लोयाबाद। कुडमी जनजाति समाज की एक बैठक लोयाबाद के शगुन पैलेस मे सम्पन्न हुई जिसकी। अध्यक्षता मंटू महतो, एवं संचालन चौधरी चरण महतो, ने की वही कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप मे शीतल औहदार, एवं हलधर महतो, मौजूद थे बैठक को संबोधित करते हुए हलधर महतो ने कहा कि झारखण्ड मे कुडमी के वगैर किसी की सरकार नही बन सकती राज्य की इतनी बडी आबादी को नजर अंदाज करना सरकार के वश की बात नही है। वही शीतल औहदार ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कुडमी अपने हक और अधिकार की लड़ाई आखरी दम तक लड़ेगी चाहे कितना बड़ा आन्दोलन क्यों न करना पड़े। वही बैठक की अध्यक्षता कर रहे मंटू महतो, ने कहा कि कुडमी का विरोध किश्चयन आदिवासी कर रहा है झारखण्ड के मूल अधिवासी नही 1950 के पहले कुडमी आदिवासी की सूची मे था। जिसे साजिश करके बाहर कर दिया गया अपने हक को पाने के लिए कुडमी समाज को पुनः एक वार फिर से पंचायत स्तर से संगठन को बनाने की जरूरत है। प्रखण्ड स्तर पर संयोजक मंडली बना कर लोगों को एक जूट करने की जरूरत है। झारखण्ड मे अगले बर्ष 11 जनवरी 2026 को रांची के मौहराबादी मैदान मे कुडमीयो के महाजुटान रैली को सफल बनाने की जरूरत है। इसी रैली मे तय होगा कि कुडमी के आन्दोलन को किस तरह धारधार बनाया जाए राज्य के सारे उद्योग कुडमी के जमीन पर है। उत्पादन कुडमी के जमीन पर होगा और कुडमी के साथ ही सौतेला व्यवहार ऐसा अब नही होगा। अगर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार होश मे आती है तो कुडमियों के द्वारा राज्य मे संपूर्ण आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। राज्य के खनिज संसाधन पर कुडमियों का पहला हक और इस हक और अधिकार के लडाई का शंखनाद मौहराबादी मैदान से होगा और ये आन्दोलन तब तक जारी रहेगा जबतक कुडमी की ST का दर्जा और कुडमाली को आठवी अनुसूची मे शामिल नही किया जाता तब तक आन्दोलन चलता ही रहेगा ब्यूरो चीफ एमडी वसीम अंसारी
लोयाबाद। कुडमी जनजाति समाज की एक बैठक लोयाबाद के शगुन पैलेस मे सम्पन्न हुई जिसकी। अध्यक्षता मंटू महतो, एवं संचालन चौधरी चरण महतो, ने की वही कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप मे शीतल औहदार, एवं हलधर महतो, मौजूद थे बैठक को संबोधित करते हुए हलधर महतो ने कहा कि झारखण्ड मे कुडमी के वगैर किसी की सरकार नही बन सकती राज्य की इतनी बडी आबादी को नजर अंदाज करना सरकार के वश की बात नही है। वही शीतल औहदार ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कुडमी अपने हक और अधिकार की लड़ाई आखरी दम तक लड़ेगी चाहे कितना बड़ा आन्दोलन क्यों न करना पड़े। वही बैठक की अध्यक्षता कर रहे मंटू महतो, ने कहा कि कुडमी का विरोध किश्चयन आदिवासी कर रहा है झारखण्ड के मूल अधिवासी नही 1950 के पहले कुडमी आदिवासी की सूची मे था। जिसे साजिश करके बाहर कर दिया गया अपने हक को पाने के लिए कुडमी समाज को पुनः एक वार फिर से पंचायत स्तर से संगठन को बनाने की जरूरत है। प्रखण्ड स्तर पर संयोजक मंडली बना कर लोगों को एक जूट करने की जरूरत है। झारखण्ड मे अगले बर्ष 11 जनवरी 2026 को रांची के मौहराबादी मैदान मे कुडमीयो के महाजुटान रैली को सफल बनाने की जरूरत है। इसी रैली मे तय होगा कि कुडमी के आन्दोलन को किस तरह धारधार बनाया जाए राज्य के सारे उद्योग कुडमी के जमीन पर है। उत्पादन कुडमी के जमीन पर होगा और कुडमी के साथ ही सौतेला व्यवहार ऐसा अब नही होगा। अगर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार होश मे आती है तो कुडमियों के द्वारा राज्य मे संपूर्ण आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। राज्य के खनिज संसाधन पर कुडमियों का पहला हक और इस हक और अधिकार के लडाई का शंखनाद मौहराबादी मैदान से होगा और ये आन्दोलन तब तक जारी रहेगा जबतक कुडमी की ST का दर्जा और कुडमाली को आठवी अनुसूची मे शामिल नही किया जाता तब तक आन्दोलन चलता ही रहेगा ब्यूरो चीफ एमडी वसीम अंसारी
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- दुलमी–ललकी घाटी मार्ग पर तेज रफ्तार का कहर, फॉर व्हीलर की टक्कर से घर व दो वाहन क्षतिग्रस्त जामसिंघ (दुलमी): दुलमी–ललकी घाटी मार्ग अंतर्गत जामसिंघ के आसपास के क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी क्रम में आज एक तेज रफ्तार फॉर-व्हीलर कार ने घर के साइड में खड़े चार चक्का टेंपू को जोरदार टक्कर मार दी। इस हादसे में टेंपू, फॉर-व्हीलर कार के साथ-साथ पास स्थित घर भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मार्ग ग्रामीण क्षेत्र से होकर गुजरता है, बावजूद इसके यहां वाहन चालक तेज रफ्तार से गाड़ियां चलाते हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। संकरी सड़क, स्पीड ब्रेकर का अभाव और प्रशासनिक लापरवाही हादसों की मुख्य वजह मानी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार प्रशासन से इस सड़क पर गति नियंत्रण, चेतावनी बोर्ड और सुरक्षा उपाय लगाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यदि समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में बड़ी जनहानि से इनकार नहीं किया जा सकता। स्थानीय जनता ने प्रशासन से मांग की है कि दुलमी–ललकी घाटी मार्ग पर स्पीड ब्रेकर, चेतावनी संकेत बोर्ड, नियमित पुलिस गश्ती तथा तेज रफ्तार वाहनों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि ग्रामीणों की जान-माल की सुरक्षा हो सके।1
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