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Vinod Singh
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- रंजिश में चली गोलियां, पिता-पुत्र की मौत दुस्साहस इमलिया सुल्तानपुर थानाक्षेत्र के फत्तेपुर मातिन गांव की घटना एएसपी सहित कई थानों की पुलिस मौके पर, वारदात के बाद आरोपी फरार इमलिया सुल्तानपुर/ सीतापुर, अमृत विचार: सीतापुर के इमलिया सुल्तानपुर इलाके में रंजिश में घात लगाकर पिता-पुत्र पर हमला किया गया। धारदार हथियार के साथ कई राउण्ड गोलियां भी चलीं। दुस्साहसिक वारदात में पिता और पुत्र की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलने पर एएसपी कई थानों की पुलिस के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और आरोपियों की तलाश की। इमलिया सुल्तानपुर थानाक्षेत्र के फत्तेपुर मातिन निवासी छोटू उर्फ अख्तर खां का गांव के ही अर्कवंशी समाज के लोगों से रंजिश चली आ रही थी। बताते हैं कि गुरुवार को रणधीर आरख, तामू सिंह, झगड़ू और अख्तर पक्षों के बीच विवाद हुआ। जिसमें पुलिस ने शांति भंग के तहत पिता अख्तर खां और उसके पुत्र महशर खां का चालान कर दिया। सायंकाल छोटू उर्फ अख्तर खां (65) और उनका पुत्र महशर खां (45) सीतापुर से घर लौट रहे थे। महशर बाइक पर था, जबकि पिता ऑटो पर सवार थे। गांव के नजदीक पंचायत भवन पहुंचने पर पिता-पुत्र को विपक्षियों ने घेर लिया। आरोप है कि कई राउण्ड गोलियां चली, अख्तर की मौत के बाद पुत्र महशर ने खुद को भागकर बचाने का प्रयास किया, लेकिन उसको भी दौड़ाकर हमलावरों ने सिर पर और गर्दन पर कई वार कर दिए, जिससे उसको भी मौके पर मौत हो गई। अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गेश सिंह, सीओ महोली नागेन्द्र चतुर्वेदी सहित आसपास थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गई। शवों को कब्जे में लेकर आरोपियों की तलाश की। एएसपी का कहना है कि आरोपियों की तलाश में पांच टीमें गठित की गई हैं। 25 साल से चला आ रहा था विवाद विवाद वर्ष 2000 से आरंभ हुआ। बताते हैं कि अख्तर खां के परिवार की युवती और ठाकुर प्रसाद आरख के बीच नजदीकियां हो गई। जिसमें ठाकुर प्रसाद की हत्या हुई। इसके बाद वर्ष 2011 में ठाकुर प्रसाद के पुत्र संतोष सिंह आरख को मार डाला गया। जिसमें अख्तर आदि जेल गए। बाद में सुलह-समझौता होने के बाद जेल से छूटकर अख्तर और उनका परिवार लखीमपुर खीरी के मितौली कस्बे में रहने लगा। बताते हैं कि गन्ना आदि की फसल को देखने के लिए पिछले दिनों पिता-पुत्र गांव आए थे।3
- Bangladesh में Hindus और दूसरे minorities पर हो रहे अत्याचार पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया1
- Post by Gulab Khan1
- doctor SK Sharma1
- भारत की बेटी गोल्ड मेडलिस्ट खुशबू निषाद ने पूरे देश की बेटियों का सर गर्व से ऊंचा किया हैं , देश की हर बेटियों को खुशबू निषाद से सीख लेना चाहिए।1
- कामरेड नेता मुन्नीलाल का निधन,परिवार जनों ने दान की देह प्रयागराज झूंसी हवेलियां के रहने वाले 78 वर्षीय कामरेड नेता मुन्नीलाल यादव का मंगलवार भोर में हार्ट अटैक होने से निधन हो गया। पैतृक गांव हंडिया के पैगुआ कटहरा से भी लोग आए थे अंतिम दर्शन करने। मुन्नी लाल ने 2013 में 55 लोगों के समूह के साथ देंहदान का संकल्प लेते हुए शरीर दान फार्म भरा था, परिवार ने पार्थिव शरीर मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के एनाटामी विभाग को दान कर दिया। नेता गरीब व असहाय के लिए एक मसीहा से कम नही थे कामरेड मुन्नी लाल यादव,लोगों की मदद करना उनके जेहन में था। कामरेड मुन्नी लाल पैगुआ कटहरा से 2006 में हवेलियां झूंसी में आकर बस गए थे। पश्चिम बंगाल के हावडा में सेंट पाल स्कूल में शिक्षक रहे। सेवानिवृत होने के बाद उनका मन पूरी तरह से सामाजिक गतिविधियों में लग गया। किसानों के लिए लडाई लडते रहे और किसान सभा के अध्यक्ष जिलाध्यक्ष रहे। सीपीआइ-एम के जिला सचिव रहते हुए कम्युनिस्ट विचारधारा को आगे बढाने का का प्रयागराज में करते रहे। कैप्टन लक्ष्मी सहगल से प्रेरणा लेकर उन्होंने 2013 में युग दधीचि देंहदान संस्थान के जरिए जुडकर अपने शरीर का मरने के बाद दान करने संकल्प लेते हुए फार्म समिट किया गया था। और उनके निधन के बाद उनके दो बेटों में राजेश यादव और रमेश यादव और उनकी दो बेटियों रूबी यादल व रोजी यादव ने पिता के भरे गए शपथ पत्र को पूरा करते हुए पिता मुन्नीलाल यादव के शरीर का देहदान मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज के एनाटामि विभाग को सुपुर्द कर दी। पत्नी राजेश्वरी देवी ने पति के द्धारा सामाजिक कार्यों को करते रहने और मृत्यु के बाद अपनी देह मेडिकल कालेज को दान दिए जाने से उनके साहस व समर्पण के प्रति एक मिसाल बताई,कामरेड नेता मुन्नीलाल यादव को अंतिम विदाई के दौरान हजारों की संख्या में लोग मोजूद रहे और मुन्नीलाल अमर रहे जैसे गगनभेदी नारों व जयरकारों के साथ नम आंखों से उनकी अंतिम विदाई की गई। समाज के लिए कुछ कर गुजरने सपना ही जब हकीकत की जमीन पर लोगों के समस्या के वक्त कंधे से कंधा मिलाकर लडा जाता है हक हुकुब की लडाई में संघर्षों के साथी के तौर पर नजर आने वाले नेता को ही अंतीम समय की विदाई में हजारों लोग साथ खडे नजर आते है जो समाज में किए गए लोगों के प्रति अच्छे कार्य ही होते हैं। बाइट....कृष्णा पाण्डेय, HOD,एनाटामि विभाग, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज, प्रयागराज। बाइट....स्वर्गीय मुन्नीलाल यादव देहदान करने वाले के बडे बेटे राजेश यादव बाइट... स्वर्गीय मुन्नीलाल यादव देहदान करने वाले के परिजन रमेश यादव बाइट.... रेखा सिंह, कामरेड नेता, प्रयागराज बाइट....लक्ष्मण प्रसाद, पूर्व प्रधान, प्रयागराज। सदैव लोगों की लडाई लडने का काम करते रहे मुन्नी लाल यादव मरने के बाद भी उनका पार्थिव शरीर मेडिकल कालेज के इनाटामी विभाग में मौजूद रहेगा और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मेडिकल की खोज में वरदान साबित होगा, इनका शरीर देश की तरक्की में काम आए और मेडिकल के छात्रों को मानव देह में होने वाली विभिन्न बीमारियों की निदान की खोज करने व मानव विकास में महत्वपूर्ण साबित हो। रिपोर्ट.... पवनदेव, संवाददाता, प्रयागराज1
- औरंगाबाद में धर्म परिवर्तन का आरोप, मुखिया के लाइव वीडियो से मचा हड़कंप औरंगाबाद। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें औरंगाबाद जिले के एक पंचायत के मुखिया सुजीत सिंह द्वारा लाइव वीडियो चलाकर बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया है। मुखिया का दावा है कि उनके ही पंचायत क्षेत्र में कथित तौर पर सुनियोजित तरीके से धर्म परिवर्तन का “बड़ा खेल” चल रहा है, जबकि प्रशासन इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है। लाइव वीडियो में मुखिया सुजीत सिंह ने कहा कि बार-बार शिकायत किए जाने के बावजूद अब तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदुओं के स्वयंभू “ठेकेदार” बनकर सिर्फ बयानबाजी करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हो रहे कथित धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कोई गंभीर पहल नहीं कर रहे। वीडियो वायरल होने के बाद इलाके में चर्चाओं का माहौल गर्म हो गया है। हालांकि, इस मामले में अभी तक प्रशासन या जिला अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। वहीं, वायरल वीडियो में लगाए गए आरोपों की पुष्टि भी स्वतंत्र रूप से नहीं हो सकी है। फिलहाल, प्रशासन की भूमिका और मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए जांच की मांग की जा रही है। अब देखना यह होगा कि वायरल वीडियो के बाद जिला प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।1
- बिहार के रोहतास में करोड़ों की लागत से बना रोप वे उद्घाटन से पहले ट्रायल में ही टूट कर गिर गया। बड़ा हादसा टला। 1 जनवरी को नए साल के मौके पर आम लोगों के लिए खुलना था!1
- भारत की बेटी गोल्ड मेडलिस्ट खुशबू निषाद ने पूरे देश की बेटियों का सर गर्व से ऊंचा किया हैं , देश की हर बेटियों को खुशबू निषाद से सीख लेना चाहिए।1