कुरुक्षेत्र का युद्ध प्रारम्भ होने से पहले श्री कृष्ण ने सभी योद्धाओं से पूछा की यह युद्ध अकेले समाप्त करने में सभी योद्धाओ को कितना समय लगेगा। भीष्म ने कहा उन्हें 20 दिन लगेंगे, द्रोणाचार्य का उत्तर था 25 दिन। कर्ण ने 24 दिन मांगे वही अर्जुन ने 28, परन्तु भीम पौत्र और घटोत्कच पुत्र बर्बरीक ने कहा उन्हें मात्र 1 मिनट ही चाहिए इस युद्ध पर विजय हासिल करने के लिए, वो भी सिर्फ अपने बल पर। बर्बरीक विश्व के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे, लेकिन फिर भी हम अर्जुन को कुरुक्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी के रूप में जानते है क्योंकि उनके रथ के सारथी स्वयं भगवान कृष्ण थे। यदि बर्बरीक युध्द लड़ता तो महाभारत के विजेता पांडव नहीं कृष्ण होते क्योंकि उसे हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ना था। इसलिए कृष्ण ने ऐसे हालात पैदा किए की बर्बरीक को अपना शीश काट कर उन्हें देना पड़ा। ये कृष्ण नीति है। बस कुछ दिन पहले की बात है, खुद को कृष्ण का वंशज मानने वाले ये लोग कहते थे कि जाट हिंदू, नहीं है, सिख हिन्दू नहीं है, दलित हिन्दू नहीं है, पिछड़ा हिन्दू नही है। ये वो लोग है जो हमेशा उस विचारधारा में साथ खड़े रहे है जो मानती है कि हिन्दू कोई धर्म नही, ब्राह्मणवाद है। ये वो लोग है जो जिन्होंने कृष्ण और राम में विभेद पैदा किया। सिर्फ कुछ चुनावी हार और इन्हें चीख चीख कर बताना पड़ रहा है कि हम ही हिन्दू है। श्री कृष्ण को जिससे जो करवाना होता है करवा लेते हैं। 2027 के चुनाव नतीजे प्रचंडकारी होंगे और 2029 से पहले कुरुक्षेत्र सजेगा। मथुरा की लड़ाई होगी और सेकुलरिज्म हवा में उड़ जाएगा। कृष्ण सारथी बनकर अगुवाई करेंगे और नारायणी सेना युध्द लड़ेगी। कृष्ण, राम की तरह अपने मंदिर के लिए सैकड़ो साल इंतजार नही करेंगे। कृष्ण ने तो दूर दराज के रिश्तेदारों के भी प्रोपर्टी विवाद सुलझा दिए थे, ये तो उनकी खुद की प्रॉपर्टी का मसला है। यह कृष्ण नीति है। यही कृष्ण नीति है।
कुरुक्षेत्र का युद्ध प्रारम्भ होने से पहले श्री कृष्ण ने सभी योद्धाओं से पूछा की यह युद्ध अकेले समाप्त करने में सभी योद्धाओ को कितना समय लगेगा। भीष्म ने कहा उन्हें 20 दिन लगेंगे, द्रोणाचार्य का उत्तर था 25 दिन। कर्ण ने 24 दिन मांगे वही अर्जुन ने 28, परन्तु भीम पौत्र और घटोत्कच पुत्र बर्बरीक ने कहा उन्हें मात्र 1 मिनट ही चाहिए इस युद्ध पर विजय हासिल करने के लिए, वो भी सिर्फ अपने बल पर। बर्बरीक विश्व के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे, लेकिन फिर भी हम अर्जुन को कुरुक्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी के रूप में जानते है क्योंकि उनके रथ के सारथी स्वयं भगवान कृष्ण थे। यदि बर्बरीक युध्द लड़ता तो महाभारत के विजेता पांडव नहीं कृष्ण होते क्योंकि उसे हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ना था। इसलिए कृष्ण ने ऐसे हालात पैदा किए की बर्बरीक को अपना शीश काट कर उन्हें देना पड़ा। ये कृष्ण नीति है। बस कुछ दिन पहले की बात है, खुद को कृष्ण का वंशज मानने वाले ये लोग कहते थे कि जाट हिंदू, नहीं है, सिख हिन्दू नहीं है, दलित हिन्दू नहीं है, पिछड़ा हिन्दू नही है। ये वो लोग है जो हमेशा उस विचारधारा में साथ खड़े रहे है जो मानती है कि हिन्दू कोई धर्म नही, ब्राह्मणवाद है। ये वो लोग है जो जिन्होंने कृष्ण और राम में विभेद पैदा किया। सिर्फ कुछ चुनावी हार और इन्हें चीख चीख कर बताना पड़ रहा है कि हम ही हिन्दू है। श्री कृष्ण को जिससे जो करवाना होता है करवा लेते हैं। 2027 के चुनाव नतीजे प्रचंडकारी होंगे और 2029 से पहले कुरुक्षेत्र सजेगा। मथुरा की लड़ाई होगी और सेकुलरिज्म हवा में उड़ जाएगा। कृष्ण सारथी बनकर अगुवाई करेंगे और नारायणी सेना युध्द लड़ेगी। कृष्ण, राम की तरह अपने मंदिर के लिए सैकड़ो साल इंतजार नही करेंगे। कृष्ण ने तो दूर दराज के रिश्तेदारों के भी प्रोपर्टी विवाद सुलझा दिए थे, ये तो उनकी खुद की प्रॉपर्टी का मसला है। यह कृष्ण नीति है। यही कृष्ण नीति है।
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- Post by Sarfaraj Khan1
- Post by 98161 286711
- कोई नहीं सुनेगा इनकी1
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- इसका नाम राधा उर्फ यशोदा गांव शायरा थाना शेरगढ़ की रहने वाली है इसकी शादी अब तक चार पांच हो चुकी है इसकी पहले ससुराल गांव भद्रवण भदौड़े थाना मांट दूसरी शादी मथुरा में हुई थी और तीसरी शादी इसकी नन्द नगरिया मांट रोड राया में हुई थी और चौथी शादी इसकी गांव भगवानगढ़ी तिलकागढ़ी नौहझील में हुई थी और अब इसने फिर से नई शादी मथुरा के पास छोटी कोसी गांव माल में कर ली है लड़के का नाम संतोष ठाकुर पिता का नाम हुकमी हुकम माता का नाम हरदोई है ये औरत हर जगह से पैसा गहने लेकर भाग जाती है अब ये माल गांव मथुरा के पास में रह रही है2
- wgazoofshsb1