पुण्यतिथि पर शत्रुघ्न शरण सिंह को दी गई श्रद्धांजलि हिसुआ(नवादा): हिसुआ नगर परिषद् स्थित महाविद्यालय त्रिवेणी सत्यभामा महाविद्यालय हिसुआ में महाविद्यालय के संस्थापक सचिव एवं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री शत्रुघ्न शरण सिंह पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ मनु जी राय द्वारा शत्रुघ्न शरण सिंह के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया एवं विस्तार पूर्वक इनके बारे में बताया गया। शत्रुघ्न शरण सिंह अपने स्कूली दिनों में ही राष्ट्रवादी, विशेषकर क्रांतिकारी आंदोलनों की ओर आकर्षित हो गए थे। वे 1917 में चंपारण की ऐतिहासिक भूमि पर यूरोप के दमनकारी नील उत्पादकों पर महात्मा गांधी की शानदार जीत से प्रेरित और रोमांचित थे। हालाँकि वे केवल दस वर्ष के थे, लेकिन रॉलेट एक्ट (मार्च 1919) और जलियाँवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919) की खबरों ने बालक शत्रुघ्न सिंह के दिल और आत्मा को गहराई से प्रभावित किया। अपने जीवन के शुरुआती आधे हिस्से में, उन्होंने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया और कई बार जेल गए और बिहार प्रांत की अलग-अलग जेलों में लगभग दस साल सलाखों के पीछे बिताए। वे भगत सिंह द्वारा गठित हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सक्रिय सदस्य बन गए। भारत छोड़ो आंदोलन में, उन्होंने शुरू से ही एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने जीवन के उत्तरार्ध में, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से, उन्होंने अपना जीवन निस्वार्थ जन सेवा में समर्पित कर दिया। 1948 से 9 नवंबर 1985 को अपने निधन तक, वे लगातार 25 वर्षों तक बिहार प्रांतीय कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य, आमंत्रित सदस्य या महासचिव के रूप में काम करते रहे। इस श्रद्धांजलि सभा में डॉ. शंभू शरण सिंह, डॉ. शेखर, अनिल कुमार, मिथिलेश सिंह, शैलेन्द्र कुमार, मीडिया प्रभारी मुकेश कुमार, रौशन कुमार, सुधीर कुमार आदि ने भी पुष्पांजलि अर्पित किया।
पुण्यतिथि पर शत्रुघ्न शरण सिंह को दी गई श्रद्धांजलि हिसुआ(नवादा): हिसुआ नगर परिषद् स्थित महाविद्यालय त्रिवेणी सत्यभामा महाविद्यालय हिसुआ में महाविद्यालय के संस्थापक सचिव एवं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री शत्रुघ्न शरण सिंह पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ मनु जी राय द्वारा शत्रुघ्न शरण सिंह के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया एवं विस्तार पूर्वक इनके बारे में बताया गया। शत्रुघ्न शरण सिंह अपने स्कूली दिनों में ही राष्ट्रवादी, विशेषकर क्रांतिकारी आंदोलनों की ओर आकर्षित हो गए थे। वे 1917 में चंपारण की ऐतिहासिक भूमि पर यूरोप के दमनकारी नील उत्पादकों पर महात्मा गांधी की शानदार जीत से प्रेरित और रोमांचित थे। हालाँकि वे केवल दस वर्ष के थे, लेकिन रॉलेट एक्ट (मार्च 1919) और जलियाँवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919) की खबरों ने बालक शत्रुघ्न सिंह के दिल और आत्मा को गहराई से प्रभावित किया। अपने जीवन के शुरुआती आधे हिस्से में, उन्होंने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया और कई बार जेल गए और बिहार प्रांत की अलग-अलग जेलों में लगभग दस साल सलाखों के पीछे बिताए। वे भगत सिंह द्वारा गठित हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सक्रिय सदस्य बन गए। भारत छोड़ो आंदोलन में, उन्होंने शुरू से ही एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने जीवन के उत्तरार्ध में, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से, उन्होंने अपना जीवन निस्वार्थ जन सेवा में समर्पित कर दिया। 1948 से 9 नवंबर 1985 को अपने निधन तक, वे लगातार 25 वर्षों तक बिहार प्रांतीय कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य, आमंत्रित सदस्य या महासचिव के रूप में काम करते रहे। इस श्रद्धांजलि सभा में डॉ. शंभू शरण सिंह, डॉ. शेखर, अनिल कुमार, मिथिलेश सिंह, शैलेन्द्र कुमार, मीडिया प्रभारी मुकेश कुमार, रौशन कुमार, सुधीर कुमार आदि ने भी पुष्पांजलि अर्पित किया।
- रजौली मेला कौन कौन आरहे हो घूमने1
- Wait for end pushpa 21
- Nawada: रजौली चेकपोस्ट पर वाहन जांच के दौरान दयान बस में मिली शराब की खाली बोतल और ढक्कन1
- Wait for end pushpa 21
- NAWADA*रजौली हरदिया डेम घूमने आए सैलानियों ने बिहार सरकार से शुद्ध पानी की मांग किया ?1
- #दिल #में #बन #नालेले #घर 🥀🥺😔1
- Kakolat waterfall,Nawada1
- नवादा रेलवे स्टेशन पर लगी आग #nawada #indianrailways #141साल पुरानी है नवादा रेलवे स्टेशन newsaapki1