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रावतसर

on 15 October
user_Vikash heyar selun
Vikash heyar selun
Barber Hanumangarh•
on 15 October

रावतसर

More news from Bhiwani and nearby areas
  • #चीकू की कॉमेडी चैनल पै आवैगी प्रेम तै भरी लघु फ़िल्म "बहन की कुर्बानी "
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    #चीकू की कॉमेडी चैनल पै आवैगी प्रेम तै भरी लघु फ़िल्म "बहन की कुर्बानी "
    user_Dhakad hai haryana
    Dhakad hai haryana
    Journalist Bhiwani•
    21 hrs ago
  • Post by रमेश सिंह
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    Post by रमेश सिंह
    user_रमेश सिंह
    रमेश सिंह
    Journalist Nagaur•
    11 hrs ago
  • अरावली जंगलों ओर बीकानेर क्षेत्र में पेड़ कटाई कारण और प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स आईरा न्यूज बीकानेर इकबाल खान, राजस्थान के अरावली पर्वत श्रृंखला के जंगलों को काटने का मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से जुड़ा है, जहां 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को 'अरावली' की परिभाषा से बाहर कर दिया गया। यह तकनीकी व्याख्या खनन और विकास परियोजनाओं का रास्ता खोल रही, जिससे पर्यावरणीय संरक्षण कमजोर हो रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला रेगिस्तान के विस्तार को बढ़ावा देगा, लेकिन सरकारें आर्थिक विकास के नाम पर आगे बढ़ रही। *कटाई के प्रमुख कारण* खनन की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट पर आधारित 100 मीटर ऊंचाई की सीमा स्वीकार की, जिससे अरावली के 90% हिस्से (कम ऊंचाई वाले) में खनन, निर्माण और भूमि अधिग्रहण संभव हो गया। यह 23 साल पुराने संरक्षण आदेश को कमजोर करता है, जहां खनन माफिया सक्रिय हो सकते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स: सौर ऊर्जा कंपनियां भूमि हासिल करने के लिए पेड़ काट रही, खासकर बीकानेर और जोधपुर जैसे जिलों में। सरकार का लक्ष्य 2030 तक सौर क्षमता बढ़ाना है, लेकिन पर्यावरणीय ऑडिट की कमी से जंगल प्रभावित। विकास और बुनियादी ढांचा: सड़कें, सब-स्टेशन और हाइड्रो-सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि साफ की जा रही, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के बजाय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रही। वहां लगने वाले प्रोजेक्ट्स सौर ऊर्जा प्लांट्स: बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर में बड़े सोलर फार्म्स, जहां खेजड़ी जैसे पेड़ काटे जा रहे। सरकार ने 9 सोलर-हाइड्रो प्रोजेक्ट्स मंजूर किए, जो 500,000 से अधिक पेड़ों को प्रभावित करेंगे। खनन और निर्माण: कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पत्थर खदानें, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे हरियाणा-राजस्थान सीमा पर। अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के बावजूद, खनन को प्राथमिकता मिल रही। अन्य विकास सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित क्षेत्रों में बफर जोन के बाहर सड़कें और सब-स्टेशन, जो दिल्ली-एनसीआर की ऊर्जा जरूरतें पूरी करेंगे, लेकिन रेगिस्तान विस्तार का खतरा बढ़ा रहा। पर्यावरण कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील कर धरना प्रदर्शन कर है।कि कटाई रोककर सख्त नियम लागू हों, वरना जल संकट और प्रदूषण गंभीर हो जाएगा।
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    अरावली जंगलों ओर बीकानेर क्षेत्र में पेड़ कटाई कारण और प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स
आईरा न्यूज बीकानेर इकबाल खान, राजस्थान के अरावली पर्वत श्रृंखला के जंगलों को काटने का मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से जुड़ा है, जहां 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को 'अरावली' की परिभाषा से बाहर कर दिया गया। यह तकनीकी व्याख्या खनन और विकास परियोजनाओं का रास्ता खोल रही, जिससे पर्यावरणीय संरक्षण कमजोर हो रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला रेगिस्तान के विस्तार को बढ़ावा देगा, लेकिन सरकारें आर्थिक विकास के नाम पर आगे बढ़ रही।
*कटाई के प्रमुख कारण*
खनन की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट पर आधारित 100 मीटर ऊंचाई की सीमा स्वीकार की, जिससे अरावली के 90% हिस्से (कम ऊंचाई वाले) में खनन, निर्माण और भूमि अधिग्रहण संभव हो गया। यह 23 साल पुराने संरक्षण आदेश को कमजोर करता है, जहां खनन माफिया सक्रिय हो सकते हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स: सौर ऊर्जा कंपनियां भूमि हासिल करने के लिए पेड़ काट रही, खासकर बीकानेर और जोधपुर जैसे जिलों में। सरकार का लक्ष्य 2030 तक सौर क्षमता बढ़ाना है, लेकिन पर्यावरणीय ऑडिट की कमी से जंगल प्रभावित।
विकास और बुनियादी ढांचा: सड़कें, सब-स्टेशन और हाइड्रो-सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि साफ की जा रही, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के बजाय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रही।
वहां लगने वाले प्रोजेक्ट्स
सौर ऊर्जा प्लांट्स: बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर में बड़े सोलर फार्म्स, जहां खेजड़ी जैसे पेड़ काटे जा रहे। सरकार ने 9 सोलर-हाइड्रो प्रोजेक्ट्स मंजूर किए, जो 500,000 से अधिक पेड़ों को प्रभावित करेंगे।
खनन और निर्माण: कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पत्थर खदानें, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे हरियाणा-राजस्थान सीमा पर। अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के बावजूद, खनन को प्राथमिकता मिल रही।
अन्य विकास सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित क्षेत्रों में बफर जोन के बाहर सड़कें और सब-स्टेशन, जो दिल्ली-एनसीआर की ऊर्जा जरूरतें पूरी करेंगे, लेकिन रेगिस्तान विस्तार का खतरा बढ़ा रहा।
पर्यावरण कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील कर धरना प्रदर्शन कर है।कि कटाई रोककर सख्त नियम लागू हों, वरना जल संकट और प्रदूषण गंभीर हो जाएगा।
    user_आईरा समाचार बीकानेर
    आईरा समाचार बीकानेर
    Journalist Nagaur•
    12 hrs ago
  • Post by Anoopshukla
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    Post by Anoopshukla
    user_Anoopshukla
    Anoopshukla
    Kurukshetra•
    13 hrs ago
  • जय गंगे मैय्या
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    जय गंगे मैय्या
    user_G B music
    G B music
    Panipat•
    15 hrs ago
  • Post by IndiaNews 9Live
    1
    Post by IndiaNews 9Live
    user_IndiaNews 9Live
    IndiaNews 9Live
    Journalist Kurukshetra•
    22 hrs ago
  • Post by Anoopshukla
    1
    Post by Anoopshukla
    user_Anoopshukla
    Anoopshukla
    Kurukshetra•
    18 hrs ago
  • बौल्या काका जल्द आ रहा है..
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    बौल्या काका जल्द आ रहा है..
    user_G B music
    G B music
    Panipat•
    21 hrs ago
  • Post by IndiaNews 9Live
    1
    Post by IndiaNews 9Live
    user_IndiaNews 9Live
    IndiaNews 9Live
    Journalist Kurukshetra•
    23 hrs ago
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