सोलह कारण विधान के पहले दिन 70 अर्ध्य चढ़ाएं, दर्शन विशुद्धि विधान की पूजा भक्ति भाव से हुई, श्रेयांशनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक, निर्वाण लाडू सजाओं प्रतियोगिता शुक्रवार को श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सजग सागर जी एवं सानंद सागर मुनिराज के परम सानिध्य में एवं बीना से पधारे पं. प्रदीप शास्त्री ने अपनी मधुर आवाज में सोलह कारण विधान प्रारंभ कराया। पं. शास्त्री एवं नगर के भजन गायक शरद जैन तथा मुकेश जैन ने टीम के साथ दर्शन विशुद्धि विधान की पूजा संगीतमय करवाकर सोलह कारण विधान के 70 अर्ध्य लाभार्थियों, व्रतियों एवं उपस्थित श्रावक -श्राविकाओं से चढ़वाएं।शनिवार 9 अगस्त को 11 वें तीर्थंकर श्री श्रेयांशनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक महामहोत्सव पर निर्वाण लाडू सजाओं प्रतियोगिता किला मंदिर पर आयोजित की गई है। जिसमें सर्वश्रेष्ठ लाडू सजाकर लाने वाले को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के साथ सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार भी दिया जाएगा। नगर के सभी जिनालयों में भी श्रेयांशनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महामहोत्सव उत्साह और उमंग पूर्वक भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा। मुनिश्री सजग सागर मुनिराज ने कहा कि सम्यकदर्शन की भावना चल रही है। सच्चे देव, शास्त्र और गुरु पर श्रद्धान रखें। सम्यकदर्शन के लिए मिथ्यात्व छोड़ना होगा। दर्शन विशुद्धि भावना पहले है। तप करने से पुण्य का बंध होगा। पार्श्वनाथ भगवान पर कमठ के जीव ने भयंकर उपसर्ग किया। फिर भी भगवान को केवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। विष्णु कुमार मुनिराज ने 700 मुनियों का उपसर्ग दूर कर फिर मुनि दीक्षा ली। अपना कल्याण किया। देव शास्त्र और गुरु पर कोई भी विपदा आएगी तो रक्षा करने के लिए राखी बांधी जाती है, आप भी तन, मन, धन से देव, शास्त्र और गुरु की रक्षा करने के लिए तत्पर रहें।। अकंपनाचार्य मुनिराज का वृत्तांत सुनाया। वहीं मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि आचार्य समंतभद्र स्वामी ने बहुत सुंदर ग्रंथ लिखा है।आपने 700 मुनियों पर आएं उपसर्ग के बारे में समझाया। पुण्य मोक्ष का कारण है और पाप दुर्गति का कारण है। उज्जैन नगरी में निमित्त ज्ञानी आचार्य अकंपनाचार्य मुनिराज के साथ 700 मुनिराज पहुंचे थे। सभी मुनिराज को आचार्यश्री ने मौन धारण करने को कहा, श्रुत सागर मुनिराज मौन धारण कहने के दौरान नहीं थे। राजा और मंत्री मुनिराजों के दर्शन करने पहुंचे।पंच परमेष्ठि में साधु भी आते हैं। मिथ्यात्व के पोषण वालों से बचें। मंत्रियों ने मुनिश्री श्रुत सागर से वाद विवाद किया और मंत्री हार गए। श्रुत सागर मुनिराज ने मंत्रियों से हुए वाद विवाद से आचार्य भगवंत को अवगत कराया कि चार मंत्रियों ने हार स्वीकार कर ली। आचार्य भगवंत समझ गए, उन्होंने मुनिश्री से कहा जहां वाद विवाद हुआ वहीं जाकर ध्यान लगाएं। सम्यकदृष्टि जीव कभी भयभीत नहीं होते हैं। चारों मंत्रियों ने तलवार से मुनिश्री पर हमला करना चाहा तो वे वहीं कील हो गए।यह बात लोगों को पता चली।मुनियों के प्रति गलत भाव, तिरस्कार करने वाले की दुर्गति बंध निश्चित है। सम्यकदृष्टि कभी भी किसी भी जीव के प्रति विपरीत भाव नहीं बनाते हैं। मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने कहां मुनिराजों में सभी जीवों के प्रति करुणा के भाव रहते हैं।लोग व मंत्रियों के परिवार वाले भी वहां पहुंचे। मुनिराजों में क्षमा भाव रहता है,वे कषाय भाव नहीं लाते हैं। उपसर्ग करने वाले के लिए भी कल्याण की भावना रखते हैं।सांप को कितना भी दूध पिलाने पर वह जहर ही उगलता है। मुनिराज ने चारों मंत्रियों को क्षमा कर दिया। उन्होंने अनेक जीवों की बलि देते हुए हवन कराया, जहां 700 मुनिराज रुके थे। राजा ने 7 दिन के लिए मंत्रियों को राज अपने वचन के कारण दे दिया था। उन्होंने बहुत उपसर्ग मुनिराजों पर किया। रिद्धि धारी क्षुल्लक ने आचार्य श्री से कहा। विष्णु मुनिराज धरणीधर पर्वत पर ध्यान कर रहे थे, क्षुल्लक जी को वहां भेजा। विष्णु मुनिराज रिद्धि के बल पर हस्तिनापुर पहुंचे और ब्राह्मण का रुप धारण किया। विष्णु कुमार मुनिराज राजा के पास पहुंचे और उपसर्ग के बारे में बताया। राजा ने अपने वचन के कारण 7 दिन के लिए राज्य दे दिया। पंडित के भेष धारण किए विष्णु कुमार मुनिराज ने उन्हें मधुर वचन सुनाएं तो चारों मंत्रियों से तीन पैर जगह मांगी तो वे सभी हंसने लगे और बोले अधिक मांग लो। विष्णु कुमार मुनिराज ने दो पैर में सब कुछ समेट दिया और तीसरे पैर के लिए पूछा तो देवों के सिंहासन कंपायमान हो गए।सभी देवताओं ने विष्णु कुमार मुनिराज से क्षमायाचना करते हुए क्षमा मांगी। पंडित प्रदीप शास्त्री बीना ने कहा शनिवार को वात्सल्य दिवस है। भाई बहन के प्यार स्नेह का पर्व रक्षाबंधन,700 मुनिराजों पर उपसर्ग के पश्चात 9 अगस्त को पाड़ना कराना है। वहीं श्रेयांशनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महामहोत्सव पर निर्वाण लाडू सजाओं प्रतियोगिता आयोजित की है ।
सोलह कारण विधान के पहले दिन 70 अर्ध्य चढ़ाएं, दर्शन विशुद्धि विधान की पूजा भक्ति भाव से हुई, श्रेयांशनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक, निर्वाण लाडू सजाओं प्रतियोगिता शुक्रवार को श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सजग सागर जी एवं सानंद सागर मुनिराज के परम सानिध्य में एवं बीना से पधारे पं. प्रदीप शास्त्री ने अपनी मधुर आवाज में सोलह कारण विधान प्रारंभ कराया। पं. शास्त्री एवं नगर के भजन गायक शरद जैन तथा मुकेश जैन ने टीम के साथ दर्शन विशुद्धि विधान की पूजा संगीतमय करवाकर सोलह कारण विधान के 70 अर्ध्य लाभार्थियों, व्रतियों एवं उपस्थित श्रावक -श्राविकाओं से चढ़वाएं।शनिवार 9 अगस्त को 11 वें तीर्थंकर श्री श्रेयांशनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक महामहोत्सव पर निर्वाण लाडू सजाओं प्रतियोगिता किला मंदिर पर आयोजित की गई है। जिसमें सर्वश्रेष्ठ लाडू सजाकर लाने वाले को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के साथ सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार भी दिया जाएगा। नगर के सभी जिनालयों में भी श्रेयांशनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महामहोत्सव उत्साह और उमंग पूर्वक भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा। मुनिश्री सजग सागर मुनिराज ने कहा कि सम्यकदर्शन की भावना चल रही है। सच्चे देव, शास्त्र और गुरु पर श्रद्धान रखें। सम्यकदर्शन के लिए मिथ्यात्व छोड़ना होगा। दर्शन विशुद्धि भावना पहले है। तप करने से पुण्य का बंध होगा। पार्श्वनाथ भगवान पर कमठ के जीव ने भयंकर उपसर्ग किया। फिर भी भगवान को केवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। विष्णु कुमार मुनिराज ने 700 मुनियों का उपसर्ग दूर कर फिर मुनि दीक्षा ली। अपना कल्याण किया। देव शास्त्र और गुरु पर कोई भी विपदा आएगी तो रक्षा करने के लिए राखी बांधी जाती है, आप भी तन, मन, धन से देव, शास्त्र और गुरु की रक्षा करने के लिए तत्पर रहें।। अकंपनाचार्य मुनिराज का वृत्तांत सुनाया। वहीं मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि आचार्य समंतभद्र स्वामी ने बहुत सुंदर ग्रंथ लिखा है।आपने 700 मुनियों पर आएं उपसर्ग के बारे में समझाया। पुण्य मोक्ष का कारण है और पाप दुर्गति का कारण है। उज्जैन नगरी में निमित्त ज्ञानी आचार्य अकंपनाचार्य मुनिराज के साथ 700 मुनिराज पहुंचे थे। सभी मुनिराज को आचार्यश्री ने मौन धारण करने को कहा, श्रुत सागर मुनिराज मौन धारण कहने के दौरान नहीं थे। राजा और मंत्री मुनिराजों के दर्शन करने पहुंचे।पंच परमेष्ठि में साधु भी आते हैं।
मिथ्यात्व के पोषण वालों से बचें। मंत्रियों ने मुनिश्री श्रुत सागर से वाद विवाद किया और मंत्री हार गए। श्रुत सागर मुनिराज ने मंत्रियों से हुए वाद विवाद से आचार्य भगवंत को अवगत कराया कि चार मंत्रियों ने हार स्वीकार कर ली। आचार्य भगवंत समझ गए, उन्होंने मुनिश्री से कहा जहां वाद विवाद हुआ वहीं जाकर ध्यान लगाएं। सम्यकदृष्टि जीव कभी भयभीत नहीं होते हैं। चारों मंत्रियों ने तलवार से मुनिश्री पर हमला करना चाहा तो वे वहीं कील हो गए।यह बात लोगों को पता चली।मुनियों के प्रति गलत भाव, तिरस्कार करने वाले की दुर्गति बंध निश्चित है। सम्यकदृष्टि कभी भी किसी भी जीव के प्रति विपरीत भाव नहीं बनाते हैं। मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने कहां मुनिराजों में सभी जीवों के प्रति करुणा के भाव रहते हैं।लोग व मंत्रियों के परिवार वाले भी वहां पहुंचे। मुनिराजों में क्षमा भाव रहता है,वे कषाय भाव नहीं लाते हैं। उपसर्ग करने वाले के लिए भी कल्याण की भावना रखते हैं।सांप को कितना भी दूध पिलाने पर वह जहर ही उगलता है। मुनिराज ने चारों मंत्रियों को क्षमा कर दिया। उन्होंने अनेक जीवों की बलि देते हुए हवन कराया, जहां 700 मुनिराज रुके थे। राजा ने 7 दिन के लिए मंत्रियों को राज अपने वचन के कारण दे दिया था। उन्होंने बहुत उपसर्ग मुनिराजों पर किया। रिद्धि धारी क्षुल्लक ने आचार्य श्री से कहा। विष्णु मुनिराज धरणीधर पर्वत पर ध्यान कर रहे थे, क्षुल्लक जी को वहां भेजा। विष्णु मुनिराज रिद्धि के बल पर हस्तिनापुर पहुंचे और ब्राह्मण का रुप धारण किया। विष्णु कुमार मुनिराज राजा के पास पहुंचे और उपसर्ग के बारे में बताया। राजा ने अपने वचन के कारण 7 दिन के लिए राज्य दे दिया। पंडित के भेष धारण किए विष्णु कुमार मुनिराज ने उन्हें मधुर वचन सुनाएं तो चारों मंत्रियों से तीन पैर जगह मांगी तो वे सभी हंसने लगे और बोले अधिक मांग लो। विष्णु कुमार मुनिराज ने दो पैर में सब कुछ समेट दिया और तीसरे पैर के लिए पूछा तो देवों के सिंहासन कंपायमान हो गए।सभी देवताओं ने विष्णु कुमार मुनिराज से क्षमायाचना करते हुए क्षमा मांगी। पंडित प्रदीप शास्त्री बीना ने कहा शनिवार को वात्सल्य दिवस है। भाई बहन के प्यार स्नेह का पर्व रक्षाबंधन,700 मुनिराजों पर उपसर्ग के पश्चात 9 अगस्त को पाड़ना कराना है। वहीं श्रेयांशनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महामहोत्सव पर निर्वाण लाडू सजाओं प्रतियोगिता आयोजित की है ।
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- जालियांवाला बाग नरसंहार के प्रतिशोधी, महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह जी की जयंती पर उन्हें को शत् शत् नमन। उनका साहस, बलिदान और देशभक्ति सदैव आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। #SardarUdhamSingh #उधमसिंह #महानक्रांतिकारी1
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- पहले भी बेमिसाल भोपाल आज भी बेमिसाल भोपाल1
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- जुम्मे की नमाज के बाद मुस्लिम समाज पुराने बस स्टैंड पर हजारों की संख्या में हुआ जमा, शहर काजी के नेतृत्व में 4 सूत्रीय मांगों का सौंपा ज्ञापन, निष्पक्ष कार्यवाही की उठाई मांग,21 तारीख की घटना को बताया निंदनीय आष्टा शहर काजी जनाब फजले वारी आरिफ ने 21 दिसंबर को अलीपुर में हुई घटना को लेकर समाज की ओर से चार सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जैन धर्मशाला के सामने पुराने बस स्टैंड पर एसडीएम श्री नितिन कुमार टाले को सौंपा। ज्ञापन के दौरान पुराना बस स्टैंड की मस्जिद के समीप तक हजारों मुस्लिम उपस्थित थे।1