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जब एक पत्रकार और लोगों ने मिलकर एक सपने को दिया पंख
पुष्पेंद्र लोधी
जब एक पत्रकार और लोगों ने मिलकर एक सपने को दिया पंख
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- अत्याचार राहत – तत्काल प्रार्थना अनुरोध छत्तीसगढ़ राज्य के कांकेर जिले की अंतागढ़ तहसील के अमाबेड़ा गांव में एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है। गांव के एक पादरी एवं स्थानीय पंचायत प्रमुख (सरपंच) राजमन सलाम के पिता का निधन हो गया। उनके पिता ईसाई धर्म को नहीं मानते थे। इस कारण, गांव के मुखिया होने के नाते राजमन ने स्थानीय निकाय से अनुरोध किया कि गांव की परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाए और अंत में हमें बुला लिया जाए, ताकि हम केवल शव पर मिट्टी डाल सकें। इस पर एक स्थानीय व्यक्ति ने आपत्ति जताई। तब पादरी राजमन ने कहा कि यदि आपत्ति है तो कोई समस्या नहीं, वे शव को ले जाकर अपने धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर देंगे। परिवार और चर्च के सदस्यों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। लेकिन 17 तारीख को, पहले आपत्ति जताने वाले उसी व्यक्ति के नेतृत्व में कुछ अन्य ग्रामीणों ने मिलकर शव को कब्र से निकालने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और पादरी से शव को बाहर निकालने की अनुमति देने का अनुरोध किया। पादरी ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई। इस झड़प में कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। वर्तमान में गांव का माहौल बेहद तनावपूर्ण है। हम सभी विश्वासियों से शांति, सुरक्षा और न्याय के लिए प्रार्थना करने का विनम्र अनुरोध करते हैं।1
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