औद्योगिक इकाइयां बंद होने से श्रमिकों के सामने खड़ा हुआ रोजगार का संकट पाली। सीईटीपी पदाधिकारियों पर अनुचित दबाव के चलते पदत्याग देने से शहर की जीवन रेखा कपड़ा औद्योगिक इकाईयां बन्द पड़ी है। शहर के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में संचालित 750 से अधिक कपड़ा इकाईयों से जुड़े अठारह से बीस हजार के करीब लोगो के सामने रोजगार का संकट खड़ा होने से मजबूरन उन्हें पलायन करना पड़ रहा है। इससे आबाद औद्योगिक इकाईयों में सन्नाटा पसरा है। आर्थिक मंदी का असर सभी वर्ग के लोगो पर पड़ता स्पष्ट दिखलाई दे रहा है। बड़े नेताओं की लापरवाही से ने पाली कपड़ा उद्योग पर पिछले एक पखवाड़े से मंडरा रहे संकट के समाधान के लिए प्रदेश की बड़े-बड़े Netajiमौज और मस्ती में घूम रहेद्वारा सुध नहीं लेने पर चिंता जाहिर करते हुए की प्रदेश में सभी को रोजगार मिलने के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। नये रोजगार सृजन करना तो दूर पाली शहर में चल रहे कपड़ा उद्योग के बन्द होने से 20 हजार के करीब लोगो के सामने रोजगार को लेकर उत्पन्न संकट को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से तुरन्त सीईटीपी में उत्पन्न विवाद सुलझाकर बन्द उद्योग को चालू करवाकर श्रमिक वर्ग को राहत प्रदान करने जैसे कदम प्राथमिकता से उठाने को जनहितार्थ कदम बताया है। गत 19 नवम्बर से सीईटीपी पदाधिकारियों द्वारा त्याग पत्र देने से इस संस्था का कोई धणी-धोरी नहीं है। करीब 750 कपड़ा औद्योगिक इकाईयों में से 700 बन्द पड़ी है, जबकि 50 इकाईयां निजी सीईटीपी प्लान्ट से संचालित है। इन औद्योगिक इकाईयों के बन्द होने का असर श्रमिकों सहित ट्रांसपोर्टर, सब्जी किराणा, चाय नाश्ता, भोजनालय, हाथ लोरी, ट्रैक्टर, टेम्पु चालकों पर भी पड़ा है। सरकार और प्रशासन ने श्रमिक हित में समय रहते उचित निर्णय नही लिया गया तो शहर में विभिन्न श्रमिक संगठनों के साथ मिलकर श्रमिकों के हितार्थ उचित कदम उठाया जायेगा। पाली
औद्योगिक इकाइयां बंद होने से श्रमिकों के सामने खड़ा हुआ रोजगार का संकट पाली। सीईटीपी पदाधिकारियों पर अनुचित दबाव के चलते पदत्याग देने से शहर की जीवन रेखा कपड़ा औद्योगिक इकाईयां बन्द पड़ी है। शहर के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में संचालित 750 से अधिक कपड़ा इकाईयों से जुड़े अठारह से बीस हजार के करीब लोगो के सामने रोजगार का संकट खड़ा होने से मजबूरन उन्हें पलायन करना पड़ रहा है। इससे आबाद औद्योगिक इकाईयों में सन्नाटा पसरा है। आर्थिक मंदी का असर सभी वर्ग के लोगो पर पड़ता स्पष्ट दिखलाई दे रहा है। बड़े नेताओं की लापरवाही से ने पाली कपड़ा उद्योग पर पिछले एक पखवाड़े से मंडरा रहे संकट के समाधान के लिए प्रदेश की बड़े-बड़े Netajiमौज और मस्ती में घूम रहेद्वारा सुध नहीं लेने पर चिंता जाहिर करते हुए की प्रदेश में सभी को रोजगार मिलने के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। नये रोजगार सृजन करना तो दूर पाली शहर में चल रहे कपड़ा उद्योग के बन्द होने से 20 हजार के करीब लोगो के सामने रोजगार को लेकर उत्पन्न संकट को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से तुरन्त सीईटीपी में उत्पन्न विवाद सुलझाकर बन्द उद्योग को चालू करवाकर श्रमिक वर्ग को राहत प्रदान करने जैसे कदम प्राथमिकता से उठाने को जनहितार्थ कदम बताया है। गत 19 नवम्बर से सीईटीपी पदाधिकारियों द्वारा त्याग पत्र देने से इस संस्था का कोई धणी-धोरी नहीं है। करीब 750 कपड़ा औद्योगिक इकाईयों में से 700 बन्द पड़ी है, जबकि 50 इकाईयां निजी सीईटीपी प्लान्ट से संचालित है। इन औद्योगिक इकाईयों के बन्द होने का असर श्रमिकों सहित ट्रांसपोर्टर, सब्जी किराणा, चाय नाश्ता, भोजनालय, हाथ लोरी, ट्रैक्टर, टेम्पु चालकों पर भी पड़ा है। सरकार और प्रशासन ने श्रमिक हित में समय रहते उचित निर्णय नही लिया गया तो शहर में विभिन्न श्रमिक संगठनों के साथ मिलकर श्रमिकों के हितार्थ उचित कदम उठाया जायेगा। पाली
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