बिहार शरीफ ।अधिवक्ता संवाद का आयोजन विधि विमर्श पत्रिका के 6 वाँ वार्षिकोत्सव कार्यक्रम बिहार शरीफ स्थित टाउन हॉल में किया गया।इस मौके पर अधिवक्ता संवाद में अधिवक्ताओं ने विचार गोष्ठी के माध्यम से अपनी समस्याओं को प्रमुखता से रखा । सभा का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर बिहार सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ सुनील कुमार, नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार, पूर्व विधायक एवं भाजपा के मुख्य प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल, भाजपा के प्रवक्ता अरविंद कुमार, भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी अवधेश कुमार पांडे, समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार राज्य विधिज्ञ परिषद काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद प्रसाद यादव, पत्रिका के संपादक रणविजय सिंह ,चुनाव आयोग के ब्रांड एंबेसडर डॉ.आशुतोष कुमार मानव एवं गणमान्य अतिथियों ने शुभारंभ किया। मौके पर वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ सुनील कुमार ने अधिवक्ताओं का सम्मान करते हुए विधि विमर्श पत्रिका की पूरी टीम को बधाई दी।इस अवसर पर बिहार को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने का सुझाव दिया । कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रिका के संपादक रणविजय सिंह ने किया तथा मंच संचालन शुभांगी पांडे ने किया। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद यादव ने अपने संबोधन के दौरान गोष्ठी का विषय अधिवक्ता संवाद पर केंद्रित करते हुए कहा कि यद्यपि अधिवक्ताओं को कागजी भरपूर सम्मान प्रदान किया गया परंतु धरातल पर एक भी सम्मान नहीं दिखा बल्कि अधिवक्ता कल्याण के प्रति सरकारों की उदासीन रवैया है एवं अपने शीर्ष संस्था की चुप्पी पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि हमारी समिति अपनी 25 सूत्री मांगों को लेकर वर्षों से संघर्ष करती चली आ रही है परंतु सरकार के कानों पर जू नहीं रेंग रहा है। क्योंकि इसका नेतृत्व बार काउंसिल आफ इंडिया को करना चाहिए जो अपने कर्तव्य से विमुक्त है। श्री यादव ने आगे बताया कि अधिवक्ताओं को संविधान व्याख्याता, जनतंत्र का प्रहरी, बेजुबानों का जुबान, समाज का अभियंता एवं न्याय के अधिकारी के रूप में स्वीकार किया जाता है फिर भी यह वर्ग दूसरे को न्याय दिलाने में अपने जीवन खफा देने वाला स्वयं को को न्याय नहीं दिला पाता है। श्री यादव ने बताया कि 25 सूत्री मांगों के अति आवश्यक 7 सूत्री की सूची बनाई गई है जिसमें कई बार समिति के बैनर के माध्यम से संबंधित सरकारों को प्रेषित किया जा चुका है। आज की सभा में उन सातों मांगों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई तथा मांगों पर विचार कर सरकार को ज्ञापन सौपा जाएगा। उन मांगो में लोकसभा राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद में वकीलों के लिए 20% पद सुरक्षित करवाई जाए। उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों की नियुक्ति को पारदर्शी बनाई जाय । अखिल भारतीय न्यायिक सेवा आयोग का गठन किया जाए। भारतीय संविधान अंतर्गत पारित कार्यान्वन अभिलंब करवाई जाए। इस मौके पर पत्रिका के प्रधान संपादक रणविजय सिंह ने कहा कि अधिवक्ताओं की मुख्य मांगों को शांतिपूर्ण एवं संवैधानिक तरीके से लड़ाई लड़ी जा रही है और सरकार को समय-समय पर मांगो से अवगत कराती कराई जाती है परंतु यदि मांगों पर विचार नहीं किया गया तो बाध्य होकर आंदोलन का रूप लेना पड़ेगा। इस मौके पर अवधेश कुमार पांडे, अरविंद कुमार, डॉक्टर आनंद कुमार, शैलेंद्र कुमार सिंह, आर के राजेश, अरुण कुशवाहा, इंद्रदेव प्रसाद, संतोष कुमार सिंह, जितेंद्र कुमार, विवेकानंद प्रसाद, शंभू प्रसाद कश्यप, श्वेता कुमारी, दीपक कुमार सिंह, रजनीकांत, शिवानंद गिरि, दीपक कुमार आदि ने अपने-अपने विचारों को रखा अंत में धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता संतोष कुमार सिंह ने किया।
बिहार शरीफ ।अधिवक्ता संवाद का आयोजन विधि विमर्श पत्रिका के 6 वाँ वार्षिकोत्सव कार्यक्रम बिहार शरीफ स्थित टाउन हॉल में किया गया।इस मौके पर अधिवक्ता संवाद में अधिवक्ताओं ने विचार गोष्ठी के माध्यम से अपनी समस्याओं को प्रमुखता से रखा । सभा का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर बिहार सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ सुनील कुमार, नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार, पूर्व विधायक एवं भाजपा के मुख्य प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल, भाजपा के प्रवक्ता अरविंद कुमार, भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी अवधेश कुमार पांडे, समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार राज्य विधिज्ञ परिषद काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद प्रसाद यादव, पत्रिका के संपादक रणविजय सिंह ,चुनाव आयोग के ब्रांड एंबेसडर डॉ.आशुतोष कुमार मानव एवं गणमान्य अतिथियों ने शुभारंभ किया। मौके पर वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ सुनील कुमार ने अधिवक्ताओं का सम्मान करते हुए विधि विमर्श पत्रिका की पूरी टीम को बधाई दी।इस अवसर पर बिहार को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने का सुझाव दिया । कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रिका के संपादक रणविजय सिंह ने किया तथा मंच संचालन शुभांगी पांडे ने किया। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद यादव ने अपने संबोधन के दौरान गोष्ठी का विषय अधिवक्ता संवाद पर केंद्रित करते हुए कहा कि यद्यपि अधिवक्ताओं को कागजी भरपूर सम्मान प्रदान किया गया परंतु धरातल पर एक भी सम्मान नहीं दिखा बल्कि अधिवक्ता कल्याण के प्रति सरकारों की उदासीन रवैया है एवं अपने शीर्ष संस्था की चुप्पी पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि हमारी समिति अपनी 25 सूत्री मांगों को लेकर वर्षों से संघर्ष करती चली आ रही है परंतु सरकार के कानों पर जू नहीं रेंग रहा है। क्योंकि इसका नेतृत्व बार काउंसिल आफ इंडिया को करना चाहिए जो अपने कर्तव्य से विमुक्त है। श्री यादव ने आगे बताया कि अधिवक्ताओं को संविधान व्याख्याता, जनतंत्र का प्रहरी, बेजुबानों का जुबान, समाज का अभियंता एवं न्याय के अधिकारी के रूप में स्वीकार किया जाता है फिर भी यह वर्ग दूसरे को न्याय दिलाने में अपने जीवन खफा देने वाला स्वयं को को न्याय नहीं दिला पाता है। श्री यादव ने बताया कि 25 सूत्री मांगों के अति आवश्यक 7 सूत्री की सूची बनाई गई है जिसमें कई बार समिति के बैनर के माध्यम से संबंधित सरकारों को प्रेषित किया जा चुका है। आज की सभा में उन सातों मांगों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई तथा मांगों पर विचार कर सरकार को ज्ञापन सौपा जाएगा। उन मांगो में लोकसभा राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद में वकीलों के लिए 20% पद सुरक्षित करवाई जाए। उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों की नियुक्ति को पारदर्शी बनाई जाय । अखिल भारतीय न्यायिक सेवा आयोग का गठन किया जाए। भारतीय संविधान अंतर्गत पारित कार्यान्वन अभिलंब करवाई जाए। इस मौके पर पत्रिका के प्रधान संपादक रणविजय सिंह ने कहा कि अधिवक्ताओं की मुख्य मांगों को शांतिपूर्ण एवं संवैधानिक तरीके से लड़ाई लड़ी जा रही है और सरकार को समय-समय पर मांगो से अवगत कराती कराई जाती है परंतु यदि मांगों पर विचार नहीं किया गया तो बाध्य होकर आंदोलन का रूप लेना पड़ेगा। इस मौके पर अवधेश कुमार पांडे, अरविंद कुमार, डॉक्टर आनंद कुमार, शैलेंद्र कुमार सिंह, आर के राजेश, अरुण कुशवाहा, इंद्रदेव प्रसाद, संतोष कुमार सिंह, जितेंद्र कुमार, विवेकानंद प्रसाद, शंभू प्रसाद कश्यप, श्वेता कुमारी, दीपक कुमार सिंह, रजनीकांत, शिवानंद गिरि, दीपक कुमार आदि ने अपने-अपने विचारों को रखा अंत में धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता संतोष कुमार सिंह ने किया।
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