नगर पालिका जलालपुर में अवैध नियुक्तियों और वेतन घोटाले का बड़ा खुलासा, BNS के तहत हो सकती है कड़ी कार्यवाही अंबेडकर नगर, जलालपुर: नगर पालिका परिषद जलालपुर में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। बिना किसी आधिकारिक आदेश और बिना बोर्ड की स्वीकृति के नगर पालिका में नए कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियां की जा रही हैं। इतना ही नहीं, इन कर्मचारियों को बिना किसी वैध प्रक्रिया के प्रेजेंटिंग चढ़ाकर वेतन भी दिया जा रहा है। यह पूरी नियुक्ति प्रक्रिया संदेह के घेरे में है, क्योंकि स्वयं चेयरमैन ने बोर्ड बैठक में स्पष्ट रूप से कहा था कि वह इन व्यक्तियों को नहीं जानते और न ही इनकी नियुक्ति के लिए कोई आदेश दिया गया था। कैसे हो रहा है भ्रष्टाचार? नगर पालिका के रिकॉर्ड और लॉगबुक की जांच करने पर यह पाया गया कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों को अवैध रूप से नियुक्त किया गया है। चेयरमैन और ईओ (कार्यकारी अधिकारी) को इस नियुक्ति की कोई जानकारी नहीं है, फिर भी वेतन का भुगतान किया जा रहा है। इन अवैध कर्मचारियों को सरकारी अभिलेखों पर काम करने की अनुमति कैसे दी गई? यह एक बड़ा सवाल है। यह आशंका जताई जा रही है कि नगर पालिका में बड़े पैमाने पर फर्जी नियुक्तियाँ की गई हैं, जिससे सरकारी धन का गबन किया जा रहा है। नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं होने के कारण यह संदेह और गहरा हो जाता है कि भ्रष्टाचार संगठित रूप से किया जा रहा है। नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत क्या हो सकती है कार्यवाही? नवीनतम भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अनुसार, सरकारी पदों पर अवैध नियुक्ति, वित्तीय अनियमितता और सरकारी धन के दुरुपयोग को गंभीर अपराध माना गया है। इसके तहत निम्नलिखित धाराओं में कड़ी कार्यवाही हो सकती है: 1. धोखाधड़ी एवं वित्तीय अनियमितता (BNS धारा 316-320) – फर्जी कर्मचारियों को वेतन देने और सरकारी धन के दुरुपयोग पर कड़ी सजा हो सकती है। 2. सरकारी दस्तावेजों की हेराफेरी (BNS धारा 273) – सरकारी अभिलेखों पर अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा कार्य करना गंभीर अपराध है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। 3. शक्ति का दुरुपयोग एवं पद का दुरुपयोग (BNS धारा 174-176) – यदि किसी अधिकारी ने जानबूझकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया या जानकारी होने के बावजूद कार्यवाही नहीं की, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। 4. सरकारी धन का गबन (BNS धारा 349-352) – यदि सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है, तो दोषियों को जेल और आर्थिक दंड भुगतना पड़ सकता है। नई जानकारी: लिपिक रामप्रकाश पांडेय का बयान संदेह के घेरे में जब नगर पालिका के लिपिक रामप्रकाश पांडेय से इस मामले में सवाल किया गया, तो उन्होंने भी यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस अवैध नियुक्ति की कोई जानकारी नहीं है। जबकि सूत्रों का कहना है कि पांडेय जी को पहले ही इस व्यक्ति को हटाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अभी तक उसे नहीं हटाया गया था। अब एक नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पांडेय जी खुद यह कहते नजर आ रहे हैं कि "उसे पहले ही हटा दिया गया है।" लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यदि वह व्यक्ति हटा दिया गया था, तो वह सरकारी अभिलेखों पर लिखापढ़ी कैसे कर रहा था? क्या होनी चाहिए अगली कार्यवाही? 1. उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। 2. नगर पालिका के पिछले 2-3 वर्षों के नियुक्ति रिकॉर्ड की गहन जांच होनी चाहिए। 3. दोषियों के खिलाफ तत्काल निलंबन और कानूनी कार्यवाही की जाए। 4. सभी संदिग्ध वेतन भुगतान की लेखा जांच (ऑडिट) की जाए। 5. इस मामले को BNS के तहत गंभीर अपराध मानते हुए एसआईटी (SIT) या भ्रष्टाचार निरोधक इकाई से जांच कराई जाए। नगर पालिका जलालपुर में हो रहा यह घोटाला भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को दर्शाता है। जब खुद चेयरमैन को इस प्रकार की नियुक्तियों की जानकारी नहीं है, तो यह साफ है कि यह घोटाला संगठित रूप से किया गया है। अब आवश्यकता है कि इस मामले की गहन जांच हो और दोषियों को सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में इस तरह के भ्रष्टाचार को रोका जा सके। यदि समय रहते इस पर कार्यवाही नहीं हुई, तो नगर पालिका में भ्रष्टाचार और अधिक गहरा सकता है, जिससे जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
नगर पालिका जलालपुर में अवैध नियुक्तियों और वेतन घोटाले का बड़ा खुलासा, BNS के तहत हो सकती है कड़ी कार्यवाही अंबेडकर नगर, जलालपुर: नगर पालिका परिषद जलालपुर में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। बिना किसी आधिकारिक आदेश और बिना बोर्ड की स्वीकृति के नगर पालिका में नए कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियां की जा रही हैं। इतना ही नहीं, इन कर्मचारियों को बिना किसी वैध प्रक्रिया के प्रेजेंटिंग चढ़ाकर वेतन भी दिया जा रहा है। यह पूरी नियुक्ति प्रक्रिया संदेह के घेरे में है, क्योंकि स्वयं चेयरमैन ने बोर्ड बैठक में स्पष्ट रूप से कहा था कि वह इन व्यक्तियों को नहीं जानते और न ही इनकी नियुक्ति के लिए कोई आदेश दिया गया था। कैसे हो रहा है भ्रष्टाचार? नगर पालिका के रिकॉर्ड और लॉगबुक की जांच करने पर यह पाया गया कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों को अवैध रूप से नियुक्त किया गया है। चेयरमैन और ईओ (कार्यकारी अधिकारी) को इस नियुक्ति की कोई जानकारी नहीं है, फिर भी वेतन का भुगतान किया जा रहा है। इन अवैध कर्मचारियों को सरकारी अभिलेखों पर काम करने की अनुमति कैसे दी गई? यह एक बड़ा सवाल है। यह आशंका जताई जा रही है कि नगर पालिका में बड़े पैमाने पर फर्जी नियुक्तियाँ की गई हैं, जिससे सरकारी धन का गबन किया जा रहा है। नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं होने के कारण यह संदेह और गहरा हो जाता है कि भ्रष्टाचार संगठित रूप से किया जा रहा है। नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत क्या हो सकती है कार्यवाही? नवीनतम भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अनुसार, सरकारी पदों पर अवैध नियुक्ति, वित्तीय अनियमितता और सरकारी धन के दुरुपयोग को गंभीर अपराध माना गया है। इसके तहत निम्नलिखित धाराओं में कड़ी कार्यवाही हो सकती है: 1. धोखाधड़ी एवं वित्तीय अनियमितता (BNS धारा 316-320) – फर्जी कर्मचारियों को वेतन देने और सरकारी धन के दुरुपयोग पर कड़ी सजा हो सकती है। 2. सरकारी दस्तावेजों की हेराफेरी (BNS धारा 273) – सरकारी अभिलेखों पर अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा कार्य करना गंभीर अपराध है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। 3. शक्ति का दुरुपयोग एवं पद का दुरुपयोग (BNS धारा
174-176) – यदि किसी अधिकारी ने जानबूझकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया या जानकारी होने के बावजूद कार्यवाही नहीं की, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। 4. सरकारी धन का गबन (BNS धारा 349-352) – यदि सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है, तो दोषियों को जेल और आर्थिक दंड भुगतना पड़ सकता है। नई जानकारी: लिपिक रामप्रकाश पांडेय का बयान संदेह के घेरे में जब नगर पालिका के लिपिक रामप्रकाश पांडेय से इस मामले में सवाल किया गया, तो उन्होंने भी यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस अवैध नियुक्ति की कोई जानकारी नहीं है। जबकि सूत्रों का कहना है कि पांडेय जी को पहले ही इस व्यक्ति को हटाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अभी तक उसे नहीं हटाया गया था। अब एक नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पांडेय जी खुद यह कहते नजर आ रहे हैं कि "उसे पहले ही हटा दिया गया है।" लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यदि वह व्यक्ति हटा दिया गया था, तो वह सरकारी अभिलेखों पर लिखापढ़ी कैसे कर रहा था? क्या होनी चाहिए अगली कार्यवाही? 1. उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। 2. नगर पालिका के पिछले 2-3 वर्षों के नियुक्ति रिकॉर्ड की गहन जांच होनी चाहिए। 3. दोषियों के खिलाफ तत्काल निलंबन और कानूनी कार्यवाही की जाए। 4. सभी संदिग्ध वेतन भुगतान की लेखा जांच (ऑडिट) की जाए। 5. इस मामले को BNS के तहत गंभीर अपराध मानते हुए एसआईटी (SIT) या भ्रष्टाचार निरोधक इकाई से जांच कराई जाए। नगर पालिका जलालपुर में हो रहा यह घोटाला भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को दर्शाता है। जब खुद चेयरमैन को इस प्रकार की नियुक्तियों की जानकारी नहीं है, तो यह साफ है कि यह घोटाला संगठित रूप से किया गया है। अब आवश्यकता है कि इस मामले की गहन जांच हो और दोषियों को सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में इस तरह के भ्रष्टाचार को रोका जा सके। यदि समय रहते इस पर कार्यवाही नहीं हुई, तो नगर पालिका में भ्रष्टाचार और अधिक गहरा सकता है, जिससे जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।