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कई विभाजनकारी ताकतें, जिनका आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था, उन्होंने बाद में संविधान, तिरंगा, अशोक चक्र से लेकर समाज की प्रगति के लिए बन रहे कायदे-कानूनों तक का विरोध किया। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- जब राम मंदिर बना, तब देश को आजादी मिली। वहीं नरेंद्र मोदी को लगता है कि जब 2014 में वे प्रधानमंत्री बने, तब देश को आजादी मिली। यह शर्म की बात है। RSS-BJP के लोगों को आजादी का दिन इसलिए याद नहीं, क्योंकि उन लोगों ने देश की आजादी में कोई योगदान नहीं दिया। कांग्रेस को आजादी इसलिए याद है, क्योंकि हमारे लोगों ने आजादी के लिए अपनी जान दी, ठोकरें खाईं और घर छोड़े। इसलिए मैं मोहन भागवत जी के बयान की निंदा करता हूं - मल्लिकार्जुन खड़गे जी
Parag Rawat
कई विभाजनकारी ताकतें, जिनका आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था, उन्होंने बाद में संविधान, तिरंगा, अशोक चक्र से लेकर समाज की प्रगति के लिए बन रहे कायदे-कानूनों तक का विरोध किया। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- जब राम मंदिर बना, तब देश को आजादी मिली। वहीं नरेंद्र मोदी को लगता है कि जब 2014 में वे प्रधानमंत्री बने, तब देश को आजादी मिली। यह शर्म की बात है। RSS-BJP के लोगों को आजादी का दिन इसलिए याद नहीं, क्योंकि उन लोगों ने देश की आजादी में कोई योगदान नहीं दिया। कांग्रेस को आजादी इसलिए याद है, क्योंकि हमारे लोगों ने आजादी के लिए अपनी जान दी, ठोकरें खाईं और घर छोड़े। इसलिए मैं मोहन भागवत जी के बयान की निंदा करता हूं - मल्लिकार्जुन खड़गे जी
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- आज नए मुख्यालय का उद्घाटन हमारी पार्टी के इतिहास में एक मील का पत्थर है। "इंदिरा गांधी भवन" नाम से कांग्रेस का स्थायी दफ्तर बनना हम सबके लिए बहुत गर्व की बात है। पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा जी के नाम पर बना ये भवन मातृशक्ति का प्रतीक है और ये हमेशा हम सभी के लिए प्रेरणा का केंद्र बना रहेगा। मैं यहां डॉ मनमोहन सिंह जी के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए उनको श्रद्धांजलि देता हूँ और घोषणा करता हूँ कि इस नए मुख्यालय में जो पुस्तकालय है, उसका नाम डॉ मनमोहन सिंह Library होगा। यह बहुत खुशी की बात है कि ये भवन उसी इलाके में बना है जहां हमारे महान नायकों ने सोचा था। 31 दिसंबर 1952 को पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की अध्यक्षता में CWC की मीटिंग में ये बात हुई थी। उसकी proceeding से मैं quote करता हूँ — “The committee considered the question of the purchase of a site for the AICC Office Building… It was decided that a site for the AICC Office be purchased in the Indraprastha Estate on the terms offered.” मुझे खुशी है कि नेहरू जी की ख़्वाहिश आज पूरी हुई। इस मुख्यालय का शिलान्यास 28 दिसंबर, 2009 को कांग्रेस के 125वें स्थापना दिवस पर सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में हुआ था और उनकी देख-रेख में भवन निर्माण का कार्य आगे बढ़ा। इसीलिए सोनिया जी से हमने अनुरोध किया कि आप उद्घाटन करें। आप यहां पधारे, इसके लिए आपका बहुत आभार। आज़ादी की लड़ाई के सबसे कठिन मौके पर 1920 के दशक से 1947 तक कांग्रेस का मुख्यालय इलाहाबाद में स्वराज भवन था। जहाँ पर श्रीमती इंदिरा गाँधी जी का जन्म हुआ था। आज़ादी के बाद मुख्यालय इलाहाबाद से दिल्ली आया। 1969 तक जंतर मंतर रोड, फिर राजेंद्र प्रसाद रोड पर रहा और 1978 से अब तक 24,अकबर रोड पर है। - मल्लिकार्जुन खड़गे जी4
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