मौलाना अरशद मदनी की हिदायत पर पुनर्वास के लिए, पठानकोट में 33 परिवारों, जिनमें 7 गैर-मुस्लिम परिवारो को नकद और सामान के रूप में प्रत्येक को पचास हज़ार रुपये दिए गए। जमीयत उलमा-ए-हिंद धरम नहीं बल्कि इंसानियत की बुनियाद पर ज़रूरतमंदों की मदद करती है : मौलाना अरशद मदनी सांप्रदायिक ताकतें, जमीयत उलमा-ए-हिंद की इंसानियत-नवाज़ी से सबक हासिल करें। नई दिल्ली, राजपथ न्यूज़, 28 अक्तूबर। जमीयत उलमा-ए-हिंद इंसानी मूल्यों की हिफाज़त के लिए शुरू से ही डटी रही है। जब भी कोई आपदा आई है, यह संस्था मज़हब और मज़हबी पहचान से ऊपर उठकर इंसानियत की सेवा में लग गई है। हज़रत मुहम्मद साहब स0अ0व0 ने फरमाया “सबसे बेहतर इंसान वह है जो लोगों के लिए फायदेमंद हो।” इस परिप्रेक्ष्य में, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने शुरू से ही जनसेवा और मानवता की सहायता को अपना मूल मिशन और केंद्रीय उद्देश्य बनाया । इसी के अनुसार, जब पंजाब, जम्मू और हिमाचल में भयंकर बाढ़ के कारण लोग बेघर हो गए, तो जमीयत उलमा-ए-हिंद सबसे पहले उनकी सेवा के लिए आगे आई और उसके कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों की सहायता में स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया। प्रभावित लोगों के लिए राहत और सहायता कार्य अब भी जारी है। इसके अलावा, मौलाना अरशद मदनी की देखरेख में, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने जम्मू, पंजाब और हिमाचल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण पूरा करने के बाद यह निर्णय लिया है कि जो लोग अब तक किसी सरकारी सहायता से वंचित हैं और जिन्हें आगे भी ऐसी सहायता मिलने की संभावना कम है, उनके लिए, अपनी क्षमता के अनुसार, नए मकान बनाए जाएंगे। मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर जम्मू के उधमपुर ज़िले का सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है और मौलाना राशिद साहब (अध्यक्ष, जमीयत उलमा राजस्थान) की देखरेख में 15 मकानों का निर्माण कार्य आरंभ हो चुका है। इसी बीच, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष के निर्देशानुसार मौलाना अब्दुल क़दीर (नाज़िम तंजीम-ओ-तरक्की, जमीयत उलमा-ए-हिंद) और मुफ़्ती यूसुफ़ पर मुश्तमिल एक प्रतिनिधिमंडल आज चौथी बार पठानकोट के फ़ाज़िल्का गाँव पहुँचा। वहाँ उन्होंने बाढ़ से पूर्णतः तबाह हुए गाँव के 33 प्रभावित परिवारों को एकत्र किया और प्रारंभिक पुनर्वास के तहत प्रत्येक परिवार को आवश्यक वस्तुओं और नकद रूप में पचास हज़ार रुपये प्रदान किए। लाभार्थियों में सात हिंदू परिवार भी शामिल हैं । पुनर्निर्माण और राहत वितरण की शुरुआत के बाद, पीड़ितों ने सामूहिक रूप से अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा: “धन्यवाद, मौलाना मदनी साहब, आपने हमारा दर्द समझा। बहुत से लोग आए और सांत्वना के शब्द कहकर चले गए, लेकिन वास्तव में काम जमीयत उलमा-ए-हिंद ही कर रही है। अल्लाह मौलाना मदनी की हिफ़ाज़त करे — उन्होंने सच में हमारा दुख महसूस किया और लगातार हमारी मदद के लिए अपने लोगों को भेज रहे हैं।” मौलाना अरशद मदनी ने पंजाब, जम्मू और हिमाचल की तबाही को “इंसानी त्रासदी” बताया। उन्होंने कहा कि “हम अल्लाह के बंदे हैं और उसी के हर फैसले पर सर झुकाते हैं। वही हर परेशानी का इलाज करने वाला है। लेकिन ज़मीन पर इंसानी जिम्मेदारी के नाते जमीयत उलमा-ए-हिंद, उसके सेवक और उसकी शाखाएं अपनी पूरी कोशिश से प्रभावितों की मदद कर रही हैं।” उन्होंने कहा कि कोई भी आफ़त यह पूछकर नहीं आती कि कौन हिन्दू है या कौन मुसलमान। जब भी कोई मुसीबत आती है, वह सबको अपनी चपेट में लेती है। इसलिए जमीयत उलमा-ए-हिंद मज़हब से ऊपर उठकर सभी की मदद कर रही है, क्योंकि इंसानियत की सेवा ही उसका मकसद है। मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद मज़हब नहीं, बल्कि इंसानियत की बुनियाद पर हर ज़रूरतमंद की मदद करती है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों पंजाब समेत कई राज्यों में आई भयानक बाढ़ के बाद जब जमीयत ने अपील की तो उसके सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने बहुत ही तेज़ी से राहत और मदद पहुंचाई। उधमपुर में 15 घरों का निर्माण कार्य जारी है और सर्वे के आधार पर पंजाब में भी जिन लोगों के घर पूरी तरह से बह गए हैं, अपनी क्षमता के अनुसार उनके लिए भी नए घर बनाए जाएंगे। यह पहली बार नहीं है इससे पहले भी जमीयत उलमा-ए-हिंद ने केरल सहित कई राज्यों में यही सेवा अंजाम दी है, जहाँ मुसलमानों के साथ बड़ी तादाद में हिंदू और ईसाई प्रभावित लोग भी शामिल थे। मौलाना मदनी ने कहा कि “हम किसी का मज़हब नहीं देखते, बल्कि उसकी ज़रूरत देखते हैं। जो लोग मज़हब देखकर मदद करते हैं, वे इंसानियत की असल तालीम से दूर हैं। हमारे बुजुर्गों ने हमेशा इंसानियत के आधार पर सेवा की, और जमीयत उसी रास्ते पर चल रही है तथा आगे भी चलती रहेगी।” मौलाना मदनी ने कहा कि हमारा देश हजारों सालों से अमन और एकता का गहवारा रहा है, मगर कुछ लोग अपनी नफ़रत की राजनीति से इसे तबाह और बर्बाद करने पर आमादा हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों को सौ बार अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए और नफ़रत के सौदागरों को जमीयत उलमा-ए-हिंद से सबक लेना चाहिए, जो हमेशा इंसानियत, मोहब्बत और भाईचारे की बुनियाद पर काम करती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सर्वे रिपोर्ट पंजाब के प्रभावित इलाकों में भी जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक टीम ने अपना सर्वे कार्य पूरा कर लिया है। हाल ही में जमीयत उलमा राजस्थान के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद राशिद की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू के उधमपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और कठिन पहाड़ी रास्तों से गुज़रकर पीड़ितों से मुलाकात की। सर्वे के दौरान पाया गया कि कई घर पूरी तरह ढह गए हैं और कई लोगों के पास अब निर्माण की ज़मीन भी नहीं बची। ऐसे 15 परिवारों की पहचान की गई है जो बेहद गरीब हैं और जिन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली है। जमीयत उलमा राजस्थान ने इन परिवारों के लिए नए घर बनवाने की जिम्मेदारी ली है और प्रारंभिक रूप से नकद सहायता भी दी गई है। यह भी उल्लेखनीय है कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर भूस्खलन के कारण सड़कें बंद होने से प्रभावित इलाकों तक राहत पहुँचने में देरी हुई। बाद में जब मौलाना अरशद मदनी को यह जानकारी हुई, तो उनकी हिदायत पर 13 सितंबर को जमीयत राजस्थान का एक राहत दल वहाँ पहुँचा। उन्होंने कभी पैदल, कभी बाइक से सफर करते हुए हालात का जायज़ा लिया। राहत दल ने देखा कि वहाँ 83 घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं, जिनमें से 32 घरों की ज़मीन भी बाढ़ में बह गई। एक मस्जिद और एक क़ब्रिस्तान का भी नामोनिशान मिट चुका है। उधमपुर की तहसील चनैनी के रैंगी गाँव में भी ढाई दर्जन से अधिक घर ध्वस्त हो गए थे, और वहाँ भी कोई सहायता नहीं पहुँची थी। जमीयत उलमा राजस्थान ने सबसे पहले वहाँ राहत सामग्री पहुँचाई। पंजाब में भी बाढ़ से राज्य के 13 ज़िले बुरी तरह प्रभावित हुए। मौलाना मदनी की एक अपील पर मुसलमानों ने देशभर से राहत सामग्री भेजी। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और गुजरात की जमीयत इकाइयाँ राहत के लिए पंजाब पहुँचीं। कुछ ही दिनों में इतनी अधिक मात्रा में सहायता पहुँच गई कि पंजाब के लोगों को यह घोषणा करनी पड़ी कि “अब राहत सामग्री न भेजें, हमारे पास रखने की जगह नहीं बची। मौलाना अरशद मदनी की हिदायत पर जमीयत उलमा-ए-हिंद की टीम ने पंजाब और हिमाचल में यह सर्वे भी किया कि कितने मकान पूरी तरह नष्ट हुए हैं, और किन लोगों को दोबारा घर बनाने में मदद की आवश्यकता है। जिन तक अभी तक सरकारी मदद नहीं पहुँची है, जमीयत उलमा-ए-हिंद अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें नए मकान बनवाकर देगी। ............................. फ़ज़लुर्रहमान क़ासमी प्रेस सचिव, जमीयत उलमा-ए-हिंद 9891961134
मौलाना अरशद मदनी की हिदायत पर पुनर्वास के लिए, पठानकोट में 33 परिवारों, जिनमें 7 गैर-मुस्लिम परिवारो को नकद और सामान के रूप में प्रत्येक को पचास हज़ार रुपये दिए गए। जमीयत उलमा-ए-हिंद धरम नहीं बल्कि इंसानियत की बुनियाद पर ज़रूरतमंदों की मदद करती है : मौलाना अरशद मदनी सांप्रदायिक ताकतें, जमीयत उलमा-ए-हिंद की इंसानियत-नवाज़ी से सबक हासिल करें। नई दिल्ली, राजपथ न्यूज़, 28 अक्तूबर। जमीयत उलमा-ए-हिंद इंसानी मूल्यों की हिफाज़त के लिए शुरू से ही डटी रही है। जब भी कोई आपदा आई है, यह संस्था मज़हब और मज़हबी पहचान से ऊपर उठकर इंसानियत की सेवा में लग गई है। हज़रत मुहम्मद साहब स0अ0व0 ने फरमाया “सबसे बेहतर इंसान वह है जो लोगों के लिए फायदेमंद हो।” इस परिप्रेक्ष्य में, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने शुरू से ही जनसेवा और मानवता की सहायता को अपना मूल मिशन और केंद्रीय उद्देश्य बनाया । इसी के अनुसार, जब पंजाब, जम्मू और हिमाचल में भयंकर बाढ़ के कारण लोग बेघर हो गए, तो जमीयत उलमा-ए-हिंद सबसे पहले उनकी सेवा के लिए आगे आई और उसके कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों की सहायता में स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया। प्रभावित लोगों के लिए राहत और सहायता कार्य अब भी जारी है। इसके अलावा, मौलाना अरशद मदनी की देखरेख में, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने जम्मू, पंजाब और हिमाचल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण पूरा करने के बाद यह निर्णय लिया है कि जो लोग अब तक किसी सरकारी सहायता से वंचित हैं और जिन्हें आगे भी ऐसी सहायता मिलने की संभावना कम है, उनके लिए, अपनी क्षमता के अनुसार, नए मकान बनाए जाएंगे। मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर जम्मू के उधमपुर ज़िले का सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है और मौलाना राशिद साहब (अध्यक्ष, जमीयत उलमा राजस्थान) की देखरेख में 15 मकानों का निर्माण कार्य आरंभ हो चुका है। इसी बीच, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष के निर्देशानुसार मौलाना अब्दुल क़दीर (नाज़िम तंजीम-ओ-तरक्की, जमीयत उलमा-ए-हिंद) और मुफ़्ती यूसुफ़ पर मुश्तमिल एक प्रतिनिधिमंडल आज चौथी बार पठानकोट के फ़ाज़िल्का गाँव पहुँचा। वहाँ उन्होंने बाढ़ से पूर्णतः तबाह हुए गाँव के 33 प्रभावित परिवारों को एकत्र किया और प्रारंभिक पुनर्वास के तहत प्रत्येक परिवार को आवश्यक वस्तुओं और नकद रूप में पचास हज़ार रुपये प्रदान किए। लाभार्थियों में सात हिंदू परिवार भी शामिल हैं । पुनर्निर्माण और राहत वितरण की शुरुआत के बाद, पीड़ितों ने सामूहिक रूप से अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा: “धन्यवाद, मौलाना मदनी साहब, आपने हमारा दर्द समझा। बहुत से लोग आए और सांत्वना के शब्द कहकर चले गए, लेकिन वास्तव में काम जमीयत उलमा-ए-हिंद ही कर रही है। अल्लाह मौलाना मदनी की हिफ़ाज़त करे — उन्होंने सच में हमारा दुख महसूस किया और लगातार हमारी मदद के लिए अपने लोगों को भेज रहे हैं।” मौलाना अरशद मदनी ने पंजाब, जम्मू और हिमाचल की तबाही को “इंसानी त्रासदी” बताया। उन्होंने कहा कि “हम अल्लाह के बंदे हैं और उसी के हर फैसले पर सर झुकाते हैं। वही हर परेशानी का इलाज करने वाला है। लेकिन ज़मीन पर इंसानी जिम्मेदारी के नाते जमीयत उलमा-ए-हिंद, उसके सेवक और उसकी शाखाएं अपनी पूरी कोशिश से प्रभावितों की मदद कर रही हैं।” उन्होंने कहा कि कोई भी आफ़त यह पूछकर नहीं आती कि कौन हिन्दू है या कौन मुसलमान। जब भी कोई मुसीबत आती है, वह सबको अपनी चपेट में लेती है। इसलिए जमीयत उलमा-ए-हिंद मज़हब से ऊपर उठकर सभी की मदद कर रही है, क्योंकि इंसानियत की सेवा ही उसका मकसद है। मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद मज़हब नहीं, बल्कि इंसानियत की बुनियाद पर हर ज़रूरतमंद की मदद करती है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों पंजाब समेत कई राज्यों में आई भयानक बाढ़ के बाद जब जमीयत ने अपील की तो उसके सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने बहुत ही तेज़ी से राहत और
मदद पहुंचाई। उधमपुर में 15 घरों का निर्माण कार्य जारी है और सर्वे के आधार पर पंजाब में भी जिन लोगों के घर पूरी तरह से बह गए हैं, अपनी क्षमता के अनुसार उनके लिए भी नए घर बनाए जाएंगे। यह पहली बार नहीं है इससे पहले भी जमीयत उलमा-ए-हिंद ने केरल सहित कई राज्यों में यही सेवा अंजाम दी है, जहाँ मुसलमानों के साथ बड़ी तादाद में हिंदू और ईसाई प्रभावित लोग भी शामिल थे। मौलाना मदनी ने कहा कि “हम किसी का मज़हब नहीं देखते, बल्कि उसकी ज़रूरत देखते हैं। जो लोग मज़हब देखकर मदद करते हैं, वे इंसानियत की असल तालीम से दूर हैं। हमारे बुजुर्गों ने हमेशा इंसानियत के आधार पर सेवा की, और जमीयत उसी रास्ते पर चल रही है तथा आगे भी चलती रहेगी।” मौलाना मदनी ने कहा कि हमारा देश हजारों सालों से अमन और एकता का गहवारा रहा है, मगर कुछ लोग अपनी नफ़रत की राजनीति से इसे तबाह और बर्बाद करने पर आमादा हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों को सौ बार अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए और नफ़रत के सौदागरों को जमीयत उलमा-ए-हिंद से सबक लेना चाहिए, जो हमेशा इंसानियत, मोहब्बत और भाईचारे की बुनियाद पर काम करती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सर्वे रिपोर्ट पंजाब के प्रभावित इलाकों में भी जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक टीम ने अपना सर्वे कार्य पूरा कर लिया है। हाल ही में जमीयत उलमा राजस्थान के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद राशिद की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू के उधमपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और कठिन पहाड़ी रास्तों से गुज़रकर पीड़ितों से मुलाकात की। सर्वे के दौरान पाया गया कि कई घर पूरी तरह ढह गए हैं और कई लोगों के पास अब निर्माण की ज़मीन भी नहीं बची। ऐसे 15 परिवारों की पहचान की गई है जो बेहद गरीब हैं और जिन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली है। जमीयत उलमा राजस्थान ने इन परिवारों के लिए नए घर बनवाने की जिम्मेदारी ली है और प्रारंभिक रूप से नकद सहायता भी दी गई है। यह भी उल्लेखनीय है कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर भूस्खलन के कारण सड़कें बंद होने से प्रभावित इलाकों तक राहत पहुँचने में देरी हुई। बाद में जब मौलाना अरशद मदनी को यह जानकारी हुई, तो उनकी हिदायत पर 13 सितंबर को जमीयत राजस्थान का एक राहत दल वहाँ पहुँचा। उन्होंने कभी पैदल, कभी बाइक से सफर करते हुए हालात का जायज़ा लिया। राहत दल ने देखा कि वहाँ 83 घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं, जिनमें से 32 घरों की ज़मीन भी बाढ़ में बह गई। एक मस्जिद और एक क़ब्रिस्तान का भी नामोनिशान मिट चुका है। उधमपुर की तहसील चनैनी के रैंगी गाँव में भी ढाई दर्जन से अधिक घर ध्वस्त हो गए थे, और वहाँ भी कोई सहायता नहीं पहुँची थी। जमीयत उलमा राजस्थान ने सबसे पहले वहाँ राहत सामग्री पहुँचाई। पंजाब में भी बाढ़ से राज्य के 13 ज़िले बुरी तरह प्रभावित हुए। मौलाना मदनी की एक अपील पर मुसलमानों ने देशभर से राहत सामग्री भेजी। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और गुजरात की जमीयत इकाइयाँ राहत के लिए पंजाब पहुँचीं। कुछ ही दिनों में इतनी अधिक मात्रा में सहायता पहुँच गई कि पंजाब के लोगों को यह घोषणा करनी पड़ी कि “अब राहत सामग्री न भेजें, हमारे पास रखने की जगह नहीं बची। मौलाना अरशद मदनी की हिदायत पर जमीयत उलमा-ए-हिंद की टीम ने पंजाब और हिमाचल में यह सर्वे भी किया कि कितने मकान पूरी तरह नष्ट हुए हैं, और किन लोगों को दोबारा घर बनाने में मदद की आवश्यकता है। जिन तक अभी तक सरकारी मदद नहीं पहुँची है, जमीयत उलमा-ए-हिंद अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें नए मकान बनवाकर देगी। ............................. फ़ज़लुर्रहमान क़ासमी प्रेस सचिव, जमीयत उलमा-ए-हिंद 9891961134
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