,,दोनों दीन से गए पांडे ना हलुआ मिला ना माडे,, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का यह हाल हुआ है। गुजराती चालाक चतुर साहब जादे पत्रकार का। यह पंक्तियां उसके लिए बारा के पत्रकारों ने है लिखकर हमें भेजी है। इसलिए हम गुजराती चालक चतुर दिलीप शाह के लिए लिख रहे है। जिसे सबसे पहले इंडियन फेडरेशन वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश गांधी ने कार्यकारिणी में स्थान दिलाया। उसे फुटपाथ से उठाकर राष्ट्रीय स्तर तक के पत्रकार संगठन में स्थान दिलाया। गोवा बद्रीनाथ और अन्य प्रांतों के सम्मेलन में विधायक सहयोग से यात्राएं करवाई। किंतु चालक चतुर दिलीप ने पैसे की दम पर राष्ट्र कार्यकारिणी के कुछ पदाधिकारी को पैसे देकर सचिव का दर्जा हासिल कर लिया। और उनके साथ गए एक संगठन के पति पत्नी को भी दिलीप शाह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष अवधेश भार्गव के खिलाफ बगावत का विगुल फुकवा दिया। और और अयोध्या में जब राष्ट्र कार्यकारिणी की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई। तो उन्होंने समांतर दिल्ली में एक ऐसे व्यक्ति जो दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के धंधे से नजदीकी है। उन्हें अध्यक्ष बना दिया। और ना संगठन का मोनो लगाया और ना सारे स्टेट से डेली गेट आये स्वयंभू लाल ने राजस्थान के उनके संगठन जिसमें वह अध्यक्ष है और उनकी अर्धांगिनी महासचिव है। उसकी वागडौर थामली। और राजस्थान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी और सम्मेलन की घोषणा कर आये। किंतु अपना जलवा दिखाने के लिए उन्होंने एक विधायक एक भूत मंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुछ सदस्य को बुलाकर अपनी संस्था को जीवनदान दे दिया। उनके खास खबास गुजराती चालक चतुर दिलीप शाह में चूना लगा दिया। न उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान दिया। और नाम मंच पर बिठाया और ना उनका सम्मान कराया। जितने लोगों को वह बारा के अधिकारीयों जनता और अन्य लोगों से जान सहयोग लेकर। गये थे सारे पत्रकारों की बेइज्जती हुई। और किशनगंज के पान बेचने वाले मदन शाक्यवार एक व्यापारी कम पत्रकार हैं ने तो यह तक लोगों से कहा है की तीन बार मैंने अपने पैसों से यात्रा की है। और हमारे सामने यह बेज्जती हुई है उससे मैं बहुत दुखी हूं । इंडियन फेडरेशन वर्किंग जर्नलिस्ट की नई कार्यकारिणी यह बनते ही और नेपाल में फेडरेशन के सम्मेलन में जाने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले दोगले दिलीप शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव जिनकी पीठ में इसने छुरा धोपा था। और संगठन को तोड़ने का प्रयास किया था। उनके सामने गिलगड़ाया और नेपाल जाने की बार-बार प्रार्थना की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश गांधी की जब तक सहमति नहीं देंगे तुम्हें इसका सगठन सदस्य तक बनाया नहीं जाएगा और ना नेपाल जाने के लिए कोई अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि तुम दोगले आदमी हो। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश गांधी ने बारा में सभी अधिकारियों को पत्र लिखकर विधायकों को भूतपूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया उर्मिला जैन भाया और अन्य समाज सेवी संगठनों को की लिखित सूचना भेजी है शाह का नेपाल में होने वाले सम्मेलन से कोई लेना-देना नहीं है। अगर यह चंदा की बात करते हैं। तो तत्काल हमें सूचित करें हम उनके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करेंगे। पूर्व में इन्होंने रमेश गांधी के नाम पर चंदा इकट्ठा किया था। उनके पैर में फैक्चर हो जाने के कारण उसका पूरा फायदा उठाकर। अपनी दुकान जमाइथी। वह फेल हो गई। अब नेपाल सम्मेलन जाने के लिए फड़फड़ा रहे हैं। दिलीप साहब उनकी पत्नी क्योंकि मुफ्त में वह कई यात्राएं अपनी पत्नी के साथ कर चुके हैं। पूर्व में भी बारा में प्रेस क्लब बनाया तत्कालीन मंत्री प्रमोद जैन भैया से लाखों रुपए का फायदा उठाया। पत्रकारों को तो खाना खिलाकर और अंता विद्युत परियोजना से लाखों की गिफ्ट ली उसे देकर संतुष्ट किया। और कुछ शिल्ड भी बचा कर रख ली। इसलिए बारा के पत्रकारों ने इन्हें गुजराती चालाक चतुर पत्रकार कहते हुए। नकार दिया नए प्रेस क्लब का गठन कर लिया। जिसके अध्यक्ष विपिन तिवारी है। वह समय-समय पर पत्रकारों के लिए संघर्ष करते हैं। और उन्हें आवास दिलाने के लिए वह गहलोत सरकार में भी प्रयत्न शील रहे थे। और भजनलाल सरकार में प्रयास कर रहे हैं।
,,दोनों दीन से गए पांडे ना हलुआ मिला ना माडे,, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का यह हाल हुआ है। गुजराती चालाक चतुर साहब जादे पत्रकार का। यह पंक्तियां उसके लिए बारा के पत्रकारों ने है लिखकर हमें भेजी है। इसलिए हम गुजराती चालक चतुर दिलीप शाह के लिए लिख रहे है। जिसे सबसे पहले इंडियन फेडरेशन वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश गांधी ने कार्यकारिणी में स्थान दिलाया। उसे फुटपाथ से उठाकर राष्ट्रीय स्तर तक के पत्रकार संगठन में स्थान दिलाया। गोवा बद्रीनाथ और अन्य प्रांतों के सम्मेलन में विधायक सहयोग से यात्राएं करवाई। किंतु चालक चतुर दिलीप ने पैसे की दम पर राष्ट्र कार्यकारिणी के कुछ पदाधिकारी को पैसे देकर सचिव का दर्जा हासिल कर लिया। और उनके साथ गए एक संगठन के पति पत्नी को भी दिलीप शाह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष अवधेश भार्गव के खिलाफ बगावत का विगुल फुकवा दिया। और और अयोध्या में जब राष्ट्र कार्यकारिणी की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई। तो उन्होंने समांतर दिल्ली में एक ऐसे व्यक्ति जो दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के धंधे से नजदीकी है। उन्हें अध्यक्ष बना दिया। और ना संगठन का मोनो लगाया और ना सारे स्टेट से डेली गेट आये स्वयंभू लाल ने राजस्थान के उनके संगठन जिसमें वह अध्यक्ष है और उनकी अर्धांगिनी महासचिव है। उसकी वागडौर थामली। और राजस्थान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी और सम्मेलन की
घोषणा कर आये। किंतु अपना जलवा दिखाने के लिए उन्होंने एक विधायक एक भूत मंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुछ सदस्य को बुलाकर अपनी संस्था को जीवनदान दे दिया। उनके खास खबास गुजराती चालक चतुर दिलीप शाह में चूना लगा दिया। न उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान दिया। और नाम मंच पर बिठाया और ना उनका सम्मान कराया। जितने लोगों को वह बारा के अधिकारीयों जनता और अन्य लोगों से जान सहयोग लेकर। गये थे सारे पत्रकारों की बेइज्जती हुई। और किशनगंज के पान बेचने वाले मदन शाक्यवार एक व्यापारी कम पत्रकार हैं ने तो यह तक लोगों से कहा है की तीन बार मैंने अपने पैसों से यात्रा की है। और हमारे सामने यह बेज्जती हुई है उससे मैं बहुत दुखी हूं । इंडियन फेडरेशन वर्किंग जर्नलिस्ट की नई कार्यकारिणी यह बनते ही और नेपाल में फेडरेशन के सम्मेलन में जाने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले दोगले दिलीप शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव जिनकी पीठ में इसने छुरा धोपा था। और संगठन को तोड़ने का प्रयास किया था। उनके सामने गिलगड़ाया और नेपाल जाने की बार-बार प्रार्थना की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश गांधी की जब तक सहमति नहीं देंगे तुम्हें इसका सगठन सदस्य तक बनाया नहीं जाएगा और ना नेपाल जाने के लिए कोई अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि तुम दोगले आदमी हो। राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष रमेश गांधी ने बारा में सभी अधिकारियों को पत्र लिखकर विधायकों को भूतपूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया उर्मिला जैन भाया और अन्य समाज सेवी संगठनों को की लिखित सूचना भेजी है शाह का नेपाल में होने वाले सम्मेलन से कोई लेना-देना नहीं है। अगर यह चंदा की बात करते हैं। तो तत्काल हमें सूचित करें हम उनके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करेंगे। पूर्व में इन्होंने रमेश गांधी के नाम पर चंदा इकट्ठा किया था। उनके पैर में फैक्चर हो जाने के कारण उसका पूरा फायदा उठाकर। अपनी दुकान जमाइथी। वह फेल हो गई। अब नेपाल सम्मेलन जाने के लिए फड़फड़ा रहे हैं। दिलीप साहब उनकी पत्नी क्योंकि मुफ्त में वह कई यात्राएं अपनी पत्नी के साथ कर चुके हैं। पूर्व में भी बारा में प्रेस क्लब बनाया तत्कालीन मंत्री प्रमोद जैन भैया से लाखों रुपए का फायदा उठाया। पत्रकारों को तो खाना खिलाकर और अंता विद्युत परियोजना से लाखों की गिफ्ट ली उसे देकर संतुष्ट किया। और कुछ शिल्ड भी बचा कर रख ली। इसलिए बारा के पत्रकारों ने इन्हें गुजराती चालाक चतुर पत्रकार कहते हुए। नकार दिया नए प्रेस क्लब का गठन कर लिया। जिसके अध्यक्ष विपिन तिवारी है। वह समय-समय पर पत्रकारों के लिए संघर्ष करते हैं। और उन्हें आवास दिलाने के लिए वह गहलोत सरकार में भी प्रयत्न शील रहे थे। और भजनलाल सरकार में प्रयास कर रहे हैं।
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