श्मशान घाट जाने वाले रास्ते में कीचड़ से लोग परेशान अंतिम यात्रा में जाने वाले लोग गिरते गिरते बचे शव यात्रा गांव से श्मशान घाट जाने के लिए जब निकली तो सारे रास्ते में कीचड़ और फिसलन थी। इस कारण से शव यात्रा ले जाने में ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है कीचड़ में से होकर जाते हुए -लोगों को एयर एंबुलेंस, मंगल और चांद पर जाने के सपने दिखाए जा रहे हैं। इसके उलट करौली जिले के सूरौठ तहसील की ग्राम पंचायत खीप का पुरा के गांव खीप का पुरा से विकास की हकीकत बता रही एक तस्वीर सामने आई है। जहां 90 साल के बुजुर्ग अमर सिंह की मौत के बाद गांव से श्मशान घाट तक एक किमी का रास्ता कीचड़ से होकर जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता नाहर सिंह डागुर ने बताया की ग्रामीणों को शव यात्रा ले जाने में काफी परेशानी होती है और इस समस्या को लेकर गांव के लोग कई बार सरपंच से मांग कर चुके हैं। लेकिन आज तक कोई सुधार कार्य नहीं हो सका है। शव यात्रा गांव से श्मशान घाट जाने के लिए जब निकली तो सारे रास्ते में कीचड़ और फिसलन थी। इस कारण से शव यात्रा ले जाने में ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। मृतक के बेटे रामबीर सिंह ने बताया कि भूत पूर्व सरपंचों के द्वारा गलत तरीके से बिना नालियों के रोड बनाने के कारण एवं बिना वाटर लेवल के रोड बनाने के कारण यह समस्या आई है बताया कि बारिश के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं यह हर साल की कहानी है। गांव से श्मशान घाट तक शव यात्रा ले जाना किसी संघर्ष से कम नहीं होता है। सरपंच से कई बार बोलने के बाद भी हम लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। श्मशान घाट तक कीचड़ भरे रास्ते से होकर जाना पड़ता है। ऐसे में कई बार लोग कीचड़ में भी गिर जाते हैं। ग्रामीण शीतल डागुर एवं सत्यराम डागुर ने बताया कि गांव की आबादी करीब 4000 की आबादी है। यहां लोग अंतिम संस्कार के लिए जाने में परेशान होते हैं। बारिश के मौसम में तो लोग इतने परेशान हो जाते हैं कि लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं कि बारिश के मौसम में किसी की भी मौत न हो। अधिक कीचड़ की वजह से सरकारी विद्यालयों में बच्चों की लगातार संख्या घटती जा रही है बच्चे कीचड़ में होकर नहीं निकाल पाते हैं इस वजह से मोटी रकम प्राइवेट स्कूलों के लिए अदा करनी पड़ रही है सरपंच से जब भी बोलो तो सरकार के द्वारा फंड ने दिए जाने के कारण हम कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। हर बार सरपंच केवल आश्वासन दे देते हैं, लेकिन काम आज तक नहीं हुआ है ग्रामीणों का कहना है कि रास्ते की खुदाई करके अगर रास्ते को सही तरीके से वाटर लेवल एवं नालियों के साथ बनाया जाए तो रास्ता सुगम हो सकता है गांव का पानी जी पोखर में जाता है वह पूरी तरह से मिट्टी से भर चुकी है वहां पर खुदाई की जरूरत है जिससे पानी को नालियों के द्वारा पोखर में पहुंचा जा सके
श्मशान घाट जाने वाले रास्ते में कीचड़ से लोग परेशान अंतिम यात्रा में जाने वाले लोग गिरते गिरते बचे शव यात्रा गांव से श्मशान घाट जाने के लिए जब निकली तो सारे रास्ते में कीचड़ और फिसलन थी। इस कारण से शव यात्रा ले जाने में ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है कीचड़ में से होकर जाते हुए -लोगों को एयर एंबुलेंस, मंगल और चांद पर जाने के सपने दिखाए जा रहे हैं। इसके उलट करौली जिले के सूरौठ तहसील की ग्राम पंचायत खीप का पुरा के गांव खीप का पुरा से विकास की हकीकत बता रही एक तस्वीर सामने आई है। जहां 90 साल के बुजुर्ग अमर सिंह की मौत के बाद गांव से श्मशान घाट तक एक किमी का रास्ता कीचड़ से होकर जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता नाहर सिंह डागुर ने बताया की ग्रामीणों को शव यात्रा ले जाने में काफी परेशानी होती है और इस समस्या को लेकर गांव के लोग कई बार सरपंच से मांग कर चुके हैं। लेकिन आज तक कोई सुधार कार्य नहीं हो सका है। शव यात्रा गांव से श्मशान घाट जाने के लिए जब निकली तो सारे रास्ते में कीचड़ और फिसलन थी। इस कारण से शव यात्रा ले जाने में ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। मृतक के बेटे रामबीर सिंह ने बताया कि भूत पूर्व सरपंचों के द्वारा गलत तरीके से बिना नालियों के रोड बनाने के कारण एवं बिना वाटर लेवल के रोड बनाने के कारण यह समस्या आई है बताया कि बारिश के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं यह हर साल की कहानी है। गांव से श्मशान घाट तक शव यात्रा ले जाना किसी संघर्ष से कम नहीं होता है। सरपंच से कई बार बोलने के बाद भी हम लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। श्मशान घाट तक कीचड़ भरे रास्ते से होकर जाना पड़ता है। ऐसे में कई बार लोग कीचड़ में भी गिर जाते हैं। ग्रामीण शीतल डागुर एवं सत्यराम डागुर ने बताया कि गांव की आबादी करीब 4000 की आबादी है। यहां लोग अंतिम संस्कार के लिए जाने में परेशान होते हैं। बारिश के मौसम में तो लोग इतने परेशान हो जाते हैं कि लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं कि बारिश के मौसम में किसी की भी मौत न हो। अधिक कीचड़ की वजह से सरकारी विद्यालयों में बच्चों की लगातार संख्या घटती जा रही है बच्चे कीचड़ में होकर नहीं निकाल पाते हैं इस वजह से मोटी रकम प्राइवेट स्कूलों के लिए अदा करनी पड़ रही है सरपंच से जब भी बोलो तो सरकार के द्वारा फंड ने दिए जाने के कारण हम कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। हर बार सरपंच केवल आश्वासन दे देते हैं, लेकिन काम आज तक नहीं हुआ है ग्रामीणों का कहना है कि रास्ते की खुदाई करके अगर रास्ते को सही तरीके से वाटर लेवल एवं नालियों के साथ बनाया जाए तो रास्ता सुगम हो सकता है गांव का पानी जी पोखर में जाता है वह पूरी तरह से मिट्टी से भर चुकी है वहां पर खुदाई की जरूरत है जिससे पानी को नालियों के द्वारा पोखर में पहुंचा जा सके
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