अम्बेडकर नगर *बंद करे नेता नगरी अनाप शनाप बयान बाजी* आप होते थानाध्यक्ष और पुलिस अधीक्षक तो क्या रोक देते बेटी के साथ हुई घटना *बेटी के साथ हुई घटित बेहद दुःखद है* परन्तु घटना का जिम्मेदार पुलिस नहीं है कब तक पुलिस पर दोषारोपण करेंगे आप लोग *सरकार के कमी से हुई घटना बच सकती थी बेटी की जान* जहा एक तरफ मुंबई में माता-पिता के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूल विभिन्न सुरक्षा उपाय किएहैं, जैसे प्रवेश नियंत्रण और निगरानी कैमरे, लागू करते हैं। *अभिभावकों के मोबाइल पर बच्चों का प्रवेश अलर्ट क्यों नहीं* 100 200 रुपए बैंक खाते में जमा करने पर, पुलिस के द्वारा मुक़दमे में चार्जशीट लगाए जाने पर ,पोस्ट ऑफिस में रजिस्ट्री करने पर ,रेल टिकट, हवाई टिकट बुक करने पर ,आय जाति निवास ऑनलाइन करने पर , मोबाइल पर मैसेज क्यों माध्यम से सूचना दिया जा सकता है परंतु मजाल है कि बच्चे स्कूल में प्रवेश करें और अभिभावकों के मोबाइल पर प्रवेश का संदेश भेजा जा सके स्कूल से आउट होने पर संदेश भेजा जा सके *अगर सरकार / स्कूल प्रशासन इन आउट का सुविधा किया होता तो बच्ची की जान बच सकती थी* घर से स्कूल जाने में कितना समय लगता है और स्कूल से घर पहुंचने में कितना समय लगता है इस समय का आकलन अभिभावक कर लेते क्या पता देर होने पर जल्दी सूचित कर देते घटना होने से बच सकती थी *जो माता-पिता शाम तक प्रतीक्षा करते रहे बेटी की* वह माता-पिता 7:20 पर स्कूल के लिए निकली हुई बेटी अगर स्कूल नहीं पहुंची समय से और मैसेज अलर्ट की सुविधा होती तो शायद वह पुलिस को तत्काल सूचना देकर समय रहते बेटी की जान बचा सकते थे *सरकार भी स्कूल की शिक्षा और आने जाने की व्यवस्था निशुल्क कर देनी चाहिए* अगर बच्चे घर से स्कूल वाहन पर बैठकर गई होती और स्कूल से स्कूल वाहन पर बैठकर आई होती तो शायद यह घटना ना घाटी होती *परंतु अभिभावक के पास स्कूल देने का फीस का पैसा नहीं है* तो वाहन का बेचारे कहां से देंगे पैसा बस सरकार विकास का ढिंढोरा पीट रही है *परंतु ऐसी सुविधा न करते हुए सरकार सिर्फ जनता को 5 किलो राशन में और भत्ता में अटकाई और भटकाई हुई है* पुलिस भी इंसान है कोई उसके पास दिव्य दृष्टि नहीं है जो घटना होने से पहले वह जान जाएगी और सरकार के पास प्रदेश के पास इतना पुलिस बल व्यवस्था भी नहीं है कि हर चौराहे और गली पर पुलिस खड़ी रहे *घटना घटने की देरी नहीं हुआ कि पुलिस पर आरोपों की झड़ी लग रही है* अरे भाई समय लगता है अगर पुलिस वाले पहले से जानते कि घटना करने वाला आरोपी कौन है तो उसे पहले गिरफ्तार कर लेते *अब घटना घटित हुई है तो जांच में समय लगता है पुलिस जांच कर रही है* टीमें गठित है समय दीजिए सभी उच्चाधिकारी मामले को गंभीरता से संज्ञान लिए हैं सख्त कार्यवाही करने का आश्वासन दिए हैं और आप लोग सिर्फ अनाप-शनाप पुलिस पर आरोप लगाएंगे अनावश्यक दबाव बनाएंगे तो पुलिस किसे पकड़ ले तुरंत किसी बेगुनाह को पकड़कर जेल भेज दे तब भी तो आप लोग आरोप लगाएंगे कि पुलिस गलत कर रही है *किसी भी घटना का जांच करने में कुछ पर्याप्त समय लगता है* तब निस्तारण सम्भव हो पाता है Suyash Kumar Mishra Ashu 8755777000 9506000647
अम्बेडकर नगर *बंद करे नेता नगरी अनाप शनाप बयान बाजी* आप होते थानाध्यक्ष और पुलिस अधीक्षक तो क्या रोक देते बेटी के साथ हुई घटना *बेटी के साथ हुई घटित बेहद दुःखद है* परन्तु घटना का जिम्मेदार पुलिस नहीं है कब तक पुलिस पर दोषारोपण करेंगे आप लोग *सरकार के कमी से हुई घटना बच सकती थी बेटी की जान* जहा एक तरफ मुंबई में माता-पिता के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूल विभिन्न सुरक्षा उपाय किएहैं, जैसे प्रवेश नियंत्रण और निगरानी कैमरे, लागू करते हैं। *अभिभावकों के मोबाइल पर बच्चों का प्रवेश अलर्ट क्यों नहीं* 100 200 रुपए बैंक खाते में जमा करने पर, पुलिस के द्वारा मुक़दमे में चार्जशीट लगाए जाने पर ,पोस्ट ऑफिस में रजिस्ट्री करने पर ,रेल टिकट, हवाई टिकट बुक करने पर ,आय जाति निवास ऑनलाइन करने पर , मोबाइल पर मैसेज क्यों माध्यम से सूचना दिया जा सकता है परंतु मजाल है कि बच्चे स्कूल में प्रवेश करें और अभिभावकों के मोबाइल पर प्रवेश का संदेश भेजा जा सके स्कूल से आउट होने पर संदेश भेजा जा सके *अगर सरकार / स्कूल प्रशासन इन आउट का सुविधा किया होता तो बच्ची की जान बच सकती थी* घर से स्कूल जाने में कितना समय लगता है और स्कूल से घर पहुंचने में कितना समय लगता है इस समय का आकलन अभिभावक कर लेते क्या पता देर होने पर जल्दी सूचित कर देते घटना होने से बच सकती थी *जो माता-पिता शाम तक प्रतीक्षा करते रहे बेटी की* वह माता-पिता 7:20 पर स्कूल के लिए निकली हुई बेटी अगर स्कूल नहीं पहुंची समय से और मैसेज अलर्ट की सुविधा होती तो शायद वह पुलिस को तत्काल सूचना देकर समय रहते बेटी की जान बचा सकते थे *सरकार भी स्कूल की शिक्षा और आने जाने की व्यवस्था निशुल्क कर देनी चाहिए* अगर बच्चे घर से स्कूल वाहन पर बैठकर गई होती और स्कूल से स्कूल वाहन पर बैठकर आई होती तो शायद यह घटना ना घाटी होती *परंतु अभिभावक के पास स्कूल देने का फीस का पैसा नहीं है* तो वाहन का बेचारे कहां से देंगे पैसा बस सरकार विकास का ढिंढोरा पीट रही है *परंतु ऐसी सुविधा न करते हुए सरकार सिर्फ जनता को 5 किलो राशन में और भत्ता में अटकाई और भटकाई हुई है* पुलिस भी इंसान है कोई उसके पास दिव्य दृष्टि नहीं है जो घटना होने से पहले वह जान जाएगी और सरकार के पास प्रदेश के पास इतना पुलिस बल व्यवस्था भी नहीं है कि हर चौराहे और गली पर पुलिस खड़ी रहे *घटना घटने की देरी नहीं हुआ कि पुलिस पर आरोपों की झड़ी लग रही है* अरे भाई समय लगता है अगर पुलिस वाले पहले से जानते कि घटना करने वाला आरोपी कौन है तो उसे पहले गिरफ्तार कर लेते *अब घटना घटित हुई है तो जांच में समय लगता है पुलिस जांच कर रही है* टीमें गठित है समय दीजिए सभी उच्चाधिकारी मामले को गंभीरता से संज्ञान लिए हैं सख्त कार्यवाही करने का आश्वासन दिए हैं और आप लोग सिर्फ अनाप-शनाप पुलिस पर आरोप लगाएंगे अनावश्यक दबाव बनाएंगे तो पुलिस किसे पकड़ ले तुरंत किसी बेगुनाह को पकड़कर जेल भेज दे तब भी तो आप लोग आरोप लगाएंगे कि पुलिस गलत कर रही है *किसी भी घटना का जांच करने में कुछ पर्याप्त समय लगता है* तब निस्तारण सम्भव हो पाता है Suyash Kumar Mishra Ashu 8755777000 9506000647
- Kalideen KumarAkbarpur, Ambedkar NagarEncounteron 1 October
- Anil RobertsDigod, Kotaन्यूज तो बतानी चाहिए खाली वीडियो पोस्ट करने से क्या होगा आधी अधूरी खबर।on 30 September
- Vijendra SinghKolar, Bhopal😡 choti bachhi ko aisa kiyaon 29 September
- Somraj GamarUdaipur, Rajasthan🥲🥲🥲😭👏👏on 29 September
- Ek KaKanke, Ranchiतेरी बहन बेटी रहेगी तो भी ऐसे वीडियो डालोगे क्या? ऐसी वीडियो मत डाला कर।on 29 September
- Vinod KumarManohar Thana, Jhalawarबहुत दुख की बात है भाई बहुत बुरा हुआon 29 September
- User6539Bharmour, Chamba🥺on 29 September
- कंधमाल में माओवादियों पर बड़ी कार्रवाई, छह ढेर; नवीन पटनायक ने बताया बड़ी सफलता ओडिशा के कंधमाल में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में छह माओवादियों के मारे जाने को वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबी बताया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसे राज्य की सुरक्षा के लिए अहम कदम करार दिया। #Odisha #MaoistAttack #LeftWingExtremism #Kandhamal #SecurityForces #NaveenPatnaik #BreakingNews #IndiaSecurity1
- अयोध्या के नवीन मंडी परिषद के डी डी सी श्याम सिंह पहुंचे सिद्ध पीठ कोल्हापुर धाम1
- घनश्यामपुर के देवरामपुर में जय बजरंग अंडर आर्म क्रिकेट प्रतियोगिता का समापन, वीरपालपुर बना चैंपियन जौनपुर। बदलापुर तहसील क्षेत्र के घनश्यामपुर बाजार के समीप देवरामपुर पानी टंकी के बगल में आयोजित जय बजरंग अंडर आर्म क्रिकेट प्रतियोगिता का भव्य समापन खेल भावना और उत्साह के साथ किया गया। फाइनल मुकाबले में वीरपालपुर टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम किया, जबकि देवापुर की टीम उपविजेता रही। निर्धारित समयानुसार प्रतियोगिता का समापन अपराह्न लगभग 4:30 बजे हुआ। विजेता टीम वीरपालपुर को 11 हजार रुपये की नकद पुरस्कार राशि प्रदान की गई, वहीं उपविजेता टीम देवापुर को 7 हजार रुपये देकर सम्मानित किया गया। खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष पुरस्कार भी दिए गए। मैन ऑफ द सीरीज को साइकिल तथा मैन ऑफ द मैच को मोबाइल फोन देकर सम्मानित किया गया, जिससे खिलाड़ियों में विशेष उत्साह देखने को मिला। पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में समाजवादी पार्टी जौनपुर के जिलाध्यक्ष आदरणीय राकेश मौर्य उपस्थित रहे। उनके साथ राष्ट्रीय महासचिव समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी राघवेन्द्र यादव राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लोहिया वाहिनी , महेंद्र यादव जिला अध्यक्ष, विकास यादव, सोनू यादव बीडीसी, अजय यादव, पूर्व प्रधान दिनेश यादव, उमाकांत यादव, नितिन यादव, अखिलेश यादव,शालू, शिवम, दिव्य प्रकाश, सूरज, प्रवेश, अजय, भानु प्रताप, अजीत यादव एडवोकेट अखंड प्रताप यादव सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रीय गणमान्य लोग मौजूद रहे। अतिथियों ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर विजेता व उपविजेता टीमों को पुरस्कार प्रदान किए और प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए आयोजकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर इस प्रकार की खेल प्रतियोगिताएं युवाओं में खेल के प्रति रुचि बढ़ाने के साथ-साथ आपसी भाईचारे और अनुशासन को भी मजबूत करती हैं। आयोजन स्थल पर दर्शकों की भारी भीड़ रही और पूरे टूर्नामेंट के दौरान खेल प्रेमियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।4
- कंबोडिया–थाईलैंड सीमा – दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष के दौरान कंबोडिया द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा चीनी MLRS सिस्टम विस्फोट के साथ फेल हो गया। हादसे में 8 कंबोडियाई सैनिकों के मारे जाने की खबर है। प्रारंभिक तौर पर इसे तकनीकी खराबी माना जा रहा है। इससे पहले मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी चीनी सैन्य उपकरणों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ चुके हैं।1
- जय निषाद राज 🙏🙏🙏1
- Post by Journalist Arshad Jamal Khan1
- जौनपुर ब्रेकिंग न्यूज बिजली बिल राहत कैंप में जबरदस्त हंगामा काम में बाधा का आरोप। 📍 ग्रामसभा गैरवाह में लगाए गए राहत कैंप के दौरान विवाद ➡️ आरोप है कि ग्राम प्रधान विजय सिंह ने बिजली विभाग के कर्मचारी के साथ गाली-गलौज धक्का-मुक्की मारपीट की घटना का वीडियो वायरल2
- इस वीडियो में ज्वालामुखी का ऐसा दृश्य सामने आया है, जिसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लावा की जलती धाराएँ, आसमान में उठता धुएँ का गुबार और धरती की कंपन — सब कुछ एक साथ कैमरे में कैद हुआ है। यह नज़ारा जितना मनमोहक लगता है, उतना ही विनाशकारी भी है। प्रकृति का यह रौद्र रूप साफ़ संदेश देता है कि इंसान चाहे कितनी भी तरक़्क़ी कर ले, लेकिन धरती की ताक़त के सामने आज भी बेहद छोटा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ज्वालामुखी का सक्रिय होना आसपास के इलाकों के लिए ख़तरे की घंटी हो सकता है। हालांकि इस वीडियो की स्थान और समय की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन दृश्य बेहद भयावह और चौंकाने वाले हैं। @tgvmedia . . #volcanoeruption #prakritikatandav #roudraroop #naturepower #breakingvisuals #ᴠɪʀᴀʟᴠɪᴅᴇᴏ #volcano #volcanoview #viralnews #trendingnews #shockingvideos #exploremore #explore #socialmediaviral #jwalamukhi1
- अमेठी कोतवाली में कानून बेदम, अपराधियों के हौसले बुलंद —कोतवाली पुलिस पूरी तरह फेल अमेठी कोतवाली क्षेत्र में हालात अब चिंताजनक नहीं, बल्कि भयावह हो चुके हैं। अपराधियों में न कानून का डर बचा है, न सजा का भय। ऐसा प्रतीत होता है मानो अपराधियों के सिर पर खून सवार है और वे खुलेआम वारदातों को अंजाम देकर पुलिस व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं। एक के बाद एक हो रही आपराधिक घटनाएं अमेठी कोतवाली पुलिस की नाकामी की गवाही दे रही हैं। गुंडई ,महिला अपराध, संदिग्ध मौतें और खुलेआम दबंगई—ये सब अब सामान्य होते जा रहे हैं। सवाल यह है कि कोतवाली पुलिस आखिर कर क्या रही है? गश्त सिर्फ ब्लैक फिल्म लगी स्कॉर्पियो और कागज़ों में है या अपराधियों के लिए कोतवाली क्षेत्र खुला मैदान बन चुका है? सबसे गंभीर चिंता का विषय यह है कि मौजूदा कोतवाली प्रभारी का नाम पूर्व जनपद में भी विवादों से जुड़ा रहा है। इसके बावजूद अमेठी जैसे संवेदनशील क्षेत्र की कमान उन्हीं के हाथों में है। क्या यह प्रशासनिक चूक है या जानबूझकर आंख मूंद ली गई है? आज अमेठी की जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। अगर अब भी जिम्मेदारी तय नहीं हुई, तो यह साफ हो जाएगा कि अमेठी में कानून नहीं, बल्कि अपराधियों का राज चल रहा है। यह नजारा कोतवाली से चंद कदम दूर कस्बे का है3