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मणिपुर हिंसा का जिम्मेदार कौन ? कुकी जनजाति के लोग बर्मा से भारत में घुसे। उनके पास हथियार थे। भारत के लोग हमेशा से इस बात में मानते है कि, यदि कोई हथियारबंद गिरोह या अपराधी उन पर हमला करते है तो भारतीय पुलिस एवं सेना तत्काल रूप से प्रकट होकर उन्हें बचा लेगी। अत: मणिपुर के ज्यादातर भारतीय नागरिको के पास आत्मरक्षा के लिए बंदूके नहीं थी। लेकिन पुलिस एवं सेना देर से पहुंची -- काफी देर से !! उनके देरी से पहुँचने की वजह कुछ भी हो सकती है। या तो वे इस तरह की त्वरित प्रतिकिया करने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है, या फिर नेताओ को मिशनरीज / कुकी द्वारा घूस के रूप में मोटी राशि दे दी गयी थी। नतीजे में 54 मणिपुरी मारे गए। यह आधिकारिक आंकड़ा है। किन्तु जिस तरह की ख़बरें मिल रही है उस आधार पर अनुमान है कि वास्तविक संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है -- काफी काफी ज्यादा !! दो प्रशासनिक अधिकारियों (राजस्व) को घर से बाहर घसीट कर लाया गया और उन्हें गोली मार दी गयी। एक विधायक को बुरी तरह से पीटा गया और वह अस्पताल में भर्ती है। बर्मा से घुस आए कुकियों ने हजारो घरो को जला दिया है। दस हजार से ज्यादा लोगो को अपना घर बार छोड़कर भागना पड़ा और वे अब उत्तरी मणिपुर के राहत केम्पो में पड़े हुए है। और इनमें से ज्यादातर लोग अब फिर से अपने इलाके में नहीं लौटना चाहते। ये लोग अब अन्य जगहों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, मुंबई आदि में बसना चाहते है, किन्तु मणिपुर नहीं जाना चाहते।  आप अंदाजा लगा सकते है कि, नागरिको को हथियार विहीन रखने के पक्ष में तर्क रखने वाले लोग कितने बुद्धिमान होते है !! और इनकी बुद्धिमानी का तावान आज मणिपुर के हथियारविहीन लोग चुका रहे है। 2012 में यह तावान असम के कोकराझार शहर के लोगो ने चुकाया था, और 1989 में कश्मीरी पंडितो ने !! कुकी नागालेंड की एक जनजाति है जो कि भारत, बर्मा, बांग्लादेश में सदियों से निवास कर रही है। बांगलादेश ने अपने देश से सभी कुकी को खदेड़ दिया है। तो बर्मा के कुकी भारत में घुसे और उन्होंने पहले यहाँ जमीने खरीदी। फिर उन्होंने अपने वोटर कार्ड और आधार कार्ड बनवाए। हालांकि वाजपेयी ने 1998 के चुनाव प्रचार में NRC लाने का वादा किया था, और उन्होंने सरकार भी बना ली थी। आरएसएस ने यह वादा करने के बाद 5 बार सरकार बनायी और आज 7 + 5 + 4 = 16 साल तक सरकार में रहने के बाद भी भारत के एक भी आदमी के पास नागरिकता कार्ड नहीं है !!! (मतलब इस दौरान उन्होंने हिन्दुओ को "जगा जगा कर" 5 बार सरकार बना ली !! और हर बार उन्होंने ज्यादा हिन्दुओ को जगाया और ज्यादा सीटो के साथ सत्ता में आए !!! समाधान जागना और जगाना नहीं है !! समाधान नेता और पार्टी भी नहीं है। समाधान क़ानून है। अच्छे क़ानून। क़ानून सुधरेंगे तो ही देश सुधरेगा। इस समस्या के समाधान के लिए हमारे द्वारा प्रस्तावित क़ानून निम्नलिखित है। इन कानूनों के आने से इस तरह की घटना भारत के सीमावर्ती इलाको में दुबारा नहीं होगी। (1) NRCI ; राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर इस प्रस्तावित क़ानून में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register for Citizens of India) बनाने की प्रक्रिया दी गयी है। गेजेट में प्रकाशित होने के साथ ही नागरिकता रजिस्टर बनने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। असम में NRC का जो ड्राफ्ट लागू किया गया था, उसमें गंभीर विसंगितियाँ एवं कमियां थी। उदाहरण के लिए असम का NRC न तो अवैध रूप से रह रहे आर्थिक विदेशियों को चिन्हित करता है, और न ही उन्हें डिपोर्ट करने की कोई व्यवस्था देता है। दुसरे शब्दों में, CAA एवं असम में किये गए NRC ने इस समस्या का समाधान नहीं किया है, बल्कि इस तरह की प्रोपेगेंडा खड़ा कर दिया है कि इस समस्या को सुलझा लिया गया है। हमारे द्वारा प्रस्तावित NRCI में इस तरह के प्रावधान किये गए है कि यह कानून आने के 1 वर्ष के भीतर सभी अवैध आर्थिक विदेशी या तो डिपोर्ट कर दिए जायेंगे या फिर स्वयं ही अपने मुल्कों में लौट जायेंगे। NRCI का पूरा ड्राफ्ट यहाँ से डाउनलोड कर सकते है - 14.NRCI.Rrp - Google Drive This browser version is no longer supported. Please upgrade to a supported browser. Dismiss https://drive.google.com/drive/folders/1jYTs4J2XwFspOe-psfHl3Cjz9ojo5szq (2) सीमावर्ती इलाको में कूर्ग का गन लॉ लागू करने हेतु जनमत संग्रह कराया जाए। सरकार द्वारा छापा गया 1963 का नोटिफिकेशन कर्नाटक के कूर्ग जिले के प्रत्येक मूल निवासी को बिना लाइसेंस बंदूक रखने का अधिकार देता है। भारत के शेष जिलो में रहने वाले नागरिको को यदि अपनी एवं अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बंदूक खरीदनी हो तो उन्हें सरकार से लाइसेंस लेने की जरूरत होती है। हमारा प्रस्ताव है कि सीमावर्ती इलाको के जिलो में इस आशय का जनमत संग्रह करवाया जाना चाहिए कि क्या उनके जिले में कूर्ग का बंदूक क़ानून लागू किया जाये या नहीं। यदि जनमत संग्रह में किसी जिले के 55% नागरिक हाँ दर्ज कर दें तो पीएम या सीएम अमुक जिले में यह क़ानून लागू करने का फैसला ले सकते है।  जिन जिन जिलो में यह क़ानून जनमत संग्रह में पास हो जाएगा, यह तय है कि कुकी या बंगलादेशी घुसपेठीए अमुक जिलो के शहरियों पर हमले करने की हिम्मत दिखाने से परहेज करेंगे। तो मेरे विचार में इस हिंसा के जिम्मेदार वे बुद्धिमान एक्टिविस्ट है जिन्होंने अपने राजनैतिक विमर्श को इस नेता ने कल क्या कहा और उस नेता ने कल क्या भाषण दिया तक सीमित करके रखा हुआ है। वे या तो तेरा नेता खराब मेरा नेता अच्छा का सर्कस चलाने में व्यस्त रहते है, या फिर इस तरह की घटनाएं घटने पर सोशल मीडिया पर आकर या तो संवेदनाएं बेचते है या फिर शान्ति बनाए रखने का ज्ञान देते है। लेकिन वे उन कानूनों की चर्चा एवं मांग कभी नहीं करते जिनके गेजेट में आने से अमुक समस्या का समाधान किया जा सकता है। RSS को मैं इसके लिए विशेष रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराऊंगा। क्योंकि वे लोग एक राजनैतिक पार्टी चलाते है और वोटो की खेती करने के कारोबार में है। और इस तरह के मुद्दों को उठाकर जितने वोट काटे जा सकते है, उतने वोट समस्या का समाधान करके नहीं लिए जा सकते। और कोंग्रेस एवं आम आदमी पार्टी को तो इसके लिए जिम्मेदार ठहराया ही नहीं जा सकता। उनकी तरफ से पूरे बर्मा और बांग्लादेश के घुस्पेठीए भारत में आकर बस सकते है। ये लोग उन्हें इस शर्त पर वोटर कार्ड बनवा कर देने का वादा करते है, कि वे उन्हें वोट करें।

on 21 September
user_Vote Vapsi Pasbook
Vote Vapsi Pasbook
Muzaffarpur•
on 21 September
1de18329-dbaf-4901-adbe-76e8684fe53a

मणिपुर हिंसा का जिम्मेदार कौन ? कुकी जनजाति के लोग बर्मा से भारत में घुसे। उनके पास हथियार थे। भारत के लोग हमेशा से इस बात में मानते है कि, यदि कोई हथियारबंद गिरोह या अपराधी उन पर हमला करते है तो भारतीय पुलिस एवं सेना तत्काल रूप से प्रकट होकर उन्हें बचा लेगी। अत: मणिपुर के ज्यादातर भारतीय नागरिको के पास आत्मरक्षा के लिए बंदूके नहीं थी। लेकिन पुलिस एवं सेना देर से पहुंची -- काफी देर से !! उनके देरी से पहुँचने की वजह कुछ भी हो सकती है। या तो वे इस तरह की त्वरित प्रतिकिया करने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है, या फिर नेताओ को मिशनरीज / कुकी द्वारा घूस के रूप में मोटी राशि दे दी गयी थी। नतीजे में 54 मणिपुरी मारे गए। यह आधिकारिक आंकड़ा है। किन्तु जिस तरह की ख़बरें मिल रही है उस आधार पर अनुमान है कि वास्तविक संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है -- काफी काफी ज्यादा !! दो प्रशासनिक अधिकारियों (राजस्व) को घर से बाहर घसीट कर लाया गया और उन्हें गोली मार दी गयी। एक विधायक को बुरी तरह से पीटा गया और वह अस्पताल में भर्ती है। बर्मा से घुस आए कुकियों ने हजारो घरो को जला दिया है। दस हजार से ज्यादा लोगो को अपना घर बार छोड़कर भागना पड़ा और वे अब उत्तरी मणिपुर के राहत केम्पो में पड़े हुए है। और इनमें से ज्यादातर लोग अब फिर से अपने इलाके में नहीं लौटना चाहते। ये लोग अब अन्य जगहों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, मुंबई आदि में बसना चाहते है, किन्तु मणिपुर नहीं जाना चाहते।  आप अंदाजा लगा सकते है कि, नागरिको को हथियार विहीन रखने के पक्ष में तर्क रखने वाले लोग कितने बुद्धिमान होते है !! और इनकी बुद्धिमानी का तावान आज मणिपुर के हथियारविहीन लोग चुका रहे है। 2012 में यह तावान असम के कोकराझार शहर के लोगो ने चुकाया था, और 1989 में कश्मीरी पंडितो ने !! कुकी नागालेंड की एक जनजाति है जो कि भारत, बर्मा, बांग्लादेश में सदियों से निवास कर रही है। बांगलादेश ने अपने देश से सभी कुकी को खदेड़ दिया है। तो बर्मा के कुकी भारत में घुसे और उन्होंने पहले यहाँ जमीने खरीदी। फिर उन्होंने अपने वोटर कार्ड और आधार कार्ड बनवाए। हालांकि वाजपेयी ने 1998 के चुनाव प्रचार में NRC लाने का वादा किया था, और उन्होंने सरकार भी बना ली थी। आरएसएस ने यह वादा करने के बाद 5 बार सरकार बनायी और आज 7 + 5 + 4 = 16 साल तक सरकार में रहने के बाद भी भारत के एक भी आदमी के पास नागरिकता कार्ड नहीं है !!! (मतलब इस दौरान उन्होंने हिन्दुओ को "जगा जगा कर" 5 बार सरकार बना ली !! और हर बार उन्होंने ज्यादा हिन्दुओ को जगाया और ज्यादा सीटो के साथ सत्ता में आए !!! समाधान जागना और जगाना नहीं है !! समाधान नेता और पार्टी भी नहीं है। समाधान क़ानून है। अच्छे क़ानून। क़ानून सुधरेंगे तो ही देश सुधरेगा। इस समस्या के समाधान के लिए हमारे द्वारा प्रस्तावित क़ानून निम्नलिखित है। इन कानूनों के आने से इस तरह की घटना भारत के सीमावर्ती इलाको में दुबारा नहीं होगी। (1) NRCI ; राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर इस प्रस्तावित क़ानून में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register for Citizens of India) बनाने

e87ed011-9df2-4795-a817-6722e140e5ab

की प्रक्रिया दी गयी है। गेजेट में प्रकाशित होने के साथ ही नागरिकता रजिस्टर बनने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। असम में NRC का जो ड्राफ्ट लागू किया गया था, उसमें गंभीर विसंगितियाँ एवं कमियां थी। उदाहरण के लिए असम का NRC न तो अवैध रूप से रह रहे आर्थिक विदेशियों को चिन्हित करता है, और न ही उन्हें डिपोर्ट करने की कोई व्यवस्था देता है। दुसरे शब्दों में, CAA एवं असम में किये गए NRC ने इस समस्या का समाधान नहीं किया है, बल्कि इस तरह की प्रोपेगेंडा खड़ा कर दिया है कि इस समस्या को सुलझा लिया गया है। हमारे द्वारा प्रस्तावित NRCI में इस तरह के प्रावधान किये गए है कि यह कानून आने के 1 वर्ष के भीतर सभी अवैध आर्थिक विदेशी या तो डिपोर्ट कर दिए जायेंगे या फिर स्वयं ही अपने मुल्कों में लौट जायेंगे। NRCI का पूरा ड्राफ्ट यहाँ से डाउनलोड कर सकते है - 14.NRCI.Rrp - Google Drive This browser version is no longer supported. Please upgrade to a supported browser. Dismiss https://drive.google.com/drive/folders/1jYTs4J2XwFspOe-psfHl3Cjz9ojo5szq (2) सीमावर्ती इलाको में कूर्ग का गन लॉ लागू करने हेतु जनमत संग्रह कराया जाए। सरकार द्वारा छापा गया 1963 का नोटिफिकेशन कर्नाटक के कूर्ग जिले के प्रत्येक मूल निवासी को बिना लाइसेंस बंदूक रखने का अधिकार देता है। भारत के शेष जिलो में रहने वाले नागरिको को यदि अपनी एवं अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बंदूक खरीदनी हो तो उन्हें सरकार से लाइसेंस लेने की जरूरत होती है। हमारा प्रस्ताव है कि सीमावर्ती इलाको के जिलो में इस आशय का जनमत संग्रह करवाया जाना चाहिए कि क्या उनके जिले में कूर्ग का बंदूक क़ानून लागू किया जाये या नहीं। यदि जनमत संग्रह में किसी जिले के 55% नागरिक हाँ दर्ज कर दें तो पीएम या सीएम अमुक जिले में यह क़ानून लागू करने का फैसला ले सकते है।  जिन जिन जिलो में यह क़ानून जनमत संग्रह में पास हो जाएगा, यह तय है कि कुकी या बंगलादेशी घुसपेठीए अमुक जिलो के शहरियों पर हमले करने की हिम्मत दिखाने से परहेज करेंगे। तो मेरे विचार में इस हिंसा के जिम्मेदार वे बुद्धिमान एक्टिविस्ट है जिन्होंने अपने राजनैतिक विमर्श को इस नेता ने कल क्या कहा और उस नेता ने कल क्या भाषण दिया तक सीमित करके रखा हुआ है। वे या तो तेरा नेता खराब मेरा नेता अच्छा का सर्कस चलाने में व्यस्त रहते है, या फिर इस तरह की घटनाएं घटने पर सोशल मीडिया पर आकर या तो संवेदनाएं बेचते है या फिर शान्ति बनाए रखने का ज्ञान देते है। लेकिन वे उन कानूनों की चर्चा एवं मांग कभी नहीं करते जिनके गेजेट में आने से अमुक समस्या का समाधान किया जा सकता है। RSS को मैं इसके लिए विशेष रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराऊंगा। क्योंकि वे लोग एक राजनैतिक पार्टी चलाते है और वोटो की खेती करने के कारोबार में है। और इस तरह के मुद्दों को उठाकर जितने वोट काटे जा सकते है, उतने वोट समस्या का समाधान करके नहीं लिए जा सकते। और कोंग्रेस एवं आम आदमी पार्टी को तो इसके लिए जिम्मेदार ठहराया ही नहीं जा सकता। उनकी तरफ से पूरे बर्मा और बांग्लादेश के घुस्पेठीए भारत में आकर बस सकते है। ये लोग उन्हें इस शर्त पर वोटर कार्ड बनवा कर देने का वादा करते है, कि वे उन्हें वोट करें।

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    Darbhanga•
    19 hrs ago
  • Post by Rajkumar Paswan
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    Post by Rajkumar Paswan
    user_Rajkumar Paswan
    Rajkumar Paswan
    Local Politician Samastipur•
    24 min ago
  • Post by Vijay studio sarai
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    Post by Vijay studio sarai
    user_Vijay studio sarai
    Vijay studio sarai
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    2 hrs ago
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    user_PTB BIHAR
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    News Anchor Darbhanga•
    1 hr ago
  • sikho kuch
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    sikho kuch
    user_🌹RAJA💋
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    Darbhanga•
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    Bangal ka video hai Hindustan mein yahi sab dekhne ko milega
    user_Rajkumar Paswan
    Rajkumar Paswan
    Local Politician Samastipur•
    4 hrs ago
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