एवं राष्ट्रीय अध्यक्षों को दुरगामी दृष्टि अपनानी पड़ेगी तभी विश्व में शांति संभव है। जब पाकिस्तान जैसे देश पर बाढ़ बम किराए पर देने लगे तब भारत के राजनीतिक गलियारों में इनसे जुड़ी आवाज़ सुनाई ही नहीं देती, इसके बारे में विपक्ष की आवाज बिल्कुल बंद हो जाती है, क्या हमारे नेताओं को लगता है कि यह भारत से दूर की बात है? यह मान चुके हैं कि अवधेश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ सी और नरेंद्र मोदी की है, इस तरह की राजनीति को सिद्धांत वादी राजनीति नहीं कहा जा सकता। सबसे मजेदार बात यह है कि टीवी के हर चैनल पर धर्म जाति और चुनावी रणनीति पर बहसें चल रही है लेकिन एक भी चर्चा नहीं कि भारत के चारों ओर जो परमाणु बम के काले बादल मंडरा रहे हैं, ऐसे में भारत का भविष्य क्या होगा। आम जनता अब समझ चुकी है कि जो नेता शांति का राग गाते हैं असल में वह अपनी चुप्पी की शक्ति में विश्वास करते हैं। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले नेता अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर इनएक्टिव मोड में चले जाते हैं। जब समय कई देश विनाश की दिशा में दौड़ लगा रहे हैं, ऐसे समय में भारत के नेता विदेश में छुट्टी पर जाने या फिर बयान देने से परहेज नहीं कर रहे हैं वह भी देश के विरोध में, भारत को वैश्विक नेतृत्व और स्पष्ट गीत की परम आवश्यकता है जनता को भ्रमित करने वाले नारों की नहीं, सटीक कूटनीति और स्पष्ट दृष्टिकोण की दरकार है इस समय देश को। अब वह समय आ गया है कि भारत के सभी नेताओं को नेतागिरी की भूमिका से निकलकर राष्ट्रहित की भूमिका निभाने का अवसर है यह दिखाने का की राष्ट्रीय हित में आपकी भूमिका क्या है? वरना आने वाली वीडियो जल रहा था तो आप कहां थे जवाब आप खुद सोचें? भारत एक शांतिप्रिय देश है लेकिन एक सीमा तक।
- माई भारत' के तहत प्रधानमंत्री मुद्रा और आयुष्मान भारत योजना पर कार्यशाला आयोजित #ganeshchandrachauhan #जिलाधिकारी #संतकबीरनगर #explorepage #प्रधानमंत्री #आयुष्मान भारत #उदाहा1
- वीर क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल फांसी के ठीक पहले क्यों किया था व्यायाम, पूरा विडियो जरूर देखें #bismil #freedomfighters1
- CM Yogi Gorakhpur Flyover Inauguration | 2017 से पहले और अब का गोरखपुर | बड़ा बयान1
- चौंकाने वाला मामला - फाइलों में मौत, असल में जिंदा—फर्जी बैनामे से जमीन कब्जाने का खुलासा...कागजों में मरा, हकीकत में जिंदा, फर्जी बैनामे का सनसनीखेज खुलासा...1
- लोकेशन- गोरखपुर संवाददाता- जे.बी.सिंह मो०- 8542007400.9140241789 Labor pain in train दिल्ली से दर भंगा जा रही महिला ने गोरखपुर में दिया बच्चे को जन्म, पति की बेवफाई से टूटी मां ने 48 घंटे तक नवजात को अपनाने से किया इनकार 48 घंटे तक मनाते रहे डॉक्टर-कर्मी पति ने छोड़ा, सहारे छूटे ट्रेन में शुरू हुआ दर्द, गोरखपुर में प्रसव पति की बेवफाई और जीवन की कठोर परिस्थितियों से जूझ रही एक गर्भवती महिला की दर्दनाक कहानी गोरखपुर में सामने आई है। दिल्ली से दरभंगा जा रही महिला को ट्रेन यात्रा के दौरान अचानक प्रसव पीड़ा हुई। हालत बिगड़ती देख रेलवे कर्मचारियों ने उसे तत्काल गोरखपुर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने सुरक्षित प्रसव कराया। महिला ने एक बेटे को जन्म दिया, लेकिन मानसिक आघात और आर्थिक असहायता के चलते उसने नवजात को अपनाने और दूध पिलाने से इनकार कर दिया।पीड़िता मूल रूप से दरभंगा की रहने वाली है। उसकी शादी एक वर्ष पहले हुई थी। शादी के कुछ समय बाद वह पति के साथ दिल्ली रहने लगी, लेकिन गर्भावस्था के चौथे महीने में ही पति उसे छोड़कर किसी अन्य महिला के साथ चला गया। इसके बाद उसने सारे संपर्क बंद कर दिए। महिला के माता-पिता पहले ही गुजर चुके हैं, ऐसे में वह दिल्ली में काम कर किसी तरह जीवनयापन कर रही थी। डिलीवरी डेट पूरी होने पर 14 दिसंबर को वह दिल्ली से दरभंगा के लिए ट्रेन से निकली। 14–15 दिसंबर की रात रास्ते में तेज दर्द उठा। गोरखपुर पहुंचते ही रेलवे कर्मियों ने उसकी हालत देखकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने प्रसव कराया। प्रसव के बाद जब नवजात को मां के पास दूध पिलाने के लिए लाया गया, तो उसने साफ इनकार कर दिया। डॉक्टरों के पूछने पर महिला ने पति की बेवफाई, आर्थिक तंगी और सहारे के अभाव का हवाला देते हुए कहा कि वह बच्चे को कैसे पालेगी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों ने लगातार 48 घंटे तक उसे समझाया। इस दौरान नवजात की हालत नाजुक होने के कारण उसे स्पेशल न्यू बॉर्न यूनिट (SNU) में भर्ती रखा गया और वैकल्पिक फीडिंग की व्यवस्था की गई।आखिरकार मां मानी और लगातार काउंसलिंग के बाद महिला ने बच्चे को अपनाया और दूध पिलाना शुरू किया। अस्पताल प्रशासन के अनुसार नवजात को सांस लेने में दिक्कत थी, जिसे कृत्रिम ऑक्सीजन देकर संभाला गया। फिलहाल बच्चे का इलाज SNU में जारी है। “दिल्ली से दरभंगा जा रही महिला को रास्ते में प्रसव हुआ। गोरखपुर पहुंचने पर रेलवे कर्मचारियों ने उसे अस्पताल पहुंचाया। प्रसव के बाद महिला ने आर्थिक कारणों और पति द्वारा छोड़े जाने की वजह से बच्चे को लेने से इनकार किया, लेकिन काफी मशक्कत और काउंसलिंग के बाद वह मान गई। बच्चा अभी SNU में भर्ती है और इलाज चल रहा है।”2
- मोदी सरकार सारे अपने एजेंडे लागू करना चाहती है जिस्म भले ही किसी का नुकसान क्यों ना हो मनरेगा बदल कर यही जताना चाहती है बोले समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता सर्वेश त्रिपाठी राजपथ न्यूज़ पर...1
- सबको साथ लेकर चलना है और भारत को फिर से अशोका राज अखंड भारत निर्माण कार्य शुरू हो गया है1
- लोकप्रिय विधायक गणेश चंद्र चौहान जी के नेतृत्व में हुआ कुश्ती का आयोजन।1