नाम से भगवान नहीं होते गुणों से भगवान होते हैं, दान देकर भूल जाएं, बोलो तो अच्छा बोलें, नहीं तो मौन धारण कर लेवें।-- मुनिश्री सानंद सागर नाम से भगवान नहीं होते गुणों से भगवान होते हैं। पार्श्वनाथ भगवान का विधान बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। तीर्थंकर जन्म से ही अवधि ज्ञानी रहते हैं। पार्श्व कुमार ने अपने नाना से कहा इस लकड़ी में नाग -नागिन का जोड़ा जल रहा है, जल रहे जीव को बचाया,नाग - नागिन के जीव मरकर पदमावती एवं धर्णेंद्र देव हुए।अच्छे काम को करने के बाद भूल जाएं, दान देकर भूल जाएं,बड़ का बीज कितना छोटा और उग कर भव्य वृक्ष बनता है। उसी प्रकार छोटा सा दिया गया दान वट वृक्ष का रुप लेता है। निमित्त मिलने पर गुरु की वाणी ग्रहण करने से कल्याण हो जाता है। हनुमान जी मोक्ष गए। हनुमान जी से सुंदर कोई नहीं, फिर आप रुपका अभिमान व अहंकार करते हो, राग दुःख का कारण है, मद करना छोड़ दो, तभी कल्याण होगा। बिजोलिया जी में पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा बहुत ही मनमोहक है और वहां बड़े-बड़े पत्थर है।कमठ का जीव जो देव बना था उनका विमान पार्श्व मुनिश्री की तपस्या स्थल के ऊपर रुक गया, उन्होंने देखा तो पूर्व जन्म का ध्यान आने पर पार्श्व कुमार मुनिश्री पर भयंकर उपसर्ग किया। लेकिन पार्श्व कुमार मुनिश्री भयंकर उपसर्ग के बाद भी अपने ध्यान में लीन रहें।नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा प्रत्येक जीव के पाप और पुण्य का उदय होता है। गुरु चाहते हैं सभी शिष्यों को अच्छी शिक्षा मिले,आप पुरुषार्थ करें। किसी से राग-द्वेष यह गलती हो जाए तो उससे क्षमा याचना अवश्य करें। स्वप्न में भी गलती होने पर प्रतिक्रमण कर क्षमा मांगते हैं। पार्श्वनाथ भगवान ने कमठ के जीव को भयंकर उपसर्ग करने पर भी क्षमा किया। पार्श्वनाथ भगवान से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।जिस अवस्था के हो वही स्वाध्याय करें।समयसार लोहे के चने के समान है। मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने कहां बिना मुनि बने मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। अहंकार करने वाले संसार में भटकते रहते हैं। भगवान के चरण जमीन पर नहीं रखाते हैं। आगम में लड़ाई झगडे नहीं है, कषाय भी नहीं।मद नहीं होने से केवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ।रुप का मद नहीं करें।राजा की पुत्री ने रुप के मद में आईने में निहारते समय आईना में मुनिराज की जाते हुए कि परछाई आईने में दिखने पर मुनिराज की परछाई पर थूक दिया। पन्द्रह दिन बाद उसे कोढ़ हो गया। कर्म उदय में आने पर फल भोगना पड़ता है। भगवान की भक्ति आराधना से ऐसा पुण्य होता है कि मोक्ष प्राप्त हो जाता है और अविनय करने पर खाने के लाले पड़ जाते हैं।आचार्य भगवंत की कृपा से अब मुनिराज के दर्शन सौ किलोमीटर पर हो रहें हैं। पहले के समय में साधु -संतों के दर्शन दुर्लभ थे।पंडित टोडरमल जंगलों में मुनिराज के दर्शन करने भटकते रहे, लेकिन मुनिराज के दर्शन नहीं हुए।आप लोग भाग्यशाली हैं, आपको मुनिराज के दर्शन हो रहे हैं। आपमें पार्श्वनाथ भगवान के एकादि गुण आ जाएं तो अहंकार नहीं आएगा। मिथ्यात्व का पोषण नहीं करें। कर्म रूपी बुखार को समाप्त करें।
नाम से भगवान नहीं होते गुणों से भगवान होते हैं, दान देकर भूल जाएं, बोलो तो अच्छा बोलें, नहीं तो मौन धारण कर लेवें।-- मुनिश्री सानंद सागर नाम से भगवान नहीं होते गुणों से भगवान होते हैं। पार्श्वनाथ भगवान का विधान बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। तीर्थंकर जन्म से ही अवधि ज्ञानी रहते हैं। पार्श्व कुमार ने अपने नाना से कहा इस लकड़ी में नाग -नागिन का जोड़ा जल रहा है, जल रहे जीव को बचाया,नाग - नागिन के जीव मरकर पदमावती एवं धर्णेंद्र देव हुए।अच्छे काम को करने के बाद भूल जाएं, दान देकर भूल जाएं,बड़ का बीज कितना छोटा और उग कर भव्य वृक्ष बनता है। उसी प्रकार छोटा सा दिया गया दान वट वृक्ष का रुप लेता है। निमित्त मिलने पर गुरु की वाणी ग्रहण करने से कल्याण हो जाता है। हनुमान जी मोक्ष गए। हनुमान जी से सुंदर कोई नहीं, फिर आप रुपका अभिमान व अहंकार करते हो, राग दुःख का कारण है, मद करना छोड़ दो, तभी कल्याण होगा। बिजोलिया जी में पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा बहुत ही मनमोहक है और वहां बड़े-बड़े पत्थर है।कमठ का जीव जो देव बना था उनका विमान पार्श्व मुनिश्री की तपस्या स्थल के ऊपर रुक गया, उन्होंने देखा तो पूर्व जन्म का ध्यान आने पर पार्श्व कुमार मुनिश्री पर भयंकर उपसर्ग किया। लेकिन पार्श्व कुमार मुनिश्री भयंकर उपसर्ग के बाद भी अपने ध्यान में लीन रहें।नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा प्रत्येक जीव के पाप
और पुण्य का उदय होता है। गुरु चाहते हैं सभी शिष्यों को अच्छी शिक्षा मिले,आप पुरुषार्थ करें। किसी से राग-द्वेष यह गलती हो जाए तो उससे क्षमा याचना अवश्य करें। स्वप्न में भी गलती होने पर प्रतिक्रमण कर क्षमा मांगते हैं। पार्श्वनाथ भगवान ने कमठ के जीव को भयंकर उपसर्ग करने पर भी क्षमा किया। पार्श्वनाथ भगवान से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।जिस अवस्था के हो वही स्वाध्याय करें।समयसार लोहे के चने के समान है। मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने कहां बिना मुनि बने मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। अहंकार करने वाले संसार में भटकते रहते हैं। भगवान के चरण जमीन पर नहीं रखाते हैं। आगम में लड़ाई झगडे नहीं है, कषाय भी नहीं।मद नहीं होने से केवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ।रुप का मद नहीं करें।राजा की पुत्री ने रुप के मद में आईने में निहारते समय आईना में मुनिराज की जाते हुए कि परछाई आईने में दिखने पर मुनिराज की परछाई पर थूक दिया। पन्द्रह दिन बाद उसे कोढ़ हो गया। कर्म उदय में आने पर फल भोगना पड़ता है। भगवान की भक्ति आराधना से ऐसा पुण्य होता है कि मोक्ष प्राप्त हो जाता है और अविनय करने पर खाने के लाले पड़ जाते हैं।आचार्य भगवंत की कृपा से अब मुनिराज के दर्शन सौ किलोमीटर पर हो रहें हैं। पहले के समय में साधु -संतों के दर्शन दुर्लभ थे।पंडित टोडरमल जंगलों में मुनिराज के दर्शन करने भटकते रहे, लेकिन मुनिराज के दर्शन नहीं हुए।आप लोग भाग्यशाली हैं, आपको मुनिराज के दर्शन हो रहे हैं। आपमें पार्श्वनाथ भगवान के एकादि गुण आ जाएं तो अहंकार नहीं आएगा। मिथ्यात्व का पोषण नहीं करें। कर्म रूपी बुखार को समाप्त करें।
- जिले के खिवनी अभ्यारण में पहली बार दिखा सोन कुत्ता, दूसरे चरण के बाघ आकलन के पहले दिन बाघ भी आया नजर देवास, देवास व सीहोर जिले में फैले खिवनी अभ्यारण में पहली बार वन अमले को सोनकुत्ता (एशियन वाइल्ड डॉग) नजर आया है इसके साथ ही एक अन्य स्थान पर कर्मचारियों को बाघ भी दिखा जिसे अधिक दूरी से मोबाइल फोन के कमरे में कैद किया गया है सोनकुत्ता की उपस्थिति को लेकर अभ्यारण प्रबंधन भी उत्साहित है क्योंकि यह विलुप्त हो रही प्रजाति में शामिल है यह दोनों वन्य जीव गुरुवार को उस समय नजर आए जब अभ्यारण की टीम अखिल भारतीय बाघ गणना के दूसरे चरण के पहले दिन गुरुवार को जंगल भमण कर रही थी अभ्यारण प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार कुछ साल पहले तक जहां पर गांव की बसाहट थी वहां बाद में झाड़ियां की सफाई आदि करके घास लगाई गई थी वर्तमान में यहां घास का मैदान है गुरुवार को जब टीम इस क्षेत्र में पहुंची तो दो सोनकुत्ते अलग-अलग नजर आए जिनके जोड़ा होने की संभावना है वहीं अभ्यारण के एक नाले में बाघ भी पानी पीते वह विचरण करते हुए वन अमले को नजर आया है इसे कैमरे में कैद किया गया है खिवनी अभ्यारण कन्नौद के रेंजर भीम सिंह सिसोदिया ने शुक्रवार सुबह 11:00 बजे बताया कि अभ्यारण के फोटोग्राफिक रिकॉर्ड में पहले कभी सोनकुत्ता का उल्लेख नहीं है संभव है की यह घने जंगलों में रहे होंगे किसी को नजर नहीं आए या फिर नौरादेही या सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की ओर से आए हो अभ्यारण की 18 बीट में लगाई है 18 टीमेः खिवनी अभ्यारण में कुल 18 बीट है बाघ गणना के दूसरे चरण के लिए प्रत्येक बीट में एक-एक टीम को लगाया गया है दूसरा चरण एक सप्ताह तक चलना प्रस्तावित है, पहले दिन सोन कुत्ता बाघ के अलावा कई अन्य प्रजातियों के वन्य जीव भी नजर आए हैं लुप्त प्रजाति का कुशल शिकारी कुत्ता झुंड में रहना पसंद, वन अधिकारियों के अनुसार सोन कुत्ता कुशल शिकारी होता है सामान्यतःवह अकेले नहीं रहता पांच से लेकर कई बार 30 से अधिक तक का झुंड रहता है इसे सोन कुत्ता ढोल भारतीय जंगली कुत्ते के साथ ही विसलिंग डाग भी कहा जाता है यह कई बार सिटी जैसी आवाज निकालता है कुछ क्षेत्रों में इसे ढोल भी कहा जाता है इसके प्रति जागरूकता व संरक्षण के लिए हर साल 28 मई को सोन कुत्ता दिवस भी मनाया जाता है,2
- Post by Kedar purbiya1
- भोपाल आरिफ मसूद फैन्स क्लब के नेतृत्व में पार्षद लईका रफीक कुरैशी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हिजाब मामले को लेकर थाना तलैया में FIR दर्ज के लिए ज्ञापन दिया1
- Post by SWADESH KI AWAZ NEWS1
- Post by User10231
- Pratap Singh Thakur1
- आशा हे जिला प्रशासन ही कोई कार्यवाही करें तहसील स्तर के प्रशासन से कोई उम्मीद करना ही बेकार । क्योंकि यहां के जो अधिकारी हैं वह मुद्दे को दबाते हैं अब किस कारण से इस बात से आम नागरिक भली भांति परिचित है 🖊️🖊️🖊️1
- कन्नौद मे है मुक्ति धाम जहा मिलती है आध्यात्मिक शांति और जीवन से मुक्ति कन्नौद,मध्यप्रदेश के देवास जिले का कन्नौद नगर मैं चार इंसान के अंतिम विश्राम के स्थान है जहां नगर के नगरवासी अपने प्रियजनों के अंतिम विदाई देने आते हैं। इन चारों जीवन मुक्ति के स्थान में एक है भूतेश्वर मुक्ति धाम जहां इस आधुनिक युग में वह सब समुचित व्यवस्था मिलती है जो अंतिम विदाई के समय लगती है। अपने प्रियजन को कांधे पर रखकर लाने के लिए सीढ़ी , कपाल क्रिया से लेकर दाह संस्कार के लिए नाम मात्र के शुल्क पर लकड़ी उपलब्ध होती है। कोई पांच एकड़ भूमि में फैले यह धाम में गुलाव वाटिका,पितृ पर्वत,पक्की सिमेंट की सडक ,चारों तरफ हरियाली,शब रखने और श्रृद्धांजलि देने का बड़ा हाल , दो शिवालय , अस्थियां रखने का लाकर, चौबीस घंटे चौकीदार, गर्म और ठंडे पानी की मशीन,तीन जलस्त्रोत आमजन को गर्मी के समय गला तर करने की बड़ी पानी की टंकी,के साथ बहुत कुछ सुविधाएं आज यहा पर आप देख सकते हैं। सन 1976 तक उजाड़ पड़ा यह स्थान नगर की प्रगति का उपहास का केंद्र रहा पर उसके बाद नगर से ही तीन लोगों ने इसको संवारने के लिए मुक्ति धाम में अमावस की काली रात में सत्यकथा रखी और इस स्थान को संवारने का काम शुरू किया अनेक बाधा को पार करते हुए इस भूमि को चारों तरफ से तार फेंसिंग किया यह स्थान नगर से वाहर होने से इमारती लकड़ी चोरी से ले जाने का रास्ता रहा कारण इस भूमि के तीन ओर शासकीय सड़क मार्ग है। मुख्य गेट के सामने इन्दौर बेतूल मार्ग,एक तरफ पुराने स्टेट के समय हरदा से इन्दौर जाने का झुनझुना मार्ग तक जाने का मार्ग और पीछे ना झुनझुना मार्ग जो सीधे पानीगांव होते हुए कमलापुर जाता था इस मार्ग का उपयोग चोरी से माल परिवहन होता था इस कारण मुक्ति धाम उन लोगों की शरणार्थी रहा है उनको रोकना भी अनेक बार सीधे मौत से साक्षात्कार था किन्तु किसी नेक काम का हौसला हो तो मौत से भी लड़कर जीत हो सकती है और हुआ भी यही । इस भूमि को अपराधियों से मुक्त कराने में तत्कालीन पुलिस अधिकारीयो का सहयोग आज की शान बनी है।इस भूमि पर आज हरे भरे छायादार और फलदार वृक्ष लगे हुए हैं। इस भूमि के संरक्षण में तीन से दो हुए फिर भी अविरल यह कारवां चलता रहा और सन दो हज़ार में नगर के कुछ लोग इस पुनीत सेवा में आगे बढ़े जिसमें प्रमुख रूप से श्री जोरावरसिह फौजी जो तभी से आज तक समिति के अध्यक्ष हैं श्री रमेशचन्द्र डाबी,श्री नरसिंह धूत,श्री राधेश्याम खत्री वार्ड पार्षद,श्री शंकरलाल दलवी लेखा-जोखा अधिकारी,श्री रमेश डाबी मुख्य पर्यावरण,श्री रमेश राठौर , श्री मधुर अग्रवाल, बृजेश धूत ,श्री संतोष पंडा ,पंडित प्रमोद मेहता आज इस अभियान के लिए सतत प्रयत्नशील है। इस भूमि के देखरेख नगर पंचायत अधिकारी श्री अनिल जोशी का सदैव विशेष सहयोग बना हुआ है। इस तरह से एक समिति के सदस्य तन-मन-धन से कार्यरत हैं। इस समिति के कुछ सदस्य पूर्व में अपने जीवन काल तक जुड़े रहे उसमें श्रीरामचंद्र जी अग्रवाल,श्री ब्यकंटेश सिंगी का सहयोग आज उनकी स्मृति करा रहा है। इसी के साथ असंख्य उन दानवीर भामाशाह पुरुष जिन्होंने इस समिति पर भरोसा कर अपनी ओर से अनेक सुविधाएं संस्था के नाम की है। भूतेश्वर मुक्ति धाम की अलौकिक यात्रा की एक झलक इस समाचार के साथ सभी के समक्ष साझा की जा रही है।1