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सादर प्रकाशनार्थ:– कोरिया..धरती कहे पुकार के सड़क चौड़ीकरण कोरिया कहे पुकार के, ओ मेरे माटी के लाल। देख मां आज त्रस्त है, तू पड़े निरत भ्रमजाल।। मेरा इतिहास, सबल प्रताप, देशहित वर्धन हुआ मिलाप। नैसर्गिकसौंदर्य, खगवृंद अलाप, हर लेता है ये,हर दुख संताप।। श्री राम प्रभु ने भ्रमण किया, साधुसंत भक्तों ने रमण किया। दंडकारण्य की पावन धरती में, आतताइयों दुष्टों का अंत हुआ। खनिज संसाधन की भूमि है, प्राकृतिक समृद्ध ये धरती है। काले हीरे की यह अवनी है, यह उद्योगों की हितकर्णी है। सरगुजा के पश्चिम में रहती हूं। तुम्हें वचन ये याद दिलाती हूं। समृद्ध रहे तुम,पर अब क्या हो? जीवन दायिनी सच कहती हूं। सुनो दौर हुआ कुछ ऐसा फिर, कोरिया को जिलाधिकार मिला। कोरियागढ़ पुरा अस्तित्व रहा, बैकुंठपुर मुख्यालय क्षेत्र मिला।। अब नया जिला मेरा बना, पर किशोर क्यों वृद्ध हुआ? क्या शोक नही, यह दुख होता है, जब पुत्र दायित्व विमुख होता है। कई समृद्ध पर्यटन स्थल है, कई नदियां, सुंदरतम बहती है। इन हसदेव गेज की धारा में, विकास की गंगा बहती है। पर फिर वही शोक मैं पूछ रही, तुम माता की सेवा नही करते। मातृ–पितृ विमुख होकर के, किस दिवास्वप्न में तुम जीते? अव्यवस्था के दौर से गुजरी हूं, मेरे अस्तित्व को हरदम कुचला है कोई उद्योग न मानवीय संसाधन सड़क चौड़ीकरण सुना है जुमला है। अगर सड़क सुंदरतम हो, तो यातायात सुगम होगा। व्यवस्था सुदृह तो होगी ही, आकर्षण भी अगम होगा।। फिर भीड़ में तुम नहीं फसोगे, यातायात नही विफल होगा। तुम नियत समय पर पहुंचोगे, हर तीज त्योहार सफल होगा।। सोचो बायपास बन गया है, शहर पड़ा वीरान हुआ है। बाहरी आकर्षण का अंत हुआ है, व्यापार कहीं तो कम हुआ है।। फिर आगे करोगे बलिदान भी, मातृभूमि के हितकर ही। तब श्रेष्ठ पुत्र कहलाओगे, जीवन सफल कर जाओगे।। जब व्यवस्थित उद्यम होएंगे, कुछ प्रवासी भी तब आएंगे। नूतन वैचारिक आर्थिक क्रांति से, तुम्हारा ही हित कर जायेंगे।। सुंदर सड़क समृद्ध यातायात, चौड़ा मार्ग व्यवस्थित हर बात। शिक्षा स्वास्थ्य काल आपात, अन्यत्र ही रमना,ये हालात? बाहर बसकर तुम क्या पाओगे, शिक्षा व्यापार में जम जाओगे।। मैं मातृभूमि आशीष ही दूंगी, चाहे विमुख, तुम हो जाओगे।। वही उद्यम– उद्योग यही पर हो, मानचित्र कोरिया का उन्नत हो। सारी समृद्धि अब कट चुकी, पांच से दो में है सिमट चुकी।। अब उठो जागो और यत्न करो, शून्य से शिखर तक पहुंच करो। माता अपने पुत्रों से कहे पुकार, बदल डालो हर बिगड़ा आकर।। तब जन्म सफल कर जाओगे, नूतन मार्ग ही तुम बनाओगे। कोरिया जिला समृद्ध रूप से, भविष्य सुनहरा कर जाओगे।। "जब राजनीति लड़खड़ाती है तब साहित्य उसे संभालता है" जिनके काव्य के मूल में राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता रही।आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर जी की उक्त पंक्तियां सत्य सार्थक और मानने योग्य है। हालांकि यह एक सत्य घटना पर बोला गया त्वरित वाक्य था तब हुआ यह था भारत देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी सीढ़ियों में लड़खड़ा गए थे कि श्री रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें संभाल लिया और दिनकर जी के मुख से फूट पड़ा –"जब राजनीति लड़खड़ाती है तब साहित्य उसे संभालता है"। उन्होंने अपने महाकाव्य ‘रश्मिरथी’ में लिखा है समर शेष है नही पाप का भागी केवल व्याध। जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध।। ये शब्द जीवंत है, अजर है अमर है। किं कर्तव्यविमुड़ होकर अथवा जो हो रहा है हो हमे क्या ? इस भावना से तटस्थ हो जाना अमानवीय है।दिनकर जी के अनुसार समय बड़ा बलवान है और उन्होंने इसे मानवीय अपराध की संज्ञा दी है। कोई भी काल हो साहित्य ने राजनीति और समाज को सहारा दिया है,संबल बनया है,जागृत किया है अपनी लेखनी से अपने प्रबोधन से। अगर बात करें स्वतंत्रता संग्राम या अंग्रेजी हुकुम के दंश काल की तब भी बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जैसे महान साहित्यकारों ने देश में आनंद मठ की रचना करते हुए नव तरंग भर दिया वह रहा ‘वंदे मातरम’ जो आज राष्टीय गीत के रूप में सुशोभित है। आज देश के प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम के 150 वर्ष के स्मरण उत्सव के अवसर पर देश की जनता को राजधानी से संबोधित करते हुए यही कहा कि ‘सोचिए वह कालखंड कैसा रहा होगा जब आप हम सब पराधीन रहे उस यातना के काल में ऐसी रचना करना मरे हुए को प्राण फूंकने जैसा था। प्रधानमंत्री जी ने सत्य कहा और यही हुआ भी था तब देश में एक नव लहर फैली मातृभूमि के हितार्थ मां भारती के लिए तन मन न्योछावर करने के लिए कई क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने हंसते हंसते मृत्य को अंगीकार कर लिया। रामधारी सिंह दिनकर जी की एक और पंक्ति इसी रश्मि रथी से: जब नाश मनुज का छाता है। पहले विवेक मर जाता है।। सरगुजा जिला का समृद्ध पश्चिमी हिस्सा कोरिया । यह जिला बना तब इसके पास बहुत संसाधन थे।राजस्व,खनिज,प्राकृतिक,मानवीय परिपूर्ण। लेकिन जब यह अपने युवापन में है तब उसका विभाजन हुआ और पितृ जिला टूटकर सिमट कर अति न्यून हो गया असमय बुढ़ापे की चपेट में आ गया। हर एक संसाधन अलग हो गए। कोरिया का ऐतिहासिक गौरव ,धार्मिक गौरव,पर्यटन आदि इससे छूटे ही साथ में राजस्व आदि भी कम हो गया।ऐसे में चाहिए कि अब वह युक्ति अपनाई जाए जिससे मातृभूमि कोरिया गौरवान्वित हो फलीभूत और व्यवस्थित हो। सुख साधनों से परिपूर्ण हो। कोरिया उन्नत हो,व्यवस्थित सड़क हो,शिक्षा आदि के नूतन बड़े उद्यम हो, यातायात सुगम हो, बिजली,पानी,सड़क आदि की व्यवस्था सुदृढ़ हो, युवाओं को रोजगार हेतु साधन हो उद्योग हो इसके लिए मातृभूमि के लालों की मानसिकता सबसे पहले सुदृढ़ हो प्रबल हो। किसी का अहित भी न हो और मातृभूमि हितार्थ सब मिलजुल कर एकराय होकर संपूर्ण विकास की बात और मांग के साथ पूर्णता को प्राप्त हो इसके लिए जिस प्रकार मां भारती के लिए वीर सपूतों ने अपना त्याग बलिदान किया था वह भी करना पड़े तो पीछे नहीं हटने की बात हो। लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा है। बैकुंठपुर मुख्यालय की बहुप्रतीक्षित मांग "सड़क चौड़ीकरण" तक कई सालों से लंबित है । इसके कई दुष्प्रभाव है। यातायात इतना कष्टकारी हो जाता है कि लोगो के जान पर बन आती है। जाम में फंसे स्वास्थ्य गाड़ियों में बच्चे पैदा हो जा रहे है और अस्पताल नही जा पाते। बीमार व्यक्ति जाम में फंस जाते है तो उनकी जान पर बन पड़ती है। राजकीय या राष्ट्रीय सेवा से जुड़े प्रशासनिक परीक्षा में परीक्षार्थी अत्यंत भीड़ और ट्रैफिक जाम के कारण पहुंच नही पाते परीक्षा सेंटर्स के सामने दुपहिया चारपहिया का जाम लग जाता है और समाप्त होने पर जब परीक्षार्थी निकलते है तब घंटों जाम की स्थिति बन पड़ती है इसके कारण शहर के नागरिकों को कष्ट झेलना पड़ता है। तीज त्योहार का भी यही हाल है रक्षाबंधन,नवरात्रि,दीपावली,मोहर्रम जुलूस,या अन्य जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। प्रशासनिक आयोजन और खेल आदि के लिए के लिए पृथक कोई बड़ा मैदान नही है ना कोई भवन इसके लिए ऐतिहासिक रामानुज विद्यालय के मैदान का प्रयोग होता है,राज्योत्सव हो या राष्ट्रीय पर्व अथवा दशहरा उत्सव इतनी भारी भरकम भीड़ को काबू में ला पाना यातायात और पुलिस प्रशासन के लिए जद्दोजहद का काम हो जाता है कोई भी अनहोनी होने पर जान माल पर बन सकता है। चुनाव काल में भी इसी विद्यालय का उपयोग होने से पढ़ाई लिखाई सब चौपट। शहर को व्यवस्थित करन एक चुनौती बन गई है युवा जोश भरपूर आवाज उठा रहा है।कोई आकर्षण नही होने से किसी भी प्रकार से कोई सुविधा यातायात की नही होने से अन्य पड़ोसी जिले या आसपास के लोग शहर में घुसते नही है । बायपास से निकल जाते है इससे बैकुंठपुर का व्यापार भी प्रभावित है अन्य का फलित है। नाबालिक सरपट वाहन दौड़ाते है । दुर्घटना में वृद्धि हुई है। सड़कों में मवेशी आदि रहने से दिक्कत हो जाया करती है और भी कई दुख और कष्ट आम जनता भोग रही है। लेकिन समाधान के लिए कोई विकल्प नहीं दिखता। जब स्थिति रामधारी दिनकर जी पंक्ति जब नाश....जैसा हो तब साहित्यकार लेखक, प्रबोधक को अपना दायित्व निभाना पड़ता है। कोरिया जिले के बैकुंठपुर शहर के वर्ल्ड रिकारधारी साहित्यकार राज्य युवा कवि सम्मानित,जनसेवा के लिए राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार प्राप्त संवर्त कुमार रूप ने यही दायित्व निभाया है और उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से मातृभूमि कोरिया की पीड़ा व्यक्त करते हुए शहर के लोगो से मातृभूमि के हितार्थ कर्तव्य बोध और नैतिक दायित्व की बात कही है। श्री रूप ने दिनकर जी की चंद पंक्तियां पढ़ते हुए कहा कि अभी अनुनय विनय से मार्ग प्रशस्त करने का उपक्रम है आगे अगर यह नही हुआ तो भविष्य में पीढियां और इतिहास हमे दोषी नहीं ठहराएं इसका उपक्रम होगा। याचना नही अब रण होगा। जीवन जय या कि मरण होगा।। संवर्त कुमार ‘रूप’ बैकुंठपुर जिला कोरिया छत्तीसगढ़ लेखक/ कवि वर्ल्ड रिकार्ड प्राप्त। संपर्क: 8462037009 सर्वाधिकार सुरक्षित/ कॉपीराइट कानून के तहत्/ (यह लेखक के अपने विचार है)

10 hrs ago
EI
Editor In Chief vivekanand Pandey Swaranjali News
Journalist Baikunthpur, Korea•
10 hrs ago

सादर प्रकाशनार्थ:– कोरिया..धरती कहे पुकार के सड़क चौड़ीकरण कोरिया कहे पुकार के, ओ मेरे माटी के लाल। देख मां आज त्रस्त है, तू पड़े निरत भ्रमजाल।। मेरा इतिहास, सबल प्रताप, देशहित वर्धन हुआ मिलाप। नैसर्गिकसौंदर्य, खगवृंद अलाप, हर लेता है ये,हर दुख संताप।। श्री राम प्रभु ने भ्रमण किया, साधुसंत भक्तों ने रमण किया। दंडकारण्य की पावन धरती में, आतताइयों दुष्टों का अंत हुआ। खनिज संसाधन की भूमि है, प्राकृतिक समृद्ध ये धरती है। काले हीरे की यह अवनी है, यह उद्योगों की हितकर्णी है। सरगुजा के पश्चिम में रहती हूं। तुम्हें वचन ये याद दिलाती हूं। समृद्ध रहे तुम,पर अब क्या हो? जीवन दायिनी सच कहती हूं। सुनो दौर हुआ कुछ ऐसा फिर, कोरिया को जिलाधिकार मिला। कोरियागढ़ पुरा अस्तित्व रहा, बैकुंठपुर मुख्यालय क्षेत्र मिला।। अब नया जिला मेरा बना, पर किशोर क्यों वृद्ध हुआ? क्या शोक नही, यह दुख होता है, जब पुत्र दायित्व विमुख होता है। कई समृद्ध पर्यटन स्थल है, कई नदियां, सुंदरतम बहती है। इन हसदेव गेज की धारा में, विकास की गंगा बहती है। पर फिर वही शोक मैं पूछ रही, तुम माता की सेवा नही करते। मातृ–पितृ विमुख होकर के, किस दिवास्वप्न में तुम जीते? अव्यवस्था के दौर से गुजरी हूं, मेरे अस्तित्व को हरदम कुचला है कोई उद्योग न मानवीय संसाधन सड़क चौड़ीकरण सुना है जुमला है। अगर सड़क सुंदरतम हो, तो यातायात सुगम होगा। व्यवस्था सुदृह तो होगी ही, आकर्षण भी अगम होगा।। फिर भीड़ में तुम नहीं फसोगे, यातायात नही विफल होगा। तुम नियत समय पर पहुंचोगे, हर तीज त्योहार सफल होगा।। सोचो बायपास बन गया है, शहर पड़ा वीरान हुआ है। बाहरी आकर्षण का अंत हुआ है, व्यापार कहीं तो कम हुआ है।। फिर आगे करोगे बलिदान भी, मातृभूमि के हितकर ही। तब श्रेष्ठ पुत्र कहलाओगे, जीवन सफल कर जाओगे।। जब व्यवस्थित उद्यम होएंगे, कुछ प्रवासी भी तब आएंगे। नूतन वैचारिक आर्थिक क्रांति से, तुम्हारा ही हित कर जायेंगे।। सुंदर सड़क समृद्ध यातायात, चौड़ा मार्ग व्यवस्थित हर बात। शिक्षा स्वास्थ्य काल आपात, अन्यत्र ही रमना,ये हालात? बाहर बसकर तुम क्या पाओगे, शिक्षा व्यापार में जम जाओगे।। मैं मातृभूमि आशीष ही दूंगी, चाहे विमुख, तुम हो जाओगे।। वही उद्यम– उद्योग यही पर हो, मानचित्र कोरिया का उन्नत हो। सारी समृद्धि अब कट चुकी, पांच से दो में है सिमट चुकी।। अब उठो जागो और यत्न करो, शून्य से शिखर तक पहुंच करो। माता अपने पुत्रों से कहे पुकार, बदल डालो हर बिगड़ा आकर।। तब जन्म सफल कर जाओगे, नूतन मार्ग ही तुम बनाओगे। कोरिया जिला समृद्ध रूप से, भविष्य सुनहरा कर जाओगे।। "जब राजनीति लड़खड़ाती है तब साहित्य उसे संभालता है" जिनके काव्य के मूल में राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता रही।आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर जी की उक्त पंक्तियां सत्य सार्थक और मानने योग्य है। हालांकि यह एक सत्य घटना पर बोला गया त्वरित वाक्य था तब हुआ यह था भारत देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी सीढ़ियों में लड़खड़ा गए थे कि श्री रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें संभाल लिया और दिनकर जी के मुख से फूट पड़ा –"जब राजनीति लड़खड़ाती है तब साहित्य उसे संभालता है"। उन्होंने अपने महाकाव्य ‘रश्मिरथी’ में लिखा है समर शेष है नही पाप का भागी केवल व्याध। जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध।। ये शब्द जीवंत है, अजर है अमर है। किं कर्तव्यविमुड़ होकर अथवा जो हो रहा है हो हमे क्या ? इस भावना से तटस्थ हो जाना अमानवीय है।दिनकर जी के अनुसार समय बड़ा बलवान है और उन्होंने इसे मानवीय अपराध की संज्ञा दी है। कोई भी काल हो साहित्य ने राजनीति और समाज को सहारा दिया है,संबल बनया है,जागृत किया है अपनी लेखनी से अपने प्रबोधन से। अगर बात करें स्वतंत्रता संग्राम या अंग्रेजी हुकुम के दंश काल की तब भी बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जैसे महान साहित्यकारों ने देश में आनंद मठ की रचना करते हुए नव तरंग भर दिया वह रहा ‘वंदे मातरम’ जो आज राष्टीय गीत के रूप में सुशोभित है। आज देश के प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम के 150 वर्ष के स्मरण उत्सव के अवसर पर देश की जनता को राजधानी से संबोधित करते हुए यही कहा कि ‘सोचिए वह कालखंड कैसा रहा होगा जब आप हम सब पराधीन रहे उस यातना के काल में ऐसी रचना करना मरे हुए को प्राण फूंकने जैसा था। प्रधानमंत्री जी ने सत्य कहा और यही हुआ भी था तब देश में एक नव लहर फैली मातृभूमि के हितार्थ मां भारती के लिए तन मन न्योछावर करने के लिए कई क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने हंसते हंसते मृत्य को अंगीकार कर लिया। रामधारी सिंह दिनकर जी की एक और पंक्ति इसी रश्मि रथी से: जब नाश मनुज का छाता है। पहले विवेक मर जाता है।। सरगुजा जिला का समृद्ध पश्चिमी हिस्सा कोरिया । यह जिला बना तब इसके पास बहुत संसाधन थे।राजस्व,खनिज,प्राकृतिक,मानवीय परिपूर्ण। लेकिन जब यह अपने युवापन में है तब उसका विभाजन हुआ और पितृ जिला टूटकर सिमट कर अति न्यून हो गया असमय बुढ़ापे की चपेट में आ गया। हर एक संसाधन अलग हो गए। कोरिया का ऐतिहासिक गौरव ,धार्मिक गौरव,पर्यटन आदि इससे छूटे ही साथ में राजस्व आदि भी कम हो गया।ऐसे में चाहिए कि अब वह युक्ति अपनाई जाए जिससे मातृभूमि कोरिया गौरवान्वित हो फलीभूत और व्यवस्थित हो। सुख साधनों से परिपूर्ण हो। कोरिया उन्नत हो,व्यवस्थित सड़क हो,शिक्षा आदि के नूतन बड़े उद्यम हो, यातायात सुगम हो, बिजली,पानी,सड़क आदि की व्यवस्था सुदृढ़ हो, युवाओं को रोजगार हेतु साधन हो उद्योग हो इसके लिए मातृभूमि के लालों की मानसिकता सबसे पहले सुदृढ़ हो प्रबल हो। किसी का अहित भी न हो और मातृभूमि हितार्थ सब मिलजुल कर एकराय होकर संपूर्ण विकास की बात और मांग के साथ पूर्णता को प्राप्त हो इसके लिए जिस प्रकार मां भारती के लिए वीर सपूतों ने अपना त्याग बलिदान किया था वह भी करना पड़े तो पीछे नहीं हटने की बात हो। लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा है। बैकुंठपुर मुख्यालय की बहुप्रतीक्षित मांग "सड़क चौड़ीकरण" तक कई सालों से लंबित है । इसके कई दुष्प्रभाव है। यातायात इतना कष्टकारी हो जाता है कि लोगो के जान पर बन आती है। जाम में फंसे स्वास्थ्य गाड़ियों में बच्चे पैदा हो जा रहे है और अस्पताल नही जा पाते। बीमार व्यक्ति जाम में फंस जाते है तो उनकी जान पर बन पड़ती है। राजकीय या राष्ट्रीय सेवा से जुड़े प्रशासनिक परीक्षा में परीक्षार्थी अत्यंत भीड़ और ट्रैफिक जाम के कारण पहुंच नही पाते परीक्षा सेंटर्स के सामने दुपहिया चारपहिया का जाम लग जाता है और समाप्त होने पर जब परीक्षार्थी निकलते है तब घंटों जाम की स्थिति बन पड़ती है इसके कारण शहर के नागरिकों को कष्ट झेलना पड़ता है। तीज त्योहार का भी यही हाल है रक्षाबंधन,नवरात्रि,दीपावली,मोहर्रम जुलूस,या अन्य जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। प्रशासनिक आयोजन और खेल आदि के लिए के लिए पृथक कोई बड़ा मैदान नही है ना कोई भवन इसके लिए ऐतिहासिक रामानुज विद्यालय के मैदान का प्रयोग होता है,राज्योत्सव हो या राष्ट्रीय पर्व अथवा दशहरा उत्सव इतनी भारी भरकम भीड़ को काबू में ला पाना यातायात और पुलिस प्रशासन के लिए जद्दोजहद का काम हो जाता है कोई भी अनहोनी होने पर जान माल पर बन सकता है। चुनाव काल में भी इसी विद्यालय का उपयोग होने से पढ़ाई लिखाई सब चौपट। शहर को व्यवस्थित करन एक चुनौती बन गई है युवा जोश भरपूर आवाज उठा रहा है।कोई आकर्षण नही होने से किसी भी प्रकार से कोई सुविधा यातायात की नही होने से अन्य पड़ोसी जिले या आसपास के लोग शहर में घुसते नही है । बायपास से निकल जाते है इससे बैकुंठपुर का व्यापार भी प्रभावित है अन्य का फलित है। नाबालिक सरपट वाहन दौड़ाते है । दुर्घटना में वृद्धि हुई है। सड़कों में मवेशी आदि रहने से दिक्कत हो जाया करती है और भी कई दुख और कष्ट आम जनता भोग रही है। लेकिन समाधान के लिए कोई विकल्प नहीं दिखता। जब स्थिति रामधारी दिनकर जी पंक्ति जब नाश....जैसा हो तब साहित्यकार लेखक, प्रबोधक को अपना दायित्व निभाना पड़ता है। कोरिया जिले के बैकुंठपुर शहर के वर्ल्ड रिकारधारी साहित्यकार राज्य युवा कवि सम्मानित,जनसेवा के लिए राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार प्राप्त संवर्त कुमार रूप ने यही दायित्व निभाया है और उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से मातृभूमि कोरिया की पीड़ा व्यक्त करते हुए शहर के लोगो से मातृभूमि के हितार्थ कर्तव्य बोध और नैतिक दायित्व की बात कही है। श्री रूप ने दिनकर जी की चंद पंक्तियां पढ़ते हुए कहा कि अभी अनुनय विनय से मार्ग प्रशस्त करने का उपक्रम है आगे अगर यह नही हुआ तो भविष्य में पीढियां और इतिहास हमे दोषी नहीं ठहराएं इसका उपक्रम होगा। याचना नही अब रण होगा। जीवन जय या कि मरण होगा।। संवर्त कुमार ‘रूप’ बैकुंठपुर जिला कोरिया छत्तीसगढ़ लेखक/ कवि वर्ल्ड रिकार्ड प्राप्त। संपर्क: 8462037009 सर्वाधिकार सुरक्षित/ कॉपीराइट कानून के तहत्/ (यह लेखक के अपने विचार है)

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  • शहडोल ब्यौहारी से दुर्गेश कुमार गुप्ता पत्रकार पपौंध क्षेत्र में सरकारी जमीन पर कब्जा — परिवार के आने-जाने का रास्ता पूरी तरह बंद, न्याय की गुहार के बाद भी सुनवाई नहीं शहडोल जिले के अंतिम छोर पपौंध क्षेत्र के ग्राम पंचायत विजयसोत़ा के रेलवे स्टेशन के पास एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया है, जिसके कारण स्थानीय निवासी रामखेलावन दाहिया का पूरा परिवार दिनों-दिन परेशानियों से जूझ रहा है। परिवार के घर तक पहुंचने का रास्ता पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है। पीड़ित परिवार ने कई बार इसकी शिकायत थाने में दर्ज कराई, साथ ही जन-सुनवाई में भी गुहार लगाई, लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं की गई। प्रशासनिक चुप्पी और लापरवाही के कारण परिवार की परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि रास्ता बंद होने से आवागमन ठप पड़ गया है और लोग गंभीर असुविधा का सामना कर रहे हैं। वहीं, पीड़ित परिवार लगातार रास्ता दिलाने की मांग कर रहा है, लेकिन मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द हस्तक्षेप की मांग करते हुए कब्जा हटाने और आम रास्ता बहाल करने की अपील की है। यह मामला अब क्षेत्र में आक्रोश का कारण बनता जा रहा है। *बाइट - जानकी दाहिया ( परेशान परिवार)*
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    शहडोल ब्यौहारी से दुर्गेश कुमार गुप्ता पत्रकार 
पपौंध क्षेत्र में सरकारी जमीन पर कब्जा — परिवार के आने-जाने का रास्ता पूरी तरह बंद, न्याय की गुहार के बाद भी सुनवाई नहीं
शहडोल जिले के अंतिम छोर पपौंध क्षेत्र के ग्राम पंचायत विजयसोत़ा के रेलवे स्टेशन के पास एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया है, जिसके कारण स्थानीय निवासी रामखेलावन दाहिया का पूरा परिवार दिनों-दिन परेशानियों से जूझ रहा है। परिवार के घर तक पहुंचने का रास्ता पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है।
पीड़ित परिवार ने कई बार इसकी शिकायत थाने में दर्ज कराई, साथ ही जन-सुनवाई में भी गुहार लगाई, लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं की गई। प्रशासनिक चुप्पी और लापरवाही के कारण परिवार की परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि रास्ता बंद होने से आवागमन ठप पड़ गया है और लोग गंभीर असुविधा का सामना कर रहे हैं। वहीं, पीड़ित परिवार लगातार रास्ता दिलाने की मांग कर रहा है, लेकिन मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द हस्तक्षेप की मांग करते हुए कब्जा हटाने और आम रास्ता बहाल करने की अपील की है।
यह मामला अब क्षेत्र में आक्रोश का कारण बनता जा रहा है।
*बाइट - जानकी दाहिया ( परेशान परिवार)*
    user_Durgesh Kumar Gupta
    Durgesh Kumar Gupta
    Electrician Beohari, Shahdol•
    15 hrs ago
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