*“संयम रूपी धनुष का सदुपयोग कर धर्म की प्रभावना बढ़ाएँ”* मुनिश्री प्रवर सागर श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर में विराजमान आचार्य विनिश्चय सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने धर्मसभा में आशीष वचन देते हुए कहा संयम रूपी धनुष का सदुपयोग न करने वाला प्राणी संसार में परिभ्रमण करता रहता है। जो व्यक्ति धर्म- ध्यान, आराधना और पुरुषार्थ करता है, वही अपने कर्मों को क्षीण कर सकता है। अनेक जन्मों के पुण्यों से ही जिनवाणी का श्रवण होता है, जिससे अशुभ कर्मों का क्षय एवं शुभ कर्मों का उदय प्रारंभ होता है। आज व्यक्ति संसार की वृद्धि में लगा है, जिससे पाप बढ़ रहे हैं। धर्म पुरुषार्थ कठिन लगने लगा है, जबकि पाप पुरुषार्थ सहज प्रतीत होता है। पाप कर्म मरे हुए व्यक्ति के समान हैं, जिनसे बचना संभव नहीं, देव शास्त्र और गुरु के प्रति श्रद्धा कभी कम नहीं होने देनी चाहिए, बल्कि निरंतर बढ़ानी चाहिए। संतों के प्रति समर्पण की भावना पुण्य को बढ़ाती है और धर्म की प्रभावना करती है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्मवृद्धि का आशीर्वाद भी प्रदान किया। “णमोकार महामंत्र साधारण नहीं” धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि णमोकार महामंत्र को कभी साधारण मंत्र न समझें। पुण्य प्रवृत्ति में पुण्य कमाएँ, पाप नहीं। जिनेन्द्र भगवान की पूजा, भक्ति और धर्म के प्रति भावों में तीव्रता होना आवश्यक है। संसार से सभी को जाना है, पर यह हमारे हाथ में है कि हम कैसे जाएँ।पिच्छिका -- कमंडल धारण करके या कर्मों की भारी पोटली लेकर। महाव्रतीय जीवन के माध्यम से रत्नात्रय प्रकट करना चाहिए। जो ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए संयम मार्ग पर चलता है, वह चक्रवर्ती के समान माना जाता है। जैसे बहू चयन में रूप से अधिक गुण देखे जाते हैं, वैसे ही जीवन में भी गुणों को प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन आज के युग में व्यक्ति रूप एवं पैकेज देखता है न कि उसके धर्म -ध्यान एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि। आज व्यक्ति भौतिकता की ओर बढ़ रहा है, जिससे धर्म का प्रभाव कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहाँ अशक्ति बढ़ती है, वहाँ धर्म का प्रभाव स्वतः घट जाता है।संसार को चार दिन की चाँदनी बताते हुए कहा धर्म मार्ग पर चलने से स्वर्ग और श्रेष्ठ मनुष्य पर्याय की प्राप्ति होती है। माता–पिता से संतानों को धर्म का मार्ग दिखाने की अपील की। “जहाँ लज्जा है, वहीं धर्म है” बढ़ते पापाचार पर चिंता व्यक्त करते हुए मुनिश्री ने कहा कि आज बच्चों में संस्कार कम होते जा रहे हैं।वे देर से उठते हैं और अभक्ष पदार्थों का सेवन करते हैं। पहले घरों में पाप कम होते थे, आज अधिक हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि जहाँ लज्जा है, वहीं धर्म है, और जहाँ लज्जा समाप्त हो जाती है, वहाँ धर्म भी समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि असाता कर्मों के उदय के समय ही व्यक्ति को धर्म, धर्मात्मा और वृहद्ध शांतिधारा का महत्व ससमझ मेंआता है।
*“संयम रूपी धनुष का सदुपयोग कर धर्म की प्रभावना बढ़ाएँ”* मुनिश्री प्रवर सागर श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर में विराजमान आचार्य विनिश्चय सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रवर सागर मुनिराज ने धर्मसभा में आशीष वचन देते हुए कहा संयम रूपी धनुष का सदुपयोग न करने वाला प्राणी संसार में परिभ्रमण करता रहता है। जो व्यक्ति धर्म- ध्यान, आराधना और पुरुषार्थ करता है, वही अपने कर्मों को क्षीण कर सकता है। अनेक जन्मों के पुण्यों से ही जिनवाणी का श्रवण होता है, जिससे अशुभ कर्मों का क्षय एवं शुभ कर्मों का उदय प्रारंभ होता है। आज व्यक्ति संसार की वृद्धि में लगा है, जिससे पाप बढ़ रहे हैं। धर्म पुरुषार्थ कठिन लगने लगा है, जबकि पाप पुरुषार्थ सहज प्रतीत होता है। पाप कर्म मरे हुए व्यक्ति के समान हैं, जिनसे बचना संभव नहीं, देव शास्त्र और गुरु के प्रति श्रद्धा कभी कम नहीं होने देनी चाहिए, बल्कि निरंतर बढ़ानी चाहिए। संतों के प्रति समर्पण की भावना पुण्य को बढ़ाती है और धर्म की प्रभावना करती है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्मवृद्धि का आशीर्वाद भी प्रदान किया। “णमोकार महामंत्र साधारण नहीं” धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि णमोकार महामंत्र को कभी साधारण मंत्र न समझें। पुण्य प्रवृत्ति में पुण्य कमाएँ, पाप नहीं। जिनेन्द्र भगवान की पूजा, भक्ति और धर्म के प्रति भावों में तीव्रता होना आवश्यक है। संसार से सभी को जाना है, पर यह हमारे हाथ में है कि हम कैसे जाएँ।पिच्छिका -- कमंडल धारण करके या कर्मों की भारी पोटली लेकर। महाव्रतीय जीवन के माध्यम से रत्नात्रय प्रकट करना चाहिए। जो ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए संयम मार्ग पर चलता है, वह चक्रवर्ती के समान माना जाता है। जैसे बहू चयन में रूप से अधिक गुण देखे जाते हैं, वैसे ही जीवन में भी गुणों को प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन आज के युग में व्यक्ति रूप एवं पैकेज देखता है न कि उसके धर्म -ध्यान एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि। आज व्यक्ति भौतिकता की ओर बढ़ रहा है, जिससे धर्म का प्रभाव कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहाँ अशक्ति बढ़ती है, वहाँ धर्म का प्रभाव स्वतः घट जाता है।संसार को चार दिन की चाँदनी बताते हुए कहा धर्म मार्ग पर चलने से स्वर्ग और श्रेष्ठ मनुष्य पर्याय की प्राप्ति होती है। माता–पिता से संतानों को धर्म का मार्ग दिखाने की अपील की। “जहाँ लज्जा है, वहीं धर्म है” बढ़ते पापाचार पर चिंता व्यक्त करते हुए मुनिश्री ने कहा कि आज बच्चों में संस्कार कम होते जा रहे हैं।वे देर से उठते हैं और अभक्ष पदार्थों का सेवन करते हैं। पहले घरों में पाप कम होते थे, आज अधिक हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि जहाँ लज्जा है, वहीं धर्म है, और जहाँ लज्जा समाप्त हो जाती है, वहाँ धर्म भी समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि असाता कर्मों के उदय के समय ही व्यक्ति को धर्म, धर्मात्मा और वृहद्ध शांतिधारा का महत्व ससमझ मेंआता है।
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- देवास मप्र शराब ठेकेदार का हुआ वीडियो वायरल, मृतक शराब ठेकेदार ने आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित पर लगाए गंभीर आरोप, ओर दावा किया कि हर महीने ₹1.50 लाख रुपए मांगे जाते है, अभी तक 22 लाख से अधिक की ठेकेदार से उगाही हो चुकी है। दरअसल एक शराब ठेकेदार की आत्महत्या ने अब एक बड़े दावे को सामने ला दिया है। यहाँ के आबकारी विभाग की अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित पर आरोप है कि वो शराब ठेकों से महीने में ₹1.50 लाख की मांग करती है आबकारी अधिकारी पर आरोप है कि शराब ठेकेदार दिनेश मकवाना ने अब तक कुल ₹22 लाख से ज़्यादा रुपए मंदाकिनी दीक्षित को दे दिए थे। मृतक मकवाना का एक पुराना वीडियो सोशल-मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह साझा कर कहता है की - वह चपड़ा, करनावद, डबल चौकी में शराब ठेकेदारी का काम करता है, उससे माल के बदले “हर महीने लाखों रुपए की मांग होती। अगर पैसे नहीं दिए जाते, तो माल नहीं मिलता, ठेका बंद हो जाता।” इससे उसका लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। ठेकेदार के अनुसार, यह उसपर पैसे देने का भारी दबाव था और होने वाली वसूली ने उसे दुखी कर दिया था। उसने वीडियो में यह साफ कहते हुए कहा कि, आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित की वजह से वह आत्महत्या की राह चुनने पर मजबूर है। शाकीर शेख2
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- खुद के ही रिसेप्शन में नहीं पहुंच पाए नवविवाहित कपल, पर्दाफाश हुई चौंकाने वाली वजह कभी सुना है कि किसी की शादी का रिसेप्शन तो हो जाए, लेकिन दूल्हा-दुल्हन ही वहां पहुंच न पाएं? कर्नाटक के हुब्बाली में बिल्कुल ऐसा ही अजीब, हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। वजह? इंडिगो एयरलाइंस की लगातार उड़ानें कैंसिल होना। पिछले चार दिनों में एयरलाइन ने हजार से भी ज्यादा फ्लाइट्स रद्द कर दी हैं, जिसका सीधा असर आम लोगों की जिंदगी पर पड़ा है। इसी गड़बड़झाले में एक नए शादीशुदा सॉफ्टवेयर इंजीनियर कपल भी फंस गया, जिसका रिसेप्शन पूरी तरह प्लान होने के बावजूद वर्चुअली करना पड़ा। तो आज की इस खबर में हम आपको इसी वीडियो के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।1
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