401 पुस्तकों का कीर्तिमान रचने वाले आचार्य भगवंत जीतरत्नसागर सूरीश्वर महाराज के अवतरण दिवस पर शांति धारा सहित धर्म आराधना हुई। धार के श्री भक्तांबर तीर्थ के प्रणेता 401 पुस्तकों का कीर्तिमान रचने वाले साहित्य दिवाकर, प्रवचन प्रभावक आचार्य भगवंत जीतरत्नसागर सूरीश्वर महाराज का अवतरण दिवस शनिवार 4 जनवरी को नगर के जिनालयों में उत्साह और उमंग के साथ श्रद्धालुओं द्वारा मनाया गया। वहीं श्री चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर में भगवान की प्रतिमा पर अभिषेक, शांति धारा कर दीर्घायु होने की कामना की। विदित रहे कि आचार्य भगवंत जीतरत्न सूरीश्वर महाराज की आष्टा पर असीम कृपा है। माध्यम है संख्या, जो करें विशेषता की व्याख्या आज गुरुदेव पूज्य जितरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराज के कार्यों की कुछ जबरदस्त बातें संख्याओं के माध्यम से जानते है। पूज्यश्री ने 47 वर्ष के दीक्षा पर्याय में भारत के 15 से अधिक राज्यों में लगभग 1 लाख 10 हजार किलोमीटर से भी अधिक की मंगल विहार यात्रा की है। जीतरत्नसागर सूरीश्वर महाराज ने अपनी 400 पुस्तकों में 4000 से भी अधिक कथा एवं श्लोकों का आधार लिया है। अब तक के आपके प्रभावक प्रवचनों के विषय 1400 से अधिक है। आपकी सभी किताबों की अब तक प्रकाशित कुल प्रतिलिपि 1 लाख से भी अधिक है। पूज्यश्री के जीवन में अब तक अंदाजन हर डेढ़ वर्ष में उपधान, हर 2 वर्ष में एक अंजनशलाका प्रतिष्ठा और हर ढाई वर्ष में एक छ:रि पालित संघ निकला है। पूज्यश्री की 45 आगम वाचना का अभी तक दस हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने श्रवण की है। पूज्यश्री ने अब तक 1 लाख से अधिक पेज अपने अक्षरों में लिखें जो टाईप होकर 400 किताबों में 55,000 से अधिक पेज में प्रकाशित हुए हैं। आपने रामायण-महाभारत इन दो कथाओं के आधार पर अब तक 1500 से अधिक प्रवचन देश के विभिन्न स्थानों पर दिए हैं। आचार्य भगवंत जीतरत्नसागर सूरीश्वर महाराज को अवतरण दिवस पर आष्टा के भक्तों की ओर से कोटि कोटि वंदन- नमोस्तु। विशेष आपके नाम में ही आपके गुण छिपे हुए हैं। J जिनशासन के रत्न हो आप । I इतिहास के ज्ञाता हो आप । T तत्त्व और सत्त्व के संगम हो आप । R रामायण का पाठ पढ़ाते हो आप । A आगमोद्धारक के अंश हो आप । T तीर्थरत्नाश्रीजी के नंदन हो आप । N नम्रता के निधान हो आप। A आगम वाचनादाता हो आप । S साहित्य के शिरताज हो आप । A अध्यात्म का अमृत पीरसते हो आप । G गुणों के सागर हो आप । A आचारण के आचार्य हो आप । R रक्षा करते हो साहित्य की आप । S संकल्प के सुमेरु हो आप । U ‘उठ जाग मुसाफ़िर’ कहकर जगाते हो आप । R रात्रि भोजन निषेध का संदेश देते हो आप । I ईश्वर के सुनाते स्वर हो आप । S साहित्य के आदित्य हो आप । H हम सभी के श्रद्धेय हो आप । V वाणी के जादुगर हो आप । A अनेक गौशालाओं के प्रेरक हो आप । R रैवतगिरि जैसी तीर्थ-भावयात्राएं करते हो आप । J जिनशासन के प्रभावक हो आप । I इतर दर्शन के प्रखर ज्ञाता हो आप । M मालवमणी बनकर चमकते हो आप । A अभ्युदयसागरजी म.के कृपापात्र हो आप । H हित की प्रीत कराते हो आप । A अनुमोदना का आकाश हो आप । R राष्ट्र-प्रेम की अलख जगाते हो आप । A अभ्युदयधाम भक्तामर तीर्थ के मार्गदर्शक हो आप। J गुरुजिनरत्न-जयरत्न के शिष्य हो आप ।
401 पुस्तकों का कीर्तिमान रचने वाले आचार्य भगवंत जीतरत्नसागर सूरीश्वर महाराज के अवतरण दिवस पर शांति धारा सहित धर्म आराधना हुई। धार के श्री भक्तांबर तीर्थ के प्रणेता 401 पुस्तकों का कीर्तिमान रचने वाले साहित्य दिवाकर, प्रवचन प्रभावक आचार्य भगवंत जीतरत्नसागर सूरीश्वर महाराज का अवतरण दिवस शनिवार 4 जनवरी को नगर के जिनालयों में उत्साह और उमंग के साथ श्रद्धालुओं द्वारा मनाया गया। वहीं श्री चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर में भगवान की प्रतिमा पर अभिषेक, शांति धारा कर दीर्घायु होने की कामना की। विदित रहे कि आचार्य भगवंत जीतरत्न सूरीश्वर महाराज की आष्टा पर असीम कृपा है। माध्यम है संख्या, जो करें विशेषता की व्याख्या आज गुरुदेव पूज्य जितरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराज के कार्यों की कुछ जबरदस्त बातें संख्याओं के माध्यम से जानते है। पूज्यश्री ने 47 वर्ष के दीक्षा पर्याय में भारत के 15 से अधिक राज्यों में लगभग 1 लाख 10 हजार किलोमीटर से भी अधिक की मंगल विहार यात्रा की है। जीतरत्नसागर सूरीश्वर महाराज ने अपनी 400 पुस्तकों में 4000 से भी अधिक कथा एवं श्लोकों का आधार लिया है। अब तक के आपके प्रभावक प्रवचनों के विषय 1400 से अधिक है। आपकी सभी किताबों की अब तक प्रकाशित कुल प्रतिलिपि 1 लाख से भी अधिक है। पूज्यश्री के जीवन में अब तक अंदाजन हर डेढ़ वर्ष में उपधान, हर 2 वर्ष में एक अंजनशलाका प्रतिष्ठा और हर ढाई वर्ष में एक छ:रि पालित संघ निकला है। पूज्यश्री की 45 आगम वाचना का अभी तक दस हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने श्रवण की है। पूज्यश्री ने अब तक 1 लाख से अधिक पेज अपने अक्षरों में लिखें जो टाईप होकर 400 किताबों में 55,000 से
अधिक पेज में प्रकाशित हुए हैं। आपने रामायण-महाभारत इन दो कथाओं के आधार पर अब तक 1500 से अधिक प्रवचन देश के विभिन्न स्थानों पर दिए हैं। आचार्य भगवंत जीतरत्नसागर सूरीश्वर महाराज को अवतरण दिवस पर आष्टा के भक्तों की ओर से कोटि कोटि वंदन- नमोस्तु। विशेष आपके नाम में ही आपके गुण छिपे हुए हैं। J जिनशासन के रत्न हो आप । I इतिहास के ज्ञाता हो आप । T तत्त्व और सत्त्व के संगम हो आप । R रामायण का पाठ पढ़ाते हो आप । A आगमोद्धारक के अंश हो आप । T तीर्थरत्नाश्रीजी के नंदन हो आप । N नम्रता के निधान हो आप। A आगम वाचनादाता हो आप । S साहित्य के शिरताज हो आप । A अध्यात्म का अमृत पीरसते हो आप । G गुणों के सागर हो आप । A आचारण के आचार्य हो आप । R रक्षा करते हो साहित्य की आप । S संकल्प के सुमेरु हो आप । U ‘उठ जाग मुसाफ़िर’ कहकर जगाते हो आप । R रात्रि भोजन निषेध का संदेश देते हो आप । I ईश्वर के सुनाते स्वर हो आप । S साहित्य के आदित्य हो आप । H हम सभी के श्रद्धेय हो आप । V वाणी के जादुगर हो आप । A अनेक गौशालाओं के प्रेरक हो आप । R रैवतगिरि जैसी तीर्थ-भावयात्राएं करते हो आप । J जिनशासन के प्रभावक हो आप । I इतर दर्शन के प्रखर ज्ञाता हो आप । M मालवमणी बनकर चमकते हो आप । A अभ्युदयसागरजी म.के कृपापात्र हो आप । H हित की प्रीत कराते हो आप । A अनुमोदना का आकाश हो आप । R राष्ट्र-प्रेम की अलख जगाते हो आप । A अभ्युदयधाम भक्तामर तीर्थ के मार्गदर्शक हो आप। J गुरुजिनरत्न-जयरत्न के शिष्य हो आप ।
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