लोकेशन: जसवां परागपुर। जो कौम अपने इतिहास को याद रखती है, उसका भविष्य भी उज्जवल होता है -संजय पराशर -पराशर ने पीर सलूही में सम्मानित किए 1012 सैनिक, पूर्व सैनिक व वीर नारियां रक्कड़ शुक्रवार को जसवां प्रागपुर क्षेत्र की पीरसलूही पंचायत में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य पर विशेष सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बतौर मुख्य वक्ता कैप्टन संजय पराशर शामिल हुए। इस अवसर पर पराशर और सैन्य परिवारों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए हिमाचल के 52 सैनिकों को पुष्पाजंलि अर्पित की। संजय ने इस कार्यक्रम में 1012 सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों और वीर नारियों का फूलमाला से स्वागत किया और उन्हें स्मृति देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में कुल उपस्थिति 1500 से अधिक रही। इस समारोह में कैप्टन संजय ने कहा कि जो राष्ट्र, समाज और कौम अपने बलिदानी सैनिकों के इतिहास को याद रखती है, उनका भविष्य भी सदैव स्वर्णिम रहता है। कहा कि वह कारगिल विजय दिवस के आयोजन पर हर वर्ष सैनिकों का सम्मान करते हैं और यह परंपरा आजीवन जारी रहेगी। इस कारण यह है कि हमें अपने देश के इतिहास का सदैव स्मरण करना चाहिए। इतिहास को याद करके ही हम अपना भविष्य स्वर्णिम बना सकते हैं। कहा कि भारतवर्ष के सामने पाकिस्तान की पहले भी कोई औकात नहीं थी और अब भी नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से हमारा यह पड़ोसी कभी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। 1965 और 1971 में भारतीय सेना के वीर सैनिकों ने नापाक मुल्क को उसकी हदें बता दी थीं। बावजूद एक बार फिर वर्ष 1999 में भारत पर अघोषित युद्ध थोपा गया था, लेकिन इस लड़ाई में भारतीय सेना की जीत इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। पराशर ने कहा कि बेशक 26 जुलाई का दिन कायरों के ऊपर हमारे वीर जवानों की हुंकार का सबूत है। सही मायनाें में यह युद्ध भारतीय सेना के लिए इतना आसान भी नहीं था। पाक सेना ऊपर पहाड़ी पर थी तो भारतीय सेना ने नीचे से ऊपर चढ़ाई करनी थी। इस दौरान भारतीय सेना जाबांज हौसलों के साथ अदभुत पराक्रम, असाधारण शौर्य व धैर्य और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते दुश्मन देश के सैनिकों व घुसपैठियों को धूल चटा दी और करारी शिकस्त दी थी। संजय ने कहा कि भारत एक शांति प्रिय राष्ट्र है और हमारे देश ने कभी भी किसी अन्य देश की जमीन पर कब्जा करने या युद्ध करने की पहल नहीं की, लेकिन जब-जब भी दुश्मन की तरफ से ऐसा करने के प्रयास हुए, भारतीय सेना ने हर बार मुंह तोड़ जबाव दिया। भारतीय सेना की वीरता के आगे कोई भी दुश्मन एक इंच भूमि काे हमसे नहीं ले सकता, लेकिन भविष्य में कोई हमें बुरी नजर से देखता है तो शुत्रु राष्ट्रों को अपनी जमीन खोने का खतरा होगा। पराशर ने कहा कि कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिक समाज व देश के गाैरव हैं। वीरता व अदम्य साहस को दिखलाने में हिमाचली सैनिकों का कोई सानी नहीं है। पहला परमवीर चक्र मेजर सोमदत शर्मा काे मिला, जोकि हमारे ही प्रदेश से संबधित थे। संजय ने कहा कि प्रदेश के वीर सपूत कैप्टन विक्रम कोडवर्ड ये दिल मांगे मोर को आज भी कौन भूल सकता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि लेफिटनेंट जनरल संजय कुलकर्णी (सेवानिवृत) ने पराशर द्वारा ऐसे आयोजनों में वीर सैनिकों का सम्मान करने के लिए उनकी प्रशंसा की। कुलकर्णी ने कहा कि कि भारत ने विपरीत परिस्थितयों में इस युद्ध में विजय प्राप्त की थी और यह युद्ध सदियों तक भारत के पराक्रम का साक्षी रहेगा। इस अवसर पर सेवानिवृत कर्नल विपिन, सोनिका पराशर और बीडीसी सदस्य अनुज शर्मा का भी संबोधन रहा।
लोकेशन: जसवां परागपुर। जो कौम अपने इतिहास को याद रखती है, उसका भविष्य भी उज्जवल होता है -संजय पराशर -पराशर ने पीर सलूही में सम्मानित किए 1012 सैनिक, पूर्व सैनिक व वीर नारियां रक्कड़ शुक्रवार को जसवां प्रागपुर क्षेत्र की पीरसलूही पंचायत में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य पर विशेष सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बतौर मुख्य वक्ता कैप्टन संजय पराशर शामिल हुए। इस अवसर पर पराशर और सैन्य परिवारों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए हिमाचल के 52 सैनिकों को पुष्पाजंलि अर्पित की। संजय ने इस कार्यक्रम में 1012 सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों और वीर नारियों का फूलमाला से स्वागत किया और उन्हें स्मृति देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में कुल उपस्थिति 1500 से अधिक रही। इस समारोह में कैप्टन संजय ने कहा कि जो राष्ट्र, समाज और कौम अपने बलिदानी सैनिकों के इतिहास को याद रखती है, उनका भविष्य भी सदैव स्वर्णिम रहता है। कहा कि वह कारगिल विजय दिवस के आयोजन पर हर वर्ष सैनिकों का सम्मान करते हैं और यह परंपरा आजीवन जारी रहेगी। इस कारण यह है कि हमें अपने देश के इतिहास का सदैव स्मरण करना चाहिए। इतिहास को याद करके ही हम अपना भविष्य स्वर्णिम बना सकते हैं। कहा कि भारतवर्ष के सामने पाकिस्तान की पहले भी कोई औकात नहीं थी और अब भी नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से हमारा यह पड़ोसी कभी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। 1965 और 1971 में भारतीय सेना के वीर सैनिकों ने नापाक मुल्क को उसकी हदें बता दी थीं। बावजूद एक बार फिर वर्ष 1999 में भारत पर अघोषित युद्ध थोपा गया था, लेकिन इस लड़ाई में भारतीय सेना की जीत इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। पराशर ने कहा कि बेशक 26 जुलाई का दिन कायरों के ऊपर हमारे वीर जवानों की हुंकार का सबूत है। सही मायनाें में यह युद्ध भारतीय सेना के लिए इतना आसान भी नहीं था। पाक सेना ऊपर पहाड़ी पर थी तो भारतीय सेना ने नीचे से ऊपर चढ़ाई करनी थी। इस दौरान भारतीय सेना जाबांज हौसलों के साथ अदभुत पराक्रम, असाधारण शौर्य व धैर्य और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते दुश्मन देश के सैनिकों व घुसपैठियों को धूल चटा दी और करारी शिकस्त दी थी। संजय ने कहा कि भारत एक शांति प्रिय राष्ट्र है और हमारे देश ने कभी भी किसी अन्य देश की जमीन पर कब्जा करने या युद्ध करने की पहल नहीं की, लेकिन जब-जब भी दुश्मन की तरफ से ऐसा करने के प्रयास हुए, भारतीय सेना ने हर बार मुंह तोड़ जबाव दिया। भारतीय सेना की वीरता के आगे कोई भी दुश्मन एक इंच भूमि काे हमसे नहीं ले सकता, लेकिन भविष्य में कोई हमें बुरी नजर से देखता है तो शुत्रु राष्ट्रों को अपनी जमीन खोने का खतरा होगा। पराशर ने कहा कि कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिक समाज व देश के गाैरव हैं। वीरता व अदम्य साहस को दिखलाने में हिमाचली सैनिकों का कोई सानी नहीं है। पहला परमवीर चक्र मेजर सोमदत शर्मा काे मिला, जोकि हमारे ही प्रदेश से संबधित थे। संजय ने कहा कि प्रदेश के वीर सपूत कैप्टन विक्रम कोडवर्ड ये दिल मांगे मोर को आज भी कौन भूल सकता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि लेफिटनेंट जनरल संजय कुलकर्णी (सेवानिवृत) ने पराशर द्वारा ऐसे आयोजनों में वीर सैनिकों का सम्मान करने के लिए उनकी प्रशंसा की। कुलकर्णी ने कहा कि कि भारत ने विपरीत परिस्थितयों में इस युद्ध में विजय प्राप्त की थी और यह युद्ध सदियों तक भारत के पराक्रम का साक्षी रहेगा। इस अवसर पर सेवानिवृत कर्नल विपिन, सोनिका पराशर और बीडीसी सदस्य अनुज शर्मा का भी संबोधन रहा।
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