दिल्ली /लखनऊ: उत्तर प्रदेश वायरल ब्रेकिंग न्यूज उत्तर प्रदेश जिला मुख्यालय संवाददाता लव कुश की खास रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर से बड़ी खबर रचना सिंह गौतम ने खोला मोर्चा कानपुर में धारा 163 के 'बेवजह' लागू होने पर भड़कीं पूर्व विधायक प्रत्याशी, जल्द समीक्षा की मांग कानपुर, उत्तर प्रदेश | 16 सितंबर, 2025 बिल्हौर विधानसभा की पूर्व प्रत्याशी रचना सिंह गौतम ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी, लखनऊ को एक तीखा पत्र लिखकर कानपुर में धारा 163 लागू करने की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि त्योहारों की आड़ में पुलिस प्रशासन ने यह कदम उठाया है, जो 29 अगस्त से 27 अक्टूबर, 2025 तक चलेगा। इससे लोग नाराज हैं और इसे उनके बुनियादी अधिकारों और लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं। रचना सिंह ने अपने पत्र में इसे "लोगों के अधिकारों पर हमला" और "लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश" बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पूरे उत्तर प्रदेश में त्योहार मन रहे हैं, तो सिर्फ कानपुर में ही धारा 163 क्यों लगाई गई? "क्या बाकी जिलों में कानून-व्यवस्था इतनी अच्छी है कि वहां इसकी जरूरत नहीं पड़ी, या कानपुर के लोगों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है?" उन्होंने प्रशासन से साफ और सच्चा जवाब मांगा। धारा 163 पुलिस को सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरे रोकने की ताकत देती है, लेकिन गौतम का कहना है कि इसे दो महीने तक लागू रखना जरूरत से ज्यादा है। उन्हें शक है कि यह महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की खाद की कमी जैसे मुद्दों पर आवाज उठाने वालों को चुप कराने की साजिश है। "क्या सरकार इस धारा के जरिए लोगों की आवाज दबाना चाहती है, ताकि उसकी कमियां सामने न आएं?" उन्होंने पूछा। उनका यह भी कहना है कि क्या यह विपक्ष को चुप कराने की कोशिश है? रचना सिंह ने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हमें बोलने की आजादी दी थी। "इस आजादी को दबाने का मकसद क्या है? क्या सरकार ऐसा लोकतंत्र चाहती है जहां लोग बोल ही न सकें?" उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम लोकतंत्र को कमजोर करता है, जिसमें विपक्ष को सरकार की गलतियां बताने का हक होना चाहिए। उनके पत्र में कई बड़े सवाल हैं: सिर्फ कानपुर क्यों? पूरे प्रदेश में कहीं और धारा 163 नहीं लगी, तो कानपुर में ही क्यों? क्या यह प्रशासन की कमजोरी है या राजनीतिक दबाव? किसानों की आवाज दबाना? क्या खाद की कमी जैसे बड़े मुद्दे पर विरोध रोकने के लिए यह कदम उठाया गया? लोगों का उत्पीड़न? क्या प्रशासन वादा कर सकता है कि इस दौरान लोग परेशान नहीं होंगे? अगर कोई परेशानी हुई, तो क्या विपक्ष को बोलने दिया जाएगा? प्रशासन पर भरोसा? अगर पुलिस अच्छा काम कर सकती है, तो धारा 163 की क्या जरूरत? क्या यह अपराधियों को पकड़ने के बजाय आम लोगों को परेशान करने का तरीका है? इतना लंबा प्रतिबंध क्यों? आपातकाल में एक-दो दिन के लिए यह धारा ठीक हो सकती है, लेकिन दो महीने तक क्यों? इसके पीछे का असली मकसद क्या है? रचना सिंह ने कहा कि कानपुर के लोग इस "बेवजह" प्रतिबंध से दुखी हैं और इसका असली कारण जानना चाहते हैं। एक जनप्रतिनिधि के तौर पर, उनका मकसद लोगों को बेहतर सुविधाएं देना और व्यवस्था में मदद करना है, लेकिन यह कदम "लोगों के हित और लोकतंत्र के खिलाफ" है। उन्होंने तुरंत इसकी समीक्षा करने, इसे हटाने और साफ जवाब देने की मांग की। स्थानीय लोग और विपक्षी नेता भी रचना सिंह के साथ हैं। बिल्हौर के एक किसान ने नाम न बताते हुए कहा, "यह हमें खाद की मांग करने से रोकने की कोशिश है। त्योहारों में खुशी होनी चाहिए, न कि गिरफ्तारी का डर।" हालांकि, कानपुर पुलिस ने गणेश चतुर्थी और नवरात्रि जैसे त्योहारों से पहले सुरक्षा जांच का हवाला देकर कोई जवाब नहीं दिया। डीजीपी कार्यालय ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। रचना सिंह का यह पत्र उत्तर प्रदेश में सुरक्षा और लोगों के अधिकारों के बीच संतुलन पर बहस को तेज कर रहा है। जैसे-जैसे त्योहारी सीजन नजदीक आ रहा है, लोग जवाबदेही की मांग कर रहे हैं और डर रहे हैं कि यह भविष्य में और सख्ती का रास्ता खोल सकता है। यह खबर रचना सिंह गौतम के सार्वजनिक पत्र पर आधारित है। नए घटनाक्रमों को जल्द अपडेट किया जाएगा।
दिल्ली /लखनऊ: उत्तर प्रदेश वायरल ब्रेकिंग न्यूज उत्तर प्रदेश जिला मुख्यालय संवाददाता लव कुश की खास रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर से बड़ी खबर रचना सिंह गौतम ने खोला मोर्चा कानपुर में धारा 163 के 'बेवजह' लागू होने पर भड़कीं पूर्व विधायक प्रत्याशी, जल्द समीक्षा की मांग कानपुर, उत्तर प्रदेश | 16 सितंबर, 2025 बिल्हौर विधानसभा की पूर्व प्रत्याशी रचना सिंह गौतम ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी, लखनऊ को एक तीखा पत्र लिखकर कानपुर में धारा 163 लागू करने की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि त्योहारों की आड़ में पुलिस प्रशासन ने यह कदम उठाया है, जो 29 अगस्त से 27 अक्टूबर, 2025 तक चलेगा। इससे लोग नाराज हैं और इसे उनके बुनियादी अधिकारों और लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं। रचना सिंह ने अपने पत्र में इसे "लोगों के अधिकारों पर हमला" और "लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश" बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पूरे उत्तर प्रदेश में त्योहार मन रहे हैं, तो सिर्फ कानपुर में ही धारा 163 क्यों लगाई गई? "क्या बाकी जिलों में कानून-व्यवस्था इतनी अच्छी है कि वहां इसकी जरूरत नहीं पड़ी, या कानपुर के लोगों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है?" उन्होंने प्रशासन से साफ और सच्चा जवाब मांगा। धारा 163 पुलिस को सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरे रोकने की ताकत देती है, लेकिन गौतम का कहना है कि इसे दो महीने तक लागू रखना जरूरत से ज्यादा है। उन्हें शक है कि यह महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की खाद की कमी जैसे मुद्दों पर आवाज उठाने वालों को चुप कराने की साजिश है। "क्या सरकार इस धारा के जरिए लोगों की आवाज दबाना चाहती है, ताकि उसकी कमियां सामने न आएं?" उन्होंने पूछा। उनका यह भी कहना है कि क्या यह विपक्ष को चुप कराने की कोशिश है? रचना सिंह ने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हमें बोलने की आजादी दी थी। "इस आजादी को दबाने का मकसद क्या है? क्या सरकार ऐसा लोकतंत्र चाहती है जहां लोग बोल ही न सकें?" उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम लोकतंत्र को कमजोर करता है, जिसमें विपक्ष को सरकार की गलतियां बताने
का हक होना चाहिए। उनके पत्र में कई बड़े सवाल हैं: सिर्फ कानपुर क्यों? पूरे प्रदेश में कहीं और धारा 163 नहीं लगी, तो कानपुर में ही क्यों? क्या यह प्रशासन की कमजोरी है या राजनीतिक दबाव? किसानों की आवाज दबाना? क्या खाद की कमी जैसे बड़े मुद्दे पर विरोध रोकने के लिए यह कदम उठाया गया? लोगों का उत्पीड़न? क्या प्रशासन वादा कर सकता है कि इस दौरान लोग परेशान नहीं होंगे? अगर कोई परेशानी हुई, तो क्या विपक्ष को बोलने दिया जाएगा? प्रशासन पर भरोसा? अगर पुलिस अच्छा काम कर सकती है, तो धारा 163 की क्या जरूरत? क्या यह अपराधियों को पकड़ने के बजाय आम लोगों को परेशान करने का तरीका है? इतना लंबा प्रतिबंध क्यों? आपातकाल में एक-दो दिन के लिए यह धारा ठीक हो सकती है, लेकिन दो महीने तक क्यों? इसके पीछे का असली मकसद क्या है? रचना सिंह ने कहा कि कानपुर के लोग इस "बेवजह" प्रतिबंध से दुखी हैं और इसका असली कारण जानना चाहते हैं। एक जनप्रतिनिधि के तौर पर, उनका मकसद लोगों को बेहतर सुविधाएं देना और व्यवस्था में मदद करना है, लेकिन यह कदम "लोगों के हित और लोकतंत्र के खिलाफ" है। उन्होंने तुरंत इसकी समीक्षा करने, इसे हटाने और साफ जवाब देने की मांग की। स्थानीय लोग और विपक्षी नेता भी रचना सिंह के साथ हैं। बिल्हौर के एक किसान ने नाम न बताते हुए कहा, "यह हमें खाद की मांग करने से रोकने की कोशिश है। त्योहारों में खुशी होनी चाहिए, न कि गिरफ्तारी का डर।" हालांकि, कानपुर पुलिस ने गणेश चतुर्थी और नवरात्रि जैसे त्योहारों से पहले सुरक्षा जांच का हवाला देकर कोई जवाब नहीं दिया। डीजीपी कार्यालय ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। रचना सिंह का यह पत्र उत्तर प्रदेश में सुरक्षा और लोगों के अधिकारों के बीच संतुलन पर बहस को तेज कर रहा है। जैसे-जैसे त्योहारी सीजन नजदीक आ रहा है, लोग जवाबदेही की मांग कर रहे हैं और डर रहे हैं कि यह भविष्य में और सख्ती का रास्ता खोल सकता है। यह खबर रचना सिंह गौतम के सार्वजनिक पत्र पर आधारित है। नए घटनाक्रमों को जल्द अपडेट किया जाएगा।
- आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर भीषण सड़क हादसा1
- मनुष्य का शरीर मोक्ष का कारण धाम भगवान की करुणा से मनुष्य जीवन मिलता है यह बात असलनापुर गांव में चल रहे विष्णु महायज्ञ एवं श्री मदभागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक ज्योतिर्मयानन्द महाराज महामन्डलेश्वर अखंड परमधाम हरिद्वार ने कही बाद में उन्होंने गजेन्द्र मोक्ष, वामन व राजा बलि प्रसंग एवं भगवान श्रीकृष्ण की जन्म लीला का व्यख्यान करते हुये बताया कि राजा बलि को यह अभिमान था कि उसके बराबर सामर्थ्य इस संसार में कोई नहीं है। भगवान ने राजा बलि का अभिमान चूर करने के लिए वामन का रूप धारण किया और भीक्षा मांगने राजा बलि के पास पहुंच गए।1
- गति प्रवाह सिद्धांत के अनुसार “यह मेरे दार्शनिक अनुभव और विचार हैं, वैज्ञानिक प्रमाण नहीं।” Sanjay Soni1
- Post by Anoopshukla1
- मेरे बेटे का परसों 8 घंटे का ऑपरेशन था, मुझे परिवार के लोगों ने फोन किया कि ये बड़ा ऑपरेशन है, आपको आना चाहिए लेकिन मैंने सोचा- देश की हिफाजत में हमारे जवान जान दांव पर लगा देते हैं, इंदिरा गांधी जी और राजीव गांधी जी ने बलिदान दिया, सोनिया गांधी जी ने त्याग किया ऐसे में जब संसद चालू है और 'वोट चोरी' के खिलाफ इतनी बड़ी लड़ाई चल रही है- मैं अपने बेटे के पास कैसे जा सकता हूं! जैसे सरहद पर जवान लड़ते हैं, वैसे ही अन्याय के खिलाफ सोनिया गांधी जी लड़ी हैं, राहुल गांधी जी देश के लिए हजारों मील पैदल चले हैं. मैं भी ये लड़ाई जारी रखूंगा मैं अपने एक बेटे के लिए देश के 140 करोड़ लोगों को नहीं छोड़ सकता, इसलिए मैं आज यहां आया हूं हमें लड़ना है - पीछे नहीं हटना। @kharge1
- मैं चुनौती देती हूं-BJP एक बार बैलेट पेपर पर निष्पक्ष चुनाव लड़ ले,ये कभी नहीं जीत पाएंगे https://youtube.com/shorts/n7tCIG5LpMo?si=0hLzBX7mU_-T43Ut और ये बात BJP भी जानती है : प्रियंका गांधी वाड्रा #votechorgaddichhod #PriyankaGandhi #ramleelaground #ramlilaground #RamlilaMaidan #bjp #Congress #PriyankaGandhiVadra @topfans1
- कानपुर --पनकी पुलिस को मिली सफलता! पुलिस ने तीन शातिर ठगो को गिरफ्तार किया! पतंजलि गोदाम अंडरपास के पास से गुजैनी क्षेत्र में हुई गिरफ्तारी। गिरफ्तार आरोपी बीरपुल, किशोर कुमार और नारायण, तीनों लखनऊ के निवासी। राह चलते लोगों को असली सोना दिखाकर नकली पीतल बेचते थे आरोपी। आरोपियों के पास से असली-नकली सोने के आभूषण बरामद। तीन लाख रुपये नकद जब्त, चार लाख रुपये खाते में फ्रीज। डीसीपी पश्चिम दिनेश त्रिपाठी ने प्रेस वार्ता कर किया खुलासा! Police Commissionerate Kanpur Nagar #crime #public #cyber1
- ग्रामीण शिक्षा उत्थान एवं मानव सेवा समिति मंगलपुर के द्वारा पिछले 22 वर्षों से गरीब, बेसहारा , लाचार ,लोगों को सर्दी से बचाने के लिए शिक्षकों के द्वारा आओ हमसब मिलकर करें मदद मुहिम चलाई जा रही है ,उसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आज संदलपुर औऱ झींझक ब्लॉक के सुरासी ,बरी ,नवाबपुर ,मनकापुर ,कुदौली ,मड़ौली ,सबलपुर ,घुष्ठी गढ़िया ,डिलवल ,जगदीशपुर , भावसिंह का पुरवा ,चक्केपुरवा , भन्देमऊ,मंगलपुर ,जौरवा ,लौवा, शाहपुर ,लाड़पुर ,भूठा ,सतौरा , कटरा आदि 21 गांवों के 187 जरूरतमंदों का चयन करके उनको निशुल्क कंबल और गर्म कपड़ों का वितरण किया गया ।1