नवादा प्रेस विज्ञप्ति नवादा प्रेस विज्ञप्ति मौलाना तौकीर रज़ा की गिरफ़्तारी, मिल्लत-ए-इस्लामिया की भावनाओं से खिलवाड़ : मौलाना नोमान अख़्तर फ़ायक़ अल-जमाली नवादा (प्रेस विज्ञप्ति) मरकज़-ए-अहल-ए-सुन्नत बरेली शरीफ़ की प्रमुख शख़्सियत,ऑल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान की गिरफ़्तारी ने मुस्लिम समाज में गहरा आक्रोश और बेचैनी की लहर पैदा कर दी है। यह क़दम भारतीय जनता पार्टी और उसके वैचारिक सरपरस्त संगठनों—आरएसएस व बजरंग दल—की खुली मुस्लिम दुश्मनी का जीता-जागता प्रमाण है। बरेली शरीफ़ को जानबूझकर उकसावे और अशांति के माहौल में धकेला गया और नामूस-ए-रिसालत की हिफ़ाज़त के लिए लोकतांत्रिक अधिकार का शांतिपूर्ण इस्तेमाल करने वाले नौजवानों को न केवल पीटा गया बल्कि उन पर झूठे मुक़दमे भी लादे गए। और यह सब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरपरस्ती में हुआ, जो गुंडागर्दी का साफ़-साफ़ सबूत है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है। इस मौके पर क़ाज़ी-ए-शहर नवादा और दारुल उलूम फ़ैज़-उल-बारि के प्रमुख तथा तंजीम-ए-उलमा-ए-हक़ जिला नवादा के संरक्षक, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नोमान अख़्तर फ़ायक़ अल-जमाली ने मौलाना तौकीर रज़ा की नाहक गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा: > “मौलाना तौकीर रज़ा साहब पर हाथ डालने का मतलब है कि मिल्लत-ए-इस्लामिया की भावनाओं को परखा जा रहा है। अब समय की ज़रूरत है कि हम बैन-अल-मसालिक एकता के बिंदु पर एकजुट हों। मौजूदा हालात में उम्मत-ए-मुस्लिमह के लिए यह अनिवार्य है कि वह सीसा-्पिलाई हुई दीवार की तरह खड़ी हो। आखिर कब तक हम ऐसे जुलूस निकालते रहेंगे जिनका कोई सकारात्मक परिणाम न निकलता हो, सिवाय इसके कि मुस्लिम युवाओं की लाशों पर सेक्युलर और गैर-सेक्युलर राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंकते रहें।” उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा हालात में एकता का दायरा व्यापक करना ही समय की पुकार है। उम्मत को केवल नारेबाज़ी और विरोधी रैलियों से आगे बढ़कर एक मज़बूत रणनीति बनानी होगी ताकि बार-बार मिल्लत को आज़माइश में न डाला जाए। मौलाना तौकीर रज़ा की गिरफ़्तारी ने एक बार फिर इस कड़वी सच्चाई को सामने ला दिया है कि जब तक उम्मत-ए-मुस्लिमह अपने लोकतांत्रिक और क़ानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए एक मंच पर नहीं आती, तब तक इस तरह की घटनाएँ होती रहेंगी। प्रस्थिति इस बात की मांग करती है कि सभी मसालिक और मकातिब-ए-फ़िक्र के धार्मिक नेता अपने मतभेदों को भूलकर एकता की नींव रखें और मिल्लत की सामूहिक क़ियादत को मज़बूत करें। क़ाज़ी-ए-शहर नवादा ने उलमा, मशाइख़, ख़ुतबा, शायर और नुक़बा से भी मुख़ातिब होकर कहा कि केवल भावनात्मक बयानबाज़ी या राजनीतिक भाषणों से हालात बेहतर होने वाले नहीं हैं। आज ज़रूरत है कि अमली क़दम बढ़ाए जाएँ और हिकमत व दूरअंदेशी के साथ उम्मत को एकजुट किया जाए। शायर के शब्दों में: “हवा यही जो रहेगी तो ऐ नसीम-ए-बहार, कहाँ से आएँगी रौनकें चमन के लिए।” यह शेर इस सच्चाई की तर्जुमानी करता है कि अगर हालात इसी तरह बिगड़े रहे और उम्मत बिखरी रही तो मुसलमानों के भविष्य पर गहरे साये पड़ते चले जाएँगे। अंत में हज़रत अल्लामा नौमान अख़्तर फ़ायक़ अल-जमाली ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि मिल्लत-ए-इस्लामिया की भावनाओं और मुल्क व मिल्लत के हित को ध्यान में रखते हुए बिना किसी देरी और बिना शर्त, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनाब मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान को रिहा किया जाए। साथ ही, जिन युवाओं को झूठे मुक़दमों में फँसाया गया है, उनके सभी मुक़दमे वापस लिए जाएँ और उन्हें भी रिहा किया जाए ताकि मुल्क में और अधिक अशांति न फैले और देश की अमन-शांति बरकरार रहे।
नवादा प्रेस विज्ञप्ति नवादा प्रेस विज्ञप्ति मौलाना तौकीर रज़ा की गिरफ़्तारी, मिल्लत-ए-इस्लामिया की भावनाओं से खिलवाड़ : मौलाना नोमान अख़्तर फ़ायक़ अल-जमाली नवादा (प्रेस विज्ञप्ति) मरकज़-ए-अहल-ए-सुन्नत बरेली शरीफ़ की प्रमुख शख़्सियत,ऑल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान की गिरफ़्तारी ने मुस्लिम समाज में गहरा आक्रोश और बेचैनी की लहर पैदा कर दी है। यह क़दम भारतीय जनता पार्टी और उसके वैचारिक सरपरस्त संगठनों—आरएसएस व बजरंग दल—की खुली मुस्लिम दुश्मनी का जीता-जागता प्रमाण है। बरेली शरीफ़ को जानबूझकर उकसावे और अशांति के माहौल में धकेला गया और नामूस-ए-रिसालत की हिफ़ाज़त के लिए लोकतांत्रिक अधिकार का शांतिपूर्ण इस्तेमाल करने वाले नौजवानों को न केवल पीटा गया बल्कि उन पर झूठे मुक़दमे भी लादे गए। और यह सब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरपरस्ती में हुआ, जो गुंडागर्दी का साफ़-साफ़ सबूत है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है। इस मौके पर क़ाज़ी-ए-शहर नवादा और दारुल उलूम फ़ैज़-उल-बारि के प्रमुख तथा तंजीम-ए-उलमा-ए-हक़ जिला नवादा के संरक्षक, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नोमान अख़्तर फ़ायक़ अल-जमाली ने मौलाना तौकीर रज़ा की नाहक गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा: > “मौलाना तौकीर रज़ा साहब पर हाथ डालने का मतलब है कि मिल्लत-ए-इस्लामिया की भावनाओं को परखा जा रहा है। अब समय की ज़रूरत है कि हम बैन-अल-मसालिक एकता के बिंदु पर एकजुट हों। मौजूदा हालात में उम्मत-ए-मुस्लिमह के लिए यह अनिवार्य है कि वह सीसा-्पिलाई हुई दीवार की तरह खड़ी हो। आखिर कब तक हम ऐसे जुलूस निकालते रहेंगे जिनका कोई सकारात्मक परिणाम न निकलता हो, सिवाय इसके कि मुस्लिम युवाओं की लाशों पर सेक्युलर और गैर-सेक्युलर राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंकते रहें।” उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा हालात में एकता का दायरा व्यापक करना ही समय की पुकार है। उम्मत को केवल नारेबाज़ी और विरोधी रैलियों से आगे बढ़कर एक मज़बूत रणनीति बनानी होगी ताकि बार-बार मिल्लत को आज़माइश में न डाला जाए। मौलाना तौकीर रज़ा की गिरफ़्तारी ने एक बार फिर इस कड़वी सच्चाई को सामने ला दिया है कि जब तक उम्मत-ए-मुस्लिमह अपने लोकतांत्रिक और क़ानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए एक मंच पर नहीं आती, तब तक इस तरह की घटनाएँ होती रहेंगी। प्रस्थिति इस बात की मांग करती है कि सभी मसालिक और मकातिब-ए-फ़िक्र के धार्मिक नेता अपने मतभेदों को भूलकर एकता की नींव रखें और मिल्लत की सामूहिक क़ियादत को मज़बूत करें। क़ाज़ी-ए-शहर नवादा ने उलमा, मशाइख़, ख़ुतबा, शायर और नुक़बा से भी मुख़ातिब होकर कहा कि केवल भावनात्मक बयानबाज़ी या राजनीतिक भाषणों से हालात बेहतर होने वाले नहीं हैं। आज ज़रूरत है कि अमली क़दम बढ़ाए जाएँ और हिकमत व दूरअंदेशी के साथ उम्मत को एकजुट किया जाए। शायर के शब्दों में: “हवा यही जो रहेगी तो ऐ नसीम-ए-बहार, कहाँ से आएँगी रौनकें चमन के लिए।” यह शेर इस सच्चाई की तर्जुमानी करता है कि अगर हालात इसी तरह बिगड़े रहे और उम्मत बिखरी रही तो मुसलमानों के भविष्य पर गहरे साये पड़ते चले जाएँगे। अंत में हज़रत अल्लामा नौमान अख़्तर फ़ायक़ अल-जमाली ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि मिल्लत-ए-इस्लामिया की भावनाओं और मुल्क व मिल्लत के हित को ध्यान में रखते हुए बिना किसी देरी और बिना शर्त, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनाब मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान को रिहा किया जाए। साथ ही, जिन युवाओं को झूठे मुक़दमों में फँसाया गया है, उनके सभी मुक़दमे वापस लिए जाएँ और उन्हें भी रिहा किया जाए ताकि मुल्क में और अधिक अशांति न फैले और देश की अमन-शांति बरकरार रहे।
- पचना में दर्दनाक हादसा: शौच के लिए पहाड़ पर गई महिला की खाई में गिरने से मौत पचना। आज सुबह पचना गांव में एक हृदयविदारक हादसा हो गया। गांव निवासी पंकज पासवान की पत्नी अनीता देवी (35 वर्ष) की पहाड़ से गिरने के कारण मौके पर ही मौत हो गई। बताया गया कि अनीता देवी सुबह शौच के लिए पहाड़ की ओर गई थीं, इसी दौरान उनका पैर फिसल गया और वे गहरी खाई में गिर पड़ीं। घटना स्थल की खाई काफी गहरी होने के कारण शव को बाहर निकालने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंच गया और स्थानीय लोगों की मदद से शव निकालने का प्रयास जारी है। इस दर्दनाक घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है और आगे की कार्रवाई की जा रही है।1
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- लायंस क्लब के द्वारा शुगर की मुक्त जांच की गई एवं उपाय भी बताए गए1
- कितने बेरहम हैं 😱 ये लोग जिंदा जला देते 😩 हैं आदमी को 🙆 कहां है पुलीस1
- जनता ने कहा HELLO NALANDA is BEST1
- Post by Rahul Yadav1
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