दिगंबर साधु किसी से भी राग - द्वेष नहीं करते हैं, कबूतर स्वतंत्र पक्षी है, वह पिंजरे में नहीं रहता है -- मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज । कबूतर की विशेषता यह है कि वह कभी पिंजरे में नहीं रखे जाते हैं, वह स्वतंत्र होते हैं क्योंकि कबूतर जिस स्थान पर रहता है वह कोषों दूर भी चला जाए लेकिन सूर्य के अस्त होने तक वह अपने स्थान पर पुनः वापस आ जाता है और जो तोता होता वह पिंजरे में बंद रहता है वह जिस स्थान से उड़ता है उस स्थान पर लौटकर वापस नहीं आता। दिगंबर साधु नगर में भ्रमण करते हैं वह ना तो किसी से राग करते हैं और ना ही किसी से द्वेष करते हैं, वही दिगंबर संत होते हैं। धन की परिभाषा को समझाते हुए कहा कि ध= धारण और न= नरक अर्थात जो धन के अभिलाषी होते हैं, जो पाप और पुण्य को एक ही दृष्टि से देखते हैं वह नियम से नरक जाते हैं। जो जीव निर्दोष होकर 18 दोषों से रहित हो गए हैं वे जीव अनंत सुख का अनुभव करते हैं, जो जीव निरंतर दोषों से लिप्त होते हुए संसार के सुख और दुःख का अनुभव करते हैं, वे जीव इंद्रिय सुख का अनुभव करते हैं। श्री चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर अरिहंत पुरम अलीपुर में चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य विनिश्चय सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने आशीष वचन देते हुए कही। आपने आज लेश्याओं के अंतर्गत तीसरी लेश्या कापोत लेश्या को बताते हुए कहा कि यह लेश्या जैसे कबूतर स्लेटी रंग का होता है वैसे ही यह कापोत लेश्या भी स्लेटी रंग की होती है। कापोत लेश्या वाले व्यक्ति सदैव शोकाकुल रहते हैं, जो आनंदित रहता वह शुभ लेश्या से युक्त होता है, जो दुःखी रहता है वह कापोत लेश्या से युक्त होता है। कापोत लेश्या वाले सदैव रूष्ट भी रहते हैं, उन्हें कितना भी मना लो वह हमेशा रूष्ट ही दिखाई देते हैं। मुनिश्री ने कहा जब द्रोणाचार्य ने दुर्योधन से कहा कि 5 गांव दे दो, पांडव ने 5 गांव मांगे लेकिन उसने देने से मना कर दिया, क्योंकि वह हमेशा रूठा हुआ रहता था, इतना बड़ा साम्राज्य होने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं रहता था। जहां परिग्रह होता वहां दुख होता है, मोहनीय कर्म की दो संतानें होती हैं पहली राग और दूसरी द्वेष। क्षुद्र व्यक्ति इमली के पेड़ और जो श्रेष्ठ व महान व्यक्ति होते हैं वह केले के पेड़ समान होते हैं, क्षुद्र व्यक्ति धर्म को धारण नहीं कर सकते और जो महान व्यक्ति होते हैं वह अपने अंतरंग में धर्म को धारण कर अपनी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं। एक लकड़हारा था जिसका व्यापार हिंसा का था, उसकी भावना दूषित थी, एक बार तीव्र असाता कर्म के उदय से वह दिगंबर जैन संत के चरणों में गया और संत से बोलता है कि मेरा हिंसा का व्यापार है तब संत उससे बोलते हैं कि इस व्यापार का तुम्हें त्याग करना पड़ेगा और देव, शास्त्र और गुरु की पूजा-अर्चना और वंदन करना पड़ेगी, लकड़हारा बोलता है इस व्यापार को नहीं छोड़ पाऊंगा तभी उसे अचानक एक पेड़ की डगर पर एक कौआ को बैठे देखा और बोलता है कि मैं कौआ के मांस का त्याग करता हूं जैसे ही उसने त्याग किया उसका पुण्य तीव्र गति से बढ़ने लगा। अतः जिस व्यक्ति की धर्म के प्रति रुचि होती है वह इसे अपने हृदय में धारण कर अपनी आत्मा को पवित्र बना लेता है। जीवन में एक छोटा सा नियम यदि कोई व्यक्ति लेता है और उसका दृढ़ता पूर्वक पालन करे तो उससे उत्तम पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यदि आप साल के 365 दिन में 360 दिन रात्रि भोजन नहीं करते यदि सिर्फ 5 ही दिन रात्रि भोजन को ग्रहण करते हो तो ऐसी स्थिति में यदि आपका नियम नहीं है तो पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है और यदि नियम है तो 6 माह के उपवास बराबर फल मिलता है। एक श्रावक जो कि जाति से जैन नहीं है वह प्रतिदिन मुनिश्री वाणी सुनने आते हैं अर्थात जिस श्रावक के हृदय में जिनवाणी का रस उतर जाए चाहे वह जैन हो अथवा अजैन उसके मन का मयूर नाच उठता है। आचार्य भगवंत से जुड़े एक श्रावक जो कि संभवतः कर्नाटक के रहने वाले हैं जब वह नौकरी के लिए विदेश गए तो अपने साथ एक छोटे से जिनबिम्ब को ले गए और उसका प्रतिदिन सुबह नारियल के पानी से अभिषेक करके ही अन्न और जलपान को ग्रहण करते थे।
दिगंबर साधु किसी से भी राग - द्वेष नहीं करते हैं, कबूतर स्वतंत्र पक्षी है, वह पिंजरे में नहीं रहता है -- मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज । कबूतर की विशेषता यह है कि वह कभी पिंजरे में नहीं रखे जाते हैं, वह स्वतंत्र होते हैं क्योंकि कबूतर जिस स्थान पर रहता है वह कोषों दूर भी चला जाए लेकिन सूर्य के अस्त होने तक वह अपने स्थान पर पुनः वापस आ जाता है और जो तोता होता वह पिंजरे में बंद रहता है वह जिस स्थान से उड़ता है उस स्थान पर लौटकर वापस नहीं आता। दिगंबर साधु नगर में भ्रमण करते हैं वह ना तो किसी से राग करते हैं और ना ही किसी से द्वेष करते हैं, वही दिगंबर संत होते हैं। धन की परिभाषा को समझाते हुए कहा कि ध= धारण और न= नरक अर्थात जो धन के अभिलाषी होते हैं, जो पाप और पुण्य को एक ही दृष्टि से देखते हैं वह नियम से नरक जाते हैं। जो जीव निर्दोष होकर 18 दोषों से रहित हो गए हैं वे जीव अनंत सुख का अनुभव करते हैं, जो जीव निरंतर दोषों से लिप्त होते हुए संसार के सुख और दुःख का अनुभव करते हैं, वे जीव इंद्रिय सुख का अनुभव करते हैं। श्री चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर अरिहंत पुरम अलीपुर में चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य विनिश्चय सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने आशीष वचन देते हुए कही। आपने आज लेश्याओं के अंतर्गत तीसरी लेश्या कापोत लेश्या को बताते हुए कहा कि यह लेश्या जैसे कबूतर स्लेटी रंग का होता है वैसे ही यह कापोत लेश्या भी स्लेटी रंग की होती है। कापोत लेश्या वाले व्यक्ति सदैव शोकाकुल रहते हैं, जो आनंदित रहता वह शुभ लेश्या से युक्त होता है, जो दुःखी रहता है वह कापोत लेश्या से युक्त होता है। कापोत लेश्या वाले सदैव रूष्ट भी रहते हैं, उन्हें कितना भी मना लो वह हमेशा रूष्ट ही दिखाई देते हैं। मुनिश्री ने कहा जब द्रोणाचार्य ने दुर्योधन से कहा कि 5 गांव दे दो, पांडव ने 5 गांव मांगे लेकिन उसने देने से मना कर दिया, क्योंकि वह हमेशा रूठा हुआ रहता था, इतना बड़ा साम्राज्य होने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं रहता था। जहां परिग्रह होता वहां दुख होता है, मोहनीय कर्म की दो संतानें होती हैं पहली राग और दूसरी द्वेष। क्षुद्र व्यक्ति इमली के पेड़ और जो श्रेष्ठ व महान व्यक्ति होते हैं वह केले के पेड़ समान होते हैं, क्षुद्र व्यक्ति धर्म को धारण नहीं कर सकते और जो महान व्यक्ति होते हैं वह अपने अंतरंग में धर्म को धारण कर अपनी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं। एक लकड़हारा था जिसका व्यापार हिंसा का था, उसकी भावना दूषित थी, एक बार तीव्र असाता कर्म के उदय से वह दिगंबर जैन संत के चरणों में गया और संत से बोलता है कि मेरा हिंसा का व्यापार है तब संत उससे बोलते हैं कि इस व्यापार का तुम्हें त्याग करना पड़ेगा और देव, शास्त्र और गुरु की पूजा-अर्चना और वंदन करना पड़ेगी, लकड़हारा बोलता है इस व्यापार को नहीं छोड़ पाऊंगा तभी उसे अचानक एक पेड़ की डगर पर एक कौआ को बैठे देखा और बोलता है कि मैं कौआ के मांस का त्याग करता हूं जैसे ही उसने त्याग किया उसका पुण्य तीव्र गति से बढ़ने लगा। अतः जिस व्यक्ति की धर्म के प्रति रुचि होती है वह इसे अपने हृदय में धारण कर अपनी आत्मा को पवित्र बना लेता है। जीवन में एक छोटा सा नियम यदि कोई व्यक्ति लेता है और उसका दृढ़ता पूर्वक पालन करे तो उससे उत्तम पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यदि आप साल के 365 दिन में 360 दिन रात्रि भोजन नहीं करते यदि सिर्फ 5 ही दिन रात्रि भोजन को ग्रहण करते हो तो ऐसी स्थिति में यदि आपका नियम नहीं है तो पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है और यदि नियम है तो 6 माह के उपवास बराबर फल मिलता है। एक श्रावक जो कि जाति से जैन नहीं है वह प्रतिदिन मुनिश्री वाणी सुनने आते हैं अर्थात जिस श्रावक के हृदय में जिनवाणी का रस उतर जाए चाहे वह जैन हो अथवा अजैन उसके मन का मयूर नाच उठता है। आचार्य भगवंत से जुड़े एक श्रावक जो कि संभवतः कर्नाटक के रहने वाले हैं जब वह नौकरी के लिए विदेश गए तो अपने साथ एक छोटे से जिनबिम्ब को ले गए और उसका प्रतिदिन सुबह नारियल के पानी से अभिषेक करके ही अन्न और जलपान को ग्रहण करते थे।
- सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने देवास पुलिस की संवेदनशील पहल, दुर्घटना-संभावित एवं जानलेवा स्थानों पर चेतावनी पोस्टर लगाकर आमजन को किया जा रहा है जागरूक देवास,देवास पुलिस द्वारा जिले में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं आम नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निरंतर विभिन्न स्तरों पर प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पुलिस अधीक्षक देवास पुनीत गेहलोद के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) जयवीर सिंह भदौरिया एवं उप पुलिस अधीक्षक (एल-आर) संजय शर्मा के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी देवास बैंक नोट प्रेस अमित सोलंकी के नेतृत्व में एक संवेदनशील एवं जनहितकारी पहल की जा रही है। इस पहल के अंतर्गत जिले के उन स्थानों पर, जहाँ पूर्व में सड़क दुर्घटनाओं में व्यक्तियों की मृत्यु अथवा गंभीर चोट की घटनाएं घटित हुई हैं, देवास पुलिस द्वारा चेतावनी एवं जागरूकता संबंधी पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इन पोस्टरों के माध्यम से आम जनता को सतर्क रहने, वाहन सावधानीपूर्वक चलाने तथा सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। इसी अनुक्रम में दिनांक 05.12.2025 एवं 06.12.2025 को ग्राम बिलावली एवं ग्राम खटाम्बा में हुई दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में दो व्यक्तियों की गंभीर रूप से घायल होने के पश्चात मृत्यु हो गई थी। उक्त दोनों दुर्घटनास्थलों पर थाना बीएनपी पुलिस द्वारा पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में दुर्घटना चेतावनी संबंधी पोस्टर लगाए गए हैं, ताकि वहां से गुजरने वाले वाहन चालक सतर्क रहें एवं भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। देवास पुलिस आम नागरिकों से अपील करती है कि वे वाहन चलाते समय गति सीमा का पालन करें, हेलमेट व सीट बेल्ट का उपयोग अनिवार्य रूप से करें, नशे की हालत में वाहन न चलाएं तथा यातायात नियमों का पूर्णतः पालन कर स्वयं एवं दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। देवास पुलिस — सुरक्षित यातायात, सुरक्षित जीवन1
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- #गौ महा कुम्भ मेला -स्वामी जी को सुनें जरा#1
- छोटे पंडित एक प्रेम कहानी फिल्म की नर्मदापुरम में चल रही शूटिंग अंतरजातीय युवक से प्रेम प्रसंग पर आधारित फिल्म नर्मदापुरम (होशंगाबाद) में कई फिल्मों और वेब सीरीज की शूटिंग हो चुकी है, जिनमें मुख्य रूप से महारानी (सीजन 2 और 3, और अब सीजन 4 भी) शामिल है। इसके अलावा, टॉयलेट एक प्रेम कथा राजनीति, निर्मल पाठक की घर वापसी जैसी फिल्मों की भी शूटिंग यहां हुई है। पचमढ़ी में भी प्रकाश झा की फिल्म चक्रव्यूह की शूटिंग हो चुकी हैं। हाल ही में नर्मदापुरम में फिल्म प्रोडक्शन बढ़ रहा है। नर्मदापुरम में फिल्म छोटे पंडित की शूटिंग की जा रही है। शूटिंग निमसाड़िया सहित नर्मदा किनारे की कई लोकेशन पर हो रही हैं । फिल्म बुंदेली, भोजपुरी, हिंदी में बनाई जा रही हैं। वीओ 01महादेव फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले फिल्म बन रही है। फिल्म के प्रोड्यूसर राजेश गुप्ता एवं फिल्म के डायरेक्टर अरविंद त्रिपाठी एवं फिल्म अभिनेत्री संजीता वेनर्जी ने और चुलबुली पांडे ने छोटे पंडित फिल्म कि कहानी को लेकर विशेष वार्ता की। फिल्म एक महिला डीएसपी की बायोपिक है। वीओ 02 यह कहानी एक युवा युवक-युवती की प्रेम कहानी की है जो जातिगत वर्ण व्यवस्था पर आधारित है। एक गांव में छोटे पंडित नाम का एक युवक रहता है। उसे दलित युवती से प्रेम था। दोनों के प्रेम प्रसंग का गांव वालों को पता लगता है, तो वह समाज में ऐसा चलन शुरू नहीं हो इसके लिए युवती को मारकर नर्मदा में फेंक देते हैं, लेकिन युवती जीवित रहती है, नेमावर मैं युवती एक संत को मिलती है। वह संत उसे सहारा देकर पालते हैं, पढ़ाते हैं। युवती पढ़ लिखकर डिप्टी कलेक्टर बनती है। लेकिन वह डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट ज्वाइन नहीं करती और कुछ दिन बाद वह आईपीएस बन जाती है। संयोग से उसकी पोस्टिंग उसी जिले में होती है जहां उसे मारा गया था। वीओ 03जब वह डीएसपी बनकर वहां पहुंचती है तो वर्षों पुराने उस मामले को ओपन कर जांच शुरू करती है। मुख्य रोल में अभिनेत्री संजीता वेनर्जी, जैकी भावसार हैं।अभिनेत्री संचीता बैनर्जी चुलबुली पांडे कई भोजपुरी फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में काम कर चुकी हैं। वे इस फिल्म में मुख्य रोल में डीएसपी के रोल में दिखाई देंगी। उनके साथ जैकी भावसार लीड रोल में हैं। इस फिल्म के फिल्मांकन में 60 प्रतिशत स्थानीय प्रतिभाओं को फिल्म में स्थान दिया गया है।1
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- Post by Shivnarayan Maskole1