स्वतंत्रता दिवस के पावन शुभ अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के कार्यालय, नूतननगर में एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। जैसे ही तिरंगा लहराया, उपस्थित लोगो ने सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाकर देशभक्ति की भावना को प्रगाढ़ कर दिया। “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के जयघोष से पूरा परिसर गूंज उठा इस अवसर पर डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने कहा कि 15 अगस्त केवल एक तिथि भर नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय के लिए गर्व, त्याग और बलिदान का प्रतीक है। आज का दिन हमें यह स्मरण कराता है कि हमारी आज़ादी अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों की कठिन तपस्या, अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान का परिणाम है। उन्होंने कहा कि भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक और ऐसे ही हजारों ज्ञात-अज्ञात क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया।डॉ. मिश्रा ने युवाओं से आह्वान किया कि वे स्वतंत्रता के इस अमूल्य उपहार की रक्षा करें और इसे और अधिक सार्थक बनाने के लिए देशहित में कार्य करें। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता केवल बाहरी बंधनों से मुक्त होना नहीं है, बल्कि यह विचारों, कर्मों और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर भी है। स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी हुई है,
स्वतंत्रता दिवस के पावन शुभ अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के कार्यालय, नूतननगर में एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। जैसे ही तिरंगा लहराया, उपस्थित लोगो ने सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाकर देशभक्ति की भावना को प्रगाढ़ कर दिया। “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के जयघोष से पूरा परिसर गूंज उठा इस अवसर पर डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने कहा कि 15 अगस्त केवल एक तिथि भर नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय के लिए गर्व, त्याग और बलिदान का प्रतीक है। आज का दिन हमें यह स्मरण कराता है कि हमारी आज़ादी अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों की कठिन तपस्या, अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान का परिणाम है। उन्होंने कहा कि भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक और ऐसे ही हजारों ज्ञात-अज्ञात क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया।डॉ. मिश्रा ने युवाओं से आह्वान किया कि वे स्वतंत्रता के इस अमूल्य उपहार की रक्षा करें और इसे और अधिक सार्थक बनाने के लिए देशहित में कार्य करें। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता केवल बाहरी बंधनों से मुक्त होना नहीं है, बल्कि यह विचारों, कर्मों और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर भी है। स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी हुई है,
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