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Birla Power Weeder Tractor Price Review | Jharkhand Agriculture Machine
Rishi Krishi Mitra
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- सिसई : *सिसई प्रखण्ड के पोटरो गांव में योग शिविर के पांचवे और अंतिम दिन; ध्यान व योग साधना के साथ हुआ समापन, साधकों के बीच कई प्रकार के औषधीय पौधों का किया गया वितरण* सिसई (गुमला)। भदौली पंचायत अंतर्गत पोटरो भंडार टोली में पांच दिनी योग शिविर के अंतिम दिन विभिन्न आसनों द्वारा कराया गया योगाभ्यास। पतंजलि योग समिति के प्रखण्ड योग प्रचारक सह योग गुरु गजराज महतो के सानिध्य में सभी ग्रामीणों ने योग किया। वहीं ग्रामीणों ने प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सपरिवार योग के विभिन्न आसन व प्राणायाम का अभ्यास करने की बातें कही। शिविर के अंतिम सत्र में प्रतिदिन की तरह ध्यान मुद्रा में बैठने की विधि बताई गई और कहा गया कि सुबह दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर इस मुद्रा में बैठने से मन संयमित व एकाग्रचित होता है ध्यान शक्ति का विकास होता है। नकारात्मक विचार दूर होते हैं और स्मरण शक्ति का विकास होता है। योग गुरु जी ने पुनः सभी जीवनदायिनी प्राणायाम का अभ्यास कराते हुए सभी योग साधकों से कहा कि आपके अंदर के प्राण शक्ति को विकसित करने का उत्तम व सरल माध्यम है, ये प्राणायाम इनके निरंतर अभ्यास से तन मन की शुद्धि होती है तन के सभी नस- नाड़ियां सक्रिय रहती हैं जिससे कभी भी ब्रेन स्ट्रोक, पैरालाइसिस (लकवा) जैसे असाध्य रोग नहीं होते हैं साथ ही शरीर से वात, पित्त, कफ का नाश होता है जिसके कारण हमें कोई भी रोग जल्दी नहीं होते हैं हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है आगे बैठकर करने वाले आसनों में मुख्यतः वज्रासन, मंडुकासन,शशकासन, वक्रासन, अर्द्धमक्षिंद्रासन का अभ्यास कराया गया जिससे सुगर, बीपी जैसी असाध्य बीमारी से निजात मिलता है। मन की शुद्धि एवं प्रभु शरणागति के लिए योग भजन कराया गया और फिर पीठ के बल लेटकर श्वासन का अभ्यास कराया गया और बताया गया कि इस आसान को हमें सप्ताह या फिर 15 दिनों के अंतराल में अवश्य करना चाहिए ताकि इस अभ्यास से शरीर के सभी अंगों में सक्रियता बनी रहे। संयमित मन के साथ गहरी नींद भी आती है और अपने आप से साक्षात्कार हो जाती है। शिविर के समापन पर सभी योग साधकों के बीच औषधीय गुणों से युक्त पौधों का वितरण किया गया। साथ ही इनके सेवन विधि के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया। इनमें गिलोय, जिसे गुडुची व अमृता के नाम से भी जाना जाता है,पुनर्नवा जिसे स्थानीय भाषा में (खपड़ा साग) कहा जाता है, तुलसी एवं पत्थर चटा पौधा शामिल हैं तुलसी पौधा का वितरण करते हुए पूजनीय एवं इसके औषधीय गुणों को बताया और सभी साधकों से कहा कि तुलसी के पवित्र पौधे को अपने अपने आंगन में जरूर लगाएं। योग शिविर में शामिल होकर ग्रामीणों ने योग को अपनाकर निरोगी व आनंदमय जीवन जीने का संकल्प को दोहराया। शिविर में कृष्णा कुमार साहु, ओमप्रकाश साहु, शिवपूजन साहु, संदीप साहु, सत्यम साहु कमलेश साहु, अर्जुन उरांव, रीता देवी, दीपा अनुराधा कुमारी, मालती कुमारी, छोटी कुमारी, लालधर साहु, महावीर साहु, रामेश्वर साहु, राजू साहु सहित भारी संख्या में ग्रामीण महिला पुरुष व बच्चे शामिल थे।4
- मंत्री दीपक बिरुवा ने सदर प्रखंड के बादुड़ी व गाईसूटी पंचायत के ग्रामीणों के बीच किया कंबल वितरण1
- गुमला। जय श्रीराम के जयकारे से गूंजता रहा शहर, विहिप और बजरंग दल के द्वारा निकाली गई भव्य शौर्य यात्रा2
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- तालीम-ए-निसवां कॉन्फ्रेंस में गूंजी लड़कियों की शिक्षा की अहमियत __ मुल्क भर के मशहूर उल्मा-ए-कराम ने कुरआन व सुन्नत की रोशनी में पेश किया पैग़ाम ___ हजारीबाग। हजारीबाग जिला के कटकमसांडी प्रखंड अंतर्गत रोमी पंचायत के अलगडिहा (पबरा रोड) में शनिवार देर रात जामिया गौसिया लिलबनात के उद्घाटन समारोह के मुबारक मौके पर तालीम-ए-निसवां कॉन्फ्रेंस का भव्य और रूहानी आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक कॉन्फ्रेंस में मुल्क भर से तशरीफ़ लाए मशहूर उल्मा-ए-कराम ने शिरकत कर मजहब-ए-इस्लाम में लड़कियों की तालीम की अहमियत पर कुरआन व हदीस की रोशनी में असरदार बयान फरमाए। कॉन्फ्रेंस की सरपरस्ती पीर-ए-तरीकत अल्लामा व मौलाना इमरान रजा खान उर्फ समनानी मियां बरेली ने की, जबकि मंच संचालन हज़रत हसन रजा अतहर बोकारवी ने अपने खूबसूरत इस्लामी अंदाज में किया। सभी वक्ताओं ने अपने खिताब में कहा कि इस्लाम में औरतों की तालीम को बुनियादी अहमियत हासिल है और एक तालीमयाफ्ता बेटी ही एक बेहतर घर, बेहतर समाज और बेहतर मुल्क की बुनियाद रखती है। कॉन्फ्रेंस में बयान फरमाने वालों में मुफ्ती महबूब आलम मिस्बाही, कारी शाहिद अंजुम, कारी महमूद रजा नूरी, हाफिज अहमद शाह नवाज आलम, कारी सादिक रजा, कारी अब्दुल गफ्फार, कारी शमशेर रिजवी, कारी अशफाक हशमति, कारी इकराम, कारी निसार (कोलकाता), शायर-ए-इस्लाम दिलबर शाही, कारी मुबारक हुसैन, कारी आसिफ रजा सादी, कारी अब्दुल गफ्फार हशमति, सदर-ए-जलसा मौलाना गुलाम वारिस हशमति, मौलाना मुमताज नजमी, मौलाना जलालुद्दीन चिश्ती, कारी समसुद्दीन, मौलाना अब्दुल सलाम, मौलाना अब्दुल शकूर सहित कई नामवर उल्मा-ए-कराम शामिल रहे। इस रूहानी और इल्मी कॉन्फ्रेंस का आयोजन जामिया गौसिया लिलबनात एकेडमी के निदेशक नौशाद आलम, मोहम्मद नसीम रजा और उमर नूरानी के सौजन्य से किया गया। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत कर तालीम-ए-निसवां के पैग़ाम को दिल से कुबूल किया। अंत में मुल्क की तरक्की, अमन-ओ-अमान और कौम की बेहतरी के लिए दुआएं की गईं।4
- jangli hathi Bina Koi nuksan ka yahan se gaya sirf dhaan khaya do Boda1