नवादा प्रेस विज्ञप्ति नवादा (प्रेस विज्ञप्ति) शहर नवादा के मध्य स्थित सुन्नी संस्थान दारुलक़ुरआन अहले सुन्नत मदरसा अज़ीज़िया कमालपुर नवादा में तंज़ीम उलेमा-ए-हक़ ज़िला नवादा के बैनर तले एक भव्य ज़िला-स्तरीय बैठक आयोजित की गई। महजूरुल कादरी: इस बैठक की अध्यक्षता क़ाज़ी-ए-शहर हज़रत मौलाना नुमान अख़्तर फ़ाएक़ जमाली ने की। आयोजन की ज़िम्मेदारी मदरसा अज़ीज़िया के मुहतमिम क़ारी शराफ़त हुसैन रिज़वी, क़ारी मुदस्सिर हुसैन और अन्य शिक्षकों व छात्रों ने निभाई। बैठक की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन और नात-ए-पाक से हुई। बैठक में तंज़ीम के उद्देश्यों और लक्ष्यों पर विस्तार से चर्चा की गई। विशेष बात यह रही कि ज़िले के लगभग 14 प्रखंडों से बड़ी संख्या में उलेमा और इमाम शामिल हुए। सभी ने संगठन की उपयोगिता और इसे और अधिक सक्रिय बनाने पर बल दिया। क़ाज़ी-ए-शहर मौलाना नुमान अख़्तर फ़ाएक़ जमाली ने अपने संबोधन में कहा कि तंज़ीम को आर्थिक रूप से मज़बूत करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ज़िले के सभी मदरसों और मस्जिदों की ज़िम्मेदारी हमारी है और यदि इन पर किसी प्रकार का संकट आता है तो उलेमा मज़बूत दीवार बनकर उनका सामना करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हर मदरसे में मानक पाठ्यक्रम होना चाहिए और समय-समय पर उसकी समीक्षा की जानी चाहिए। उप संरक्षक मौलाना सैयद अरशद अफ़ज़ली ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम जागरूक हों और जनता में दिनी व राजनीतिक चेतना पैदा करें। संगठन के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद जहांग़ीर आलम महजूरुलक़ादरी ने कहा कि मस्जिदों को बचाने और परिस्थितियों के अनुरूप कार्य करने के लिए हमें सक्रिय होना होगा। जिला सचिव मौलाना सादिक़ हुसैन अशरफ़ी ने कहा कि यदि हम सब क़ाज़ी-ए-शहर की हिदायतों को अमल में लाएँ तो जल्द ही तंज़ीम की गूँज अन्य ज़िलों तक पहुँचेगी। क़ारी मुजाहिदुल इस्लाम क़ादरी ने कहा कि इमामों को चाहिए कि वे आम मुसलमानों को रोज़मर्रा के शरई मसाइल बताते रहें ताकि उनमें दीन की समझ पैदा हो। बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए: हर महीने शहरी और प्रखंड स्तर पर बैठक का आयोजन। आवश्यकता पड़ने पर ऑनलाइन मीटिंग का भी आयोजन। आर्थिक मजबूती के लिए हर सदस्य और पदाधिकारी से न्यूनतम 30 रुपये मासिक सहयोग। मस्जिदों और मदरसों में नए इमाम या शिक्षक के आने की सूचना संगठन को देना। बैठक का समापन दुआ और सलात व सलाम पर हुआ। ज़ोहर की नमाज़ औलिया मस्जिद कमालपुर में अदा की गई। तत्पश्चात मेहमान उलेमा और इमामों के लिए दावत का इंतज़ाम किया गया। अंत में अध्यक्ष मौलाना जहांग़ीर आलम महजूरुलक़ादरी ने सभी उलेमा, इमामों और आयोजकों का शुक्रिया अदा किया। बैठक को सफल बनाने में क़ारी शराफ़त हुसैन रिज़वी, क़ारी मुदस्सिर हुसैन हबीबी, क़ारी मुजाहिदुल इस्लाम क़ादरी, क़ारी अब्दुल्लाह रिज़वी, क़ारी ग़ुलाम दस्तगीर फ़ैज़ी, क़ारी दानिश रज़ा दिलबर और क़ारी वक़ार ताबिश जमाली सहित कई नौजवानों का विशेष योगदान रहा।
नवादा प्रेस विज्ञप्ति नवादा (प्रेस विज्ञप्ति) शहर नवादा के मध्य स्थित सुन्नी संस्थान दारुलक़ुरआन अहले सुन्नत मदरसा अज़ीज़िया कमालपुर नवादा में तंज़ीम उलेमा-ए-हक़ ज़िला नवादा के बैनर तले एक भव्य ज़िला-स्तरीय बैठक आयोजित की गई। महजूरुल कादरी: इस बैठक की अध्यक्षता क़ाज़ी-ए-शहर हज़रत मौलाना नुमान अख़्तर फ़ाएक़ जमाली ने की। आयोजन की ज़िम्मेदारी मदरसा अज़ीज़िया के मुहतमिम क़ारी शराफ़त हुसैन रिज़वी, क़ारी मुदस्सिर हुसैन और अन्य शिक्षकों व छात्रों ने निभाई। बैठक की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन और नात-ए-पाक से हुई। बैठक में तंज़ीम के उद्देश्यों और लक्ष्यों पर विस्तार से चर्चा की गई। विशेष बात यह रही कि ज़िले के लगभग 14 प्रखंडों से बड़ी संख्या में उलेमा और इमाम शामिल हुए। सभी ने संगठन की उपयोगिता और इसे और अधिक सक्रिय बनाने पर बल दिया। क़ाज़ी-ए-शहर मौलाना नुमान अख़्तर फ़ाएक़ जमाली ने अपने संबोधन में कहा कि तंज़ीम को आर्थिक रूप से मज़बूत करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ज़िले के सभी मदरसों और मस्जिदों की ज़िम्मेदारी हमारी है और यदि इन पर किसी प्रकार का संकट आता है तो उलेमा मज़बूत दीवार बनकर उनका सामना करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हर मदरसे में मानक पाठ्यक्रम होना चाहिए और समय-समय पर उसकी समीक्षा की जानी चाहिए। उप संरक्षक मौलाना सैयद अरशद अफ़ज़ली ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम जागरूक हों और जनता में दिनी व राजनीतिक चेतना पैदा करें।
संगठन के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद जहांग़ीर आलम महजूरुलक़ादरी ने कहा कि मस्जिदों को बचाने और परिस्थितियों के अनुरूप कार्य करने के लिए हमें सक्रिय होना होगा। जिला सचिव मौलाना सादिक़ हुसैन अशरफ़ी ने कहा कि यदि हम सब क़ाज़ी-ए-शहर की हिदायतों को अमल में लाएँ तो जल्द ही तंज़ीम की गूँज अन्य ज़िलों तक पहुँचेगी। क़ारी मुजाहिदुल इस्लाम क़ादरी ने कहा कि इमामों को चाहिए कि वे आम मुसलमानों को रोज़मर्रा के शरई मसाइल बताते रहें ताकि उनमें दीन की समझ पैदा हो। बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए: हर महीने शहरी और प्रखंड स्तर पर बैठक का आयोजन। आवश्यकता पड़ने पर ऑनलाइन मीटिंग का भी आयोजन। आर्थिक मजबूती के लिए हर सदस्य और पदाधिकारी से न्यूनतम 30 रुपये मासिक सहयोग। मस्जिदों और मदरसों में नए इमाम या शिक्षक के आने की सूचना संगठन को देना। बैठक का समापन दुआ और सलात व सलाम पर हुआ। ज़ोहर की नमाज़ औलिया मस्जिद कमालपुर में अदा की गई। तत्पश्चात मेहमान उलेमा और इमामों के लिए दावत का इंतज़ाम किया गया। अंत में अध्यक्ष मौलाना जहांग़ीर आलम महजूरुलक़ादरी ने सभी उलेमा, इमामों और आयोजकों का शुक्रिया अदा किया। बैठक को सफल बनाने में क़ारी शराफ़त हुसैन रिज़वी, क़ारी मुदस्सिर हुसैन हबीबी, क़ारी मुजाहिदुल इस्लाम क़ादरी, क़ारी अब्दुल्लाह रिज़वी, क़ारी ग़ुलाम दस्तगीर फ़ैज़ी, क़ारी दानिश रज़ा दिलबर और क़ारी वक़ार ताबिश जमाली सहित कई नौजवानों का विशेष योगदान रहा।
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