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अपना सोनभद्र घोरावल
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Dhruv Bouddha
अपना सोनभद्र घोरावल
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- जय श्री राम जय श्री राम का नारा सिर्फ फेसबुक पर लग रहे हैं !!परंतु श्री राम प्रभु की आचरण और प्रवृत्ति किसी व्यक्ति के अंदर धारण नहीं हो रहा है!! भाई - भाई विपत्ति या दुख बांटने के लिए होते है ना कि संपति का बंटवारा करने के लिए श्रुति अनुसार राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के बचपन का एक प्रसंग है। जब चारो भाई खेलते थे तो लक्ष्मण जी राम की तरफ उनके पीछे होते थे और सामने वाले पाले में भरत और शत्रुघ्न होते थे। तब लक्ष्मण जी हमेशा भरत को बोलते कि राम भैया सबसे ज्यादा मुझे प्यार करते है तभी वो हर बार अपने पाले में अपने साथ मुझे रखते है। लेकिन भरत कहते नहीं कि राम भैया सबसे ज्यादा मुझे प्यार करते है तभी वो मुझे सामने वाले पाले में रखते है ताकि हर पल उनकी नजरें मेरे ऊपर रहे, वो मुझे हर पल देख पाएं क्योंकि साथ वाले को देखने के लिए तो उनको मुड़ना पड़ेगा। फिर जब भरत गेंद को राम की तरफ उछालते तो राम जानबूझ कर गेंद को छोड़ देते और हार जाते, फिर नगर में उपहार और मिठाइयां बांट कर खुशी मनाते। सभी पूछते राम जी आप तो हार गए फिर आप इतने खुश क्यों है, राम बोलते मेरा भरत जीत गया। फिर लोग सोचते जब हारने वाला इतना कुछ बांट रहा है तो जीतने वाला भाई तो पता नहीं क्या - क्या देगा। लोग भरत के पास जाते है लेकिन ये क्या भरत तो लंबे - लंबे आंसू बहाते हुए रो रहे है। लोगों ने पूछा - भरत जी आप तो जीत गए है, फिर आप क्यों रो रहे है ? भरत बोले - देखिए मेरी कैसी विडंबना है, मैं जब भी अपने प्रभु के सामने होता हूँ तभी जीत जाता हूँ। मैं उनसे जीतना नहीं मैं उनको अपना सब कुछ हारना चाहता हूँ। मैं खुद को हार कर उनको जीतना चाहता हूँ। इसीलिए कहते है, भक्त का कल्याण भगवान को अपना सब कुछ हारने में है, सब कुछ समर्पण करके ही हम भगवान को पा सकते है। एक भाई दूसरे भाई को जीता कर खुश है और दूसरा भाई अपने भाई से जीत कर दुःखी है। इसीलिए कहते है खुशी लेने में नहीं बल्कि देने में है। जिस घर में भाई - भाई मिल कर रहते है। भाई - भाई एक दूसरे का हक नहीं छीनते उसी घर में राम का वास है। जब एक भाई ने दूसरे भाई के लिए हक छोड़ा तो रामायण लिखी गई और जब एक भाई ने दूसरे भाई का हक मारा तो महाभारत हुई। https://www.facebook.com/share/v/19ipoKxrBZ/ फ़ेसबुक फलों करे संदेश - असली खुशी देने में है, छीनने में नहीं। हमें कभी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए, ना ही झूठ और बेईमानी का सहारा लेना चाहिए। सदैव प्रसन्न रहिये!! कभी अपने लिये कभी अपनो के लिये।जो प्राप्त है वही पर्याप्त है! अगर आपको यह प्रसंग रुचिकर लगा हो तो जय सियाराम लिखकर आप अपने मित्रों व बंधुजनो के साथ शेयर अवश्य करें। 🚩जय सियाराम 🚩1
- Post by Pappu Kumar1
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